दो भाइयों ने 3 साल में खुलवाए 2000 फर्जी खाते:इनमें 3 हजार करोड़ का ट्रांजेक्शन; सतना, जबलपुर, प्रयागराज, गुड़गांव में सेंटर खोले

दो भाइयों ने 3 साल में खुलवाए 2000 फर्जी खाते:इनमें 3 हजार करोड़ का ट्रांजेक्शन; सतना, जबलपुर, प्रयागराज, गुड़गांव में सेंटर खोले

7 जनवरी को एमपी एटीएस (मध्यप्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता) की कार्रवाई के दौरान गुरुग्राम के सोहना में होटल की तीसरी मंजिल से गिरने के चलते युवक हिमांशु की मौत हो गई। हिमांशु बिहार के मधेपुरा का रहने वाला था। इस मामले में एटीएस पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन यह कार्रवाई जिस केस में की गई थी, वह 3000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में सामने आया है। इसी 7 तारीख को एटीएस और साइबर सेल की टीमों ने सतना और जबलपुर से एक दर्जन से अधिक युवकों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और सबूतों की जांच के बीच एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा हुआ है, जो देश भर में साइबर फ्रॉड की सबसे बड़ी जरूरत बन चुके फर्जी खातों, हवाला और टेरर फंडिंग का बड़ा खेल खेल रहा था। करीब तीन महीने लंबी जांच और 18 गिरफ्तारियों के बाद फर्स्ट लेयर के इंवेस्टीगेशन में ही जो खुलासे हुए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। इस घोटाले के केंद्र बिंदु हैं सतना के दो भाई, जिन्होंने गिरोह बनाकर अपने कस्बे से लेकर प्रदेश और देश भर के युवाओं को जोड़ा और तीन साल में दो हजार से अधिक फर्जी खाते खुलवा डाले। कुछ ही समय में अलग-अलग गिरोहों का यह गठजोड़ इतना बड़ा हो गया कि दूसरे देशों में बैठे बड़े साइबर और हवाला अपराधियों के साथ भी इनके संपर्क हो गए। ठगी की रकम का अपराधों में भी उपयोग
अब तक की जांच में इनके खुलवाए फर्जी खातों से 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन का पता चला है। इससे न केवल साइबर ठगी के रुपए गायब किए गए, बल्कि इन रुपयों का उपयोग मौज-मस्ती से लेकर अलग-अलग अपराधों में किया गया। एमपी एटीएस और स्टेट साइबर सेल पिछले तीन महीनों से अधिक समय से फर्जी खाते खोलने, साइबर फ्रॉड के रुपयों को घुमाने और हवाला करने वाले गिरोह की गतिविधियों को ट्रेस कर रही थी। दैनिक भास्कर ने कार्रवाई से लेकर जांच की अलग-अलग स्तर पर पड़ताल की तो इस गिरोह के काम करने के तरीके से लेकर काम के बड़े स्तर के बारे में कई खुलासे हुए…पढ़िए रिपोर्ट एक खुराफाती आइडिया …बूस्टर शुरुआत
दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो पिछले तीन साल में हुए अपराध की कहानी परत दर परत खुलती गई। शुरुआत 2021 से होती है। सतना के छोटे से कस्बे नजीराबाद के निवासी 24 साल के अंकित कुशवाहा की बी.कॉम. की पढ़ाई लॉकडाउन के चलते रुकी हुई थी। वह दिन भर मोबाइल पर सर्फिंग किया करता था। इस दौरान गेमिंग और सट्‌टेबाजी के एप में हाथ आजमाने लगा। तेज दिमाग के अंकित को कुछ ही समय में समझ आ गया कि इन्हें खेलने वाले आखिर में लुटते ही हैं। अंकित के दिमाग में आया कि इन्हें खेलने के बजाय खिलाने वाला बना जाए। उसने गेमिंग और सट्‌टेबाजी कराने वाली कंपनियों के संपर्क तलाशे। कुछ ही दिनों बाद पता चला कि महादेव सट्‌टा एप को चलाने वाले दिल्ली में लड़कों को एक ट्रेनिंग देने वाले हैं। यह वही महादेव सट्‌टा एप