देश का पहला हाइड्रोजन जलयान पहुंचा काशी:वाराणसी-चुनार के बीच चलेगी 50 सीटर शिप, कुंभ में प्रयागराज तक का सफर होगा

देश का पहला हाइड्रोजन जलयान पहुंचा काशी:वाराणसी-चुनार के बीच चलेगी 50 सीटर शिप, कुंभ में प्रयागराज तक का सफर होगा

ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला देश का पहला जलयान वाराणसी पहुंच गया है। कोलकाता के कोच्चि शिपयार्ड से समुद्र मार्ग के जरिए शिप रविवार देर शाम नमो घाट पहुंचा, जहां से देर रात पर्यटन विभाग की निगरानी में रामनगर मल्टी-मॉडल टर्मिनल राल्हूपुर ​​​​​​में खड़ा किया गया। 50 सीटर वाले इस शिप में राल्हूपुर में सजावट-लाइटिंग आदि का काम पूरा किया जाएगा। डबल डेकर कैटामरान पर्यटक जलयान जून के अंतिम सप्ताह में कोलकाता से चला था। रास्ते में कम पानी होने की वजह से उसे कई जगह समस्या हुई, इसके चलते जलयान को आधा सफर पूरा करने में ज्यादा समय लगा। पहले 3 तस्वीरें देखिए- 50 सीटर शिप वाराणसी से चुनार के बीच चलेगा
इस जलयान को पर्यटन विभाग वाराणसी से मिर्जापुर के चुनार के बीच करीब 15 किमी की दूरी में चलाएगा। हाइड्रोजन जलयान काशी-प्रयागराज के बीच महाकुंभ के दौरान भी चलाया जाएगा। फिलहाल अभी किराया और यात्रियों सुविधाओं के बारे में अंतिम निर्णय होना बाकी है। यहां 6 महीने ट्रायल कोचीन शिपयार्ड करेगा
कोच्चि शिपयार्ड से हाइड्रोजन जलयान को पेरियार-3 और फेसकी-2 जलयान के साथ रवाना किया गया था। ये पहले समुद्री और उसके बाद कोलकाता से गंगा के रास्‍ते लंबी दूरी तय कर वाराणसी पहुंचा है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, छह महीने ट्रायल कोचीन शिपयार्ड ही करेगा। वही अपने स्तर से हाइड्रोजन गैस की व्यवस्था करेगा। ट्रायल पूरा होने के बाद जलयान को पर्यटन विभाग अपनी निगरानी में संचालित करेगा। किराया और रूट निर्धारण किया जाएगा। इलेक्ट्रिक इंजन से भी लैस है जलयान
यह शिप पूरी तरह हाइड्रोजन फ्यूल से चलेगा, लेकिन हाइड्रोजन खत्म होने या कुछ खराबी आने पर विकल्‍प के रूप में इलेक्ट्रिक इंजन से भी लैस किया गया है। यह हाइड्रोजन जलयान मेट्रो ट्रेन की कोच जैसा दिखता है, लेकिन यह मजबूत और हल्के प्लास्टिक से बना है। इसमें 50 किलोवाट का फ्यूल सेल है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यूज करके बिजली बनाता है। फ्यूल सेल जलयान के लिए अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह छोटा, हल्का और ज्यादा गर्म नहीं होता। इसे कुछ कारों और बसों में भी इस्तेमाल किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों में न ध्वनि प्रदूषण होता है, न ही वायु प्रदूषण। ​​​​​​ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है। ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, हवा) का इस्तेमाल करता है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन सहित कई जगहों पर किया जा सकता है। हाइड्रोजन प्लांट होंगे स्थापित
इंडियन वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) जलयान के संचालन को पर्याप्त हाइड्रोजन मिल सके, इसके लिए रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित हो रहा है। प्राधिकरण की तरफ से रोज 1500 किलो गैस उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्पादन शुरू करने के लिए दो कंपनियों से बातचीत हुई है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण का प्रयास है कि हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद तीन स्थायी हाइड्रोजन