देश की सबसे अमीर महिला और हरियाणा के कुरुक्षेत्र से BJP सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल विधानसभा चुनाव में हिसार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। वह BJP से टिकट मांग रही थीं, लेकिन पार्टी ने अपने पुराने नेता और RSS से जुड़े रहे डॉ. कमल गुप्ता को ही टिकट दे दिया। भाजपा ने कमल गुप्ता को हिसार सीट से लगातार तीसरी बार टिकट थमाया है। इसके बाद सावित्री जिंदल के कांग्रेस में जाने और उन्हें हिसार से पार्टी टिकट मिलने की चर्चा शुरू हो गई। कांग्रेस हाईकमान से सावित्री को टिकट दिलाने की पूरी सेंटिंग उनके बेटे और भाजपा सांसद नवीन जिंदल ने की। हरियाणा में नॉमिनेशन की प्रक्रिया खत्म होने से एक दिन पहले, यानि 11 सितंबर की रात बेटे के कहने पर सावित्री जिंदल हिसार से नई दिल्ली रवाना भी हो गईं। इसी दौरान पूरे घटनाक्रम में BJP हाईकमान की एंट्री हुई और अंतत: सावित्री जिंदल को रास्ते से वापस लौटना पड़ा। इसके चंद घंटे बाद कांग्रेस ने हिसार से रामनिवास राड़ा की उम्मीदवारी अनाउंस कर दी। पढ़िए इस पूरे घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी… कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 11 सितंबर की शाम नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हरियाणा विधानसभा की पेंडिंग 49 सीटों पर टिकटों को लेकर मीटिंग चल रही थी। इस बैठक में पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप के साथ-साथ हरियाणा के प्रमुख नेता भी मौजूद थे। उसी दौरान बैठक में मौजूद एक सीनियर लीडर के पास नवीन जिंदल की कॉल आई। उन्होंने मां सावित्री को हिसार सीट से पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ाने का आग्रह किया। कांग्रेस के उस सीनियर लीडर ने सामने से जवाब दिया कि किसी भी नेता को कांग्रेस पार्टी जॉइन करने के बाद ही टिकट दी जा सकती है। इस पर उस सीनियर लीडर को बताया गया कि सावित्री जिंदल कांग्रेस में ही हैं और उन्होंने कभी पार्टी की प्राइमरी मेंबरशिप नहीं छोड़ी। इसके बाद कांग्रेस कैंडिडेट्स की लिस्ट होल्ड कर ली गई और उस सीनियर लीडर ने बैठक में ही हिसार सीट से सावित्री जिंदल का नाम बढ़ाया। सावित्री जिंदल का नाम सुनकर बैठक में मौजूद पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा भी चौंक गईं। चूंकि सावित्री जिंदल का नाम सीधे पार्टी हाईकमान की तरफ से आ रहा था, इसलिए हरियाणा कांग्रेस के किसी नेता ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। 11 की रात को दिल्ली के लिए निकलीं सावित्री
कांग्रेस हाईकमान से बात होने के बाद 11 सितंबर की रात तकरीबन 8 बजे सावित्री जिंदल को उनके बेटे ने फोन कर दिल्ली पहुंचने के लिए कहा। सावित्री जिंदल हिसार से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। इस बीच हिसार स्थित जिंदल हाउस में मौजूद सभी लोगों से कहा गया कि यह खबर बाहर नहीं निकलनी चाहिए कि माताजी दिल्ली जा रही हैं। जब तक सबकुछ सिरे न चढ़ जाए, तब तक किसी को भनक नहीं लगनी चाहिए। चंडीगढ़ में चल रही थी सैनी कैबिनेट की मीटिंग
दूसरी ओर भाजपा में 11 सितंबर की शाम को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी कैबिनेट की बैठक बुला रखी थी। इस बैठक का एजेंडा था- गवर्नर को प्रदेश विधानसभा भंग करने की सिफारश करना। सैनी कैबिनेट की इस मीटिंग में उनके मंत्री और हिसार सीट से BJP उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता मौजूद थे। तब तक BJP कमल गुप्ता का नाम हिसार सीट से बतौर कैंडिडेट अनाउंस कर चुकी थी। अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद कमल गुप्ता को यह अहसास भी हो चुका था कि सावित्री जिंदल कांग्रेस में जा सकती हैं। वह ये भी समझ चुके थे कि