नूंह के श्रंगेश्वर महादेव मंदिर 3 मंत्री करेंगे जलाभिषेक:भगवान श्रीकृष्ण ने की थी शिवलिंग की स्थापना, मुगलों ने किया था ध्वस्त

नूंह के श्रंगेश्वर महादेव मंदिर 3 मंत्री करेंगे जलाभिषेक:भगवान श्रीकृष्ण ने की थी शिवलिंग की स्थापना, मुगलों ने किया था ध्वस्त

हरियाणा के नूंह जिले के गांव सिंगार स्थित श्री श्रंगेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास भी महाभारत कालीन से है। जो मुगल काल में ध्वस्त कर दिया गया था। परंतु इस मंदिर के शिवलिंग को मुगल आक्रमणकारी ध्वस्त नहीं कर पाए। जो अब तक बना रहा है। कुछ साल पूर्व गांव के लोगों ने इस मंदिर की पुनः चारदीवारी कर फिर से इसका जीर्णोद्धार किया है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा स्वयं श्रृंगेश्वर महादेव की स्थापना पांडव कालीन समय में की गई थी। आज हरियाणा सरकार के तीन मंत्री करेंगे जलाभिषेक आज महाशिवरात्रि के दिन को गांव सिंगार स्थित प्राचीन श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और कलश स्थापना समारोह में हरियाणा सरकार के नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल, खेल मंत्री गौरव गौतम और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। मंदिर में आज श्री हनुमान जी व श्री नंदी महाराज की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा व मंदिर के शिखर के कलश की स्थापना कार्यक्रम आयोजित होना है। जिसमें हरियाणा सरकार के यशस्वी नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल, खेल मंत्री गौरव गौतम व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। भगवान श्री कृष्ण ने की थी शिवलिंग स्थापना मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष कुलदीप गोयल ने बताया कि गांव सिंगार स्थित श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पांडव कालीन है। मेवात का गांव सिंगार ब्रज क्षेत्र का हिस्सा है। इसका प्राचीन नाम श्रृंगार वन था। मान्यता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने ग्वाल सखाओं के साथ श्रंगार वन में आए थे। गायों को चराते हुए वे अपने बाल सखाओं से बिछड़ गए थे। जिसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आराधना कर शिवलिंग की स्थापना की थी। परंतु मुगलकाल में शिवलिंग और मंदिर गुमनामी के अंधेरों में खो गया। लगभग 80 वर्ष पूर्व गांव के बुजुर्ग हीरालाल ने शिवलिंग की खोज कर फिर से पूजा-अर्चना शुरू कर दी। पांडवों ने अज्ञातवास का बिताया समय कुलदीप गोयल ने बताया कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां कुछ समय बिताया था। भगवान श्री कृष्ण द्वारा मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित सरोवर के किनारे श्रृंगार करने के कारण ही इस गांव का नाम श्रृंगार वन पड़ा था, जो अब वर्तमान में सिंगार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने श्रृंगेश्वर महादेव के महत्व को बताते हुए कहा कि मंदिर के पुरातन इतिहास को देखते हुए श्रद्धालुओं द्वारा महादेव के समक्ष जो मनोकामना मांगी जाती है, वह भोलेनाथ अवश्य पूर्ण करते हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की मनोकामनाएं श्रृंगेश्वर भगवान पूर्ण कर चुके हैं। मंदिर समिति ने हटवाया था मंदिर से कब्जा मंदिर की जगह पर गांव के ही कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया और भगवान भोलेनाथ एक कोठरी में बंद हो गए। परंतु समिति के प्रयासों से अवैध कब्जे को अदालत और सरकार की सहायता से हटा दिया गया और मंदिर समिति द्वारा फिर से मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जिसके बाद श्रृंगेश्वर महादेव के विराट रूप को फिर से स्थापित किया गया है। मान्यता है कि श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित ऐतिहासिक शिवलिंग के दर्शनों से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। गांव के लोग कहते है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग धार्मिक आस्था का प्रतीक है, इसके दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ होने के बाद लोगों को मंदिर के धार्मिक महत्व का पता लग रहा है। जिससे यहां धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। हरियाणा के नूंह जिले के गांव सिंगार स्थित श्री श्रंगेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास भी महाभारत कालीन से है। जो मुगल काल में ध्वस्त कर दिया गया था। परंतु इस मंदिर के शिवलिंग को मुगल आक्रमणकारी ध्वस्त नहीं कर पाए। जो अब तक बना रहा है। कुछ साल पूर्व गांव के लोगों ने इस मंदिर की पुनः चारदीवारी कर फिर से इसका जीर्णोद्धार किया है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा स्वयं श्रृंगेश्वर महादेव की स्थापना पांडव कालीन समय में की गई थी। आज हरियाणा सरकार के तीन मंत्री करेंगे जलाभिषेक आज महाशिवरात्रि के दिन को गांव सिंगार स्थित प्राचीन श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और कलश स्थापना समारोह में हरियाणा सरकार के नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल, खेल मंत्री गौरव गौतम और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। मंदिर में आज श्री हनुमान जी व श्री नंदी महाराज की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा व मंदिर के शिखर के कलश की स्थापना कार्यक्रम आयोजित होना है। जिसमें हरियाणा सरकार के यशस्वी नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल, खेल मंत्री गौरव गौतम व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। भगवान श्री कृष्ण ने की थी शिवलिंग स्थापना मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष कुलदीप गोयल ने बताया कि गांव सिंगार स्थित श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पांडव कालीन है। मेवात का गांव सिंगार ब्रज क्षेत्र का हिस्सा है। इसका प्राचीन नाम श्रृंगार वन था। मान्यता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने ग्वाल सखाओं के साथ श्रंगार वन में आए थे। गायों को चराते हुए वे अपने बाल सखाओं से बिछड़ गए थे। जिसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आराधना कर शिवलिंग की स्थापना की थी। परंतु मुगलकाल में शिवलिंग और मंदिर गुमनामी के अंधेरों में खो गया। लगभग 80 वर्ष पूर्व गांव के बुजुर्ग हीरालाल ने शिवलिंग की खोज कर फिर से पूजा-अर्चना शुरू कर दी। पांडवों ने अज्ञातवास का बिताया समय कुलदीप गोयल ने बताया कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां कुछ समय बिताया था। भगवान श्री कृष्ण द्वारा मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित सरोवर के किनारे श्रृंगार करने के कारण ही इस गांव का नाम श्रृंगार वन पड़ा था, जो अब वर्तमान में सिंगार के नाम से जाना जाता है। उन्होंने श्रृंगेश्वर महादेव के महत्व को बताते हुए कहा कि मंदिर के पुरातन इतिहास को देखते हुए श्रद्धालुओं द्वारा महादेव के समक्ष जो मनोकामना मांगी जाती है, वह भोलेनाथ अवश्य पूर्ण करते हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की मनोकामनाएं श्रृंगेश्वर भगवान पूर्ण कर चुके हैं। मंदिर समिति ने हटवाया था मंदिर से कब्जा मंदिर की जगह पर गांव के ही कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया और भगवान भोलेनाथ एक कोठरी में बंद हो गए। परंतु समिति के प्रयासों से अवैध कब्जे को अदालत और सरकार की सहायता से हटा दिया गया और मंदिर समिति द्वारा फिर से मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जिसके बाद श्रृंगेश्वर महादेव के विराट रूप को फिर से स्थापित किया गया है। मान्यता है कि श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित ऐतिहासिक शिवलिंग के दर्शनों से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। गांव के लोग कहते है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग धार्मिक आस्था का प्रतीक है, इसके दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ होने के बाद लोगों को मंदिर के धार्मिक महत्व का पता लग रहा है। जिससे यहां धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर