पंजाब में झगड़ा रहित इंतकालों के निपटारे के लिए सरकार ने दिसंबर माह में विशेष कैंप लगाने के आदेश जारी किए है। कैंप सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों की अगुआई में चलेंगे। वहीं, आदेश में साफ किया है गया कि 31 दिसंबर के बाद कोई भी झगड़ा रहित इंतकाल जो कि 45 दिन की समय अवधि से अधिक पेडिंग मिलता है, तो उसे लेकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। किसी भी तहसील और सब डिवीजन में इंतकाल पेंडिंग पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। आदेश की कॉपी एक साल से लंबित पड़े हैं इंतकाल सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि झगड़ा रहित इंतकाल का फैसला अधिक से अधिक 45 दिनों में करना होता है। लेकिन सरकार के ध्यान में आया है कि इंतकाल 45 दिनों से ज्यादा समय से लंबित पड़े हैं। कुछ इंतकाल तो एक साल से अधिक समय से लंबित पड़े हैं। आदेश में लिखा गया है कि यह चीज बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बडे़ गांवों और कस्बों में लगेंगे कैंप सरकार ने आदेश में कहा है कि इंतकालों के लिए बड़े गांवों और कस्बों में कैंप लगेंगे। वहीं, डीसी इन कैंपों को लेकर अधिकारियों से दो रिव्यू मीटिंग करेंगे। एक मीटिंग 15 दिसंबर और दूसरी मीटिंग 30 दिसंबर को होगी। वहीं, 31 दिसंबर के बाद 45 दिनों की समय सीमा से अधिक कोई झगड़ा रहित इंतकाल किसी तहसील, सब तहसील में पेंडिंग पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। पंजाब में झगड़ा रहित इंतकालों के निपटारे के लिए सरकार ने दिसंबर माह में विशेष कैंप लगाने के आदेश जारी किए है। कैंप सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों की अगुआई में चलेंगे। वहीं, आदेश में साफ किया है गया कि 31 दिसंबर के बाद कोई भी झगड़ा रहित इंतकाल जो कि 45 दिन की समय अवधि से अधिक पेडिंग मिलता है, तो उसे लेकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। किसी भी तहसील और सब डिवीजन में इंतकाल पेंडिंग पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। आदेश की कॉपी एक साल से लंबित पड़े हैं इंतकाल सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि झगड़ा रहित इंतकाल का फैसला अधिक से अधिक 45 दिनों में करना होता है। लेकिन सरकार के ध्यान में आया है कि इंतकाल 45 दिनों से ज्यादा समय से लंबित पड़े हैं। कुछ इंतकाल तो एक साल से अधिक समय से लंबित पड़े हैं। आदेश में लिखा गया है कि यह चीज बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बडे़ गांवों और कस्बों में लगेंगे कैंप सरकार ने आदेश में कहा है कि इंतकालों के लिए बड़े गांवों और कस्बों में कैंप लगेंगे। वहीं, डीसी इन कैंपों को लेकर अधिकारियों से दो रिव्यू मीटिंग करेंगे। एक मीटिंग 15 दिसंबर और दूसरी मीटिंग 30 दिसंबर को होगी। वहीं, 31 दिसंबर के बाद 45 दिनों की समय सीमा से अधिक कोई झगड़ा रहित इंतकाल किसी तहसील, सब तहसील में पेंडिंग पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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रणजीत नीटा मूल रूप से जम्मू का रहने वाला है। नीटा सांबा और आरएस पुरा में छोटे-छोटे अपराध करता था। इसी दौरान उसका संपर्क पाकिस्तान के तस्करों के साथ हुआ। पाकिस्तानी तस्करों ने ही नीटा की ISI के साथ मेलजोल करवाने में भूमिका निभाई। पाकिस्तान जाकर बम ब्लास्ट, हैंड ग्रेनेड की ट्रेनिंग ली
ISI से मिलने के बाद नीटा जम्मू-कश्मीर की सीमा से कई बार पाकिस्तान गया। पाकिस्तान में ISI ने नीटा को बम ब्लास्ट करने और भीड़ वाले इलाकों में हैंड ग्रेनेड फेंकने की ट्रेनिंग दी। जम्मू-कश्मीर घाटी में एक्टिव रहे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा के साथ नीटा ने जम्मू में कई ब्लास्ट करवाए। ऑपरेशन ब्लैक थंडर के बाद ISI के हत्थे चढ़ा