अगर सावित्री जिंदल ने कांग्रेस जॉइन करके उनके सामने चुनाव लड़ा तो वह कड़े मुकाबले में फंस सकते हैं। गुप्ता ने सरकार में शामिल बड़े चेहरे को दी जानकारी चंडीगढ़ में बैठे कमल गुप्ता को जैसे ही सावित्री जिंदल के हिसार से दिल्ली रवाना होने की खबर मिली, उन्होंने तुरंत ये सूचना सरकार में शामिल एक सीनियर नेता को दी जिसने दिल्ली में पार्टी हाईकमान को अलर्ट किया। इसके बाद BJP हाईकमान की तरफ से नवीन जिंदल को फोन करके कहा गया कि अगर आपकी माताजी निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो BJP को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरीं तो दिक्कत हो जाएगी। इसके बाद नवीन जिंदल की ओर से सावित्री जिंदल को दोबारा फोन किया गया और वह रास्ते से ही वापस हिसार लौट आईं। हिसार में वैश्य बिरादरी के तीसरे चेहरे के खिलाफ था जिंदल हाउस
इस पूरे डवलपमेंट के बाद नवीन जिंदल कैंप ने कांग्रेस के उसी सीनियर नेता से दोबारा संपर्क साधा। आग्रह किया गया कि हिसार सीट से वैश्य बिरादरी का उम्मीदवार न उतारा जाए। जिंदल हाउस के करीबी सूत्रों के मुताबिक, BJP से टिकट नहीं मिलने के बाद जिंदल हाउस की ओर से हिसार हलके में एक सर्वे करवाया गया। उसी सर्वे में यह जानकारी भी प्रमुख तौर पर सामने आई कि कांग्रेस इस बार व्यापारी नेता बजरंग दास गर्ग को टिकट दे सकती है। जिंदल हाउस नहीं चाहता था कि कांग्रेस का टिकट वैश्य समाज के किसी प्रत्याशी को मिले। अगर ऐसा हो जाता तो हिसार सीट पर इसी बिरादरी के तीन चेहरे आमने-सामने हो जाते। इससे न सिर्फ वोटों का बंटवारा होता बल्कि आगे की राजनीति भी प्रभावित हो सकती थी। इसलिए जिंदल हाउस ने कांग्रेस हाईकमान से वैश्य बिरादरी के किसी चेहरे को टिकट न देने का आग्रह किया। उधर कांग्रेस में हिसार सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके रामनिवास राड़ा टिकट मांग रहे थे। राड़ा ओबीसी बिरादरी से आते हैं और उन्हें इस बात का अहसास था कि कांग्रेस उनकी जगह वैश्य बिरादरी का उम्मीदवार उतार सकती है इसलिए वह निर्दलीय चुनाव लड़ने का पूरा मन बना चुके थे। उनके समर्थकों की ओर से बनवाए गए पोस्टरों से कांग्रेस नेताओं की फोटो भी गायब हो चुकी थी। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद जब कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो उसमें हिसार सीट से रामनिवास राड़ा का नाम था। रामनिवास राड़ा की ओर से बनवाए गए पोस्टर वैश्य बिरादरी को टिकट न दिलवाने के 3 बड़े कारण… वैश्य वोट बैंक में सेंध का खतरा : अगर कमल गुप्ता के सामने कांग्रेस वैश्य समाज के किसी दूसरे व्यक्ति को टिकट दे देती तो इससे जिंदल हाउस के वोटबैंक में सेंध लग सकती थी। भाजपा से नाराज वर्ग का वोट भी वैश्य बिरादरी के कैंडिडेट को चला जाता। नाराज वोटर्स का साथ मिलेगा : जिंदल हाउस का मानना है कि अगर कांग्रेस ने वैश्य बिरादरी के किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया तो इस समाज के जो वोटर कमल गुप्ता से नाराज है, वह कांग्रेस की तरफ जाने की जगह उनके पाले में आ सकते हैं। चुनावी सीजन में तीसरा चेहरा उभरने से नुकसान : हिसार में पिछले छह-सात महीने में व्यापारियों से रंगदारी मांगने और धमकाने की कई घटनाएं हो चुकी थीं। शहर के व्यापारियों ने इसे लेकर सैनी सरकार के खिलाफ धरने-प्रदर्शन भी किए थे। इन धरनों में व्यापारी नेता बजरंग दास गर्ग ने सक्रिय रोल अदा किया। हिसार में वैश्य बिरादरी का अच्छा-खासा वोटबैंक है और इस समाज की नुमाइंदगी जिंदल हाउस और कमल गुप्ता करते रहे हैं। कमल गुप्ता को जिंदल हाउस बड़ा खतरा नहीं मानता क्योंकि उनके खिलाफ अच्छी-खासी नाराजगी है। ऐसे में वह नहीं चाहता कि चुनावी सीजन में उनके सामने बिरादरी का कोई तीसरा चेहरा उठे। देश की सबसे अमीर महिला और हरियाणा के कुरुक्षेत्र से BJP सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल विधानसभा चुनाव में हिसार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। वह BJP से टिकट मांग रही थीं, लेकिन पार्टी ने अपने पुराने नेता और RSS से जुड़े रहे डॉ. कमल गुप्ता को ही टिकट दे दिया। भाजपा ने कमल गुप्ता को हिसार सीट से लगातार तीसरी बार टिकट थमाया है। इसके बाद सावित्री जिंदल के कांग्रेस में जाने और उन्हें हिसार से पार्टी टिकट मिलने की चर्चा शुरू हो गई। कांग्रेस हाईकमान से सावित्री को टिकट दिलाने की पूरी सेंटिंग उनके बेटे और भाजपा सांसद नवीन जिंदल ने की। हरियाणा में नॉमिनेशन की प्रक्रिया खत्म होने से एक दिन पहले, यानि 11 सितंबर की रात बेटे के कहने पर सावित्री जिंदल हिसार से नई दिल्ली रवाना भी हो गईं। इसी दौरान पूरे घटनाक्रम में BJP हाईकमान की एंट्री हुई और अंतत: सावित्री जिंदल को रास्ते से वापस लौटना पड़ा। इसके चंद घंटे बाद कांग्रेस ने हिसार से रामनिवास राड़ा की उम्मीदवारी अनाउंस कर दी। पढ़िए इस पूरे घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी… कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 11 सितंबर की शाम नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हरियाणा विधानसभा की पेंडिंग 49 सीटों पर टिकटों को लेकर मीटिंग चल रही थी। इस बैठक में पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप के साथ-साथ हरियाणा के प्रमुख नेता भी मौजूद थे। उसी दौरान बैठक में मौजूद एक सीनियर लीडर के पास नवीन जिंदल की कॉल आई। उन्होंने मां सावित्री को हिसार सीट से पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ाने का आग्रह किया। कांग्रेस के उस सीनियर लीडर ने सामने से जवाब दिया कि किसी भी नेता को कांग्रेस पार्टी जॉइन करने के बाद ही टिकट दी जा सकती है। इस पर उस सीनियर लीडर को बताया गया कि सावित्री जिंदल कांग्रेस में ही हैं और उन्होंने कभी पार्टी की प्राइमरी मेंबरशिप नहीं छोड़ी। इसके बाद कांग्रेस कैंडिडेट्स की लिस्ट होल्ड कर ली गई और उस सीनियर लीडर ने बैठक में ही हिसार सीट से सावित्री जिंदल का नाम बढ़ाया। सावित्री जिंदल का नाम सुनकर बैठक में मौजूद पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा भी चौंक गईं। चूंकि सावित्री जिंदल का नाम सीधे पार्टी हाईकमान की तरफ से आ रहा था, इसलिए हरियाणा कांग्रेस के किसी नेता ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। 11 की रात को दिल्ली के लिए निकलीं सावित्री
कांग्रेस हाईकमान से बात होने के बाद 11 सितंबर की रात तकरीबन 8 बजे सावित्री जिंदल को उनके बेटे ने फोन कर दिल्ली पहुंचने के लिए कहा। सावित्री जिंदल हिसार से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। इस बीच हिसार स्थित जिंदल हाउस में मौजूद सभी लोगों से कहा गया कि यह खबर बाहर नहीं निकलनी चाहिए कि माताजी दिल्ली जा रही हैं। जब तक सबकुछ सिरे न चढ़ जाए, तब तक किसी को भनक नहीं लगनी चाहिए। चंडीगढ़ में चल रही थी सैनी कैबिनेट की मीटिंग
दूसरी ओर भाजपा में 11 सितंबर की शाम को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी कैबिनेट की बैठक बुला रखी थी। इस बैठक का एजेंडा था- गवर्नर को प्रदेश विधानसभा भंग करने की सिफारश करना। सैनी कैबिनेट की इस मीटिंग में उनके मंत्री और हिसार सीट से BJP उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता मौजूद थे। तब तक BJP कमल गुप्ता का नाम हिसार सीट से बतौर कैंडिडेट अनाउंस कर चुकी थी। अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद कमल गुप्ता को यह अहसास भी हो चुका था कि सावित्री जिंदल कांग्रेस में जा सकती हैं। वह ये भी समझ चुके थे कि अगर सावित्री