नूंह जिले के आईएमटी रोजकामेव स्थित धीरदोका गांव में मुआवजे को लेकर 29 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 9 गांवों के किसानों ने बुधवार शाम बड़ा निर्णय लेते कहा कि मुआवजे की सुनवाई को लेकर प्रशासन व सरकार को 26 जून तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन अब किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई हैं। ऐसे अब किसानों ने ऐलान किया है कि 4 जुलाई को महापंचायत करने के साथ आईएमटी रोजकामेव में चल रहे सभी कार्यों को रोकेंगे। जिस तरह से सरकार उनकी नहीं सुन रही अब किसान भी नहीं सुनेंगे। किसान कमेटी के सदस्य हाफिज सिराजुद्दीन, जाहिद सरपंच मेहरोला, दीनू नंबरदार रूपाहेड़ी, मोहम्मद एसपी, सब्बीर खेड़ी ने कहा कि पिछले 4 महीने से किसान धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार मुआवजे पर कोई सुनवाई नहीं कर रहीं हैं। इसके चलते अब किसानों ने निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि 11 जून को जिला प्रशासन के साथ मीटिंग के बाद किसानों ने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया कि अगर 26 जून तक सरकार को किसी प्रकार का कोई संतुष्ट जबाव नहीं मिला तो किसान अब कड़ा निर्णय लेगा। 26 जून तक सरकार की ओर से कोई बात सामने नहीं आई। अब किसानों ने 4 जुलाई को महापंचायत बुलाई है। जिसमें कई किसान संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे और इसके बाद आईएमटी रोजकामेव का काम बंद कराएंगे। मुआवजा बढ़ाने की मांग बता दें कि आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांव खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन के किसानों की वर्ष 2010 में 1600 एकड़ अधिग्रहण की जमीन की गई थी। उस दौरान किसानों की जमीन को सरकार द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रति एकड़ अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमीन को सस्ते दामों में सरकार पर लेने का आरोप लगाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ 2 करोड़ की राशि देने के आदेश दिए थे। किसानों को 2 करोड़ प्रति एकड़ मिले इस दौरान जब 9 गांवों के किसानों को पता चला कि उक्त गांवों के किसानों को 2 करोड़ प्रति एकड़ मिले हैं तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिस पर सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही और उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए, ताकि किसान कोर्ट में ना जा सके और सभी किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे आपको 25-25 लाख रुपए ओर दे दिए जाएंगे, लेकिन आज तक भी किसानों को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए हैं। नूंह जिले के आईएमटी रोजकामेव स्थित धीरदोका गांव में मुआवजे को लेकर 29 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 9 गांवों के किसानों ने बुधवार शाम बड़ा निर्णय लेते कहा कि मुआवजे की सुनवाई को लेकर प्रशासन व सरकार को 26 जून तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन अब किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई हैं। ऐसे अब किसानों ने ऐलान किया है कि 4 जुलाई को महापंचायत करने के साथ आईएमटी रोजकामेव में चल रहे सभी कार्यों को रोकेंगे। जिस तरह से सरकार उनकी नहीं सुन रही अब किसान भी नहीं सुनेंगे। किसान कमेटी के सदस्य हाफिज सिराजुद्दीन, जाहिद सरपंच मेहरोला, दीनू नंबरदार रूपाहेड़ी, मोहम्मद एसपी, सब्बीर खेड़ी ने कहा कि पिछले 4 महीने से किसान धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार मुआवजे पर कोई सुनवाई नहीं कर रहीं हैं। इसके चलते अब किसानों ने निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि 11 जून को जिला प्रशासन के साथ मीटिंग के बाद किसानों ने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया कि अगर 26 जून तक सरकार को किसी प्रकार का कोई संतुष्ट जबाव नहीं मिला तो किसान अब कड़ा निर्णय लेगा। 26 जून तक सरकार की ओर से कोई बात सामने नहीं आई। अब किसानों ने 4 जुलाई को महापंचायत बुलाई है। जिसमें कई किसान संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे और इसके बाद आईएमटी रोजकामेव का काम बंद कराएंगे। मुआवजा बढ़ाने की मांग बता दें कि आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांव खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन के किसानों की वर्ष 2010 में 1600 एकड़ अधिग्रहण की जमीन की गई थी। उस दौरान किसानों की जमीन को सरकार द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रति एकड़ अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमीन को सस्ते दामों में सरकार पर लेने का आरोप लगाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ 2 करोड़ की राशि देने के आदेश दिए थे। किसानों को 2 करोड़ प्रति एकड़ मिले इस दौरान जब 9 