है, जिसका खुलासा होने पर 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई का पता लगा। अब ईडी इसकी जांच कर रही है। अंकित ने अपने चचेरे भाई अनुराग को साथ लिया और दिल्ली जाकर महादेव सट्‌टा एप की 10 दिन की ट्रेनिंग ली। इसके बाद दोनों वापस आ गए, लेकिन कुछ समय बाद अंकित फिर जबलपुर गया और वहां भी ट्रेनिंग ली। इसी बीच दोनों भाई युवाओं को भी अपने साथ जोड़ने में लगे थे। एक खुराफाती विचार के जमीन पर उतरने की यह बूस्टर शुरुआत थी। दर्जन भर से ज्यादा युवाओं को बनाया अपना एजेंट
मामले की जांच से जुड़ी साइबर निरीक्षक नीलेश अहिरवार बताती हैं कि आरोपियों ने पहले कुछ बैंक अकाउंट खोले और इन्हें पांच-पांच हजार रुपए में बेच दिया। हाथोंहाथ रुपए आ गए। इसके बाद इन्होंने कस्बे के ही कुछ युवाओं को इस काम पर लगा दिया। जैसे ही हाथ बढ़े, अकाउंट तेजी से खुलने लगे। ये युवा सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ग्रामीणों के बैंक अकाउंट खुलवाते थे। गांवों में शिविर की तरह लोगों को जोड़कर एक-एक बार में दर्जनों अकाउंट खोले। सरकारी योजना का लाभ मिलने की बात सुनकर ग्रामीण दस्तावेज दे देते, जिससे खुलने वाले अकाउंट को यह थोक के भाव में गुड़गांव, दिल्ली से लेकर झारखंड, बिहार में बैठे आपराधिक गिरोहों को बेचकर लाखों रुपए बना रहे थे। कुछ ही समय में वेल ऑर्गनाइज सेटअप बन गया। जिसके तहत न केवल एजेंटों से खाते खुलवाने, फर्जी सिम लाने जैसे काम कराए जाते बल्कि इसके लिए टारगेट दिए जाते। ठेले वाले काे बना डाला फ्रूट सेलर फर्म का मालिक
बैंक खातों की मांग बढ़ने लगी तो कीमत भी बढ़ती गई। सेविंग अकाउंट 20 हजार, करंट अकाउंट 50 हजार तो एक करोड़ तक के ट्रांजेक्शन की सुविधा देने वाले कॉर्पोरेट अकाउंट एक लाख तक में बिकते। तेजी से रुपए कमाने के लिए इन युवाओं ने बैंक के कुछ कर्मचारियों से सेटिंग की और ज्यादा ट्रांजेक्शन की सीमा वाले करंट और कॉर्पोरेट अकाउंट भी खोले। जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि करंट, कॉर्पोरेट अकाउंट खोलने के लिए भी व्यक्ति वही छोटा-मोटा काम करने वाले होते। यह ठेले वाले को एक दुकान में खड़ा कर फ्रूट सेलर फर्म दिखाते, कागज तैयार करते और उसके नाम से बिजनेस अकाउंट खुलवा लेते। इस तरह एक मामूली फल या सब्जी वाला बिजनेस का मालिक होता और उसे पता भी नहीं चलता कि उसका बिजनेस अकाउंट करोड़ों की हेराफेरी के लिए अपराधी गिरोहों के पास पहुंच चुका है। कई राज्यों में फैला दिया नेटवर्क
सतना के नजीराबाद से जबलपुर और दिल्ली के युवाओं का गिरोह देश भर के साइबर अपराधियों के साथ जुड़ता जा रहा था। 2023 तक कारोबार इतना फैल चुका था कि छत्तीसगढ़, झारखंड बिहार से होते हुए ओडिशा, तेलंगाना और बंगाल तो दूसरी ओर गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैल चुका था। एक राज्य के खाते दूसरे राज्यों तो दूसरे के खाते पहले राज्य में पुलिस की जांच को चकरघिन्नी करने के लिए घुमाए जा रहे थे। इन खातों से न केवल अपराध बल्कि हवाला की रकम भी घुमाई और गायब की जा रही थी। अलग-अलग गिरोहों से मिलकर 3 साल में इन युवाओं ने सतना से जबलपुर होते हुए प्रयागराज, गुड़गांव में फर्जी खाते खुलवाने के लिए सेंटर खोले। पैसे आए तो लाइफ स्टाइल बदली