प्लांट स्थापित होंगे। जलयान को मल्टीमॉडल टर्मिनल रामपुर के राल्हूपुर में खड़ा कराया जाएगा। टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित करने की दिशा में काम जारी है। यहीं से सिलेंडर में भरकर हाइड्रोजन जलयान तक पहुंचाए जाएंगे और नदी में संचालन किया जाएगा। नोएडा IWAI के मुख्य अभियंता तकनीकी विजय कुमार दियलानी के अनुसार, शुरुआत में कोचीन शिपयार्ड अपने स्तर से हाइड्रोजन गैस की व्यवस्था करेगा। लेकिन, बाद में स्थायी प्लांट स्थापित करने के लिए कंपनियों से सकारात्मक बात चल रही है। सितंबर में इलेक्ट्रिक कैटामरान लाने की तैयारी
कोचीन शिपयार्ड के महाप्रबंधक शिवराम ने बताया- वाराणसी, मथुरा और अयोध्या को एक-एक और इलेक्ट्रिक कैटामरान मिलेगा। कोलकाता में इसे बनाया जा रहा है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से इसे भेजा जाने लगेगा। वाराणसी और अयोध्या में एक-एक कैटामरान पहले ही है। अब जो नए कैटामरान बन रहे हैं, उनमें कई बदलाव किए गए हैं। तकनीकी रूप से बेहतर किया जा रहा है। डिजाइन भी बदली रहेगी। बालकनी समेत कई सुविधाएं लोगों को दी जाएंगी। ये भी पढ़ें:- यूपी के 17 जिलों में बाढ़…20 लाख लोग प्रभावित; 11 जिले में बारिश का अलर्ट यूपी के 17 जिलों में बाढ़ के हालात हैं। 97 गांवों से संपर्क टूट गया है। बाढ़ से करीब 20 लाख लोग प्रभावित हैं। नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके बाढ़ ग्रस्त घोषित हो चुके हैं। गोरखपुर में राप्ती खतरे के निशान के पार बह रही है। सड़कों पर नाव चल रही है। घर एक फ्लोर डूब गए हैं। हरदोई में इतनी बारिश हुई है कि लोगों के घरों में घुटने तक पानी भर गया। आज 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है। 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। 26 जिलों में बिजली गिरने की संभावना है। पढ़ें पूरी खबर… ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला देश का पहला जलयान वाराणसी पहुंच गया है। कोलकाता के कोच्चि शिपयार्ड से समुद्र मार्ग के जरिए शिप रविवार देर शाम नमो घाट पहुंचा, जहां से देर रात पर्यटन विभाग की निगरानी में रामनगर मल्टी-मॉडल टर्मिनल राल्हूपुर ​​​​​​में खड़ा किया गया। 50 सीटर वाले इस शिप में राल्हूपुर में सजावट-लाइटिंग आदि का काम पूरा किया जाएगा। डबल डेकर कैटामरान पर्यटक जलयान जून के अंतिम सप्ताह में कोलकाता से चला था। रास्ते में कम पानी होने की वजह से उसे कई जगह समस्या हुई, इसके चलते जलयान को आधा सफर पूरा करने में ज्यादा समय लगा। पहले 3 तस्वीरें देखिए- 50 सीटर शिप वाराणसी से चुनार के बीच चलेगा
इस जलयान को पर्यटन विभाग वाराणसी से मिर्जापुर के चुनार के बीच करीब 15 किमी की दूरी में चलाएगा। हाइड्रोजन जलयान काशी-प्रयागराज के बीच महाकुंभ के दौरान भी चलाया जाएगा। फिलहाल अभी किराया और यात्रियों सुविधाओं के बारे में अंतिम निर्णय होना बाकी है। यहां 6 महीने ट्रायल कोचीन शिपयार्ड करेगा
कोच्चि शिपयार्ड से हाइड्रोजन जलयान को पेरियार-3 और फेसकी-2 जलयान के साथ रवाना किया गया था। ये पहले समुद्री और उसके बाद कोलकाता से गंगा के रास्‍ते लंबी दूरी तय कर वाराणसी पहुंचा है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, छह महीने ट्रायल कोचीन शिपयार्ड ही करेगा। वही अपने स्तर से हाइड्रोजन गैस की व्यवस्था करेगा। ट्रायल पूरा होने के बाद जलयान को पर्यटन विभाग अपनी निगरानी में संचालित करेगा। किराया और रूट निर्धारण किया जाएगा। इलेक्ट्रिक इंजन से भी लैस है जलयान
