नर-पिशाचों का तांडव, मां काली ने दिखाया रौद्र रूप:महाकुंभ में श्रीपंच अग्नि अखाड़े की पेशवाई, सीने पर ईंट रखकर हथौड़े से तोड़ी

नर-पिशाचों का तांडव, मां काली ने दिखाया रौद्र रूप:महाकुंभ में श्रीपंच अग्नि अखाड़े की पेशवाई, सीने पर ईंट रखकर हथौड़े से तोड़ी

प्रयागराज के महाकुंभ मेले में आज (26 दिसंबर) श्रीपंच अग्नि अखाड़े की छावनी प्रवेश हो रहा है। खास बात यह कि 36 साल बाद पेशवाई माफिया अतीक के गढ़ माने जाने वाले शहर पश्चिम से होकर गुजर रही है।खुल्दाबाद चौफटका से निकलकर शहर भ्रमण करते हुए कई राज्यों से करीब एक हजार साधु-संत महाकुंभ में प्रवेश के लिए निकले हैं। ये शहर में करीब 13 किमी भ्रमण करते महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचेंगे। साधु-संत और नागा सन्यासी हाथी-घोड़े पर सवार होकर निकले हैं। सड़क के दोनों किनारे खड़े लोग उन पर फूल बरसा रहे हैं। हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उद्घोष गूंज रहा है। छावनी प्रवेश यात्रा में आगे अखाड़े का धर्म ध्वजा लेकर संत चल रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के 5 महामंडलेश्वर और एक आचार्य महामंडलेश्वर बग्घी पर सवार हैं। इसके पीछे अखाड़े के साधु-संत चल रहे हैं।
महाकुंभ में यह चौथा अखाड़ा प्रवेश कर रहा है। इससे पहले 22 दिसंबर को पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा, 13 दिसंबर को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े ने प्रवेश किया था। पहले 3 तस्वीरें… नर-पिशाचों ने किया तांडव
यात्रा में अखाड़े से जुड़े शिव बाराती नर-पिशाचों के रूप में तांडव कर रहे हैं। मां काली के रूप में कलाकार अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं। परशुराम सेना के लोग जमीन पर लेट गए। इनके सीने पर कई ईंटें रखकर उसे हथौड़े से दूसरे लोग तोड़ते दिख रहे। 15 घोड़े और 40 रथ पर सवार होकर निकले साधु
अनंत मंदिर के व्यवस्थापक महंत वीरेंद्रानंद महराज ने बताया- यह यात्रा अनंत माधव मंदिर चौफटका से शुरू होकर ओवरब्रिज से होते हुए करबला चौराहा, बेनीगंज, बैरहना, नवल किशोर तालाब से सीधे मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। इसकी अगुवाई अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पीठाधीश्वर रामकृष्ण कर रहे हैं। इसमें 15 घोड़े, 40 रथ की व्यवस्था की गई है। पेशवाई शुरू होने के पहले दही और खिचड़ी का प्रसाद संतों ने ग्रहण किया। 36 साल बाद अतीक के इलाके से निकली पेशवाई शाहगंज के नखास कोना की ओर से पेशवाई गुजरी तो यहां के लोग गदगद नजर आए। इस मौके पर दैनिक भास्कर रिपोर्टर मनीष मिश्रा ने वहां के लोगों की खुशी का राज जानना चाहा। कैमरे पर उन्होंने बताया- करीब 36 साल बाद इस इलाके से पेशवाई निकल रही है। अतीक का नाम लिए बिना इन लोगों ने कहा कि पहले यहां बदमाशी चलती थी। लूटपाट होती थी। पहले की सरकारें ऐसा भव्य आयोजन नहीं होने देती थीं। क्षेत्रीय लोगों ने क्या कहा… शाहगंज के नखास कोना में प्रदीप चौरसिया की पान की दुकान है। प्रदीप ने कहा- पहली बार देखने को मिल रहा कि इधर से पेशवाई निकल रही है। अब हिंदू राष्ट्र घोषित होने वाला है। सुरेश चंद्र साहू ने बताया- 36 साल बाद ये पेशवाई इधर से गुजर रही है। इसका पूरा श्रेय योगीजी को जाता है। पहले की सरकारें ऐसा आयोजन नहीं होने देती थीं। बदमाशी और लूटपाट होती थी। अब योगीजी के शासन में सब कुछ बंद हो चुका है। सभी एक समान हो चुके हैं। सीताराम केसवानी ने कहा- अब हम लोग जाग चुके हैं। किसी की बदमाशी नहीं चलेगी। अभी तक इस इलाके से पेशवाई नहीं गुजरी। हमारे साथ योगी और मोदीजी हैं। दोनों राम-लखन हैं। प्रभु राम की ताकत हैं। पेशवाई की 4 और तस्वीरें अब जानिए क्या होती है साधुओं की पेशवाई
