एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नजूल की संपत्ति से किसी भी व्यक्ति को बेदखली न करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन नजूल की संपत्तियों की जांच कर कब्जेदारों पर कार्रवाई करने पर जुटा है। म्योर मिल की संपत्तियों की जांच
सिविल लाइंस स्थित नजूल की संपत्ति की जांच के बाद जिला प्रशासन एनटीसी (नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन) की (परेड, ग्वालटोली, जूही, जरीब चौकी, दर्शनपुरवा) संपत्तियों की जांच करने की तैयारी कर रहा है। प्रशासन इसके लिए अपनी गोपनीय तैयारी कर रहा है। वहीं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह भी सभी नजूल की संपत्तियों की जांच कराने की बात कह रहे हैं। बेदखली नहीं की जा सकती है
सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि नजूल की संपत्ति पर किसी की बेदखली नहीं की जा सकती है। साथ ही जिन पट्टेधारकों ने लीज डीड का उल्लंघन नहीं किया है उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। इस बात को शनिवार को सरकार ने स्पष्ट कर दिया है। बता दें कि बीआईसी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (BIC) और एनटीसी मिलों की बेचने की तैयारी सरकार कई बार कर चुकी है, लेकिन बेच नहीं पा रही है। एनटीसी की लक्ष्मी रतन कॉटन मिल के एक बड़े भूभाग पर कई लोगों का कब्जा है। लीज समाप्त होने के बाद ये संपत्तियां नजूल की हो चुकी हैं। अब लक्ष्मी रतन कॉटन, अर्थटन, न्यू विक्टोरिया, स्वदेशी कॉटन और म्योर मिल की जमीनों की जांच होगी। संपत्तियों के बेचने की पहले हो चुकी कवायद
लीज समाप्त होनें के बाद ये संपत्तियां नजूल की हो चुकी हैं। एनटीसी की पांचों मिलों की जमीन बेचने की कवायद सालों पहले शुरू की गई थी। औद्योगिक जमीन को आवासीय और व्यावसायिक भू-प्रयोग में बदलने के लिए केडीए ने खाका भी बना लिया था, लेकिन प्रशासन की ये कवायद सफल नहीं हो सकी। एनटीसी की लक्ष्मी रतन कॉटन, अर्थटन, न्यू विक्टोरिया, स्वदेशी कॉटन और म्योर मिल का मशीनरी व मलवा बेचकर मैदान किया जा चुका है। पांचों संपत्ति की कीमत एक हजार करोड़
एनटीसी की पांचों मिलों का क्षेत्रफल लगभग 164 एकड़ है। तब इस जमीन की कीमत जिलाधिकारी के सर्किल रेट से 1070.37 करोड़ रुपये आंकी गई थी। जमीनों को फ्री होल्ड कराने के लिए एनटीसी को केडीए को करीब 500 करोड़ रुपये शुल्क देना पड़ता है। लीज नहीं हुई समाप्त तो नहीं हटाया जाएगा
मामले में डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि जिन संपत्तियों की लीज समाप्त हो चुकी है । उनका एक बार सर्वे कराया जाएगा। जिससे सभी संपत्तियों की स्थिति साफ हो जाए। अगर लीज समाप्त नहीं हुई होगी तो उन्हें हटाया नहीं जाएगा। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नजूल की संपत्ति से किसी भी व्यक्ति को बेदखली न करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन नजूल की संपत्तियों की जांच कर कब्जेदारों पर कार्रवाई करने पर जुटा है। म्योर मिल की संपत्तियों की जांच
सिविल लाइंस स्थित नजूल की संपत्ति की जांच के बाद जिला प्रशासन एनटीसी (नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन) की (परेड, ग्वालटोली, जूही, जरीब चौकी, दर्शनपुरवा) संपत्तियों की जांच करने की तैयारी कर रहा है। प्रशासन इसके लिए अपनी गोपनीय तैयारी कर रहा है। वहीं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह भी सभी नजूल की संपत्तियों की जांच कराने की बात कह रहे हैं। बेदखली नहीं की जा सकती है
सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि नजूल की संपत्ति पर किसी की बेदखली नहीं की जा सकती है। साथ ही जिन पट्टेधारकों ने लीज डीड का उल्लंघन नहीं किया है उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। इस बात को शनिवार को सरकार ने स्पष्ट कर दिया है। बता दें कि बीआईसी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (BIC) और एनटीसी मिलों की बेचने की तैयारी सरकार कई बार कर चुकी है, लेकिन बेच नहीं पा रही है। एनटीसी की लक्ष्मी रतन कॉटन मिल के एक बड़े भूभाग पर कई लोगों का कब्जा है। लीज समाप्त होने के बाद ये संपत्तियां नजूल की हो चुकी हैं। अब लक्ष्मी रतन कॉटन, अर्थटन, न्यू विक्टोरिया, स्वदेशी कॉटन और म्योर मिल की जमीनों की जांच होगी। संपत्तियों के बेचने की पहले हो चुकी कवायद
लीज समाप्त होनें के बाद ये संपत्तियां नजूल की हो चुकी हैं। एनटीसी की पांचों मिलों की जमीन बेचने की कवायद सालों पहले शुरू की गई थी। औद्योगिक जमीन को आवासीय और व्यावसायिक भू-प्रयोग में बदलने के लिए केडीए ने खाका भी बना लिया था, लेकिन प्रशासन की ये कवायद सफल नहीं हो सकी। एनटीसी की लक्ष्मी रतन कॉटन, अर्थटन, न्यू विक्टोरिया, स्वदेशी कॉटन और म्योर मिल का मशीनरी व मलवा बेचकर मैदान किया जा चुका है। पांचों संपत्ति की कीमत एक हजार करोड़
एनटीसी की पांचों मिलों का क्षेत्रफल लगभग 164 एकड़ है। तब इस जमीन की कीमत जिलाधिकारी के सर्किल रेट से 1070.37 करोड़ रुपये आंकी गई थी। जमीनों को फ्री होल्ड कराने के लिए एनटीसी को केडीए को करीब 500 करोड़ रुपये शुल्क देना पड़ता है। लीज नहीं हुई समाप्त तो नहीं हटाया जाएगा
मामले में डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि जिन संपत्तियों की लीज समाप्त हो चुकी है । उनका एक बार सर्वे कराया जाएगा। जिससे सभी संपत्तियों की स्थिति साफ हो जाए। अगर लीज समाप्त नहीं हुई होगी तो उन्हें हटाया नहीं जाएगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर