दीदिया के देवरा…गाने वाली रागिनी विश्वकर्मा की कहानी:वाराणसी में बोलीं- मंदिर में गाकर 100-200 कमाती थी; हनी सिंह ने जिंदगी बदल दी

दीदिया के देवरा…गाने वाली रागिनी विश्वकर्मा की कहानी:वाराणसी में बोलीं- मंदिर में गाकर 100-200 कमाती थी; हनी सिंह ने जिंदगी बदल दी

गोरखपुर की रागिनी विश्वकर्मा का नया गाना ‘दीदिया के देवरा चढ़वले बाटे नजरी’ इस वक्त सोशल मीडिया पर छाया है। बॉलीवुड सिंगर और रैपर यो-यो हनी सिंह के मिनियेक सॉन्ग में लोगों को भोजपुरिया तड़का काफी पसंद आ रहा है। बालीवुड अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने भले ही इस गाने पर एक्टिंग की है। लेकिन सुर्खियों में रागिनी विश्वकर्मा हैं। रागिनी कहती हैं, जब मंदिर में गाती थी तो 100-200 रुपए मिल जाते थे, अब मेरी जिंदगी बदल गई है। पता नहीं था एक गाना इस तरह से मेरी किस्मत को बदल देगा। रागिनी को बॉलीवुड सिंगर यो-यो हनी सिंह के एल्बम मिनियेक में काम करने का मौका कैसे मिला? उनका हनी सिंह से संपर्क कैसे हुआ? रागिनी की गोरखपुर से वाराणसी पहुंचने का सफर कैसा रहा? उन्हें यहां तक कौन ले गया? इसे जानने के लिए दैनिक भास्कर एप के रिपोर्टर ने गायिका रागिनी विश्वकर्मा से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… पहले जानते हैं रागिनी सिंगर कैसे बनीं? 10 साल की उम्र से मंदिरों में गाना शुरू किया गोरखपुर की रहने वाली रागिनी विश्वकर्मा कहती हैं, मेरा मकान गोरखपुर में तरकुलहा माता मंदिर के पास है। परिवार में माता-पिता, 3 बहन और 3 भाई हैं। मंदिर में लोग मुंडन कराने आते थे। यहां पर मां-पिता जी हारमोनियम और ढोलक पर गाना गाते। उससे जो पैसे मिलते उससे घर खर्च चलता। जब हम 10 साल के हुए तो हमने भी हारमोनियम बजाना सीख लिया। मंदिर पर गाना शुरू कर दिया। चार साल पहले वाराणसी आए। एक माह पहले किस्मत एकदम से बुलन्द हो गई। यह कहते-कहते रागिनी मुस्कुराने लगीं। इस मुस्कुराहट के साथ ही उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। वह कहती हैं- मेरा पूरा परिवार ढोलक-हारमोनियम बजाकर पेट पालता था, पर दिवाकर शर्मा ने मेरी जिंदगी बदल दी। जिस कारण आज मैं इस मुकाम पर हूं। तनी सुनला समधी साले तब जईया…गाने ने दिया ब्रेक
रागिनी विश्वकर्मा कहती हैं, मैं इस समय भोजपुरी फिल्मों, एल्बम और अपने चैनल के लिए प्लेबैक सिंगिंग कर रही हूं। दो साल पहले मैंने गुड्डी गिलहरी के साथ एक बिहारी गारी गीत गाई थी। जिसके बोल थे, ‘तनी सुनला समधी साले तब जईया, तनी सुनला…।’ इस गाने को यूट्यूब पर 4.6 मिलियन लोगों ने देखा। कई सारी रील बनाई गईं। कई सारे बिहारी शादी ग्रुप इसे गाकर वाहवाही लूट रहे हैं। शायद दो साल पहले रिकॉर्ड हुए इस गाने ने ही मुझे हनी सिंह के एल्बम में ब्रेक दिलाया है। हनी सिंह की टीम के विनोद वर्मा ने किया संपर्क
रागिनी ने बताया- करीब 3 महीने पहले किसी का हमारे मेंटर दिवाकर शर्मा के पास फोन आया। फोन करने वाले ने कहा, एक बड़े सिंगर की टीम के सदस्य आप से बात करना चाहते हैं। फिर हमारे सर दिवाकर जी से हनी सिंह की टीम मेंबर विनोद वर्मा ने संपर्क किया। पहले तो हमें लगा कि फेक है। कोई मजाक कर रहा है। मगर जब वो वाराणसी पहुंचे और हमसे मुलाकात की, तब हमें यकीन हुआ। यहां उन्होंने हमसे कई घंटे बात की। कैसे रिकार्डिंग होती है? मुझे कैसे गाना गाना चाहिए? बड़े लेवल पर कैसी गाने की पिच होती है? ये सब हमें बताया। बस मुझे एक ट्यून दी गई थी, जिस पर गाना था