जिंदल ने कांग्रेस जॉइन करके उनके सामने चुनाव लड़ा तो वह कड़े मुकाबले में फंस सकते हैं। गुप्ता ने सरकार में शामिल बड़े चेहरे को दी जानकारी चंडीगढ़ में बैठे कमल गुप्ता को जैसे ही सावित्री जिंदल के हिसार से दिल्ली रवाना होने की खबर मिली, उन्होंने तुरंत ये सूचना सरकार में शामिल एक सीनियर नेता को दी जिसने दिल्ली में पार्टी हाईकमान को अलर्ट किया। इसके बाद BJP हाईकमान की तरफ से नवीन जिंदल को फोन करके कहा गया कि अगर आपकी माताजी निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो BJP को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरीं तो दिक्कत हो जाएगी। इसके बाद नवीन जिंदल की ओर से सावित्री जिंदल को दोबारा फोन किया गया और वह रास्ते से ही वापस हिसार लौट आईं। हिसार में वैश्य बिरादरी के तीसरे चेहरे के खिलाफ था जिंदल हाउस
इस पूरे डवलपमेंट के बाद नवीन जिंदल कैंप ने कांग्रेस के उसी सीनियर नेता से दोबारा संपर्क साधा। आग्रह किया गया कि हिसार सीट से वैश्य बिरादरी का उम्मीदवार न उतारा जाए। जिंदल हाउस के करीबी सूत्रों के मुताबिक, BJP से टिकट नहीं मिलने के बाद जिंदल हाउस की ओर से हिसार हलके में एक सर्वे करवाया गया। उसी सर्वे में यह जानकारी भी प्रमुख तौर पर सामने आई कि कांग्रेस इस बार व्यापारी नेता बजरंग दास गर्ग को टिकट दे सकती है। जिंदल हाउस नहीं चाहता था कि कांग्रेस का टिकट वैश्य समाज के किसी प्रत्याशी को मिले। अगर ऐसा हो जाता तो हिसार सीट पर इसी बिरादरी के तीन चेहरे आमने-सामने हो जाते। इससे न सिर्फ वोटों का बंटवारा होता बल्कि आगे की राजनीति भी प्रभावित हो सकती थी। इसलिए जिंदल हाउस ने कांग्रेस हाईकमान से वैश्य बिरादरी के किसी चेहरे को टिकट न देने का आग्रह किया। उधर कांग्रेस में हिसार सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके रामनिवास राड़ा टिकट मांग रहे थे। राड़ा ओबीसी बिरादरी से आते हैं और उन्हें इस बात का अहसास था कि कांग्रेस उनकी जगह वैश्य बिरादरी का उम्मीदवार उतार सकती है इसलिए वह निर्दलीय चुनाव लड़ने का पूरा मन बना चुके थे। उनके समर्थकों की ओर से बनवाए गए पोस्टरों से कांग्रेस नेताओं की फोटो भी गायब हो चुकी थी। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद जब कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो उसमें हिसार सीट से रामनिवास राड़ा का नाम था। रामनिवास राड़ा की ओर से बनवाए गए पोस्टर वैश्य बिरादरी को टिकट न दिलवाने के 3 बड़े कारण… वैश्य वोट बैंक में सेंध का खतरा : अगर कमल गुप्ता के सामने कांग्रेस वैश्य समाज के किसी दूसरे व्यक्ति को टिकट दे देती तो इससे जिंदल हाउस के वोटबैंक में सेंध लग सकती थी। भाजपा से नाराज वर्ग का वोट भी वैश्य बिरादरी के कैंडिडेट को चला जाता। नाराज वोटर्स का साथ मिलेगा : जिंदल हाउस का मानना है कि अगर कांग्रेस ने वैश्य बिरादरी के किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया तो इस समाज के जो वोटर कमल गुप्ता से नाराज है, वह कांग्रेस की तरफ जाने की जगह उनके पाले में आ सकते हैं। चुनावी सीजन में तीसरा चेहरा उभरने से नुकसान : हिसार में पिछले छह-सात महीने में व्यापारियों से रंगदारी मांगने और धमकाने की कई घटनाएं हो चुकी थीं। शहर के व्यापारियों ने इसे लेकर सैनी सरकार के खिलाफ धरने-प्रदर्शन भी किए थे। इन धरनों में व्यापारी नेता बजरंग दास गर्ग ने सक्रिय रोल अदा किया। हिसार में वैश्य बिरादरी का अच्छा-खासा वोटबैंक है और इस समाज की नुमाइंदगी जिंदल हाउस और कमल गुप्ता करते रहे हैं। कमल गुप्ता को जिंदल हाउस बड़ा खतरा नहीं मानता क्योंकि उनके खिलाफ अच्छी-खासी नाराजगी है। ऐसे में वह नहीं चाहता कि चुनावी सीजन में उनके सामने बिरादरी का कोई तीसरा चेहरा उठे। हरियाणा | दैनिक भास्कर