कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल की ग्राम पंचायत मुहल के जंगल में वन माफिया ने सोमवार रात खैर के 9 कीमती पेड़ों को काटने की घटना को अंजाम दिया। इस अवैध कटान की भनक लगते ही स्थानीय लोगों और पुलिस की सतर्कता ने माफियाओं की बड़ी साजिश पर पानी फेर दिया। घटना आधी रात की बताई जा रही है, जब माफिया जंगल में पेड़ों की कटाई में जुटे थे। स्थानीय निवासियों को जब पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की आवाजें सुनाई दीं, तो उन्होंने तुरंत देहरा पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस की गश्ती टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। हालांकि, अंधेरे और घने कोहरे का फायदा उठाकर तस्कर मौके से फरार हो गए, लेकिन उनके औजार और लकड़ी के टुकड़े पुलिस के हाथ लग गए। साढ़े तीन लाख की लकड़ी और औजार जब्त
घटनास्थल पर पुलिस ने खैर के 74 मौछे (लकड़ी के टुकड़े), 2 आरे और 1 कुल्हाड़ी जब्त की। जब्त की गई लकड़ी की कीमत लगभग साढ़े तीन लाख रुपए आंकी गई है। पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों की सतर्कता से बचा जंगल
डीएसपी देहरा अनिल कुमार ने बताया कि मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घटना के पीछे कौन लोग शामिल हैं और क्या यह किसी बड़े गिरोह की कारगुजारी है। वन विभाग के डीएफओ सन्नी वर्मा ने घटना की पुष्टि करते हुए स्थानीय लोगों की सतर्कता की सराहना की। उन्होंने अपील की है कि जंगलों में किसी भी संदिग्ध गतिविधि को देखकर तुरंत पुलिस या वन विभाग को सूचित करें। वनों पर मंडरा रहा खतरा
खैर के पेड़ों की अवैध कटाई कांगड़ा जिले में लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। खैर की लकड़ी का बाजार में बड़ा मूल्य है, और माफिया इसकी तस्करी में सक्रिय रहते हैं। यह घटना न केवल जंगलों के लिए खतरा है, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी बड़ा नुकसान है। वन विभाग और पुलिस ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और वन संपदा को बचाने में सहयोग करें। यह कार्रवाई जंगलों को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन वन माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल की ग्राम पंचायत मुहल के जंगल में वन माफिया ने सोमवार रात खैर के 9 कीमती पेड़ों को काटने की घटना को अंजाम दिया। इस अवैध कटान की भनक लगते ही स्थानीय लोगों और पुलिस की सतर्कता ने माफियाओं की बड़ी साजिश पर पानी फेर दिया। घटना आधी रात की बताई जा रही है, जब माफिया जंगल में पेड़ों की कटाई में जुटे थे। स्थानीय निवासियों को जब पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की आवाजें सुनाई दीं, तो उन्होंने तुरंत देहरा पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस की गश्ती टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। हालांकि, अंधेरे और घने कोहरे का फायदा उठाकर तस्कर मौके से फरार हो गए, लेकिन उनके औजार और लकड़ी के टुकड़े पुलिस के हाथ लग गए। साढ़े तीन लाख की लकड़ी और औजार जब्त
घटनास्थल पर पुलिस ने खैर के 74 मौछे (लकड़ी के टुकड़े), 2 आरे और 1 कुल्हाड़ी जब्त की। जब्त की गई लकड़ी की कीमत लगभग साढ़े तीन लाख रुपए आंकी गई है। पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों की सतर्कता से बचा जंगल
डीएसपी देहरा अनिल कुमार ने बताया कि मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घटना के पीछे कौन लोग शामिल हैं और क्या यह किसी बड़े गिरोह की कारगुजारी है। वन विभाग के डीएफओ सन्नी वर्मा ने घटना की पुष्टि करते हुए स्थानीय लोगों की सतर्कता की सराहना की। उन्होंने अपील की है कि जंगलों में किसी भी संदिग्ध गतिविधि को देखकर तुरंत पुलिस या वन विभाग को सूचित करें। वनों पर मंडरा रहा खतरा
खैर के पेड़ों की अवैध कटाई कांगड़ा जिले में लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। खैर की लकड़ी का बाजार में बड़ा मूल्य है, और माफिया इसकी तस्करी में सक्रिय रहते हैं। यह घटना न केवल जंगलों के लिए खतरा है, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी बड़ा नुकसान है। वन विभाग और पुलिस ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और वन संपदा को बचाने में सहयोग करें। यह कार्रवाई जंगलों को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन वन माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। हिमाचल | दैनिक भास्कर