महाकुंभ में लाखों संत और अखाड़े शामिल होते हैं। संतों की पेशवाई विशेष आकर्षण का केंद्र होती है। इसमें साधु-संत अपने अखाड़ों से भव्य शोभायात्रा लेकर निकलते हैं। पेशवाई में अखाड़ों के नागा साधु और उनके तमाम अनुयायी शामिल होते हैं। ये शोभायात्रा बैंड-बाजे, हाथी-घोड़े और सजाए गए रथों पर निकाली जाती है। इन रथों पर सम्मानित गुरु या संत विराजमान होते हैं। इनके भक्त और अनुयायी पैदल साथ चलते हैं। इस आयोजन में अखाड़ों का वैभव, अनुशासन और शक्ति का प्रदर्शन माना जाता है। इसके अलावा महाकुंभ में शाही स्नान का बड़ा महत्व है। इसे राजयोग स्नान भी कहते हैं। शाही स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु सबसे पहले स्नान करते हैं। उनके स्नान के बाद आम श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं। ——————– इससे पहले जिन अखाड़ों की पेशवाई हुई, वो खबरें पढ़िए- महाकुंभ में नागा साधुओं ने तलवारें लहराईं: ऊंट-बग्घी, थार पर पंचदशनाम आह्वान की पेशवाई लाठी-तलवार लहराते नागा साधु। माथे पर भभूत। गले में रुद्राक्ष। ऊंट, थार और बग्घी पर जाते संत। कुछ इस अंदाज में महाकुंभ के लिए 22 दिसंबर को पंचदशनाम आह्वान अखाड़े ने पेशवाई निकाली। सुबह 9 बजे नैनी के मड़ौका आश्रम से साधु-संत संगम के लिए निकले। संत आगे-आगे ढोल-नगाड़े के साथ चल रहे थे, पीछे डीजे। उनकी अगवानी के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों के किनारे खड़े थे। महिलाओं ने छतों से फूल बरसाकर स्वागत किया। लोगों ने संतों के साथ सेल्फी ली। पढ़ें पूरी खबर… जूना और किन्नर अखाड़े के साधु-संतों ने तलवारें लहराईं, महाकुंभ पहुंचे 5 हजार संत, विदेशी भी आए 13 दिसंबर को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का छावनी प्रवेश यानी पेशवाई और किन्नर अखाड़े की देवत्व यात्रा निकाली गई। संतों ने हर-हर महादेव के जयघोष के साथ यात्रा शुरू की। इसमें विदेश के साथ भारत के कई राज्यों से अखाड़ों के करीब 5 हजार पदाधिकारी और संत शामिल हुए। ढोल नगाड़ों के साथ साधु-संत महाकुंभनगर में प्रवेश किया। पढ़ें पूरी खबर… प्रयागराज के महाकुंभ मेले में आज (26 दिसंबर) श्रीपंच अग्नि अखाड़े की छावनी प्रवेश हो रहा है। खास बात यह कि 36 साल बाद पेशवाई माफिया अतीक के गढ़ माने जाने वाले शहर पश्चिम से होकर गुजर रही है।खुल्दाबाद चौफटका से निकलकर शहर भ्रमण करते हुए कई राज्यों से करीब एक हजार साधु-संत महाकुंभ में प्रवेश के लिए निकले हैं। ये शहर में करीब 13 किमी भ्रमण करते महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचेंगे। साधु-संत और नागा सन्यासी हाथी-घोड़े पर सवार होकर निकले हैं। सड़क के दोनों किनारे खड़े लोग उन पर फूल बरसा रहे हैं। हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उद्घोष गूंज रहा है। छावनी प्रवेश यात्रा में आगे अखाड़े का धर्म ध्वजा लेकर संत चल रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के 5 महामंडलेश्वर और एक आचार्य महामंडलेश्वर बग्घी पर सवार हैं। इसके पीछे अखाड़े के साधु-संत चल रहे हैं।
महाकुंभ में यह चौथा अखाड़ा प्रवेश कर रहा है। इससे पहले 22 दिसंबर को पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा, 13 दिसंबर को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े ने प्रवेश किया था। पहले 3 तस्वीरें… नर-पिशाचों ने किया तांडव
यात्रा में अखाड़े से जुड़े शिव बाराती नर-पिशाचों के रूप में तांडव कर रहे हैं। मां काली के रूप में कलाकार अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं। परशुराम सेना के लोग जमीन पर लेट गए। इनके सीने पर कई ईंटें रखकर उसे हथौड़े से दूसरे लोग तोड़ते दिख रहे। 15 घोड़े और 40 रथ पर सवार होकर निकले साधु
