पंजाब के लुधियाना में विजिलेंस ब्योरों ने शनिवार रात भ्रष्टाचार के आरोप में डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में तैनात ASI चरणजीत सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने के एक महीने बाद विजिलेंस ब्यूरो ने इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल पर भी मामला दर्ज किया। 8 जुलाई को होटल मालिक से मांगी 2 लाख 70 हजार रिश्वत यह कार्रवाई ASI चरणजीत सिंह के बयान के बाद की गई है, जिन्हें 8 जुलाई को एक होटल मालिक से 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। एएसआई ने कहा कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत की मांग की थी। SHO नागपाल है फरार इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल फरार हैं.जब विजिलेंस ब्यूरो ने एएसआई को गिरफ्तार किया, तब वह डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में SHO के रूप में तैनात थे। बाद में उनका तबादला पुलिस लाइन कर दिया गया। जैसे ही इंस्पेक्टर को पता चला कि उसे निगरानी ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है, वह विभाग को सूचित किए बिना भाग गया। SSP रविंदरपाल सिंह ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। उन्होंने पाया कि आरोपी इंस्पैक्टर विभाग को सूचित किए बिना ड्यूटी से अनुपस्थित था। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो को यह भी पता चला कि इंस्पेक्टर किराये के आलीशान मकान में रह रहा था, जिसका मासिक किराया लाखों रुपये है। विजिलेंस ब्योरो ने भी घर को लेकर जांच शुरू की। ये पढ़े पूरा मामला जवाहर नगर कैंप में होटल ताज के मालिक कमलजीत आहूजा की शिकायत के बाद सतर्कता ब्यूरो (वीबी) ने 2 जुलाई को 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में एएसआई चरणजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एएसआई ने उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उक्त पुलिस स्टेशन में पहले से दर्ज एक मामले में आईपीसी की धारा 307, 379-बी जोड़ने के लिए उससे धमकी देकर अवैध रिश्वत ली थी और अधिक रिश्वत की मांग कर रहे थे। जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो ने पाया कि यह साबित हो गया है कि एएसआई चरणजीत सिंह ने इस थाने के SHO के नाम पर 2,70,000 रुपये की रिश्वत ली थी और शिकायतकर्ता को अनुमति देने के लिए प्रति माह 2 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। एएसआई ने 8 जुलाई को विजिलेंस ब्यूरो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूछताछ के दौरान एएसआई ने खुलासा किया कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत ली थी। पंजाब के लुधियाना में विजिलेंस ब्योरों ने शनिवार रात भ्रष्टाचार के आरोप में डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में तैनात ASI चरणजीत सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने के एक महीने बाद विजिलेंस ब्यूरो ने इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल पर भी मामला दर्ज किया। 8 जुलाई को होटल मालिक से मांगी 2 लाख 70 हजार रिश्वत यह कार्रवाई ASI चरणजीत सिंह के बयान के बाद की गई है, जिन्हें 8 जुलाई को एक होटल मालिक से 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। एएसआई ने कहा कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत की मांग की थी। SHO नागपाल है फरार इंस्पेक्टर जगजीत सिंह नागपाल फरार हैं.जब विजिलेंस ब्यूरो ने एएसआई को गिरफ्तार किया, तब वह डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में SHO के रूप में तैनात थे। बाद में उनका तबादला पुलिस लाइन कर दिया गया। जैसे ही इंस्पेक्टर को पता चला कि उसे निगरानी ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है, वह विभाग को सूचित किए बिना भाग गया। SSP रविंदरपाल सिंह ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। उन्होंने पाया कि आरोपी इंस्पैक्टर विभाग को सूचित किए बिना ड्यूटी से अनुपस्थित था। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो को यह भी पता चला कि इंस्पेक्टर किराये के आलीशान मकान में रह रहा था, जिसका मासिक किराया लाखों रुपये है। विजिलेंस ब्योरो ने भी घर को लेकर जांच शुरू की। ये पढ़े पूरा मामला जवाहर नगर कैंप में होटल ताज के मालिक कमलजीत आहूजा की शिकायत के बाद सतर्कता ब्यूरो (वीबी) ने 2 जुलाई को 2,70,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में एएसआई चरणजीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एएसआई ने उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उक्त पुलिस स्टेशन में पहले से दर्ज एक मामले में आईपीसी की धारा 307, 379-बी जोड़ने के लिए उससे धमकी देकर अवैध रिश्वत ली थी और अधिक रिश्वत की मांग कर रहे थे। जांच के दौरान विजिलेंस ब्योरो ने पाया कि यह साबित हो गया है कि एएसआई चरणजीत सिंह ने इस थाने के SHO के नाम पर 2,70,000 रुपये की रिश्वत ली थी और शिकायतकर्ता को अनुमति देने के लिए प्रति माह 2 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। एएसआई ने 8 जुलाई को विजिलेंस ब्यूरो के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूछताछ के दौरान एएसआई ने खुलासा किया कि उसने इंस्पेक्टर के कहने पर रिश्वत ली थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में सुखबीर बादल को लेकर SAD में फूट:बागी गुट अकाल तख्त पहुंचा; राम रहीम को माफी, DGP सुमेध सैनी समेत 4 गलतियां कबूलीं
पंजाब में सुखबीर बादल को लेकर SAD में फूट:बागी गुट अकाल तख्त पहुंचा; राम रहीम को माफी, DGP सुमेध सैनी समेत 4 गलतियां कबूलीं पंजाब में पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के बेटे शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के खिलाफ बड़ी बगावत हो गई है। अकाली दल का बागी गुट सोमवार को अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा। यहां उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के आगे पेश होकर माफीनामा दिया। जिसमें 4 पॉइंट पर माफी मांगी गई है। जिसमें डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने की गलती मानी गई है। 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में बेअदबी की सही जांच न होने के लिए भी माफी मांगी गई है। वहीं IPS अधिकारी सुमेध सैनी को DGP बनाने और मुहम्मद इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की भी गलती मानी गई है। इस दौरान बागी गुट ने तलवंडी साबो स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से भी मुलाकात की। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दोनों पक्षों को बैठकर इसका हल निकालने के लिए कहा। वहीं बागी गुट का अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्हें प्रधान बनाने के लिए किसी ने पहुंच नहीं की है। अगर समूची पार्टी उन्हें इस पद के लिए चुनेगी तो वे इस पर विचार करेंगे। अन्यथा गुटबाजी का वे हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। अकाल तख्त पर पेश होने के बाद बागी गुट के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा- ”आज हम सिर्फ हाजिरी देकर व माफी लेने आए हैं। पार्टी से जो गलतियां हुई हैं, लिखित में उसके लिए माफी मांगने आए हैं। अकाली दल को जो तगड़ा करने के लिए काम कर सकता है, उस तक एप्रोच किया गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह तक भी जाएंगे। श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मांगना और गुरु साहिब के आगे पार्टी को मजबूत करने के लिए अरदास करना बागीपन नहीं है। सुखबीर बादल के अकाल तख्त साहिब पर माफी मांगने के लिए आने की बात पर चंदूमाजरा ने कहा कि वे अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने आए हैं। उन्होंने माफी मांगनी है या नहीं, ये उन पर डिपेंड करता है। हमसे से माफी मांगने में जो देरी हुई, उसके लिए ही माफी मांगने आए हैं। वहीं, बीबी जगीर कौर ने कहा कि हम जल्द ही सब कुछ बताएंगे। एक बार श्री अकाल तख्त साहिब पर नतमस्तक हो जाएं। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट
सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। ये गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। जाने क्या लिखा था झूंदा रिपोर्ट में
झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा
शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। जाने कब बना अकाली दल
14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह 4 साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4 हजार लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। ज्यादातर नेता सुखबीर बादल के साथ अकाली दल में एक तरफ बगावत तेज हो रही है तो दूसरी तरफ सुखबीर भी अपने ग्रुप को मजबूत करने में जुटे हैं। फिलहाल पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं।
जालंधर में महिला डाक कर्मचारी के अपहरण का मामला:पीड़ित परिवार से मिले पूर्व सांसद, रिंकू बोले-लड़की उठते ही बोली-मुझे इंजेक्शन न लगाए
जालंधर में महिला डाक कर्मचारी के अपहरण का मामला:पीड़ित परिवार से मिले पूर्व सांसद, रिंकू बोले-लड़की उठते ही बोली-मुझे इंजेक्शन न लगाए पंजाब के जालंधर से अपहरण की गई 20 वर्षीय डाक विभाग की महिला कर्मचारी के अपहरण किए जाने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। क्योंकि लड़की की हालत इस कदर खराब है कि वारदात को करीब 4 दिन बीत चुके हैं, मगर वह अभी तक पुलिस को बयान देने लायक नहीं हुई। लड़की के अंदरूनी हिस्सों में काफी चोटें हैं। जिसके चलते पुलिस ने लड़की का मेडिकल करवाया है, क्योंकि लड़की से गैंगरेप की आशंका है। इसका खुलासा मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा। बता दें कि देर रात सिविल अस्पताल में शहर के कई AAP, कांग्रेस और बीजेपी के नेता पहुंच गए थे। आज यानी सोमवार को जालंधर के पूर्व सांसद सुशील कुमार रिंकू पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ सिविल अस्पताल में लड़की का पता लेने के लिए पहुंचे। रिंकू बोले- लड़की की हालत गंभीर, परिवार के साथ हमारी संवेदना सुशील रिंकू ने कहा- जिन लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया है, उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि बच्ची इतना सदमे में हैं कि जब उठती है, तब