<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 30 करोड़ रुपये के बीमा घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए मुख्य आरोपी दिनेश बंसल को गिरफ्तार किया है. बंसल के साथ कंपनी के दो पूर्व अधिकारी प्रदीप राणा और दीपक शर्मा भी हिरासत में हैं जबकि एक अन्य आरोपी राजू सिंह पहले से जेल में है. यह घोटाला फर्जी कार दुर्घटनाएं बनाकर बीमा दावे दाखिल करने और कंपनी को ठगी करने की सुनियोजित साजिश बताई जा रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है पूरा मामला ?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>13 जून 2022 को टाटा एआईजीके फ्रॉड कंट्रोल यूनिट प्रमुख विरेंद्र पाल सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के 6 गैराज, कंपनी के 4 पूर्व कर्मचारियों, आईआरडीएआई के सर्वेयरों और कुछ पॉलिसी धारकों ने मिलकर नकली मरम्मत बिल बनाकर करोड़ों का घोटाला किया. जांच में पता चला कि एक ही कार के अलग-अलग पॉलिसी नंबर और मालिकों के नाम पर कई बार दावे किए गए. कुछ मामलों में एक ही चेसिस नंबर वाली गाड़ियों के अलग रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाए गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच में खुलासा ऐसे काम करते थे घोटाला गैंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिनेश बंसल, जो पहले सेकेंड हैंड कारों का व्यापारी था, ने 2019 में बंसल मोटर्स नाम की वर्कशॉप खोली. घाटे में जाने के बाद उसने एक चालाक योजना बनाई. उसने महंगी सेकेंड हैंड कारें लीज पर देकर ग्राहकों को बीमा और मरम्मत सुविधा का लालच दिया. इन कारों को टाटा एआईजी में बीमित करवाया गया. फिर हर साल 2-3 बार फर्जी दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें एयरबैग डैमेज जैसे महंगे दावे शामिल थे. हर दावे पर 2 से 4.5 लाख रुपये तक की रकम हड़पी जाती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धोखाधड़ी का तरीका </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एक ही कार की तस्वीरें अलग-अलग एंगल से खींचकर कई दावों में इस्तेमाल की गईं. कथित दुर्घटना के चालकों ने घटना से इनकार किया. टाटा एआईजी के अंदरूनी कर्मचारी प्रदीप राणा और दीपक शर्मा फर्जी दावों को मंजूरी देते थे. बदले में उन्हें कमीशन मिलता था. 8 शेल कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गिरफ्तार आरोपियों का रिकॉर्ड</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी दिनेश बंसल 10वीं पास बंसल ने 25 साल पहले मुकुंदपुर एक्सटेंशन में सेकेंड हैंड कार का कारोबार शुरू किया. धोखाधड़ी से कमाए पैसे से उसने पत्नी और दोस्त के नाम पर 3 और वर्कशॉप्स खोलीं. वहीं प्रदीप राणा औऱ दीपक शर्मा टाटा एआईजी के ये पूर्व अधिकारी तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े में शामिल थे. पुलिस बाकी आरोपियों और शेल कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले दर्ज करने जा रही है. कंपनी ने भी आंतरिक जांच शुरू की है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 30 करोड़ रुपये के बीमा घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए मुख्य आरोपी दिनेश बंसल को गिरफ्तार किया है. बंसल के साथ कंपनी के दो पूर्व अधिकारी प्रदीप राणा और दीपक शर्मा भी हिरासत में हैं जबकि एक अन्य आरोपी राजू सिंह पहले से जेल में है. यह घोटाला फर्जी कार दुर्घटनाएं बनाकर बीमा दावे दाखिल करने और कंपनी को ठगी करने की सुनियोजित साजिश बताई जा रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है पूरा मामला ?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>13 जून 2022 को टाटा एआईजीके फ्रॉड कंट्रोल यूनिट प्रमुख विरेंद्र पाल सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के 6 गैराज, कंपनी के 4 पूर्व कर्मचारियों, आईआरडीएआई के सर्वेयरों और कुछ पॉलिसी धारकों ने मिलकर नकली मरम्मत बिल बनाकर करोड़ों का घोटाला किया. जांच में पता चला कि एक ही कार के अलग-अलग पॉलिसी नंबर और मालिकों के नाम पर कई बार दावे किए गए. कुछ मामलों में एक ही चेसिस नंबर वाली गाड़ियों के अलग रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाए गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जांच में खुलासा ऐसे काम करते थे घोटाला गैंग</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिनेश बंसल, जो पहले सेकेंड हैंड कारों का व्यापारी था, ने 2019 में बंसल मोटर्स नाम की वर्कशॉप खोली. घाटे में जाने के बाद उसने एक चालाक योजना बनाई. उसने महंगी सेकेंड हैंड कारें लीज पर देकर ग्राहकों को बीमा और मरम्मत सुविधा का लालच दिया. इन कारों को टाटा एआईजी में बीमित करवाया गया. फिर हर साल 2-3 बार फर्जी दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें एयरबैग डैमेज जैसे महंगे दावे शामिल थे. हर दावे पर 2 से 4.5 लाख रुपये तक की रकम हड़पी जाती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धोखाधड़ी का तरीका </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एक ही कार की तस्वीरें अलग-अलग एंगल से खींचकर कई दावों में इस्तेमाल की गईं. कथित दुर्घटना के चालकों ने घटना से इनकार किया. टाटा एआईजी के अंदरूनी कर्मचारी प्रदीप राणा और दीपक शर्मा फर्जी दावों को मंजूरी देते थे. बदले में उन्हें कमीशन मिलता था. 8 शेल कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गिरफ्तार आरोपियों का रिकॉर्ड</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी दिनेश बंसल 10वीं पास बंसल ने 25 साल पहले मुकुंदपुर एक्सटेंशन में सेकेंड हैंड कार का कारोबार शुरू किया. धोखाधड़ी से कमाए पैसे से उसने पत्नी और दोस्त के नाम पर 3 और वर्कशॉप्स खोलीं. वहीं प्रदीप राणा औऱ दीपक शर्मा टाटा एआईजी के ये पूर्व अधिकारी तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े में शामिल थे. पुलिस बाकी आरोपियों और शेल कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले दर्ज करने जा रही है. कंपनी ने भी आंतरिक जांच शुरू की है.</p> दिल्ली NCR लखनऊ को मिलेगा फैंटसी का नया संसार, आशियाना में बनेगा थीमेटिक फैंटसी पार्क
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