रागिनी कहती हैं, गाना कौन सा होगा? ये हमें नहीं बताया गया था। हमें और हमारे सर को बस एक ट्यून सुनाई गई थी। कहा गया कि इस पर ही गाना बनना है। मगर, गाने के बोल भोजपुरी में होने चाहिए। उसे भोजपुरी में ही गाना होगा। इस पर दिवाकर सर ने अर्जुन अजनबी को बुलाया। उनसे गाना लिखने को कहा। उन्होंने चार गाने लिखे थे। जिसमें से यही गाना सेलेक्ट हुआ। मुझे नहीं पता था, हनी सिंह के लिए मैंने गाया है
रागिनी ने बताया- मुझे गाना रिकॉर्ड करने तक नहीं पता था कि यह गाना इतने बड़े प्लेबैक सिंगर के एल्बम के लिए मैं रिकॉर्ड कर रही हूं। डेढ़ महीने बाद विकास वर्मा ने दिवाकर सर को फोन करके बताया कि ये गाना सेलेक्ट हुआ। उन्होंने कांट्रेक्ट लेटर भेजा। लेटर देखा तब मुझे पता चला कि हनी सिंह के लिए हमने गाना गाया है। मुझे बहुत खुशी हुई। बताया- ये गाना हमने डेढ़ महीने पहले गा लिया था। अब हनी सिंह से मिलने की तमन्ना है
रागिनी बताती हैं- हम लोग छोटे सिंगर हैं। इतने बड़े सिंगर ने हमें मौका दिया। यही हमारे लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट है। बस अब दिल की इच्छा यही है कि उनसे मिल लूं। अब जानिए रागिनी विश्वकर्मा कैसे पहुंची वाराणसी ? 4 साल पहले दिवाकर सर मुझसे बोले- चलो बनारस
रागिनी सिंह गोरखपुर के चौरी-चौरा थाना क्षेत्र के तरकुलहा माता मंदिर के पास की रहने वाली हैं। रागिनी ने बताया- होश संभाला तो माता-पिता और बड़े भाई बहनों को गाना-बजाना करते देखा। इसके बाद जब मेरी उम्र जब 10 साल हुई तो मैंने भी गाना गाना शुरू किया। ज्यादातर भोजपुरी गीत और सोहर गाया करती थी। इसमें जुग-जुग जिए हो ललनवा, भवनवा के भाग्य जागल हो’ काफी गाया करती थी। रागिनी बताती हैं- चार साल पहले गोरखपुर के रहने वाले और वाराणसी में अपना एंटरटेनमेंट स्टूडियो चलाने वाले दिवाकर जी मंदिर आए थे। मुझे गाते देखा तो बोले, चलो बनारस। दिवाकर ने बताया- गोरखपुर से जब रागिनी 2021-22 में वाराणसी आईं तो उसका एक गाना आया था, जो काफी वायरल हुआ। जिसके बोल थे ‘भीजे देहिया में गर्मी कलेश राजा जी, एगो घरे लगवा दा एसी राजा जी’ इससे रागिनी को पहचान मिली थी। माता-पिता और गांव के लोग काफी खुश हैं
रागिनी ने बताया- इस बात को जानने के बाद घर पर खुशी का माहौल है। माता-पिता के साथ ही साथ गांव के वो लोग भी खुश हैं और घर बधाई देने पहुंच रहे हैं। जिन्होंने यहां तक कहा था- बनारस जाकर बड़का सिंगर थोड़े न बन जाई। वे भी बधाई दे रहे हैं। सब माता रानी के आशीर्वाद से यह संभव हुआ है। ———————– यह खबर भी पढ़िए… यू्ट्यूबर ने फ्लाईओवर से उड़ाए 50 हजार के नोट, VIDEO:बोला- पैसा कम पड़े तो फिर बैंक से लाता हूं, कानपुर में लूटने दौड़े लोग कानपुर में एक युवक ने फ्लाईओवर से नोटों की बारिश कर दी। पुल के नीचे पैसा लूटने वालों की भीड़ लग गई। बच्चों से लेकर महिलाएं नोट लूटने के लिए दौड़ पड़े। युवक ने अपना जन्मदिन बताकर पहले गरीबों के साथ केक काटा। फिर फ्लाईओवर पर चढ़कर नोट लुटाने लगा। पढ़ें पूरी खबर… गोरखपुर की रागिनी विश्वकर्मा का नया गाना ‘दीदिया के देवरा चढ़वले बाटे नजरी’ इस वक्त सोशल मीडिया पर छाया है। बॉलीवुड सिंगर और रैपर यो-यो हनी सिंह के मिनियेक सॉन्ग में लोगों को भोजपुरिया तड़का काफी पसंद आ रहा है। बालीवुड अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने भले ही इस गाने पर एक्टिंग की है। लेकिन सुर्खियों में रागिनी विश्वकर्मा हैं। रागिनी कहती हैं, जब मंदिर में गाती थी तो 100-200 रुपए मिल जाते थे, अब मेरी जिंदगी बदल गई है। पता नहीं था एक गाना इस तरह से मेरी किस्मत को बदल देगा। रागिनी को बॉलीवुड सिंगर यो-यो हनी सिंह के एल्बम मिनियेक में काम करने का मौका कैसे मिला? उनका हनी सिंह से संपर्क कैसे हुआ? रागिनी की गोरखपुर से वाराणसी पहुंचने का सफर कैसा रहा? उन्हें यहां तक कौन ले गया? इसे जानने के लिए दैनिक भास्कर एप के रिपोर्टर ने गायिका रागिनी विश्वकर्मा से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… पहले जानते हैं रागिनी सिंगर कैसे बनीं? 10 साल की उम्र से मंदिरों में गाना शुरू किया गोरखपुर की रहने वाली रागिनी विश्वकर्मा कहती हैं, मेरा मकान गोरखपुर में तरकुलहा माता मंदिर के पास है। परिवार में माता-पिता, 3 बहन और 3 भाई हैं। मंदिर में लोग मुंडन कराने आते थे। यहां पर मां-पिता जी हारमोनियम और ढोलक पर गाना गाते। उससे जो पैसे मिलते उससे घर खर्च चलता। जब हम 10 साल के हुए तो हमने भी हारमोनियम बजाना सीख लिया। मंदिर पर गाना शुरू कर दिया। चार साल पहले वाराणसी आए। एक माह पहले किस्मत एकदम से बुलन्द हो गई। यह कहते-कहते रागिनी मुस्कुराने लगीं। इस मुस्कुराहट के साथ ही उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। वह कहती हैं- मेरा पूरा परिवार ढोलक-हारमोनियम बजाकर पेट पालता था, पर दिवाकर शर्मा ने मेरी जिंदगी बदल दी। जिस कारण आज मैं इस मुकाम पर हूं। तनी सुनला समधी साले तब जईया…गाने ने दिया ब्रेक
रागिनी विश्वकर्मा कहती हैं, मैं इस समय भोजपुरी फिल्मों, एल्बम और अपने चैनल के लिए प्लेबैक सिंगिंग कर रही हूं। दो साल पहले मैंने गुड्डी गिलहरी के साथ एक बिहारी गारी गीत गाई थी। जिसके बोल थे, ‘तनी सुनला समधी साले तब जईया, तनी सुनला…।’ इस गाने को यूट्यूब पर 4.6 मिलियन लोगों ने देखा। कई सारी रील बनाई गईं। कई सारे बिहारी शादी ग्रुप इसे गाकर वाहवाही लूट रहे हैं। शायद दो साल पहले रिकॉर्ड हुए इस गाने ने ही मुझे हनी सिंह के एल्बम में ब्रेक दिलाया है। हनी सिंह की टीम के विनोद वर्मा ने किया संपर्क
रागिनी ने बताया- करीब 3 महीने पहले किसी का हमारे मेंटर दिवाकर शर्मा के पास फोन आया। फोन करने वाले ने कहा, एक बड़े सिंगर की टीम के सदस्य आप से बात करना चाहते हैं। फिर हमारे सर दिवाकर जी से हनी सिंह की टीम मेंबर विनोद वर्मा ने संपर्क किया। पहले तो हमें लगा कि फेक है। कोई मजाक कर रहा है। मगर जब वो वाराणसी पहुंचे और हमसे मुलाकात की, तब हमें यकीन हुआ। यहां उन्होंने हमसे कई घंटे बात की। कैसे रिकार्डिंग होती है? मुझे कैसे गाना गाना चाहिए? बड़े लेवल पर कैसी गाने की पिच होती है? ये सब हमें बताया। बस मुझे एक ट्यून दी गई थी, जिस पर गाना था
रागिनी कहती हैं, गाना कौन सा होगा? ये हमें नहीं बताया गया था। हमें और हमारे सर को बस एक ट्यून सुनाई गई थी। कहा गया कि इस पर ही गाना बनना है। मगर, गाने के बोल भोजपुरी में होने चाहिए। उसे भोजपुरी में ही गाना होगा। इस पर दिवाकर सर ने अर्जुन अजनबी को बुलाया। उनसे गाना लिखने को कहा। उन्होंने चार गाने लिखे थे। जिसमें से यही गाना सेलेक्ट हुआ। मुझे नहीं पता था, हनी सिंह के लिए मैंने गाया है
रागिनी ने बताया- मुझे गाना रिकॉर्ड करने तक नहीं पता था कि यह गाना इतने बड़े प्लेबैक सिंगर के एल्बम के लिए मैं रिकॉर्ड कर रही हूं। डेढ़ महीने बाद विकास वर्मा ने दिवाकर सर को फोन करके बताया कि ये गाना सेलेक्ट हुआ। उन्होंने कांट्रेक्ट लेटर भेजा। लेटर देखा तब मुझे पता चला कि हनी सिंह के लिए हमने गाना गाया है। मुझे बहुत खुशी हुई। बताया- ये गाना हमने डेढ़ महीने पहले गा लिया था। अब हनी सिंह से मिलने की तमन्ना है
रागिनी बताती हैं- हम लोग छोटे सिंगर हैं। इतने बड़े सिंगर ने हमें मौका दिया। यही हमारे लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट है। बस अब दिल की इच्छा यही है कि उनसे मिल लूं। अब जानिए रागिनी विश्वकर्मा कैसे पहुंची वाराणसी ? 4 साल पहले दिवाकर सर मुझसे बोले- चलो बनारस
रागिनी सिंह गोरखपुर के चौरी-चौरा थाना क्षेत्र के तरकुलहा माता मंदिर के पास की रहने वाली हैं। रागिनी ने बताया- होश संभाला तो माता-पिता और बड़े भाई बहनों को गाना-बजाना करते देखा। इसके बाद जब मेरी उम्र जब 10 साल हुई तो मैंने भी गाना गाना शुरू किया। ज्यादातर भोजपुरी गीत और सोहर गाया करती थी। इसमें जुग-जुग जिए हो ललनवा, भवनवा के भाग्य जागल हो’ काफी गाया करती थी। रागिनी बताती हैं- चार साल पहले गोरखपुर के रहने वाले और वाराणसी में अपना एंटरटेनमेंट स्टूडियो चलाने वाले दिवाकर जी मंदिर आए थे। मुझे गाते देखा तो बोले, चलो बनारस। दिवाकर ने बताया- गोरखपुर से जब रागिनी 2021-22 में वाराणसी आईं तो उसका एक गाना आया था, जो काफी वायरल हुआ। जिसके बोल थे ‘भीजे देहिया में गर्मी कलेश राजा जी, एगो घरे लगवा दा एसी राजा जी’ इससे रागिनी को पहचान मिली थी। माता-पिता और गांव के लोग काफी खुश हैं
रागिनी ने बताया- इस बात को जानने के बाद घर पर खुशी का माहौल है। माता-पिता के साथ ही साथ गांव के वो लोग भी खुश हैं और घर बधाई देने पहुंच रहे हैं। जिन्होंने यहां तक कहा था- बनारस जाकर बड़का सिंगर थोड़े न बन जाई। वे भी बधाई दे रहे हैं। सब माता रानी के आशीर्वाद से यह संभव हुआ है। ———————– यह खबर भी पढ़िए… यू्ट्यूबर ने फ्लाईओवर से उड़ाए 50 हजार के नोट, VIDEO:बोला- पैसा कम पड़े तो फिर बैंक से लाता हूं, कानपुर में लूटने दौड़े लोग कानपुर में एक युवक ने फ्लाईओवर से नोटों की बारिश कर दी। पुल के नीचे पैसा लूटने वालों की भीड़ लग गई। बच्चों से लेकर महिलाएं नोट लूटने के लिए दौड़ पड़े। युवक ने अपना जन्मदिन बताकर पहले गरीबों के साथ केक काटा। फिर फ्लाईओवर पर चढ़कर नोट लुटाने लगा। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर