हल्द्वानी: शव को ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं, अस्पताल प्रशासन पर उठे सवाल <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> सरकारी एंबुलेंस की अनुपलब्धता और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने एक बार फिर मानवता को झकझोर करके रख दिया. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में शुक्रवार को 45 वर्षीय हेमा देवी की मौत के बाद परिजनों को शव ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पाई. परिजन पूरे दिन अस्पताल प्रशासन के चक्कर लगाते रहे, लेकिन जब कोई समाधान नहीं मिला तो मजबूरी में निजी एंबुलेंस बुक करके शव को 150 किमी दूर अल्मोड़ा जिले के पैठणा गांव ले जाना पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हेमा देवी, जो अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे भिकियासैंण ब्लॉक के पैठणा गांव की निवासी थीं, 23 दिसंबर को पेड़ से गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. उनके परिजन तुरंत उन्हें इलाज के लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर आए. उस रात उन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया गया, और अगले दिन मेडिसिन आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के न्यूरो विभाग ने मरीज का सही तरीके से इलाज नहीं किया. 29 दिसंबर को सुबह 8:30 बजे हेमा देवी की मौत हो गई. मौत के बाद शव को गांव ले जाने के लिए परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस की मांग की, लेकिन उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रशासन ने कहा शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है<br /></strong>परिजनों ने बताया कि वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और सरकारी एंबुलेंस पर निर्भर थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही और एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण उन्हें निजी एंबुलेंस बुक करनी पड़ी. निजी एंबुलेंस से शव को पैठणा गांव पहुंचाने में उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ा. सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि उन्होंने स्वयं हेमा देवी को मेडिसिन आईसीयू में भर्ती कराया था. उन्होंने स्वीकार किया कि अस्पताल में शव ले जाने के लिए केवल एक एंबुलेंस है, जो उस समय एक अन्य शव को लेकर पिथौरागढ़ के कांडा भेजी गई थी और शनिवार तक लौटने की संभावना थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉ. जोशी ने कहा, “अस्पताल में सीमित संसाधनों के कारण कई बार ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं. एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा जाएगा.” यह कोई पहली घटना नहीं है जब सरकारी एंबुलेंस की कमी ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों को निजी साधनों का सहारा लेने के लिए मजबूर किया हो. पिछले माह एक युवती ने आर्थिक तंगी के कारण अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर हल्द्वानी से गंगोलीहाट (पिथौरागढ़) ले जाने की घटना ने भी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जरूरतमंद परिवारों को मुफ्त एंबुलेंस सेवा-सीएम धामी<br /></strong>उस घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए थे और जरूरतमंद परिवारों के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके, हालिया घटना ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है. हेमा देवी के पति ने आंसू भरी आंखों से कहा, “हम गरीब लोग हैं. हमें लगा था कि सरकारी अस्पताल और एंबुलेंस हमारी मदद करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इलाज के दौरान भी हमें सही मदद नहीं मिली. आखिरकार, अपने पैसे से निजी एंबुलेंस बुक करके हमें शव ले जाना पड़ा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में शव ले जाने के लिए पर्याप्त एंबुलेंस का होना आवश्यक है, खासकर ऐसे मामलों में जहां मरीज गरीब और असहाय परिवार से हो. घटना के बाद राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले का संज्ञान लेंगे और अस्पताल में एंबुलेंस सेवाओं में सुधार करेंगे. मुख्यमंत्री ने पहले भी जरूरतमंदों को मुफ्त एंबुलेंस सेवा का वादा किया था, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सुशीला तिवारी अस्पताल की यह घटना सिर्फ एक लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर करती है. ऐसी घटनाएं न केवल मरीजों और उनके परिवारों के लिए पीड़ादायक होती हैं, बल्कि यह समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/akhilesh-yadav-demand-asi-legal-action-on-bulldozer-demolished-heritage-aurangzeb-haveli-in-agra-2855919″>आगरा में औरंगजेब की हवेली पर चला बुलडोजर तो भड़के अखिलेश यादव, ASI से कर दी ये मांग</a></strong></p>