अनंत मंदिर के व्यवस्थापक महंत वीरेंद्रानंद महराज ने बताया- यह यात्रा अनंत माधव मंदिर चौफटका से शुरू होकर ओवरब्रिज से होते हुए करबला चौराहा, बेनीगंज, बैरहना, नवल किशोर तालाब से सीधे मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। इसकी अगुवाई अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पीठाधीश्वर रामकृष्ण कर रहे हैं। इसमें 15 घोड़े, 40 रथ की व्यवस्था की गई है। पेशवाई शुरू होने के पहले दही और खिचड़ी का प्रसाद संतों ने ग्रहण किया। 36 साल बाद अतीक के इलाके से निकली पेशवाई शाहगंज के नखास कोना की ओर से पेशवाई गुजरी तो यहां के लोग गदगद नजर आए। इस मौके पर दैनिक भास्कर रिपोर्टर मनीष मिश्रा ने वहां के लोगों की खुशी का राज जानना चाहा। कैमरे पर उन्होंने बताया- करीब 36 साल बाद इस इलाके से पेशवाई निकल रही है। अतीक का नाम लिए बिना इन लोगों ने कहा कि पहले यहां बदमाशी चलती थी। लूटपाट होती थी। पहले की सरकारें ऐसा भव्य आयोजन नहीं होने देती थीं। क्षेत्रीय लोगों ने क्या कहा… शाहगंज के नखास कोना में प्रदीप चौरसिया की पान की दुकान है। प्रदीप ने कहा- पहली बार देखने को मिल रहा कि इधर से पेशवाई निकल रही है। अब हिंदू राष्ट्र घोषित होने वाला है। सुरेश चंद्र साहू ने बताया- 36 साल बाद ये पेशवाई इधर से गुजर रही है। इसका पूरा श्रेय योगीजी को जाता है। पहले की सरकारें ऐसा आयोजन नहीं होने देती थीं। बदमाशी और लूटपाट होती थी। अब योगीजी के शासन में सब कुछ बंद हो चुका है। सभी एक समान हो चुके हैं। सीताराम केसवानी ने कहा- अब हम लोग जाग चुके हैं। किसी की बदमाशी नहीं चलेगी। अभी तक इस इलाके से पेशवाई नहीं गुजरी। हमारे साथ योगी और मोदीजी हैं। दोनों राम-लखन हैं। प्रभु राम की ताकत हैं। पेशवाई की 4 और तस्वीरें अब जानिए क्या होती है साधुओं की पेशवाई
महाकुंभ में लाखों संत और अखाड़े शामिल होते हैं। संतों की पेशवाई विशेष आकर्षण का केंद्र होती है। इसमें साधु-संत अपने अखाड़ों से भव्य शोभायात्रा लेकर निकलते हैं। पेशवाई में अखाड़ों के नागा साधु और उनके तमाम अनुयायी शामिल होते हैं। ये शोभायात्रा बैंड-बाजे, हाथी-घोड़े और सजाए गए रथों पर निकाली जाती है। इन रथों पर सम्मानित गुरु या संत विराजमान होते हैं। इनके भक्त और अनुयायी पैदल साथ चलते हैं। इस आयोजन में अखाड़ों का वैभव, अनुशासन और शक्ति का प्रदर्शन माना जाता है। इसके अलावा महाकुंभ में शाही स्नान का बड़ा महत्व है। इसे राजयोग स्नान भी कहते हैं। शाही स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु सबसे पहले स्नान करते हैं। उनके स्नान के बाद आम श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं। ——————– इससे पहले जिन अखाड़ों की पेशवाई हुई, वो खबरें पढ़िए- महाकुंभ में नागा साधुओं ने तलवारें लहराईं: ऊंट-बग्घी, थार पर पंचदशनाम आह्वान की पेशवाई लाठी-तलवार लहराते नागा साधु। माथे पर भभूत। गले में रुद्राक्ष। ऊंट, थार और बग्घी पर जाते संत। कुछ इस अंदाज में महाकुंभ के लिए 22 दिसंबर को पंचदशनाम आह्वान अखाड़े ने पेशवाई निकाली। सुबह 9 बजे नैनी के मड़ौका आश्रम से साधु-संत संगम के लिए निकले। संत आगे-आगे ढोल-नगाड़े के साथ चल रहे थे, पीछे डीजे। उनकी अगवानी के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों के किनारे खड़े थे। महिलाओं ने छतों से फूल बरसाकर स्वागत किया। लोगों ने संतों के साथ सेल्फी ली। पढ़ें पूरी खबर… जूना और किन्नर अखाड़े के साधु-संतों ने तलवारें लहराईं, महाकुंभ पहुंचे 5 हजार संत, विदेशी भी आए 13 दिसंबर को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का छावनी प्रवेश यानी पेशवाई और किन्नर अखाड़े की देवत्व यात्रा निकाली गई। संतों ने हर-हर महादेव के जयघोष के साथ यात्रा शुरू की। इसमें विदेश के साथ भारत के कई राज्यों से अखाड़ों के करीब 5 हजार पदाधिकारी और संत शामिल हुए। ढोल नगाड़ों के साथ साधु-संत महाकुंभनगर में प्रवेश किया। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर