उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा में इस बार हेली टैक्सी की बुकिंग श्रद्धालु घर बैठे कर सकेंगे। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र भरमौर में इसकी बुकिंग के लिए श्रद्धालुओं को लंबी लाइनों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा। भरमौर प्रशासन इसी सप्ताह हेली टैक्सी सेवा के लिए टैंडर करने जा रहा है। इसमें आवेदन करने वाली हेली टैक्सी कंपनियों पर पहले ही यह शर्त लगाई जा रही है। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर होने वाले फ्रॉड से बचने के लिए हेली टैक्सी की बुकिंग कंपनियों की वेबसाइट से नहीं होगी, बल्कि मणिमहेश न्यास ट्रस्ट की ऑफिशियल वेबसाइट से होगी, क्योंकि ऑनलाइन बुकिंग के नाम लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह फैसला लिया है। बेशक, अभी आधिकारिक रूप से मणिमहेश यात्रा शुरू नहीं हुई। मगर भोलेनाथ के भगत अभी से मणिमहेश पहुंचने शुरू हो गए हैं। हालांकि अभी बर्फ के कारण मणिमहेश की यात्रा मुश्किल होती है,क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और बीच बीच में ताजा बर्फबारी भी हो रही है। हेली टैक्सी के लिए टैंडर प्रोसेस शुरू: ADM ADM एवं मणिमहेश न्यास समिति के चेयरमैन कुलविंदर सिंह राणा ने बताया कि हेली टैक्सी के लिए टैंडर प्रोसेस शुरू हो गया है, ताकि समय पर कंपनियों का चयन किया जा सके। टिकट की बुकिंग जुलाई में शुरू की जाएगी। जब बुकिंग शुरू होगी तो इसकी जानकारी श्रद्धालुओं को दे दी जाएगी। उन्होंने श्रद्धालुओं से ऑनलाइन फ्रॉड से बचने का आग्रह किया है। 16 से 31 अगस्त तक चलेगी कुलविंदर राणा ने बताया, बीते साल की अपेक्षा इस बार मणिमहेश यात्रा जल्दी है। 2024 में सितंबर में हुई थी, जबकि इस बार 16 से 31 अगस्त तक चलेगी। यह यात्रा जन्माष्टमी से शुरू और राधा अष्टमी पर संपन्न होती है। बीते साल 8 लाख श्रद्धालु पहुंचे एडीएम ने बताया, बीते साल करीब लाख धार्मिक श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा पर पहुंचे थे। यह यात्रा मौसम पर काफी निर्भर रहती है। खराब मौसम में भरमौर से मणिमहेश के लिए फ्लाइट भी नहीं उड़ पाती। नया हेलिपेड बनाएगे, ताकि 2 से ज्यादा हेलिकॉप्टर उड़ सके कुलविंदर राणा ने बताया कि अभी दो ही हेलिकॉप्टर भरमौर से मणिमहेश के बीच उड़ पाते हैं। इस बार नया हेलिपेड बनाने का प्रयास किया जा रहा है और जगह भी देखी जा चुकी है, ताकि ज्यादा संख्या में हेली टैक्सी चलाकर श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा दी जा सके। भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है हेलिकॉप्टर हेलिकॉप्टर भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है। यहां से डेढ़ किलोमीटर पैदल या घोड़ों पर जाना पड़ता है। भरमौर से गौरीकुंड की दूरी 13 किलोमीटर है। ज्यादातर श्रद्धालु मणिमहेश के लिए पैदल पहुंचते हैं। पिछले साल 4300 था हेलिकॉप्टर का किराया एक हेलिकॉप्टर में छह यात्री सफर करते हैं। 2023 में भरमौर से मणिमहेश का किराया 3875 रुपए और 2024 में 4300 रुपए था। इस बार का किराया कंपनियों के टैंडर के बाद तय होगा। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह आध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा में इस बार हेली टैक्सी की बुकिंग श्रद्धालु घर बैठे कर सकेंगे। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र भरमौर में इसकी बुकिंग के लिए श्रद्धालुओं को लंबी लाइनों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा। भरमौर प्रशासन इसी सप्ताह हेली टैक्सी सेवा के लिए टैंडर करने जा रहा है। इसमें आवेदन करने वाली हेली टैक्सी कंपनियों पर पहले ही यह शर्त लगाई जा रही है। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर होने वाले फ्रॉड से बचने के लिए हेली टैक्सी की बुकिंग कंपनियों की वेबसाइट से नहीं होगी, बल्कि मणिमहेश न्यास ट्रस्ट की ऑफिशियल वेबसाइट से होगी, क्योंकि ऑनलाइन बुकिंग के नाम लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह फैसला लिया है। बेशक, अभी आधिकारिक रूप से मणिमहेश यात्रा शुरू नहीं हुई। मगर भोलेनाथ के भगत अभी से मणिमहेश पहुंचने शुरू हो गए हैं। हालांकि अभी बर्फ के कारण मणिमहेश की यात्रा मुश्किल होती है,क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और बीच बीच में ताजा बर्फबारी भी हो रही है। हेली टैक्सी के लिए टैंडर प्रोसेस शुरू: ADM ADM एवं मणिमहेश न्यास समिति के चेयरमैन कुलविंदर सिंह राणा ने बताया कि हेली टैक्सी के लिए टैंडर प्रोसेस शुरू हो गया है, ताकि समय पर कंपनियों का चयन किया जा सके। टिकट की बुकिंग जुलाई में शुरू की जाएगी। जब बुकिंग शुरू होगी तो इसकी जानकारी श्रद्धालुओं को दे दी जाएगी। उन्होंने श्रद्धालुओं से ऑनलाइन फ्रॉड से बचने का आग्रह किया है। 16 से 31 अगस्त तक चलेगी कुलविंदर राणा ने बताया, बीते साल की अपेक्षा इस बार मणिमहेश यात्रा जल्दी है। 2024 में सितंबर में हुई थी, जबकि इस बार 16 से 31 अगस्त तक चलेगी। यह यात्रा जन्माष्टमी से शुरू और राधा अष्टमी पर संपन्न होती है। बीते साल 8 लाख श्रद्धालु पहुंचे एडीएम ने बताया, बीते साल करीब लाख धार्मिक श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा पर पहुंचे थे। यह यात्रा मौसम पर काफी निर्भर रहती है। खराब मौसम में भरमौर से मणिमहेश के लिए फ्लाइट भी नहीं उड़ पाती। नया हेलिपेड बनाएगे, ताकि 2 से ज्यादा हेलिकॉप्टर उड़ सके कुलविंदर राणा ने बताया कि अभी दो ही हेलिकॉप्टर भरमौर से मणिमहेश के बीच उड़ पाते हैं। इस बार नया हेलिपेड बनाने का प्रयास किया जा रहा है और जगह भी देखी जा चुकी है, ताकि ज्यादा संख्या में हेली टैक्सी चलाकर श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा दी जा सके। भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है हेलिकॉप्टर हेलिकॉप्टर भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है। यहां से डेढ़ किलोमीटर पैदल या घोड़ों पर जाना पड़ता है। भरमौर से गौरीकुंड की दूरी 13 किलोमीटर है। ज्यादातर श्रद्धालु मणिमहेश के लिए पैदल पहुंचते हैं। पिछले साल 4300 था हेलिकॉप्टर का किराया एक हेलिकॉप्टर में छह यात्री सफर करते हैं। 2023 में भरमौर से मणिमहेश का किराया 3875 रुपए और 2024 में 4300 रुपए था। इस बार का किराया कंपनियों के टैंडर के बाद तय होगा। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह आध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
