<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली के प्रशांत विहार में एक बार फिर धमाके की कॉल आई है. 11.48 पर पुलिस को बंसी स्वीट के पास धमाके की सूचना मिली. भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गई है.</p> <p style=”text-align: justify;”>दिल्ली के प्रशांत विहार में एक बार फिर धमाके की कॉल आई है. 11.48 पर पुलिस को बंसी स्वीट के पास धमाके की सूचना मिली. भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गई है.</p> दिल्ली NCR IITF में बिहार मंडप और प्रदर्शनी को मिला गोल्ड मेडल, 2047 तक बिहार को विकासित राज्य बनाने का लक्ष्य
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हरियाणा में नए मंत्रिमंडल के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने प्रोफाइल मंगाई; इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके
हरियाणा में नए मंत्रिमंडल के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने प्रोफाइल मंगाई; इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हरियाणा में नई सरकार के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 15 विधायकों के नाम शॉर्ट लिस्ट किए गए हैं। इनमें 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने नाम फाइनल करने से पहले विधायकों की प्रोफाइल मंगाई है। जो चेहरे शॉर्ट लिस्ट किए गए हैं, उनमें नायब सैनी, अनिल विज, राव नरबीर सिंह, विपुल गोयल, मूलचंद शर्मा, कृष्णा गहलावत, कृष्णलाल पंवार, हरविंदर कल्याण, रणबीर गंगवा, महिपाल ढांडा, बिमला चौधरी, लक्ष्मण यादव, घनश्याम सर्राफ, आरती राव और श्रुति चौधरी शामिल हैं। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। भाजपा ने 48, कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2 और 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। तीनों निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या 51 हो गई है। कल पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग होगी। मीटिंग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद रहेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए, किसकी दावेदारी क्यों मजबूत…. 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध है। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी काफी मजबूत है। इसकी दूसरी वजह उनका राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी होना भी है। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही है। भाजपा नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के बराबर नेता खड़ा कर सकती है। 2. बिमला चौधरी : बिमला चौधरी ने पटौदी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। वह 2014 में भी इसी सीट से विधायक बनी थीं। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। वह राव इंद्रजीत सिंह की करीबी हैं। बिमला चौधरी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वह जातीय संतुलन के हिसाब से राव इंद्रजीत सिंह के कोटे में वह फिट बैठती हैं। इसके अलावा उन्हें विधायक रहते हुए प्रशासनिक अनुभव भी है। 3. लक्ष्मण यादव : वह रेवाड़ी सीट से चुनाव जीते है। वह 2019 में कोसली से विधायक चुने गए थे। राव इंद्रजीत सिंह और संगठन दोनों की पसंद की वजह से उन्हें टिकट मिला। अहीरवाल इलाके में यादवों की वोट एक तरह से एक तरफा भाजपा के पक्ष में पड़ा। 2019 में भले ही रेवाड़ी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई, लेकिन 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था।अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी को पिछले 10 सालों में मंत्रीपद नहीं मिल पाया। ऐसे में लक्ष्मण सिंह यादव के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह भी सहमति जता सकते हैं। 4. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता है। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 5. विपुल गोयल : यह वैश्य समुदाय से आते हैं। 2014 में चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के मतभेदों के कारण टिकट काट दिया गया था। इस बार सीधी हाईकमान में पकड़ होने के कारण इनको टिकट मिला, इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल में इसी कारण से कैबिनेट मंत्री के रूप में मजबूत दावेदार बने हुए हैं। 6 मूलचंद शर्मा: भाजपा में ब्राह्मणों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पंडित रामबिलास शर्मा का नाम आता था, लेकिन 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद उनके ही रिश्तेदार बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा को मनोहर लाल के दूसरे टर्म में परिवहन मंत्री बनाया गया। मूलचंद शर्मा लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 5 साल मंत्री रहने के दौरान उनकी परफॉर्मेंस ठीक रही, जिसकी वजह से वह इस बार भी कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार हैं। उनकी दावेदारी की दूसरी बड़ी वजह इस बार के चुनाव में ब्राह्मण वोटर्स का एकतरफा झुकाव भाजपा की तरफ रहना भी है। 7. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से विधायक बने हैं। पार्टी का बड़ा जाट चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी के सीएम बनाए जाने के बाद ढांडा को राज्यमंत्री बनाया गया था। अपने छोटे से कार्यकाल में काफी एक्टिव दिखाई दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने इन्हें तीसरी बार फिर टिकट दिया। ढांडा की सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। 8. कृष्णा गहलावत: राई विधानसभा सीट पर कृष्णा गहलावत ने जीत दर्ज की है। ये सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। जाट समुदाय से आने वाली कृष्णा गहलावत 1996 में बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। भाजपा सोनीपत, रोहतक और झज्जर की जाट बेल्ट में अपना आधार बढ़ाने के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकती है। 9. श्रुति चौधरी: तोशाम विधानसभा सीट पर भाजपा से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से था। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। तोशाम पर बंसीलाल परिवार का खासा प्रभाव रहा है। इससे पहले किरण चौधरी इस सीट से लगातार जीत हासिल करती रही हैं। उन्हें अब राज्यसभा भेज दिया गया है। ऐसे में श्रुति चौधरी कैबिनेट में मंत्रीपद के मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। 10. हरविंदर कल्याण: ये रोड़ समाज से आते हैं। प्रदेश की घरौंडा सीट से इन्होंने जीत दर्ज की है। 2019 में भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सैनी के कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे, इस बार इस समाज को बीजेपी नई सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहती है, इसलिए दावेदारी मजबूत है। ये पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। 11. कृष्ण लाल पंवार: बतौर राज्यसभा सांसद रहते हुए इसराना से विधानसभा चुनाव लड़ा। अब तक 6 बार के विधायक रह चुके हैं। सीनियोरिटी के हिसाब से बीजेपी में दूसरे नंबर पर आते हैं। इनसे पहले अनिल विज सात बार के विधायक बन चुके हैं। दलित समाज से आते हैं। इस चुनाव में दलितों के समर्थन मिलने के बाद बीजेपी में पंवार की मजबूत दावेदारी है। इसके साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी काफी करीबी हैं। 12. रणबीर गंगवा: संसदीय मामलों के अच्छे जानकार हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी की सरकार में डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। गंगवा इस बार बरवाला सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। इस नई सरकार में उन्हें स्पीकर या डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 13. घनश्याम सर्राफ: भिवानी से लगातार चार बार विधायक हैं। 2014 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने का वादा किया है, ऐसे में उनके अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकता है। 14. अनिल विज: हरियाणा में इस बार विधानसभा में सबसे सीनियर अनिल विज होंगे। इसकी वजह यह है कि यह ऐसे पहले विधायक बने हैं, जिन्होंने सात बार लगातार विधानसभा चुनाव जीता है। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में सेकेंड पोजीशन पर रहे। हालांकि नायब सैनी के कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार वह फिर से कैबिनेट में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी यदि डिप्टी सीएम फॉर्मूला लाती है तो विज को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। अनिल विज पंजाबी समुदाय से आते हैं।
Aligarh News: भूत-प्रेत उतारने के नाम पर महिला को रात भर पीटा, जबरन शराब पिलाने की कोशिश, केस दर्ज
Aligarh News: भूत-प्रेत उतारने के नाम पर महिला को रात भर पीटा, जबरन शराब पिलाने की कोशिश, केस दर्ज <p style=”text-align: justify;”><strong>Aligarh News:</strong> उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हैरान करने वाली घटना सामने आई है जहां मानसिक रूप से बीमार महिला पर भूत प्रेत की बाधा बताकर गांव के लोगों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की. इस दौरान उसे शराब पिलाने की भी कोशिश की गई. महिला मुरादाबाद की रहने वाली बताई जा रही है. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पूरा मामला अलीगढ के थाना हरदुआगंज के जलाली चौकी क्षेत्र में गांव उकराना का है. जहां जंगल में कुछ लोग एक महिला पीटते हुए नजर आ रहे है. इस दौरान महिला के साथ आपत्तिजनक व्यवहार भी किया जाता है. जिसमें कुछ लोग भूत-प्रेत उतारने के नाम पर उसके साथ बदसलूकी करते हुए दिखाई देते हैं. यहीं नहीं उसे जबरन शराब पिलाने की कोशिश भी की जाती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भूत-प्रेत उतारने के नाम पर महिला की पिटाई</strong><br />इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कर लिया. स्थानीय लोगों के अनुसार ये घटना रविवार की शाम की बताई जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि एक महिला उनके गांव उकराना में कहीं से घूमते-घूमते पहुंच गई. इसी दौरान गांव के ही रहने वाले चार-पांच युवक उसे जंगल में ले गए. जिसके बाद उसके साथ बदसलूकी की गई. सभी आरोपी खुद नशे में दिखाई दे रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ग्रामीणों ने जब इसकी शिकायत 100 नंबर की लेकिन, जब सुनवाई नहीं हुई तो जलाली चौकी के दारोगा को भी खबर दी गई जिसके बाद महिला को थाने लाया गया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद ये मामला अधिकारियों तक पहुंच गया. पुलिस ने इस मामले में मारपीट और छेड़खानी की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वीडियो में आरोपी साफ दिखाई दे रहे है, जिसके आधार पर गांव के ही चार-पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. महिला को मेडिकल परीक्षण आदि प्रक्रिया के लिए वन स्टॉप सेंटर भेजा गया है. पूरे मामले को लेकर सीओ अतरौली मो. अकमल खान ने कहा कि इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली गई है. महिला के साथ मारपीट की जा रही है. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-chief-minister-pushkar-singh-dhami-met-film-actor-rajpal-yadav-in-dehradun-2756017″>Uttarakhand: उत्तराखंड के CM पुष्कर धामी से मिले अभिनेता राजपाल यादव, जानें- क्या हुई बात?</a></strong><br /><br /></p>
हरियाणा में BJP का नायब सैनी पर दांव क्यों:सबसे ज्यादा 30% OBC वोटर पर नजर; जाट भी ज्यादा लेकिन कांग्रेस-इनेलो और जजपा में बंटे
हरियाणा में BJP का नायब सैनी पर दांव क्यों:सबसे ज्यादा 30% OBC वोटर पर नजर; जाट भी ज्यादा लेकिन कांग्रेस-इनेलो और जजपा में बंटे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हरियाणा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही। प्रदेश में 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि उनकी नजर OBC वोट बैंक पर है। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो OBC की आबादी सबसे ज्यादा करीब 30 प्रतिशत है। इसके बाद जाट समुदाय की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। वहीं अनुसूचित जाति की आबादी करीब 21 प्रतिशत है। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में सबसे ज्यादा आबादी वाले चेहरे को प्रतिनिधित्व देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। हालांकि लोकसभा चुनाव में OBC फेक्टर हरियाणा में नहीं चला। तब नायब सैनी ही मुख्यमंत्री थे। भाजपा सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में जाट वोट नहीं बंटा हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अंदेशा था कि प्रदेश में जाट वोट कांग्रेस, इनेलो और जजपा में डिवाइड हो जाएगा। जबकि OBC और अनुसूचित जाति का वोट बैंक भाजपा की तरफ आएगा। लेकिन चुनाव में जाट वोट एक तरफा कांग्रेस की ओर गया। इसके अलावा, अनुसूचित जाति के भी अच्छे वोट कांग्रेस को मिले। हरियाणा में गैर जाट की राजनीति करेगी भाजपा
प्रदेश में करीब 78 प्रतिशत गैर जाट वोटर हैं। अमित शाह ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को ही भाजपा का CM चेहरा घोषित कर यह संदेश दिया है कि हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति को ही बढ़ाएगी। हरियाणा में चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो कई दशकों से हरियाणा में जाट समुदाय से ही मुख्यमंत्री बनता आया है। हरियाणा में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्होंने गैर जाट को ही मुख्यमंत्री बनाया। 2014 से मार्च 2024 तक करीब साढ़े 9 साल तक पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 12 मार्च 2024 को सैनी समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने पहली बार पंजाबी समाज को दिया प्रतिनिधित्व
हरियाणा में ब्राह्मण, जाट, बिश्नोई, ओबीसी और वैश्य समाज से मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार 2014 में पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि पंजाबी आबादी हरियाणा में जाट, OBC और अनुसूचित जाति से कम है। मगर पंजाबी वोटरों का शहरी विधानसभा में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें जीती। भाजपा को इस प्रयोग का फायदा भी हरियाणा में मिला। हरियाणा में गैर जाट वोटर इससे जुड़ा। हरियाणा में भाजपा लगातार 2 बार सत्ता में है। 58 साल के इतिहास में केवल 241 दिन रहा OBC सीएम
हरियाणा का गठन 1966 को हुआ। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित भगवत दयाल शर्मा चुने गए। उनका कार्यकाल 142 दिन का रहा। इसके बाद 1967 में राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था। उनका कार्यकाल 241 दिन का रहा था। 1967 के बाद यह दूसरा मौका जब OBC समाज से हरियाणा में मुख्यमंत्री बना है।