मामले में कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम की हेड जबलपुर साइबर सेल की निरीक्षक नीलेश बताती हैं कि अपराध की दुनिया से रुपए आने शुरू हुए तो युवक जुड़ते गए। कमाई बढ़ने से इनकी लाइफ स्टाइल बदलने लगी। विदेश भी गए, ब्लैक मनी व्हाइट करने का आरोप
जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि आरोपी युवक न केवल दिल्ली, मुंबई से लेकर झारखंड, बिहार तक चक्कर काट रहे थे बल्कि कमाई बढ़ने पर यह दुबई भी गए। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं इन यात्राओं में ब्लैक मनी ठिकाने तो नहीं लगाई गई। पूरे मामले को लीड करने वाली जबलपुर साइबर सेल की पुलिस अधीक्षक रश्मि खरया बताती हैं कि विदेश यात्राओं के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। यह सेकंड लेयर के इंवेस्टिगेशन में शामिल है। गिरोह के ये सदस्य अब तक गिरफ्तार अंकित, ऋषभ और अमितेश कुंडे फरार
एसीपी खरया ने बताया कि इस मामले में अब तक 18 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पूरे गिरोह में कुशवाहा भाइयों के अलावा मुरादाबाद के 30 वर्षीय ऋषभ त्यागी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह गुडगांव के सेंटर का काम संभालता था। 18 गिरफ्तारियों के बावजूद गिरोह के दो बड़े नाम अंकित कुशवाह और ऋषभ त्यागी फरार हैं। अमितेश कुंडे की भी तलाश साइबर सेल और आतंक निरोधी दस्ता कर रहा है। ये खबर भी पढ़ें… साइबर जालसाजों के 4 ऑडियो मऊगंज में रहने वाली निशा विश्वकर्मा (21) को साइबर अपराधी ने ऑनलाइन संपर्क कर बहन बनाया। मीठी-मीठी बातें करने के बाद उसका विश्वास जीता। फिर गिफ्ट में हीरे की अंगूठी, 13 तोला सोना और 7 लाख रुपए भेजने का झांसा दिया। इसके बाद गैंग के दूसरे सदस्य ने उसे फोन किया। कॉलर ने कहा- आपका पार्सल फंस गया है। 15 हजार रुपए भेजो। पैसा नहीं दोगे तो एक घंटे में तुम्हें अरेस्ट करवा लेंगे। पढ़ें पूरी खबर… 7 जनवरी को एमपी एटीएस (मध्यप्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता) की कार्रवाई के दौरान गुरुग्राम के सोहना में होटल की तीसरी मंजिल से गिरने के चलते युवक हिमांशु की मौत हो गई। हिमांशु बिहार के मधेपुरा का रहने वाला था। इस मामले में एटीएस पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन यह कार्रवाई जिस केस में की गई थी, वह 3000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में सामने आया है। इसी 7 तारीख को एटीएस और साइबर सेल की टीमों ने सतना और जबलपुर से एक दर्जन से अधिक युवकों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और सबूतों की जांच के बीच एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा हुआ है, जो देश भर में साइबर फ्रॉड की सबसे बड़ी जरूरत बन चुके फर्जी खातों, हवाला और टेरर फंडिंग का बड़ा खेल खेल रहा था। करीब तीन महीने लंबी जांच और 18 गिरफ्तारियों के बाद फर्स्ट लेयर के इंवेस्टीगेशन में ही जो खुलासे हुए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। इस घोटाले के केंद्र बिंदु हैं सतना के दो भाई, जिन्होंने गिरोह बनाकर अपने कस्बे से लेकर प्रदेश और देश भर के युवाओं को जोड़ा और तीन साल में दो हजार से अधिक फर्जी खाते खुलवा डाले। कुछ ही समय में अलग-अलग गिरोहों का यह गठजोड़ इतना बड़ा हो गया कि दूसरे देशों में बैठे बड़े साइबर और हवाला अपराधियों के साथ भी इनके संपर्क हो गए। ठगी की रकम का अपराधों में भी उपयोग
अब तक की जांच में इनके खुलवाए फर्जी खातों से 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन का पता चला है। इससे न केवल साइबर ठगी के रुपए गायब किए गए, बल्कि इन रुपयों का उपयोग मौज-मस्ती से लेकर अलग-अलग अपराधों में किया गया। एमपी एटीएस और स्टेट साइबर सेल पिछले तीन महीनों से अधिक समय से फर्जी खाते खोलने, साइबर फ्रॉड के रुपयों को घुमाने और हवाला करने वाले गिरोह की गतिविधियों को ट्रेस कर रही थी। दैनिक भास्कर ने कार्रवाई से लेकर जांच की अलग-अलग स्तर पर पड़ताल की तो इस गिरोह के काम करने के तरीके से लेकर काम के बड़े स्तर के बारे में कई खुलासे हुए…पढ़िए रिपोर्ट एक खुराफाती आइडिया …बूस्टर शुरुआत
दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो पिछले तीन साल में हुए अपराध की कहानी परत दर परत खुलती गई। शुरुआत 2021 से होती है। सतना के छोटे से कस्बे नजीराबाद के निवासी 24 साल के अंकित कुशवाहा की बी.कॉम. की पढ़ाई लॉकडाउन के चलते रुकी हुई थी। वह दिन भर मोबाइल पर सर्फिंग किया करता था। इस दौरान गेमिंग और सट्‌टेबाजी के एप में हाथ आजमाने लगा। तेज दिमाग के अंकित को कुछ ही समय में समझ आ गया कि इन्हें खेलने वाले आखिर में लुटते ही हैं। अंकित के दिमाग में आया कि इन्हें खेलने के बजाय खिलाने वाला बना जाए। उसने गेमिंग और सट्‌टेबाजी कराने वाली कंपनियों के संपर्क तलाशे। कुछ ही दिनों बाद पता चला कि महादेव सट्‌टा एप को चलाने वाले दिल्ली में लड़कों को एक ट्रेनिंग देने वाले हैं। यह वही महादेव सट्‌टा एप है, जिसका खुलासा होने पर 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई का पता लगा। अब ईडी इसकी जांच कर रही है। अंकित ने अपने चचेरे भाई अनुराग को साथ लिया और दिल्ली जाकर महादेव सट्‌टा एप की 10 दिन की ट्रेनिंग ली। इसके बाद दोनों वापस आ गए, लेकिन कुछ समय बाद अंकित फिर जबलपुर गया और वहां भी ट्रेनिंग ली। इसी बीच दोनों भाई युवाओं को भी अपने साथ जोड़ने में लगे थे। एक खुराफाती विचार के जमीन पर उतरने की यह बूस्टर शुरुआत थी। दर्जन भर से ज्यादा युवाओं को बनाया अपना एजेंट
मामले की जांच से जुड़ी साइबर निरीक्षक नीलेश अहिरवार बताती हैं कि आरोपियों ने पहले कुछ बैंक अकाउंट खोले और इन्हें पांच-पांच हजार रुपए में बेच दिया। हाथोंहाथ रुपए आ गए। इसके बाद इन्होंने कस्बे के ही कुछ युवाओं को इस काम पर लगा दिया। जैसे ही हाथ बढ़े, अकाउंट तेजी से खुलने लगे। ये युवा सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ग्रामीणों के बैंक अकाउंट खुलवाते थे। गांवों में शिविर की तरह लोगों को जोड़कर एक-एक बार में दर्जनों अकाउंट खोले। सरकारी योजना का लाभ मिलने की बात सुनकर ग्रामीण दस्तावेज दे देते, जिससे खुलने वाले अकाउंट को यह थोक के भाव में गुड़गांव, दिल्ली से लेकर झारखंड, बिहार में बैठे आपराधिक गिरोहों को बेचकर लाखों रुपए बना रहे थे। कुछ ही समय में वेल ऑर्गनाइज सेटअप बन गया। जिसके तहत न केवल एजेंटों से खाते खुलवाने, फर्जी सिम लाने जैसे काम कराए जाते बल्कि इसके लिए टारगेट दिए जाते। ठेले वाले काे बना डाला फ्रूट सेलर फर्म का मालिक
बैंक खातों की मांग बढ़ने लगी तो कीमत भी बढ़ती गई। सेविंग अकाउंट 20 हजार, करंट अकाउंट 50 हजार तो एक करोड़ तक के ट्रांजेक्शन की सुविधा देने वाले कॉर्पोरेट अकाउंट एक लाख तक में बिकते। तेजी से रुपए कमाने के लिए इन युवाओं ने बैंक के कुछ कर्मचारियों से सेटिंग की और ज्यादा ट्रांजेक्शन की सीमा वाले करंट और कॉर्पोरेट अकाउंट भी खोले। जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि करंट, कॉर्पोरेट अकाउंट खोलने के लिए भी व्यक्ति वही छोटा-मोटा काम करने वाले होते। यह ठेले वाले को एक दुकान में खड़ा कर फ्रूट सेलर फर्म दिखाते, कागज तैयार करते और उसके नाम से बिजनेस अकाउंट खुलवा लेते। इस तरह एक मामूली फल या सब्जी वाला बिजनेस का मालिक होता और उसे पता भी नहीं चलता कि उसका बिजनेस अकाउंट करोड़ों की हेराफेरी के लिए अपराधी गिरोहों के पास पहुंच चुका है। कई राज्यों में फैला दिया नेटवर्क
सतना के नजीराबाद से जबलपुर और दिल्ली के युवाओं का गिरोह देश भर के साइबर अपराधियों के साथ जुड़ता जा रहा था। 2023 तक कारोबार इतना फैल चुका था कि छत्तीसगढ़, झारखंड बिहार से होते हुए ओडिशा, तेलंगाना और बंगाल तो दूसरी ओर गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैल चुका था। एक राज्य के खाते दूसरे राज्यों तो दूसरे के खाते पहले राज्य में पुलिस की जांच को चकरघिन्नी करने के लिए घुमाए जा रहे थे। इन खातों से न केवल अपराध बल्कि हवाला की रकम भी घुमाई और गायब की जा रही थी। अलग-अलग गिरोहों से मिलकर 3 साल में इन युवाओं ने सतना से जबलपुर होते हुए प्रयागराज, गुड़गांव में फर्जी खाते खुलवाने के लिए सेंटर खोले। पैसे आए तो लाइफ स्टाइल बदली
मामले में कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम की हेड जबलपुर साइबर सेल की निरीक्षक नीलेश बताती हैं कि अपराध की दुनिया से रुपए आने शुरू हुए तो युवक जुड़ते गए। कमाई बढ़ने से इनकी लाइफ स्टाइल बदलने लगी। विदेश भी गए, ब्लैक मनी व्हाइट करने का आरोप
जांच से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि आरोपी युवक न केवल दिल्ली, मुंबई से लेकर झारखंड, बिहार तक चक्कर काट रहे थे बल्कि कमाई बढ़ने पर यह दुबई भी गए। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं इन यात्राओं में ब्लैक मनी ठिकाने तो नहीं लगाई गई। पूरे मामले को लीड करने वाली जबलपुर साइबर सेल की पुलिस अधीक्षक रश्मि खरया बताती हैं कि विदेश यात्राओं के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। यह सेकंड लेयर के इंवेस्टिगेशन में शामिल है। गिरोह के ये सदस्य अब तक गिरफ्तार अंकित, ऋषभ और अमितेश कुंडे फरार
एसीपी खरया ने बताया कि इस मामले में अब तक 18 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पूरे गिरोह में कुशवाहा भाइयों के अलावा मुरादाबाद के 30 वर्षीय ऋषभ त्यागी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह गुडगांव के सेंटर का काम संभालता था। 18 गिरफ्तारियों के बावजूद गिरोह के दो बड़े नाम अंकित कुशवाह और ऋषभ त्यागी फरार हैं। अमितेश कुंडे की भी तलाश साइबर सेल और आतंक निरोधी दस्ता कर रहा है। ये खबर भी पढ़ें… साइबर जालसाजों के 4 ऑडियो मऊगंज में रहने वाली निशा विश्वकर्मा (21) को साइबर अपराधी ने ऑनलाइन संपर्क कर बहन बनाया। मीठी-मीठी बातें करने के बाद उसका विश्वास जीता। फिर गिफ्ट में हीरे की अंगूठी, 13 तोला सोना और 7 लाख रुपए भेजने का झांसा दिया। इसके बाद गैंग के दूसरे सदस्य ने उसे फोन किया। कॉलर ने कहा- आपका पार्सल फंस गया है। 15 हजार रुपए भेजो। पैसा नहीं दोगे तो एक घंटे में तुम्हें अरेस्ट करवा लेंगे। पढ़ें पूरी खबर…   हरियाणा | दैनिक भास्कर