हरियाणा के नूंह में भाजपा के वरिष्ठ नेता खुर्शीद राजाका बागी हो गए। उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और नूंह विधायक आफताब अहमद की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने खुर्शीद राजाका को पार्टी का पटका पहनाया और कांग्रेस में शामिल किया। प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा बता दें कि भाजपा में पिछले करीब 15 वर्ष (2010 से) से जुड़े खुर्शीद राजाका RSS की शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक भी रहे है। साथ ही 2017 से सरकार में मेवात डेवलपमेंट एजेंसी के चेयरमैन भी रहे थे। बुधवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद राजाका ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। टिकट बंटवारे पर खड़े किए सवाल उन्होंने अपने त्यागपत्र में बीजेपी में टिकट बांटने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बीजेपी में विधानसभा की टिकट देने में और सरकार में राजनैतिक कार्यकर्ताओं की भरपूर अनदेखी की गई है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जन विरोधी नीति और कार्यकर्ता विरोधी नीति के कारण सरकार में भ्रष्टाचार भी पूरी तरह हावी हो चुका है। बीजेपी मुर्दाबाद के सुनाई दे रहे स्वर चारों तरफ बीजेपी मुर्दाबाद के स्वर सुनाई दे रहे हैं, क्योंकि केंद्र और प्रदेश सरकार के पास मेवात के पिछड़ेपन को ख़त्म करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। जबकि दस साल के शासन में में मेवात में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली, पानी, सड़क निर्माण जैसे मुद्दों को ठंडे बसते में डाल दिया गया। इस मौके पर नगीना पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद इकबाल मांड़ीखेड़ा को भी कांग्रेसी नेताओं ने पटका पहनाकर कांग्रेस पार्टी में शामिल किया। हरियाणा के नूंह में भाजपा के वरिष्ठ नेता खुर्शीद राजाका बागी हो गए। उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और नूंह विधायक आफताब अहमद की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने खुर्शीद राजाका को पार्टी का पटका पहनाया और कांग्रेस में शामिल किया। प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा बता दें कि भाजपा में पिछले करीब 15 वर्ष (2010 से) से जुड़े खुर्शीद राजाका RSS की शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक भी रहे है। साथ ही 2017 से सरकार में मेवात डेवलपमेंट एजेंसी के चेयरमैन भी रहे थे। बुधवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद राजाका ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। टिकट बंटवारे पर खड़े किए सवाल उन्होंने अपने त्यागपत्र में बीजेपी में टिकट बांटने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बीजेपी में विधानसभा की टिकट देने में और सरकार में राजनैतिक कार्यकर्ताओं की भरपूर अनदेखी की गई है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जन विरोधी नीति और कार्यकर्ता विरोधी नीति के कारण सरकार में भ्रष्टाचार भी पूरी तरह हावी हो चुका है। बीजेपी मुर्दाबाद के सुनाई दे रहे स्वर चारों तरफ बीजेपी मुर्दाबाद के स्वर सुनाई दे रहे हैं, क्योंकि केंद्र और प्रदेश सरकार के पास मेवात के पिछड़ेपन को ख़त्म करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। जबकि दस साल के शासन में में मेवात में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली, पानी, सड़क निर्माण जैसे मुद्दों को ठंडे बसते में डाल दिया गया। इस मौके पर नगीना पंचायत समिति के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद इकबाल मांड़ीखेड़ा को भी कांग्रेसी नेताओं ने पटका पहनाकर कांग्रेस पार्टी में शामिल किया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में बिजली मंत्री की हार के बाद पावर कट:हिसार में लोगों का फूटा गुस्सा, रोड जाम कर रणजीत चौटाला के खिलाफ नारेबाजी