सिर्फ यही कहती है कि मुझे इंजेक्शन न लगाओ। यही कहती कहते कहते सो जाती है। इस स्थिति से पता चला है कि लड़की के हालत कितनी बुरी हुई पड़ी है। ऐसे में पुलिस और सरकार को आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए, क्योंकि पंजाब को किसी भी हालत में दूसरा कोलकाता नहीं बनने दिया जाएगा। क्योंकि पंजाब और जालंधर के लोग सुख शांति चाहते हैं, ना की किसी प्रकार का कोई क्राइम। मेडिकल रिपोर्ट आनी बाकी, अपहरण का केस दर्ज जालंधर कमिश्नरेट के थाना डिवीजन नंबर-5 की पुलिस ने बीएनएस 127(6) के तहत केस दर्ज कर लिया है। इस केस में पुलिस ने रामामंडी फौजी वाली गली में रहने वाली बलविंदर सिंह उर्फ बॉबी उर्फ बलविंदर डाकिया (29) को गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल आरोपी को पुलिस ने कोर्ट में नहीं पेश किया है। एसएचओ भूषण कुमार ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद पुलिस द्वारा अगली कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि बच्ची फिलहाल बयान दर्ज करवाने की स्थिति में नहीं है। बता दें कि रविवार रात लड़की के परिवार से मिलने के लिए सिविल अस्पताल के गायनी वॉर्ड में जालंधर वेस्ट के एमएलए मोहिंदर भगत सहित कई पार्टियों ने नेता पहुंचे थे। न्यू दशमेश नगर के रहने वाली पीड़िता की मां के बयानों पर ये केस दर्ज किया गया था। मगर केस में रेप की धारा नहीं जोड़ी गई है। ये था सारा मामला, पढ़ें पीड़िता की मां द्वारा पुलिस को दिए गए बयानों में कहा गया है कि मेरी 20 साल की बेटी बीते मंगलवार को रोजाना की तरह काम पर गई थी। मगर वहां से लौटी नहीं। अगले दिन यानी दिन बुधवार को उन्हें पुलिस का फोन आया कि उनकी बेटी बेसुध हालत दिल्ली के पास से मिली है। परिवार ने तुरंत अपने दिल्ली में रह रहे रिश्तेदारों को उक्त जगह पर जाने के लिए कहा। जिसके बाद बच्ची को उक्त परिवार के दिल्ली रह रहे रिश्तेदारों ने रिसीव किया और दिल्ली लाकर मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने मामले में तुरंत जालंधर पुलिस को जानकारी दी और कार्रवाई की मांग की। परिवार किसी तरह बच्ची को अपने घर वापस लेकर आया और मामले की शिकायत कमिश्नरेट पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद उक्त आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया।
अमृतपाल सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज:सांसद चुने जाने को चुनौती, पीठ ने कहा- आप चुनाव याचिका दायर करें
अमृतपाल सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज:सांसद चुने जाने को चुनौती, पीठ ने कहा- आप चुनाव याचिका दायर करें सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी सिख अमृतपाल सिंह के पंजाब के खडूर साहिब से सांसद चुने जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। यह याचिका जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि संविधान का अनुच्छेद 84 संसद की सदस्यता के लिए योग्यता से संबंधित है और इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति संसद की सीट भरने के लिए तब तक योग्य नहीं होगा जब तक वह भारत का नागरिक न हो। कोर्ट रूम से लाइव – याचिकाकर्ता- इस मामले में अमृतपाल सिंह ने कहा था कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा नहीं रखते हैं। पीठ- आप चुनाव याचिका दायर करें। याचिकाकर्ता- वह खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता नहीं है, लेकिन अमृतपाल सिंह द्वारा पहले दिए गए बयानों से मैं गहरा आहत हुआ हूं। पीठ- यह एविडेंस का मामला है। इसके लिए प्रक्रियाएं निर्धारित हैं। जन प्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान हैं। पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा- “धन्यवाद, खारिज।” आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीता अमृतपाल अमृतसर के खडूर साहिब का अमृतपाल सिंह 2022 में ही विदेश से वापस लौटा था। आते ही उसने वारिस पंजाब दे के मुखी के रूप में गद्दी संभाली। इसके साथ ही देश विरोधी बयान के कारण लाइम-लाइट में आ गया। अपने साथी को थाने से छुड़ाने के लिए फरवरी 2023 को अमृतपाल सिंह अपने 400 से अधिक समर्थकों व गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर अमृतसर के थाना अजनाला पहुंच गया और थाने पर कब्जा कर लिया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत मामला दर्ज किया। 23 अप्रेल को अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया। जेल में रहते ही उसने खडूर साहिब से आजाद चुनाव लड़ा और तकरीबन 1.97 लाख वोटों से जीत हासिल की। 5 जुलाई को ली शपथ आपको बता दें कि बीते 5 जुलाई को अमृतपाल सिंह को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए पैरोल दी गई थी। अमृतपाल सिंह‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखी है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कथित अपराधों के लिए असम के डिब्रूगढ़ जिले की जेल में बंद है। पंजाब में अमृतपाल सिंह के खिलाफ 11 और एक मामला असम में दर्ज किया गया है। अमृतपाल सिंह ने जेल में रहते हुए खडूर साहिब से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता है।