यह शिप पूरी तरह हाइड्रोजन फ्यूल से चलेगा, लेकिन हाइड्रोजन खत्म होने या कुछ खराबी आने पर विकल्‍प के रूप में इलेक्ट्रिक इंजन से भी लैस किया गया है। यह हाइड्रोजन जलयान मेट्रो ट्रेन की कोच जैसा दिखता है, लेकिन यह मजबूत और हल्के प्लास्टिक से बना है। इसमें 50 किलोवाट का फ्यूल सेल है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यूज करके बिजली बनाता है। फ्यूल सेल जलयान के लिए अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह छोटा, हल्का और ज्यादा गर्म नहीं होता। इसे कुछ कारों और बसों में भी इस्तेमाल किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों में न ध्वनि प्रदूषण होता है, न ही वायु प्रदूषण। ​​​​​​ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है। ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, हवा) का इस्तेमाल करता है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन सहित कई जगहों पर किया जा सकता है। हाइड्रोजन प्लांट होंगे स्थापित
इंडियन वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) जलयान के संचालन को पर्याप्त हाइड्रोजन मिल सके, इसके लिए रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित हो रहा है। प्राधिकरण की तरफ से रोज 1500 किलो गैस उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्पादन शुरू करने के लिए दो कंपनियों से बातचीत हुई है। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण का प्रयास है कि हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद तीन स्थायी हाइड्रोजन प्लांट स्थापित होंगे। जलयान को मल्टीमॉडल टर्मिनल रामपुर के राल्हूपुर में खड़ा कराया जाएगा। टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित करने की दिशा में काम जारी है। यहीं से सिलेंडर में भरकर हाइड्रोजन जलयान तक पहुंचाए जाएंगे और नदी में संचालन किया जाएगा। नोएडा IWAI के मुख्य अभियंता तकनीकी विजय कुमार दियलानी के अनुसार, शुरुआत में कोचीन शिपयार्ड अपने स्तर से हाइड्रोजन गैस की व्यवस्था करेगा। लेकिन, बाद में स्थायी प्लांट स्थापित करने के लिए कंपनियों से सकारात्मक बात चल रही है। सितंबर में इलेक्ट्रिक कैटामरान लाने की तैयारी
कोचीन शिपयार्ड के महाप्रबंधक शिवराम ने बताया- वाराणसी, मथुरा और अयोध्या को एक-एक और इलेक्ट्रिक कैटामरान मिलेगा। कोलकाता में इसे बनाया जा रहा है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से इसे भेजा जाने लगेगा। वाराणसी और अयोध्या में एक-एक कैटामरान पहले ही है। अब जो नए कैटामरान बन रहे हैं, उनमें कई बदलाव किए गए हैं। तकनीकी रूप से बेहतर किया जा रहा है। डिजाइन भी बदली रहेगी। बालकनी समेत कई सुविधाएं लोगों को दी जाएंगी। ये भी पढ़ें:- यूपी के 17 जिलों में बाढ़…20 लाख लोग प्रभावित; 11 जिले में बारिश का अलर्ट यूपी के 17 जिलों में बाढ़ के हालात हैं। 97 गांवों से संपर्क टूट गया है। बाढ़ से करीब 20 लाख लोग प्रभावित हैं। नेपाल बॉर्डर से सटे इलाके बाढ़ ग्रस्त घोषित हो चुके हैं। गोरखपुर में राप्ती खतरे के निशान के पार बह रही है। सड़कों पर नाव चल रही है। घर एक फ्लोर डूब गए हैं। हरदोई में इतनी बारिश हुई है कि लोगों के घरों में घुटने तक पानी भर गया। आज 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है। 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। 26 जिलों में बिजली गिरने की संभावना है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर