‘नशे के जैसी मोबाइल की लत, कमजोर होता है दिमाग, मनोरोग पागलपन नहीं’, डॉक्टर से समझें खास बातें

‘नशे के जैसी मोबाइल की लत, कमजोर होता है दिमाग, मनोरोग पागलपन नहीं’, डॉक्टर से समझें खास बातें

<p style=”text-align: justify;”><strong>National Doctor&rsquo;s Day 2024:</strong> एक स्वस्थ व्यक्ति का दिमाग भी स्वस्थ होना चाहिए, यदि ऐसा है तो परेशानियों का निदान आसान हो जाता है. एक स्वस्थ दिमाग वाले व्यक्ति में स्पष्ट सोचने और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होती है. 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है और इस दिन कहीं ना कहीं किसी ना किसी रूप में जागरुकता के कार्यक्रम व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. कोटा में डॉ. नीना विजयवर्गीय मनोचिकित्सक एवं काउंसलर लोगों में जागरुकता पैदा कर रही हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉ. नीना &nbsp;लोगों को समझा रही हैं कि मनोरोग को पागलपन का नाम नहीं दें, भागती दौडती जिंदगी में लोगों को मनोरोग की शिकायत हो सकती है. यदि समय रहते उपचार कराया तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोबाइल की लत नशे जैसी, कमजोर होता है दिमाग</strong><br />डॉ. नीना ने कहा कि वर्तमान समय में लोगों में मोबाइल का नशा भी घातक होता जा रहा है. छोटे छोटे बच्चे मोबाइल को देखते हैं जो एक लत बन जाती है. जिससे बच्चे चिडचिडे हो जाते हैं और उनका मस्तिष्क भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है. डॉ. नीना ने कहा कि हमे मोबाइल की लत से दूर रहना होगा. व्यक्ति इसकी लत से अनावश्यक आक्रोशित हो रहा है, घर परिवार में विवाद बढ़ रहे हैं और यही मानसिक रोग का कारण बन रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चा गुमसुम रहता है तो मानसिक रोग हो सकता है</strong><br />डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि यदि आपका बच्चा गुमसुम रहता है या ज्यादा मस्ती करता है, परेशान करता है, जिद करता है, क्लास में कमजोर है या फिर पांच साल से अधिक उम्र का बच्चा बिस्तर में पेशाब कर रहा है तो उसे मानसिक रोग हो सकता है. इसके लिए एक बार उसे मनो चिकित्सक को दिखाने से उसकी जीवन को बिगड़ने से बचाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांव में मनोरोग को लेकर भ्रांतियां</strong><br />डॉ. नीना विजयवर्गीय ने बताया कि आगामी वर्ष में हमारा प्रयास रहेगा की हम कोटा और आसपास के गांव में जागृति पैदा करें, लोगों को मनोरोग के बारे में जानकारी दें और निशुल्क चिकित्सा शिविर के माध्यम से उनकी समस्या का निदान करें. गांव में सबसे अधिक भ्रांतियां मनोरोग को लेकर है, लोग पागलपन समझकर उपचार कराने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं. झाड फूंक, स्थानों पर ढोकना, भभूत व अन्य तरह से अंधविश्वास को दूर करने की आवश्यकता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&lsquo;पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए&rsquo;</strong><br />ग्रामीण क्षेत्र में भी मोबाइल से परेशानियां बढ रही हैं. अधिकांश व्यक्ति किसी ना किसी रूप में अवसाद में रहते हैं. एक बेहतर लाइफ के साथ आधुनिकता की दौड में हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते और शरीर में कई कमियां देखी जा सकती है. ऐसे में एक बडी संख्या ऐसी है जिन्हें किसी ना किसी रूप में मनोरोग होता है लेकिन वह समय पर उपचार नहीं ले पाते. हमे अपनी जीवन शैली को संतुलित करना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए. हमें मनोरोगी को प्राथमिक अवस्था में ही चिकित्सक को दिखाया जाना चाहिए नहीं तो परिणाम घातक हो सकते हैं. मनोरोग से पीड़ित ज्यादातर लोग दूसरे सामान्य लोगों जैसा ही व्यवहार करते हैं और वैसे ही दिखते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”भरतपुर के 453 युवाओं को मिली सरकारी नौकरी, CM भजनलाल ने वर्चुअली दिया नियुक्ति