गांवों के किसानों को पता चला कि उक्त गांवों के किसानों को 2 करोड़ प्रति एकड़ मिले हैं तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिस पर सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही और उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए, ताकि किसान कोर्ट में ना जा सके और सभी किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे आपको 25-25 लाख रुपए ओर दे दिए जाएंगे, लेकिन आज तक भी किसानों को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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राज्यमंत्री के करीबी ने की खट्टर की चुनाव में खिलाफत:कहा- पंजाबी को ज्यादा वोट मत देना; भाजपा ने 5 को नोटिस जारी किया हरियाणा लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बागियों, भीतरघातियों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। पहली कड़ी में 5 के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है। इन नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की करनाल सीट पर प्रचार के दौरान खिलाफ की है। इनमें हरियाणा के राज्यमंत्री महिपाल ढांडा के करीबी पूर्व सरपंच और BJP के शक्ति केंद्र के प्रमुख अवतार शास्त्री का नाम भी शामिल है। ऐसी जानकारी मिली है कि इन्होंने प्रचार के दौरान कहीं बोला कि, पंजाबी को ज्यादा वोट मत दे देना। अपने सहयोगी को नोटिस जारी होने से राज्यमंत्री ढांडा काफी परेशान हैं। उन्हें डर है कि इसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में पड़ेगा। BJP कार्यकारिणी सदस्य JJP के बस्ते पर दिखे इसके अलावा इसराना विधानसभा के खलीला निवासी आजाद की एक फोटो जारी हुई है, जिसमें उन्हें चुनाव के दिन JJP के बस्ते के साथ देखा गया था। आजाद अभी भाजपा में किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं। भाजपा की इस कार्रवाई से नेताओं और पदाधिकारियों में नाराजगी है। हालांकि इस मामले में पार्टी का कोई भी बड़ा नेता कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है। हालांकि आजाद ने नोटिस जारी होने पर कहा है कि बूथ पर फार्म साइन करने के लिए JJP वाले से पेन मांगा तो उसने बस्ते से निकालने को कहा। बस्ता पकड़ा तो किसी ने फोटो खींच लिया। कोर कमेटी मेंबर रोड शो में शामिल नहीं हुए करनाल लोकसभा चुनाव के दौरान मनोहर लाल ने ग्रामीण विधानसभा एरिया में रोड शो किया था, जिसका रूट राजाखेड़ी गांव था, भाजपा जिला कोर कमेटी के सदस्य पूर्व जिला पार्षद देव मलिक राजाखेड़ी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन रोड शो में शामिल नहीं हुए। हालांकि मलिक ने कहा है कि वह उस दिन गांव में नहीं थे। इसको लेकर उन्हें पार्टी की ओर से नोटिस जारी किया गया है। वहीं पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए समालखा से पूर्व पार्षद सुरेश झंडा को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। भाजपा के जिला अध्यक्ष दुष्यंत भट्ट ने यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। इसलिए गंभीर है भाजपा लोकसभा चुनाव में पार्टी के भीतरघातियों और बागियों को लेकर इसलिए गंभीर हैं, क्योंकि अब सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं। यदि अभी ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि पंचकूला में वोटिंग के तुरंत बाद हुई रिव्यू मीटिंग में सीएम नायब सैनी के द्वारा प्रत्याशियों से बागियों की लिस्ट मांगी गई है। इसके साथ ही जिलाध्यक्षों और प्रदेश के पदाधिकरियों से भी इसका इनपुट लिया जा रहा है।
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हरियाणा कांग्रेस प्रदेश प्रभारी का लोकसभा चुनाव पर मंथन:8 उम्मीदवार ही पहुंचे, सैलजा ने बनाई दूरी, 3 जगह से भीतरघात की रिपोर्ट
हरियाणा कांग्रेस प्रदेश प्रभारी का लोकसभा चुनाव पर मंथन:8 उम्मीदवार ही पहुंचे, सैलजा ने बनाई दूरी, 3 जगह से भीतरघात की रिपोर्ट हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने आज लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के साथ मंथन किया। इस बैठक में हरियाणा से 9 प्रत्याशियों को बुलाया गया था और एक सीट गठबंधन की होने के कारण उस पर फीडबैक नहीं मिल पाया। कुल 9 प्रत्याशियों को विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया था। बाबरिया ने बैठक तो नहीं की, लेकिन प्रत्याशियों और जीते हुए सांसदों से एक-एक कर बात की। खास बात यह रही कि सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा दीपक बाबरिया के साथ विचार-विमर्श में शामिल नहीं हुईं। प्रदेश प्रभारी ने सिरसा को छोड़कर सभी जगहों से रिपोर्ट ली। सबसे खराब रिपोर्ट भिवानी और करनाल से मिली है, यहां के उम्मीदवारों ने भीतरघात की रिपोर्ट दी। वहीं हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी ने भी भीतरघात की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि हिसार के बड़े नेताओं ने साथ नहीं दिया अगर साथ दिया होता तो जीत का मार्जन और बड़ा होता। इतना ही नहीं कुछ नेताओं के भाजपा प्रत्याशी की मदद करने की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसी तरह गुरुग्राम में भी स्थानीय नेताओं के अहीरवाल क्षेत्र में साथ नहीं देने की बात सामने आई है। हाईकमान को सौंपी जाएगी रिपोर्ट कांग्रेस प्रदेश प्रभारी की ओर से बनाई गई रिपोर्ट कल कांग्रेस हाई कमान को सौंपी जाएगी। बाबरिया ने उम्मीदवारों से आगामी विधानसभा के संभावित नामों पर चर्चा भी की ओर उनकी तरफ से हर विधानसभा में कौन बेहतर उम्मीदवार हो सकता है। इसके नाम भी पूछे। वहीं चुनाव में बढ़चढ़ कर काम करने वाले नेताओं और काम न करने वाले नेताओं व भीतरघात करने वालों के नाम भी उम्मीदवारों ने बताए। अब इसकी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी कल हाईकमान से होनी वाली बैठक में रखेंगे। हाई कमान आज करेगा बैठक, 30 नेताओं को बुलाया कांग्रेस हाई कमान आज दिल्ली में हरियाणा लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन करेगा। इसमें खास तौर पर हारने वाली सीटों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इसमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल और कुरूक्षेत्र सीट पर विस्तृत चर्चा होगी। इस बैठक में 10 लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी, सांसद, 3 बार के विधायक, 3 बार के पूर्व विधायक, कांग्रेस के प्रदेश सचिव सहित कुल 30 नेताओं को बुलाया गया है। इस बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे शामिल होंगे। खास बात यह है कि इस बैठक में बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को आमंत्रित नहीं किया गया है। कांग्रेस इन कारणों से 5 सीटों पर हार गई… 1. करनाल में कमजोर कैंडिडेट
कांग्रेस ने करनाल लोकसभा सीट पर अपने यूथ विंग के नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दिया। दिव्यांशु के नाम का ऐलान होते ही क्लियर हो गया था कि कांग्रेस ने इस सीट पर BJP के मनोहर लाल खट्टर को एक तरह से वॉकओवर दे दिया है। करनाल के कांग्रेसी नेताओं के तमाम तरह के असहयोग के बावजूद दिव्यांशु 4 लाख 79 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। अगर कांग्रेस इस सीट पर किसी बड़े चेहरे को उतारती और करनाल के नेता उसका साथ देते तो भाजपा को यहां परेशानी हो सकती थी। 2. गुटबाजी भारी पड़ी
हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान कम से कम 2 सीटें गवांकर चुकाया। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। किरण चौधरी ने तो हुड्डा कैंप पर उनकी सियासी हत्या की साजिश रचने जैसे आरोप तक लगा डाले। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह की हार का अंतर 41 हजार 510 वोट रहा। भिवानी जिले की 3 में से 2 सीटों पर भाजपा को लीड मिली। इनमें किरण चौधरी की तोशाम सीट शामिल रही। अगर पार्टी के नेता एकजुटता दिखाते तो यहां रिजल्ट कांग्रेस के पक्ष में भी आ सकता था। गुरुग्राम सीट पर भी यही कहानी रही। यहां कांग्रेस कैंडिडेट राज बब्बर 75 हजार वोट से हारे। लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव इस सीट पर लंबे अर्से से एक्टिव थे लेकिन पार्टी ने ऐन मौके पर उनकी जगह राज बब्बर को टिकट थमा दिया। इससे कैप्टन नाराज हो गए। राज बब्बर की इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान अजय यादव बहुत कम मौकों पर नजर आए। फरीदाबाद सीट पर भी टिकट न मिलने के कारण पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण दलाल की नाराजगी देखने को मिली। 3. पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए। हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी लीड बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला की तिकड़ी ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे। 4. चुनाव चिन्ह गायब होने से गठबंधन की कीमत चुकाई कांग्रेस ने I.N.D.I.A. अलायंस के तहत कुरूक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (AAP) को दी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गायब रहा। आम आदमी पार्टी से उसकी हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सुशील गुप्ता कुरूक्षेत्र के रण में उतरे तो पार्टी की पूरी लीडरशिप यहां डट गई। कांग्रेस से भूपेंद्र हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला ने सुशील गुप्ता के लिए प्रचार किया लेकिन राज्य की दूसरी किसी सीट पर AAP नेताओं ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए ऐसा जोर नहीं लगाया। ऐसे में कहा नहीं जा सकता कि AAP ने बाकी 9 सीटों पर अपना कितना वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में शिफ्ट कराया? हां, कुरूक्षेत्र में सुशील गुप्ता को कांग्रेसी कैडर के वोट जरूर मिले।