लुधियाना| नशे की तस्करी और धोखाधड़ी के मामले में 5 साल से फरार चल रहे एक भगोड़े को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा की गई। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर आरोपी रविंदर कुमार को मोहल्ला गुरु गोविंद सिंह नगर, शिमलापुरी से पकड़ा। क्राइम ब्रांच के अधिकारी मोहम्मद सादिक ने बताया कि आरोपी पर 2015 में हेरोइन तस्करी और 2019 में जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज था। दोनों मामलों में आरोपी फरार चल रहा था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर रही है। लुधियाना| नशे की तस्करी और धोखाधड़ी के मामले में 5 साल से फरार चल रहे एक भगोड़े को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा की गई। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर आरोपी रविंदर कुमार को मोहल्ला गुरु गोविंद सिंह नगर, शिमलापुरी से पकड़ा। क्राइम ब्रांच के अधिकारी मोहम्मद सादिक ने बताया कि आरोपी पर 2015 में हेरोइन तस्करी और 2019 में जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज था। दोनों मामलों में आरोपी फरार चल रहा था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दो आतंकियों को पांच साल की सजा:माेहाली अदालत का फैसला, पेशे से ड्राइवर व नर्स, विदेशी फंडिंग का भी था आरोप
दो आतंकियों को पांच साल की सजा:माेहाली अदालत का फैसला, पेशे से ड्राइवर व नर्स, विदेशी फंडिंग का भी था आरोप छह साल पुराने देशद्रोह, टेरर फंडिंग व आतंक से जुड़े मामले में मोहाली जिला अदालत ने दो आतंकियों को दोषी ठहराते हुए पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। दोषियों में लखबीर सिंह, निवासी जिला होशियारपुर पेशे से ड्राइवर था, जबकि सुरिंदर कौर उर्फ सुखप्रीत कौर, निवासी जिला फरीदकोट, शामिल हैं, जो कि नर्स थी। लखबीर सिंह को गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम की धारा 10 के तहत 2 साल की कैद और 2 हजार रुपए जुर्माना, जबकि धारा 13 के तहत 5 साल की कैद और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वहीं, सुरिंदर कौर उर्फ सुखप्रीत कौर को धारा 19 के तहत 5 साल की कैद और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा मिली है। इस मामले में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सुरिंदर सिंह उर्फ सुख दियोल को बरी कर दिया है। ऐसे पकड़े थे आरोपी नवंबर 2019 में स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (एसएसओसी), मोहाली की टीम को सूचना मिली थी कि लखबीर सिंह दुबई में रह रहा है और उसके संबंध परमजीत सिंह पम्मा से हैं। परमजीत सिंह पम्मा भारत में प्रतिबंधित संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सदस्य है और “रेफरेंडम 2020” का समर्थन कर रहा है। बताया गया कि वह पंजाब में आतंकवाद फैलाने की कोशिश कर रहा था और आईएसआई की साजिश का हिस्सा था। लखबीर सिंह को राज्य के लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए पंजाब भेजा गया था। वह दूसरी आरोपी सुखप्रीत कौर को भी जानता था। इस मामले में एसएसओसी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। आरोपियों पर नवंबर 2019 में आईपीसी की धारा 120बी और गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, 1997 की धाराएं 10, 13, 17, 18, 20, 38, 39, 40 लगाई गई थीं। सुखप्रीत से मिला था यह सामान सुखप्रीत कौर के कब्जे से पुलिस ने 10 किताबें, कुछ पत्रिकाएं और 3 डायरियां बरामद की थीं। सुरिंदर सिंह उर्फ सुख दियोल पर आरोप था कि उसने लखबीर सिंह को हथियार मुहैया करवाने का भरोसा दिया था। हालांकि, किसी भी दोषी से हथियार बरामद नहीं हुए और पुलिस अदालत में उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। इसी कारण उसे बरी कर दिया गया। दिल्ली एयरपोर्ट से लखबीर को दबोचा था लखबीर सिंह होशियारपुर के गांव डडियाणा कलां का रहने वाला है। वह दुबई में ट्रक ड्राइवर का काम करता था। वह अक्टूबर 2019 में महीने भारत आया था। उसे टीम ने इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट नई दिल्ली से दबोचा था। इसी तरह सुरिंदर कौर जो लुधियाना के एक निजी अस्पताल में स्टाफ नर्स थी। लखबीर सिंह से सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क में थी। उसे भी इसी दिन गिरफ्तार किया गया था। सिख रेजिमेंट ग्रुप से वह पाकिस्तान के संपर्क में था पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के समय बताया था कि आतंकी लखबीर सिंह काफी शातिर था। उसने सोशल मीडिया में सिख रेजिमेंट नाम से एक सोशल ग्रुप बनाया हुआ था। इसमें पाकिस्तान में बैठे लोग भी सदस्य थे। जहां पर वे कोड में अपनी सारी रणनीति तैयार करते थे।

मूसेवाला के पिता के गनमैन आपस में भिड़े:एक गंभीर रूप से घायल, लोहे की रॉड से हमला, ड्यूटी को लेकर विवाद
मूसेवाला के पिता के गनमैन आपस में भिड़े:एक गंभीर रूप से घायल, लोहे की रॉड से हमला, ड्यूटी को लेकर विवाद पंजाबी गायक सुखदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकार सिंह के साथ आए गनमैन देर रात आपस में भिड़ गए। जिसके चलते एक गनमैन गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को इलाज के लिए मानसा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, दोनों के बीच ड्यूटी को लेकर विवाद हुआ था। देर रात कमरे में सो रहे कमांडो गनमैन गुरदीप सिंह पर गनमैन अरुण कुमार ने हमला कर दिया। जिसमें गुरदीप सिंह को गंभीर चोटें आईं। ड्यूटी को लेकर दोनों के बीच विवाद घायल गुरदीप सिंह ने बताया कि अरुण कुमार ने अपने हाथ में लिए लोहे के कड़े से उसके सिर पर वार किया, जिसके चलते उसे गहरी चोटें आईं। घायल को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, ड्यूटी को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ था। फिलहाल मानसा पुलिस अस्पताल पहुंच गई है और घायल के बयान दर्ज कर रही है। सिद्धू की मौत के बाद रिलीज होने वाले गाने सिद्धू मूसेवाला ने 29 मई, 2022 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। इसके अगले ही महीने 23 जून, 2022 को उनका पहला गाना ‘एसवाईएल’ रिलीज हुआ था। उनका दूसरा गाना ‘वार’ 8 नवंबर, 2022 को जारी हुआ था। तीसरा गाना ‘मेरा ना’ 7 अप्रैल, 2023 को रिलीज हुआ था। मूसेवाला के चौथे गाने का नाम ‘चोरनी’ था, जो 7 जुलाई, 2023 को जारी हुआ था। उनका पांचवां गाना ‘वॉचआउट’ था। इसे 12 नवंबर, 2023 को रिलीज किया गया था। सिद्धू का छठा गाना ‘ड्रिप्पी’ 2 फरवरी, 2024 7वां गीत ‘410’ 11 अप्रैल 2024 और आज 8वां गीत ‘अटैच’ 30 अगस्त को रिलीज हुआ। 29 मई 2022 को हुई थी सिद्धू की हत्या
पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की 29 मई, 2022 को हत्या कर दी गई थी। लॉरेंस गिरोह के कुछ हमलावरों ने मूसेवाला को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। तब से उनके प्रशंसक और परिवार के सदस्य न्याय की मांग कर रहे हैं और जब भी उनका नया गाना सामने आता है तो प्रशंसकों को लगता है कि ‘सिद्धू वापस आ गया है’।

लेबनान में फंसा शख्स 24 साल बाद लुधियाना लौटा:खो गया था पासपोर्ट, बच्चों को छोड़कर गया विदेश, संत सीचेवाल का जताया आभार
लेबनान में फंसा शख्स 24 साल बाद लुधियाना लौटा:खो गया था पासपोर्ट, बच्चों को छोड़कर गया विदेश, संत सीचेवाल का जताया आभार लेबनान में 24 साल से फंसे व्यक्ति ने वतन वापसी के बाद सबसे पहले राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से मुलाकात कर उनका आभार जताया और भावुक हो कर कहा कि उसने तो वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन संत सीचेवाल के प्रयास से वह अपने परिवार से मिला है। यह उसका दूसरा जन्म है। लेबनान में 24 साल से फंसे गुरतेज सिंह ने कहा कि ट्रेवल एजेंट ने उसे लेबनान भेजने के लिए एक लाख रुपए लिए थे। उस ज़माने में उसने यह एक लाख कैसे इकट्ठा किया, यह वह या उसका भगवान ही जनता। लुधियाना जिले के मत्तेवाड़ा गांव के रहने वाले गुरतेज सिंह 33 साल के थे जब वह 2001 में अपने दो छोटे बच्चों को छोड़कर विदेश चले गए। लेबनान में रहने के दौरान 2006 में उनका पासपोर्ट खो गया, जिससे उनके लिए घर लौटना और भी मुश्किल हो गया। कई कोशिशों के बाद भी उनके लिए पासपोर्ट बनवाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि पासपोर्ट बहुत पहले बना हुआ था। उन्होंने कहा कि जब इतनी कोशिशों के बाद भी उन्हें पासपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। बेहतर भविष्य के लिए गया था लेबनान संत बलबीर सिंह सीचेवाल से परिवार के सदस्यों ने संपर्क किया। जिन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और गुरतेज़ सिंह की वापसी को संभव बनाया। विदेशी धरती पर आजीविका कमाने और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए लेबनान गए गुरतेज़ सिंह ने कहा कि संत सीचेवाल के प्रयासों से वह 24 साल बाद अपने गांव की मिट्टी को चूमने में सक्षम हुए हैं। संत सीचेवाल का शुक्रिया अदा करने के लिए अपने परिवार सहित सुल्तानपुर लोधी आए गुरतेज सिंह ने आप बीती बताते हुए कहा कि विदेश जाने से पहले वह कोटियां-स्वेटर बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। जब घर में गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने विदेश जाने का मन बना लिया था। गुरतेज सिंह ने कहा कि लेबनान पहुंचना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी। सारा दिन करता था खेतों में काम एजेंट उसे पहले जॉर्डन ले गया और फिर पड़ोसी देश सीरिया में भर्ती दाखिल करवाया। वहां से डोंकी लगाकर लेबनान पहुंचे। उन्होंने कहा कि युद्ध जैसे माहौल में वहां रहकर काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। सारा दिन खेतों में काम करना पड़ता था। छिपकर रहने के कारण हमेशा डर बना रहता था कि कहीं पकड़ा न जाए। किसी तरह जिंदगी अपने ढर्रे पर चलती रही और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने खेतों में मेहनत-मजदूरी की। गुरतेज़ ने बताया कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका बेटे, जिसे उन्होंने 24 साल पहले जवान छोड़े थे, वे कब जवान हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान उसके जवान हुए लड़कों में एक लड़के की शादी हो गई थी और उनके घर एक बेटे का भी जन्म हुआ था। गुरतेज सिंह की आंखों में उस वक्त खुशी के आंसू आ गए जब उन्होंने बताया कि जब वह 24 साल बाद घर आए तो उनका पोता उनके पैरों से लिपट गया। मां और भाईयों को खो दिया गुरतेज़ ने कहा कि उनको सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि लेबनान में रहते हुए उसकी प्रतीक्षा में पहले उसने अपनी मां और फिर उसके भाई को खो दिया जिसको वो अंतिम बार देख भी नहीं पाया। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने इसके पहले कई नेताओं और अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा था। गुरतेज ने कहा कि यह संत सीचेवाल का ही प्रयास था कि वह 24 साल बाद अपने परिवार से मिल पाए। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि यह पंजाबी युवक लंबे समय के बाद परिवार में लौटा है। उन्होंने कहा कि परिवार से दूर अजनबी देश में अजनबियों के साथ रहना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट काफी पुराना होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने विदेश मंत्रालय और खासकर भारतीय दूतावास के अधिकारियों को धन्यवाद दिया।