हरियाणा में बिजली मंत्री की हार के बाद पावर कट:हिसार में लोगों का फूटा गुस्सा, रोड जाम कर रणजीत चौटाला के खिलाफ नारेबाजी हरियाणा में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के लोकसभा चुनाव हारने के बाद लोगों को बिजली कटों का सामना करना पड़ रहा है। हिसार में आजाद नगर के लिए ने अघोषित कटौती से परेशान होकर देर रात को रोड जाम कर दिया और बिजली मंत्री पर हार का बदला लेने का आरोप लगाया। लोगों ने बिजली मंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। बता दें कि, सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत चौटाला विधायक बने थे और लोकसभा चुनाव के लिए विधायकी से इस्तीफा देकर हिसार लोकसभा चुनाव लड़े थे। मगर वह कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। लोगों का आरोप है कि जब से बिजली मंत्री चुनाव हारे हैं, वह बदला ले रहे हैं और जहां-जहां से हारे हैं वहां-वहां लंबे कट लगवा रहे हैं। वार्ड 16 जिला परिषद प्रतिनिधि एवं युवा कांग्रेस महासचिव मनोज टाक माही ने बताया कि, बिजली मंत्री अपनी हार का बदला ले रहे हैं। यदि बिजली कट इसी तरह लगते रहे तो बिजली विभाग के कार्यालय का घेराव करेंगे। इतने कट लगते हैं कि रात को सो भी नहीं पाते। बाहर बैठकर रात गुजारनी पड़ती है। सभी लोग परेशान हैं। बिजली कट का कारण यह भी
हिसार में तापमान 39 तक पहुंच गया है। भयंकर गर्मी और उमस भी बढ़ गई है। दूसरे धान सिंचाई का सीजन है। इस बार 42 प्रतिशत वर्षा कम हुई तो धान के खेत सूख रहे हैं। धान की सिंचाई के लिए लगातार ट्यूबवेल चल रहे हैं। इसलिए एग्रीकल्चर पावर (AP) में बिजली की डिमांड 4 गुना तक बढ़ गई है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में भी डिमांड बढ़ी है, पर ज्यादा असर नहीं आया। ऐसे में कट लगना शुरू हो गए हैं। इस कारण 129 लाख यूनिट बिजली खपत अब तक की अधिकतम जा पहुंची है। वरना इस सीजन में 123 से 125 लाख यूनिट बिजली अधिकतम खपत रही है। मगर सवाल यह है कि बिजली निगम ने ऐसे समय के लिए पहले से प्लानिंग क्यों नहीं की। बिजली निगम के SE हिसार सर्कल ओमबीर ने बताया कि ” बिजली निगम ने प्रबंध कर लिया है। बिजली सुचारू चलेगी। कहीं कट नहीं है। अगर मैंटेनेंस या फाल्ट है तो सप्लाई बंद करनी पड़ती है। बिजली की कमी से कट नहीं है। हमारी व्यवस्था पूरी है”। हिसार के इन फीडरों से सबसे ज्यादा ओवरलोड
11केवी सेक्टर 15 फीडर अंडर ब्रेकडाउन, 11केवी डीसी कालोनी वीसीबी बंद, 11केवी सेक्टर 17 में दिक्कत, 33केवी सेक्टर एक-चार सप्लाई चेंज, बीबीएमबी साइड पांच मिनट के लिए बंद, 33केवी सब स्टेशन सेक्टर एक-चार जंपर डिस्कनेट, 11केवी सेक्टर 15 जंपर होल्ड, 33केवी मेन सप्लाई फेल सेक्टर 27-28 लाइन, 11केवी रामनगर और सेक्टर 3-5 ओवरलोड, 11केवी एमजीए सेक्टर 21पी, 11केवी शिव नगर फीडर ओवरलोड, 11केवी जिंदल अस्पताल फीडर बंद, 11केवी सेक्टर 15 हाट स्पाट लाइन में दिक्कत, 11केवी न्यू विनोद नगर फीडर वीसीबी होल्ड, 11केवी माडल टाउन व डीसी कालोनी फीडर बंद, 11केवी डाबड़ा रोड फीडर ब्रेक डाउन रहा। 63,381 वोटों से हार गए थे बिजली मंत्री बता दें कि हिसार लोकसभा में जयप्रकाश जेपी ने बिजली मंत्री रणजीत चौटाला को 63,381 वोटों से हराया था। जयप्रकाश को 48.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि रणजीत चौटाला को सिर्फ 43.19 प्रतिशत वोट मिले थे। पिछली बार के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 7.81 प्रतिशत कम हुआ है। 2019 में भाजपा को 51.13 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 2019 में 15.63 प्रतिशत वोट मिले थे जो बढ़कर 48.58 प्रतिशत हो गए हैं। हिसार लोकसभा की 9 में से 6 सीटों पर जयप्रकाश जेपी ने जीत दर्ज की है जबकि रणजीत चौटाला सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाए हैं। रणजीत और भाजपा के लिए हार की सबसे बड़ी वजह आदमपुर में हार और शहरों में वोटों का कम होता अंतर रहा।
फरीदाबाद में शराब ठेके और अहाते में लगी आग:करोड़ों का नुकसान, आसमान में छाया काला धुआं, सामान जलकर राख
फरीदाबाद में शराब ठेके और अहाते में लगी आग:करोड़ों का नुकसान, आसमान में छाया काला धुआं, सामान जलकर राख हरियाणा के जिले फरीदाबाद के ग्रेटर फरीदाबाद स्थित बीपी इलाके में स्थित एक शराब के ठेके और अहाते में आग लग गई, लेकिन आग इतनी भीषण थी कि अहाता पूरी तरह जलकर खाक हो गया और करोड़ों का नुकसान हुआ। आग की लपटें काफी तेज थी और काला धुआं आसमान में छा गया। आधे घंटे बाद पहुंची फायर ब्रिगेड घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फिलहाल शॉर्ट सर्किट से आग लगना कारण बताया जा रहा है। लेकिन मौके पर स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने फायर ब्रिगेड को बुलाने में काफी देर की, आधे घंटे के बाद फायर ब्रिगेड पहुंची। आसपास बिल्डिंग और दुकान नहीं थी इसके चलते अहाता पूरी तरह चल कर स्वाहा हो गया। इस आग के लगने के चलते लगभग करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं स्थानीय निवासी ने बताया की गनीमत रही कि आसपास कोई और बिल्डिंग या मकान दुकान नहीं थे, अन्यथा हादसा और भी बड़ा हो सकता था।
हरियाणा BJP के घर बैठे नेताओं की छुट्टी होगी:RSS फीडबैक पर बदलेगा संगठन, 42 सीटों पर हार की समीक्षा, हारने की 5 वजहें
हरियाणा BJP के घर बैठे नेताओं की छुट्टी होगी:RSS फीडबैक पर बदलेगा संगठन, 42 सीटों पर हार की समीक्षा, हारने की 5 वजहें हरियाणा में लगातार तीसरी बार भले ही भाजपा ने सरकार बना ली हो, लेकिन पार्टी को 90 में से 42 सीटों पर हार भी मिली है। अब भाजपा ने इन सीटों पर हुई हार की समीक्षा भी कर ली है। एक महीने तक BJP ने हार के कारण जानने के लिए हारे उम्मीदवारों, जिलाध्यक्षों, पुराने कार्यकर्ताओं सहित RSS से भी फीडबैक लिया है। प्रदेश भाजपा इकाई ने यह रिपोर्ट पार्टी शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि हरियाणा में सदस्यता अभियान पूरा कर प्रदेश में संगठन के बदलाव के समय ही इन जिलों में जिलाध्यक्ष से लेकर जिला इकाई तक में बदलाव किए जाएंगे। ऐसे लोगों को किनारे लगाया जाएगा, जो पद लेकर बैठे रहे, मगर फील्ड में एक्टिव नहीं दिखे। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की रिपोर्ट की भूमिका सबसे अहम होगी। वहीं, टिकट वितरण में स्थानीय नेताओं की उपेक्षा भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है। इससे पार्टी में गलत मैसेज गया और कार्यकर्ता फील्ड में जाने के बजाय निष्क्रिय होकर बैठ गए। इन सब बिंदुओं को देखते हुए रिपोर्ट तैयार की गई। पार्टी के सह-प्रभारी बिप्लब देब भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से इसे लेकर चर्चा कर चुके हैं। आने वाले समय में संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। संगठन मंत्री बोले- हमने समीक्षा कर ली, आगे भी करेंगे
भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा ने बताया कि भाजपा हार की समीक्षा लगातार करती रही है। लोकसभा की तरह हमने विधानसभा में जिन सीटों पर हार हुई है, उनकी समीक्षा की है और रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को दी है। भाजपा में समीक्षा कभी नहीं रुकती। लगातार चलती रहती है। BJP की रिपोर्ट में हार के 5 बड़े कारण… 1. पुराने नेताओं की अनदेखी
भाजपा ने कई सीटों पर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। दूसरी पार्टी के कई नेताओं को चुनाव से ऐन वक्त पहले पार्टी में शामिल करवाया गया और टिकट दी, जिससे कई महीनों से फील्ड में तैयारी कर रहे नेताओं को झटका लगा और वह पूरे चुनाव में दूरी बनाकर रहे। उम्मीदवारों और संघ की रिपोर्ट में उन नेताओं के बाकायदा नाम भी लिखकर दिए गए हैं। 2. एंटी इनकम्बेंसी
चुनाव के समय प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी की चर्चा रही। चर्चा यह भी थी कि भाजपा चुनाव हार रही है और कांग्रेस जीत रही है, जिसके कारण 5 प्रतिशत स्विंग वोटर्स कांग्रेस की तरफ चला गया। यही वजह रही कि कड़े मुकाबलों वाली सीटों पर भी भाजपा हार गई। रोहतक, सिरसा और फतेहाबाद में सबसे ज्यादा वोट स्विंग हुए। सिरसा और फतेहाबाद में भाजपा विधायकों और नेताओं की कार्यशैली को लेकर भी लोगों में नाराजगी रही। 3. किसानों और जाटों में नाराजगी
किसानों और जाटों की नाराजगी का भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। रोहतक, फतेहाबाद और सिरसा में जाट और किसान एग्रेसिव होकर भाजपा के खिलाफ वोट डालने निकले। सिरसा और फतेहाबाद की सभी 8 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर इन जिलों में देखने को मिला। यहां नशाखोरी का मुद्दा भी चुनाव में छाया रहा। नशाखोरी रोकने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी नजर आए। इन सीटों पर जाटों के साथ-साथ सिख मतदाताओं की नाराजगी भी देखने को मिली। दोनों जिलों की पंजाबी बेल्ट में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 4. टिकट वितरण में गड़बड़ी
कुछ सीटों पर टिकटों का वितरण सही तरीके से नहीं हुआ। यहां पार्टी का सर्वे विफल रहा। इन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते, जिसमें हिसार, गन्नौर जैसी सीट भी शामिल हैं। इसके अलावा सिरसा जिले में सबसे ज्यादा टिकट वितरण में गड़बड़ी हुई। मजबूत चेहरों को दरकिनार किया गया। रणजीत सिंह, आदित्य चौटाला, मीनू बेनीवाल जैसे चेहरों को पार्टी ने दरकिनार किया, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। 5. मेवात में मुसलमानों ने भाजपा को नकारा
मेवात की तीनों सीटों पर भाजपा कोई कमाल नहीं कर पाई। यहां नूंह दंगों का असर देखने को मिला। यहां के लोगों में BJP के खिलाफ नाराजगी दिखी। लोगों ने BJP सरकार पर क्षेत्र में विकास न होने और भेदभाव का आरोप लगाया था। BJP इन मुस्लिम बहुल इलाकों में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। 5 जिलों में खाता नहीं खोल पाई पार्टी
भाजपा प्रदेश के 5 जिलों में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। इन जिलों में नूंह, सिरसा, झज्जर, रोहतक और फतेहाबाद शामिल हैं। अगर बेल्ट के हिसाब से देखें तो ये जिले बागड़, देशवाल और नूंह बेल्ट में आते हैं। इन जिलों में कुल 19 विधानसभा सीटें हैं। बागड़ बेल्ट में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 10, इनेलो ने 2 और निर्दलीय ने 1 सीट जीती। वहीं, 2019 में भाजपा ने 8, कांग्रेस ने 4, JJP ने 5, इनेलो ने 1 और निर्दलीय ने 2 सीटें जीती थीं।