1986 में गोल्डन टेंपल में हुए ऑपरेशन ब्लैक थंडर के बाद नीटा पूरी तरह से ISI के इशारे पर काम करने लगा। उसने पंजाब में गुर्गों के जरिए कत्ल कराने शुरू कर दिए। ड्रोन के जरिए पंजाब में हथियार और एक्सप्लोसिव भिजवाने लगा। यहां तक कि वह खुलकर पाक खुफिया एजेंसी ISI के अलावा पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठनों और खालिस्तानियों के संबंधों को बढ़ावा देने लगा। यूरोपियन यूनियन ने बैन लगाया तो पाकिस्तान चला गया
2005 में यूरोपियन यूनियन ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स को आतंकी संगठन घोषित कर दिया। इससे रणजीत नीटा बौखला गया। वह दूसरे देशों से अपनी आपराधिक वारदातों को अंजाम नहीं दे सकता था। इसलिए, उसने ISI की मदद से पाकिस्तान में शरण ले ली। तब से वह पाकिस्तान में ही छिपा बैठा है। भारत की पाकिस्तान को सौंपी मोस्ट वांटेड लिस्ट में था शामिल
भारत सरकार ने साल 2008 में पाकिस्तान को टॉप-20 मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट भेजी थी। इसमें भी रणजीत नीटा का नाम शामिल था। इसमें नीटा पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिलाने के केसों का हवाला दिया गया। 2019 में पंजाब पुलिस के स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल ने नीटा पर जेल में बैठे अपराधियों की मदद से पाकिस्तान से हथियार और नकली करेंसी मंगवाने का पर्चा दर्ज करवाया था। 16 साल बीमार रहा, शिवसेना नेताओं पर हमले करवा चर्चा में आया
पंजाब की खुफिया एजेंसियों के इनपुट के मुताबिक, रणजीत नीटा कुछ वर्षों में एकदम से गायब हो गया। जब इसकी खुफिया तौर पर पड़ताल की गई तो पता चला कि वह पाकिस्तान में बीमार पड़ा हुआ है। करीब 16 साल तक वह खामोश बैठा रहा। इसी दौरान कोरोना काल में साल 2020 के दौरान उसकी मौत की अफवाह उड़ी। हालांकि, 16 अक्टूबर 2024 को उसने लुधियाना में शिवसेना नेताओं पर हमले कराए तो उसके फिर से एक्टिव होने का पता चला। उम्र बढ़ी, बीमार हुआ तो विदेशी कनेक्शन बनाए
पंजाब पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, रणजीत नीटा की उम्र 85 साल हो चुकी है और वह बीमार भी रहता है। इस वजह से उसने दूसरे देशों में कनेक्शन बना लिए। अब यूके, यूएसए, ग्रीस और यूरोपीय देशों में बैठे कट्टरपंथी आतंकी गतिविधियां चलाने में उसका साथ दे रहे हैं। पंजाब के थाने पर हुए ग्रेनेड अटैक में भी ग्रीस में रहने वाले जसविंदर सिंह मन्नू और यूके आर्मी में काम कर रहे जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी की भूमिका रही थी। गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमला कराया, गुर्गे मारे गए
23 दिसंबर को UP पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स और पंजाब पुलिस ने पीलीभीत में जॉइंट ऑपरेशन चलाए, जिसमें नीटा के 3 गुर्गे वीरेंद्र सिंह, गुरविंदर सिंह और जश्नप्रीत सिंह ढेर किए। इन तीनों ने 4 दिन पहले ही पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इलाके में बख्शीवाल पुलिस चौकी पर ग्रेनेड अटैक किया था। जांच में पता चला कि ये तीनों खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के मेंबर थे। इन्होंने नीटा के कहने पर ही यह हमला किया था। पुलिस को उनसे AK-47, ग्लॉक पिस्टल जैसे आधुनिक हथियार मिले थे। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें… UP में मारे गए पंजाब के खालिस्तानी आतंकियों की कहानी:ज्यादा पैसों के लालच में टेररिस्ट बने, एक की 3 महीने पहले हुई थी शादी पंजाब पुलिस और उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने आज पीलीभीत में 3 खालिस्तानी आतंकियों का एनकाउंटर किया। आतंकी वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि, गुरविंदर सिंह और जसनप्रीत सिंह गुरदासपुर जिले के रहने वाले थे। तीनों आतंकी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के एक्टिव मेंबर थे। इन्होंने पंजाब के गुरदासपुर में थानों पर अटैक किए। पूरी खबर पढ़ें…