हरियाणा के नारनौल में रास्ते को लेकर हुए विवाद में एक व्यक्ति ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली चला दी। इसमें गोली लगने से एक 25 वर्षीय युवक की मौत हो गई। युवक अपने मामा के घर रहता था और वह आपराधिक प्रवृत्ति का था। वहीं गोली चलाने वाला व्यक्ति भी मारपीट में घायल है। उसको इलाज के लिए नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुलिस मामले में छानबीन कर रही है। जानकारी अनुसार नांगल चौधरी थाना के अंतर्गत आने वाले गांव दोस्तपुर में दो परिवारों के बीच कई दिनों से रास्ते को लेकर लड़ाई झगड़ा चल रहा था। रविवार रात भी करीब 10:30 बजे दोनों परिवारों के लोगों में विवाद हो गया। झगड़ा बढ़ा तो रतीराम व आशी ने अपनी लाइसेंसी बंदूक निकाल ली। बंदूक से चली गोली पड़ोस में रहने वाले 25 वर्षीय राहुल को लगी। बताया जा रहा है कि राहुल उर्फ रोमियो मूल रूप से राजस्थान के गांव अगलीपुर नारेडा का रहने वाला है तथा वह दोस्तपुर में अपने मामा के घर पर रहता था। गोली लगने के बाद परिजनों ने उसको नारनौल के नागरिक अस्पताल में पहुंचाया। जहां से चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत के चलते रोहतक पीजीआइएमएस रेफर कर दिया। रोहतक में उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। वहीं दूसरे पक्ष की घायल रतिराम का नागरिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। हरियाणा के नारनौल में रास्ते को लेकर हुए विवाद में एक व्यक्ति ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली चला दी। इसमें गोली लगने से एक 25 वर्षीय युवक की मौत हो गई। युवक अपने मामा के घर रहता था और वह आपराधिक प्रवृत्ति का था। वहीं गोली चलाने वाला व्यक्ति भी मारपीट में घायल है। उसको इलाज के लिए नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुलिस मामले में छानबीन कर रही है। जानकारी अनुसार नांगल चौधरी थाना के अंतर्गत आने वाले गांव दोस्तपुर में दो परिवारों के बीच कई दिनों से रास्ते को लेकर लड़ाई झगड़ा चल रहा था। रविवार रात भी करीब 10:30 बजे दोनों परिवारों के लोगों में विवाद हो गया। झगड़ा बढ़ा तो रतीराम व आशी ने अपनी लाइसेंसी बंदूक निकाल ली। बंदूक से चली गोली पड़ोस में रहने वाले 25 वर्षीय राहुल को लगी। बताया जा रहा है कि राहुल उर्फ रोमियो मूल रूप से राजस्थान के गांव अगलीपुर नारेडा का रहने वाला है तथा वह दोस्तपुर में अपने मामा के घर पर रहता था। गोली लगने के बाद परिजनों ने उसको नारनौल के नागरिक अस्पताल में पहुंचाया। जहां से चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत के चलते रोहतक पीजीआइएमएस रेफर कर दिया। रोहतक में उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। वहीं दूसरे पक्ष की घायल रतिराम का नागरिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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नारनौल में निकली सैलजा की जनसंदेश यात्रा:बोलीं- कांग्रेस चुनाव में सीएम चेहरा घोषित नहीं करती; पार्टी हाईकमान का फैसला मानेंगी हरियाणा में कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा की जनसंदेश यात्रा रविवार को नारनौल पहुंची। इस मौके पर एक रैली का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता कांग्रेस की महिला जिला अध्यक्ष डॉ. राजवती ने की। सैलजा ने कहा कि बीजेपी की झूठ बहुत हो चुकी। अब लोगों ने कांग्रेस को वोट देने का मन बना लिया है। विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस पार्टी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी। सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अनेक ऐसी योजनाएं चलाई, जिससे लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि अग्निवीर के कारण युवाओं में सेना में जाने के लिए कोई चाहत नहीं रही। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक हो चुकी, अब स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक है। कांग्रेस पार्टी में सभी लोग एक साथ हैं। सभी लोगों में कांग्रेस के प्रति रुझान है। जल्द ही टिकटें फाइनल की जाएंगी। इस मौके पर महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सुधा भारद्वाज, पूर्व जिला प्रमुख भाई राम सिंह, महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष डॉ राजवती, विधायक शमशेर गोगो, प्रदीप चौधरी सहित अनेक लोग थे। वही रैली के बाद पत्रकार वार्ता में सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जहां पर सत्ता में नहीं होती, वहां पर चुनाव से पहले सीएम का चेहरा घोषित नहीं करती। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस की सच्ची सिपाही हैं और कांग्रेस पार्टी जो आदेश देगी वे उनका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि जन संदेश यात्रा चुनाव को देखते हुए रोकी भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ना चाह रही है। वे कांग्रेस की सच्ची सिपाही हैं। सीएम के लिए जो पार्टी हाई कमान फैसला करेगी, वह उन्हें मंजूर है। उन्होंने कहा कि टिकट के लिए वे डा. राजवती की पैरवी करेंगी। रैली में उमड़ी भीड़ बता रही है कि उनका यहां पूरा जनाधार है।
रोहतक की तिरंगा मार्च रैली रद्द, कर्मचारियों ने जताया रोष
रोहतक की तिरंगा मार्च रैली रद्द, कर्मचारियों ने जताया रोष रेवाड़ी | पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकारी कर्मचारियों ने 8 सितंबर को रोहतक में तिरंगा मार्च रैली के आयोजन को लेकर शेड्यूल बनाया था, लेकिन सरकार ने मंजूरी प्रदान नहीं की है जिसके कारण रैली को रद्द करना पड़ा है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति सदस्यों ने बताया कि सरकार ने आचार संहिता का हवाला देकर पेंशन बहाली कर्मचारी रैली पर रोक लगा दी है। सदस्यों का कहना है कि कर्मचारी पिछले 2 माह से लगातार विभिन्न शिक्षण संस्थानों, सरकारी विभागों में प्रचार अभियान करके रैली की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन रैली पर रोक लगाने से कर्मचारियों में रोष है। जिला प्रधान राजबीर यादव ने कहा कि तिरंगा मार्च एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। बिना किसी नारेबाजी, शोरगुल और लाउडस्पीकर के मार्च निकाल रहे थे, लेकिन सरकार ने फिर भी परमिशन नहीं दी है। इसको लेकर पेंशन बहाली संघर्ष सीमित के जिला प्रधान राजबीर यादव की अध्यक्षता में मीटिंग का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। इस मौके पर खोल प्रधान प्रदीप कुमार, धर्मेंद्र , बावल खंड प्रधान राजेंद्र रावत, लोकेश यादव, उप प्रधान संजय डाबला, उप प्रधान, रविंद्र प्रकाश, उप प्रधान धर्मेंद्र यादव, वरिष्ठ उप प्रधान संजय सिंह, विजय रसुली, राकेश कुमार व कोषाध्यक्ष रणधीर यादव उपस्थित थे।
हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद:डेरा मुखी के निधन से छिड़ा गद्दी विवाद, कल रस्म पगड़ी, सरकार ने सुरक्षा का हवाला दिया
हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद:डेरा मुखी के निधन से छिड़ा गद्दी विवाद, कल रस्म पगड़ी, सरकार ने सुरक्षा का हवाला दिया हरियाणा के सिरसा में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इंटरनेट आज बुधवार शाम 5 बजे से कल गुरुवार की रात 12 बजे तक बंद रहेगा। इस दौरान बल्क SMS भेजने पर भी रोक रहेगी। हालांकि ब्रॉडबैंड और लीजलाइन का इंटरनेट चलता रहेगा। इसके अलावा कॉल भी हो सकेगी। यहां कुछ दिन पहले डेरा जगमालवाली में डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील का निधन हुआ था। जिसके बाद 2 पक्षों में गद्दी का विवाद छिड़ा हुआ है। सिरसा में ही कल डेरा प्रमुख की रस्म पगड़ी है। गद्दी को लेकर विवाद और न बढ़े, इसे देखते हुए सरकार ने यह कार्रवाई की है। इस बारे में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने सिरसा के DC को चिट्ठी लिख नेट बंद करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश में हवाला दिया गया है कि सिरसा जिले में शांति व्यवस्था कायम रखने व सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब का 1 अगस्त को निधन हो गया था। जिस दिन डेरा प्रमुख को डेरा लाया गया, उसी दिन से ही गद्दी को लेकर विवाद हो गया था और 2 पक्षों में फायरिंग भी हुई। तब से लेकर आज तक गद्दी पर फैसला नहीं हो पाया है। सूफी सिंगर बीरेंद्र सिंह और भतीजे में चल रही गद्दी की लड़ाई
डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील के निधन के बाद डेरे के मुख्य सेवक सूफी गायक महात्मा बीरेंद्र सिंह गद्दी पर वसीयत के आधार पर अपना दावा ठोक रहे हैं। वहीं, डेरामुखी के भतीजे अमर सिंह वसीयत और उनकी मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। ये दोनों पक्ष आमने-सामने हैं। भतीजे का दावा: मौत की जानकारी छिपाई
डेरा मुखी के भतीजे अमर सिंह का दावा है कि डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मौत के बाद डेरे और संगत को गुमराह किया गया कि महाराज की हालत स्थिर है। गद्दी हथियाने के चक्कर में जानबूझकर मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को उनकी मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। बीरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह सब किया। मुख्य सेवक बोले- डेढ़ साल पहले की वसीयत
वहीं, दूसरे पक्ष में महात्मा बीरेंद्र सिंह से जुड़े शमशेर सिंह लहरी ने कहा कि डेरा प्रमुख ने बिना किसी के दबाव में डेरे की वसीयत डेढ़ साल पहले ही महात्मा बीरेंद्र सिंह सिंह के नाम की थी। वसीयत के अनुसार महात्मा बीरेंद्र ही डेरे के उत्तराधिकारी हैं। मगर पहला पक्ष इनको उत्तराधिकारी मानने को तैयार नहीं है। महात्मा बीरेंद्र सिंह ने कहा- मैं गद्दी पर नहीं बैठूंगा
वहीं, अब तक विवाद में खामोश रहे महात्मा बीरेंद्र सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। महात्मा बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती या सच्चाई सामने नहीं आती, वह डेरे की गद्दी पर नहीं बैठेंगे। महात्मा ने कहा, ‘महाराज जी का बेटा (चंद सिंह) 3 साल पहले महाराज जी के पास आया और बोला कि मेरे हार्ट की बाइपास सर्जरी होनी है, मुझे 1 लाख रुपए उधार दे दो। मेरी फसल आएगी तो मैं फसल बेचकर आपको दे दूंगा। महाराज जी ने कहा कि यह परमार्थ का पैसा है। यहां से मैं 1 लाख रुपए नहीं दे सकता। तू किसी रिश्तेदार से ले ले। आप देखो, महाराज जी के लड़के के पास गाड़ी नहीं है, वह स्कूटर या बाइक से चलता है। महाराज जी परमार्थ का एक पैसा किसी को नहीं देते थे। मेरे बैंक खातों की जांच की जा सकती है। महाराज जी दिसंबर 2022 से बीमार हुए हैं, तब से अब तक मेरे खातों की जांच करवा ली जाए। डेरा का मैनेजमेंट, ट्रस्ट यही चाहता है कि किसी भी स्तर की कोई जांच करवा ली जाए। मैं संगत से अपील करता हूं कि आप कल के कार्यक्रम में आएं, शांति बनाकर रखें, कोई गद्दी पर नहीं बैठ रहा है। जब तक दूध का दूध पानी का पानी नहीं हो जाता, तब तक न तो मैं कोई सत्संग करूंगा, न ही गद्दी पर बैठूंगा। डेरे का काम मैनेजमेंट देखती रहेगी।’ प्रशासन ने दोनों पक्षों से की शांति की अपील
डेरे जगमालवाली में टकराव को देखते हुए प्रशासन ने दोनों पक्षों से बातचीत की है। पुलिस ने महात्मा बीरेंद्र सिंह और भतीजे अमर सिंह के अलावा जगमालवाली ग्राम पंचायत से भी बातचीत की है। प्रशासन ने कहा है कि किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होने दी जाएगी। अगर किसी पक्ष का नाम हिंसा में आया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। सिरसा डेरे की गद्दी का विवाद क्या, पॉइंट्स में समझिए 1. डेरा मुखी का निधन, 2 पक्ष आमने-सामने
सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे। 2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया
इसके बाद सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी। इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराजजी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी। जल्द ही महात्मा बीरेंद्र सिंह संगत के बीच आएंगे। महाराज बहादुर चंद वकील साहब जी ने जो हुकुम दिया, सबको उनकी पालना करनी है। 3. भतीजे ने महात्मा को डेरामुखी मानने से इनकार किया
महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए। अमर सिंह ने दावा किया है कि उनके पास सारे मेडिकल सबूत हैं, जिनसे साबित होता है कि महाराज जी की मौत 11 दिन पहले यानि 21 जुलाई को ही हो गई थी। हम हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। 60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ। सरकार की ओर से जारी इंटरनेट बंद करने के आदेश…