हिसार के नारनौंद में किसान आंदोलन ने नया मोड़ लिया है। रविवार को भारतीय किसान नौजवान यूनियन के सैकड़ों किसान खेड़ी चौपटा से खनौरी बॉर्डर की ओर कूच कर गए। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के 13 फरवरी के दिल्ली कूच के आह्वान के बाद यह कदम उठाया गया है। किसान नेताओं दशरथ मलिक, बलवान लोहान और अन्य के नेतृत्व में किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उनकी प्रमुख मांगों में सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों के दाम तय करना और किसान-मजदूरों की संपूर्ण कर्जमाफी शामिल हैं। ये मांगें रखी किसान नेताओं ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में पुनः लागू करने और भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति के साथ कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा देने की मांग भी रखी। साथ ही लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा, 2020-21 के किसान आंदोलन के मुकदमों की वापसी और भारत को विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकालने की मांग भी की गई। आंदोलन को तेज करने की चेतावनी किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। यह आंदोलन गैर-राजनीतिक स्वरूप का है और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए चलाया जा रहा है। किसानों और खेत मजदूरों पेंशन देने की मांग उन्होंने कहा कि किसानों और खेत मजदूरों को 10 हजार रुपए महीना पेंशन दी जाए, पीएम फसल बीमा योजना में सुधार किए जाएं, फसलों में नुकसान होने पर एक एकड़ को यूनिट मानकर मुआवजा दिया जाए व प्रीमियम सरकार द्वारा भरा जाए, विद्युत संशोधन विधेयक 2023 को रद्द किया जाए, मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपए का मजदूरी भत्ता दिया जाए, मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए। इसके अलावा, नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान तय किए जाए एवं बीजों की गुणवत्ता में सुधार किए जाए, मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए, संविधान की 5 सूची को लागू किया जाए, जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कंपनियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए, किसान आंदोलन-2 के दौरान निहत्थे व निर्दोष किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। हिसार के नारनौंद में किसान आंदोलन ने नया मोड़ लिया है। रविवार को भारतीय किसान नौजवान यूनियन के सैकड़ों किसान खेड़ी चौपटा से खनौरी बॉर्डर की ओर कूच कर गए। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के 13 फरवरी के दिल्ली कूच के आह्वान के बाद यह कदम उठाया गया है। किसान नेताओं दशरथ मलिक, बलवान लोहान और अन्य के नेतृत्व में किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उनकी प्रमुख मांगों में सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों के दाम तय करना और किसान-मजदूरों की संपूर्ण कर्जमाफी शामिल हैं। ये मांगें रखी किसान नेताओं ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में पुनः लागू करने और भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति के साथ कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा देने की मांग भी रखी। साथ ही लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा, 2020-21 के किसान आंदोलन के मुकदमों की वापसी और भारत को विश्व व्यापार संगठन से बाहर निकालने की मांग भी की गई। आंदोलन को तेज करने की चेतावनी किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। यह आंदोलन गैर-राजनीतिक स्वरूप का है और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए चलाया जा रहा है। किसानों और खेत मजदूरों पेंशन देने की मांग उन्होंने कहा कि किसानों और खेत मजदूरों को 10 हजार रुपए महीना पेंशन दी जाए, पीएम फसल बीमा योजना में सुधार किए जाएं, फसलों में नुकसान होने पर एक एकड़ को यूनिट मानकर मुआवजा दिया जाए व प्रीमियम सरकार द्वारा भरा जाए, विद्युत संशोधन विधेयक 2023 को रद्द किया जाए, मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपए का मजदूरी भत्ता दिया जाए, मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए। इसके अलावा, नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान तय किए जाए एवं बीजों की गुणवत्ता में सुधार किए जाए, मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए, संविधान की 5 सूची को लागू किया जाए, जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कंपनियों द्वारा आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए, किसान आंदोलन-2 के दौरान निहत्थे व निर्दोष किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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