पत्र” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/rajasthan-cm-bhajan-lal-sharma-gave-bharatpur-453-workers-appointment-letters-virtually-ann-2726669″ target=”_blank” rel=”noopener”>भरतपुर के 453 युवाओं को मिली सरकारी नौकरी, CM भजनलाल ने वर्चुअली दिया नियुक्ति पत्र</a><br /></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>National Doctor&rsquo;s Day 2024:</strong> एक स्वस्थ व्यक्ति का दिमाग भी स्वस्थ होना चाहिए, यदि ऐसा है तो परेशानियों का निदान आसान हो जाता है. एक स्वस्थ दिमाग वाले व्यक्ति में स्पष्ट सोचने और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होती है. 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है और इस दिन कहीं ना कहीं किसी ना किसी रूप में जागरुकता के कार्यक्रम व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. कोटा में डॉ. नीना विजयवर्गीय मनोचिकित्सक एवं काउंसलर लोगों में जागरुकता पैदा कर रही हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉ. नीना &nbsp;लोगों को समझा रही हैं कि मनोरोग को पागलपन का नाम नहीं दें, भागती दौडती जिंदगी में लोगों को मनोरोग की शिकायत हो सकती है. यदि समय रहते उपचार कराया तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोबाइल की लत नशे जैसी, कमजोर होता है दिमाग</strong><br />डॉ. नीना ने कहा कि वर्तमान समय में लोगों में मोबाइल का नशा भी घातक होता जा रहा है. छोटे छोटे बच्चे मोबाइल को देखते हैं जो एक लत बन जाती है. जिससे बच्चे चिडचिडे हो जाते हैं और उनका मस्तिष्क भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है. डॉ. नीना ने कहा कि हमे मोबाइल की लत से दूर रहना होगा. व्यक्ति इसकी लत से अनावश्यक आक्रोशित हो रहा है, घर परिवार में विवाद बढ़ रहे हैं और यही मानसिक रोग का कारण बन रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चा गुमसुम रहता है तो मानसिक रोग हो सकता है</strong><br />डॉ. विजयवर्गीय ने कहा कि यदि आपका बच्चा गुमसुम रहता है या ज्यादा मस्ती करता है, परेशान करता है, जिद करता है, क्लास में कमजोर है या फिर पांच साल से अधिक उम्र का बच्चा बिस्तर में पेशाब कर रहा है तो उसे मानसिक रोग हो सकता है. इसके लिए एक बार उसे मनो चिकित्सक को दिखाने से उसकी जीवन को बिगड़ने से बचाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांव में मनोरोग को लेकर भ्रांतियां</strong><br />डॉ. नीना विजयवर्गीय ने बताया कि आगामी वर्ष में हमारा प्रयास रहेगा की हम कोटा और आसपास के गांव में जागृति पैदा करें, लोगों को मनोरोग के बारे में जानकारी दें और निशुल्क चिकित्सा शिविर के माध्यम से उनकी समस्या का निदान करें. गांव में सबसे अधिक भ्रांतियां मनोरोग को लेकर है, लोग पागलपन समझकर उपचार कराने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं. झाड फूंक, स्थानों पर ढोकना, भभूत व अन्य तरह से अंधविश्वास को दूर करने की आवश्यकता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>&lsquo;पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए&rsquo;</strong><br />ग्रामीण क्षेत्र में भी मोबाइल से परेशानियां बढ रही हैं. अधिकांश व्यक्ति किसी ना किसी रूप में अवसाद में रहते हैं. एक बेहतर लाइफ के साथ आधुनिकता की दौड में हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते और शरीर में कई कमियां देखी जा सकती है. ऐसे में एक बडी संख्या ऐसी है जिन्हें किसी ना किसी रूप में मनोरोग होता है लेकिन वह समय पर उपचार नहीं ले पाते. हमे अपनी जीवन शैली को संतुलित करना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में नींद लेनी चाहिए. हमें मनोरोगी को प्राथमिक अवस्था में ही चिकित्सक को दिखाया जाना चाहिए नहीं तो परिणाम घातक हो सकते हैं. मनोरोग से पीड़ित ज्यादातर लोग दूसरे सामान्य लोगों जैसा ही व्यवहार करते हैं और वैसे ही दिखते हैं.&nbsp;</p>
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