नेपाल भागने की फिराक में फर्जीवाड़ा करने वाला अमेरिकी नागरिक:डबल एडमिशन वालों को बचाने में जुटा DDU, VC बोलीं-हमें नहीं मिली कोई शिकायत

नेपाल भागने की फिराक में फर्जीवाड़ा करने वाला अमेरिकी नागरिक:डबल एडमिशन वालों को बचाने में जुटा DDU, VC बोलीं-हमें नहीं मिली कोई शिकायत

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से लेकर यूपी बार काउंसिल सहित तमाम जगहों पर पर फर्जीवाड़ा करने वाला अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता अब नेपाल भागने की फिराक में है। इससे पहले उसका फर्जीवाड़ा सामने आते ही वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी की सलाह पर लखनऊ भाग गया और वहां श्री रामस्वरूप​ मेमोरियल यूनिवर्सिटी से फर्जी ढंग से कर रहे LLM कोर्स का एडमिशन कैंसिल करा लिया। हालांकि, वह अभी एक मामले से बाहर निकला भी नहीं ​की उसके सभी तरह के फर्जीवाड़ों की पोल अब जग जाहिर होने लगी है। ऐसे में अब वह देश छोड़कर नेपाल भागने की फिराक में जुटा हुआ है। अभी हाल में उसने नेपाल राष्ट्र में भी अपने फर्जीवाड़ों से संबंधित एक नया ऑफिस खोला है। ताकि, अगर भारत में जब उसके खिलाफ कार्रवाई होने की भनक लगे तो वह इससे पहले देश छोड़कर नेपाल शिफ्ट हो सके। आखिर क्यों नई फर्म बनाकर बैंक अकाउंट खोलता सुधीर गुप्ता?
उधर, अब तक की जांच में खुफिया एजेंसियों को अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के बारे में कई संदिग्ध अहम जानकारियां मिली हैं। जिसकी हाईलेवल पर जांच चल रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि सुधीर गुप्ता भारत के गोरखपुर में बैठकर हर साल यहां से ऑनलाइन यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (USA) में नई-नई फर्में बनाता है और फिर इन्हीं फर्मों पर तमाम बैंकों में करंट बैंक अकाउंट खोलकर उसमें अमेरिका से धन मंगवाता है। खुफिया एजेंसियों ने भेजी अमेरिकी नागरिक की रिपोर्ट
जांच एजेंसियां इस तह तक जाने में जुटी हुई हैं कि आखिर सुधीर गुप्ता को USA से इतना पैसा कहां से और किस लिए आता है? सूत्रों का दावा है कि खुफिया एजेंसी ने अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के फर्जीवाड़ों की संदिग्ध रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है। ताकि, उसका ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) निरस्त किया जाए और उसे उसके देश अमेरिका वापस भेजा जाए। फर्जीवाड़ा वाले स्टूडेंट्स को बचा रहा DDU
वहीं, इस पूरे मामले में गोरखपुर यूनिवर्सिटी में खुलेआम चल रहे फर्जीवाड़ों की पोल भी अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। लेकिन, हैरानी वाली बात यह है कि DDU प्रशासन इस तरह के फर्जीवाड़ा करने वाले छात्रों पर कार्रवाई की बजाय अब उन्हें संरक्षण देने में जुट गया है। शायद यही वजह है कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. पूनम टंडन ने जिस अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के साथ पहले फोटो शूट कराई, अब वह उसे जानने से भी इनकार कर रहीं हैं। इतना ही नहीं, अमेरिकी नागरिक सहित लॉ डिपार्टमेंट के दो छात्रों की एक साथ दो कोर्सेज में पढ़ाई पर कार्रवाई की बात पर VC पूनम टंडन का कहना है कि उन्हें इस तरह के किसी मामले की जानकारी ही नहीं है। न ही उनके पास कोई इसकी शिकायत आई है। जब तक कोई शिकायत नहीं आएगी, वह इस तरह के फर्जीवाड़ों पर कोई एक्शन नहीं लेंगी। DDU में हुई थी लिखित शिकायत
जबकि, इस फर्जीवाड़ा के सामने आने से पहले ही इसकी लिखित शिकायत सबसे पहले गोरखपुर यूनिवर्सिटी को ही की गई है। वहीं, अब फर्जीवाड़ा को लेकर DDU प्रशासन की किरकरी शहर से लेकर राजभवन तक शुरू हो गई है। दबी जुबान से अब DDU के प्रोफेसर भी कहने लगे हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों में कार्रवाई करने की बजाय यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले तो मामले की जानकारी न होने का ढोंग करता रहा। लेकिन जब दबाव बढ़ने लगा तो यूनिवर्सिटी की मीडिया सेल ने हर बार की तरह इस बार भी कई बार छप चुकी पुरानी खबर की विज्ञप्ति भेजकर अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। आखिर कार्रवाई से क्यों भाग रहा DDU?
इसके बाद भी जब मामला नहीं संभला तो, DDU प्रशासन ने यह कहते हुए कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया कि इस मामले में कोई शिकायतकर्ता नहीं है। जबतक कोई शिकायतकर्ता लिखित रूप से शिकायत नहीं करता, हम किसी भी मामले में एक्शन नहीं ले सकते। खैर, DDU प्रशासन ने इस बयान से एक बात तो साबित कर दिया कि, यूनिवर्सिटी में चाहे जितना बड़ा कांड हो जाए, जबतक कोई शिकायतकर्ता उसकी लिखित शिकायत नहीं करता, कोई कार्रवाई नहीं होगी। अब सोचने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री के शहर में स्थापित यूनिवर्सिटी जहां, पूरे प्रदेश की निगाहें रहती हैं, वहां यह हालात हैं तो अन्य यूनिवर्सिटीज की स्थिति कैसी होगी? डीन बोले-प्रशासन मांगे तब तो रिपोर्ट भेजूं
एडमिशन फर्जीवाड़ा के मामले में DDU के लॉ डिपार्टमेंट के डीन प्रो. जितेंद्र मिश्रा ने बताया, बॉर काउंसिल के नियमों के मुताबिक कोई भी स्टूडेंट LLB कोर्स में पढ़ते हुए किसी रेग्यूलर कोर्स में दाखिला नहीं ले सकता, वह कोर्स करते हुए कहीं फुल टाइम की जॉब भी नहीं कर सकता। ऐसा करने पर उसकी डिग्री रोकी जा सकती है। आरोपी छात्रों के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह हमारे यहां का नियमित स्टूडेंट है। अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन उसकी रिपोर्ट मांगता है, तो हम तत्काल उपलब्ध कराएंगे, फिलहाल हमें ऐसा कोई भी निर्देश नहीं मिला है। उधर, हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के HOD कमलेश गुप्ता ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से निर्देश न मिलने की बात कही है। अपनी साख बचाने को दबा रहे मामला
यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक ‘एडमिशन फर्जीवाड़ा’ के मामले में यूनिवर्सिटी के कई सीनियर प्रोफेसर्स फंसते नजर आ रहे हैं। इनमें कई ऐसे प्रोफेसर भी हैं जो, VC प्रो. पूनम टंडन के बेहद खास माने जाते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन कोई भी कार्रवाई करने से बच रहा है। हालांकि, पूरे मामले में गुआक्टा के महामंत्री निरंकार राम त्रिपाठी ने कहा, एडमिशन में फर्जीवाड़ा बेहद गंभीर मसला है। गलत लोगों के प्रवेश से केवल एक सीट का नुकसान न होकर पूरे यूनिवर्सिटी और उसकी व्यवस्थाओं पर असर पड़ता है। DDU प्रशासन को बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक आरोपी छात्रों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम राजभवन तक मामले को ले जाएंगे। शिक्षा के नियमों के साथ किसी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फर्जीवाड़ा करने वाले दो छात्रों का हुआ है भंडाफोड़
दरअसल, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में LLB और LLM की पढ़ाई कर रहे दो स्टूडेंट्स के एडमिशन में बड़े फर्जीवाड़ा का भंडाफोड़ हुआ। अमेरिकी छात्र सुधीर गुप्ता जिसके साथ फोटोशूट कराते हुए VC प्रो. पूनम टंडन ने यूनिवर्सिटी की सोशल मीडिया वॉल पर अपने क्वालिटी एजुकेशन का ढिंढोरा पीटने में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ीं, उसने एक साथ DDU और SRMU लखनऊ में LLM कोर्स में एडमिशिन ले लिया। नियमों के मुताबिक यह पूरी तरह अवैध है। इस मामले में VC प्रो. पूनम टंडन ने दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन की जानकारी न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कीं। इस बीच, हमारी पड़ताल में एक अन्य LLB फोर्थ सेमेस्टर के छात्र विशेष पांडेय का फर्जीवाड़ा सामने आ गया। विशेष ने यूनिवर्सिटी कैंपस से LLB करने के साथ ही हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के तहत संचालित होने वाले कोर्स MAJMC में भी एडमिशन ले रखा है। यह पूरी तरह अवैध है, इसबार यूनिवर्सिटी प्रशासन के पास यह कहने का मौका भी नहीं है कि मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। हालांकि, राजभवन तक किरकिरी होने के बाद अब भी DDU प्रशासन को कार्रवाई के लिए शिकायतकर्ता का इंतजार है। दोनों परीक्षाओं में शामिल हो रहा छात्र
DDU के छात्र विशेष पांडेय ने सत्र 2023-24 में विधि विभाग के रेग्युलर कोर्स LLB में प्रवेश लिया था। इस बार वह फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा दे रहा है। वहीं, इसने सत्र 2024-25 यानी वर्तमान सत्र में हिंदी विभाग के तहत संचालित होने वाले रेग्युलर कोर्स MAJMC में भी दाखिला करा लिया। वह दोनों कोर्सेज की परीक्षाओं में एक साथ शामिल होता रहा। जबकि, बार काउंसिल के साथ ही UGC के नियम में भी दो रेग्युलर कोर्स में एकसाथ प्रवेश लेने की मनाही है, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इन दिनों सभी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वेरीफाई करने की नहीं है व्यवस्था
DDU में कहने के लिए तो UGC और बार काउंसिल के सभी नियम लागू हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यहां छात्रों का डेटा वेरीफाई करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। हर साल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के समय प्रवेश समिति की ओर से तमाम क्वेरी की जाती है। इसके बाद विभाग में भी डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन का दावा किया जाता है, लेकिन इसके बाद भी इस तरह के फर्जीवाड़े सामने आना चौंकाने वाला है। नहीं फॉलो होता अटेंडेंस का निमय
यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक रेग्युलर कोर्सेज की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए 75 परसेंट क्लासरुम अटेंडेंस जरुरी है। लेकिन यह नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, LLB और MAJMC दोनों की पढ़ाई एक साथ कर रहे छात्र विशेष पांडेय के क्लासेज की टाइमिंग समान है। दोनों क्लास अलग-अलग विभागों में संचालित होते हैं। बावजूद इसके उसे बिना अटेंडेंस वेरीफाई किए दोनों परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिलता रहा। अमेरिकन स्टूडेंट ने दो यूनिवर्सिटी में लिया एडमिशन
DDU में फर्जी एडमिशन का भंडाफोर अमेरिकन स्टूडेंट सुधीर गुप्ता के एडमिशन की शिकायत पर हुआ। अमेरिकन नागरिक सुधीर ने LLM की पढ़ाई करने के लिए एक साथ गोरखपुर यूनिवर्सिटी और लखनऊ यूनिवर्सिटी दोनों में प्रवेश ले लिया। वह दोनों यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित परीक्षाओं में भी शामिल होता रहा लेकिन किसी को इसबात की भनक तक नहीं लगी। मामले में एक शिकायती पत्र मिलने के बाद जब जांच शुरु हुई तब जाकर पूरे फर्जीवाड़े का पता चल सका। अब जानिए क्या कहता है नियम
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने LLB की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए कुछ नियम बनाए हैं, जिन्हें किसी भी स्थिति में फॉलो करना ही होता है। BCI की अधिसूचना के अनुसार, विधि संस्थानों के छात्रों को अपनी अंतिम मार्कशीट और डिग्री प्राप्त करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने खिलाफ चल रहे किसी भी FIR या आपराधिक मामले की जानकारी BCI को दें। अगर किसी छात्र को किसी मामले में दोषी ठहराया गया है, तो उसे बरी होने या सजा पूरी करने के प्रमाण भी जमा करने हैं। अगर कोई छात्र यह जानकारी छुपाता है, तो उसकी डिग्री और मार्कशीट रोकी जा सकती है और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण
संस्थानों को भी छात्रों की शैक्षणिक जानकारी और उपस्थिति BCI को भेजनी होती है। इसके बाद ही BCI की अनुमति से छात्रों को डिग्री जारी की जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी प्रक्रिया का पालन हो रहा है और संस्थान भी छात्रों की प्रगति पर नजर बनाए रखते हैं। दो कोर्स एक साथ करने पर प्रतिबंध
BCI के नियम 2 और अध्ययन नियम 6 के अनुसार, LLB करने वाले छात्र एक साथ दो नियमित कोर्स नहीं कर सकते हैं। अगर कोई छात्र इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसकी डिग्री को भी रोका जा सकता है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र की एकाग्रता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। गोरखपुर के अमेरिकी नागरिक का एक और नया कांड:यूपी बार काउंसिल में छिपाई अमेरिकी नागरिकता, DDU-SRMU से एक साथ कर रहा LLM गोरखपुर के अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता ने सिर्फ DDU-SRMU में LLM कोर्स के एडमिशन में भी फर्जीवाड़ा नहीं किया है, बल्कि उसने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए इससे भी बड़ा कांड किया है। अमेरिकी नागरिक ने राज्य विधिज्ञ परिषद उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्रेशन के लिए भरे गए फार्म में अपनी अमेरिकी नागरिकता को छिपाकर भारतीय बताई है। जबकि, उसके पास भारत की कोई नागरिकता नहीं है। सुधीर गुप्ता यहां ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड होल्डर है। पूरी खबर पढ़ें… गोरखपुर यूनिवर्सिटी से लेकर यूपी बार काउंसिल सहित तमाम जगहों पर पर फर्जीवाड़ा करने वाला अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता अब नेपाल भागने की फिराक में है। इससे पहले उसका फर्जीवाड़ा सामने आते ही वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी की सलाह पर लखनऊ भाग गया और वहां श्री रामस्वरूप​ मेमोरियल यूनिवर्सिटी से फर्जी ढंग से कर रहे LLM कोर्स का एडमिशन कैंसिल करा लिया। हालांकि, वह अभी एक मामले से बाहर निकला भी नहीं ​की उसके सभी तरह के फर्जीवाड़ों की पोल अब जग जाहिर होने लगी है। ऐसे में अब वह देश छोड़कर नेपाल भागने की फिराक में जुटा हुआ है। अभी हाल में उसने नेपाल राष्ट्र में भी अपने फर्जीवाड़ों से संबंधित एक नया ऑफिस खोला है। ताकि, अगर भारत में जब उसके खिलाफ कार्रवाई होने की भनक लगे तो वह इससे पहले देश छोड़कर नेपाल शिफ्ट हो सके। आखिर क्यों नई फर्म बनाकर बैंक अकाउंट खोलता सुधीर गुप्ता?
उधर, अब तक की जांच में खुफिया एजेंसियों को अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के बारे में कई संदिग्ध अहम जानकारियां मिली हैं। जिसकी हाईलेवल पर जांच चल रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि सुधीर गुप्ता भारत के गोरखपुर में बैठकर हर साल यहां से ऑनलाइन यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (USA) में नई-नई फर्में बनाता है और फिर इन्हीं फर्मों पर तमाम बैंकों में करंट बैंक अकाउंट खोलकर उसमें अमेरिका से धन मंगवाता है। खुफिया एजेंसियों ने भेजी अमेरिकी नागरिक की रिपोर्ट
जांच एजेंसियां इस तह तक जाने में जुटी हुई हैं कि आखिर सुधीर गुप्ता को USA से इतना पैसा कहां से और किस लिए आता है? सूत्रों का दावा है कि खुफिया एजेंसी ने अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के फर्जीवाड़ों की संदिग्ध रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है। ताकि, उसका ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) निरस्त किया जाए और उसे उसके देश अमेरिका वापस भेजा जाए। फर्जीवाड़ा वाले स्टूडेंट्स को बचा रहा DDU
वहीं, इस पूरे मामले में गोरखपुर यूनिवर्सिटी में खुलेआम चल रहे फर्जीवाड़ों की पोल भी अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। लेकिन, हैरानी वाली बात यह है कि DDU प्रशासन इस तरह के फर्जीवाड़ा करने वाले छात्रों पर कार्रवाई की बजाय अब उन्हें संरक्षण देने में जुट गया है। शायद यही वजह है कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. पूनम टंडन ने जिस अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता के साथ पहले फोटो शूट कराई, अब वह उसे जानने से भी इनकार कर रहीं हैं। इतना ही नहीं, अमेरिकी नागरिक सहित लॉ डिपार्टमेंट के दो छात्रों की एक साथ दो कोर्सेज में पढ़ाई पर कार्रवाई की बात पर VC पूनम टंडन का कहना है कि उन्हें इस तरह के किसी मामले की जानकारी ही नहीं है। न ही उनके पास कोई इसकी शिकायत आई है। जब तक कोई शिकायत नहीं आएगी, वह इस तरह के फर्जीवाड़ों पर कोई एक्शन नहीं लेंगी। DDU में हुई थी लिखित शिकायत
जबकि, इस फर्जीवाड़ा के सामने आने से पहले ही इसकी लिखित शिकायत सबसे पहले गोरखपुर यूनिवर्सिटी को ही की गई है। वहीं, अब फर्जीवाड़ा को लेकर DDU प्रशासन की किरकरी शहर से लेकर राजभवन तक शुरू हो गई है। दबी जुबान से अब DDU के प्रोफेसर भी कहने लगे हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों में कार्रवाई करने की बजाय यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले तो मामले की जानकारी न होने का ढोंग करता रहा। लेकिन जब दबाव बढ़ने लगा तो यूनिवर्सिटी की मीडिया सेल ने हर बार की तरह इस बार भी कई बार छप चुकी पुरानी खबर की विज्ञप्ति भेजकर अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। आखिर कार्रवाई से क्यों भाग रहा DDU?
इसके बाद भी जब मामला नहीं संभला तो, DDU प्रशासन ने यह कहते हुए कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया कि इस मामले में कोई शिकायतकर्ता नहीं है। जबतक कोई शिकायतकर्ता लिखित रूप से शिकायत नहीं करता, हम किसी भी मामले में एक्शन नहीं ले सकते। खैर, DDU प्रशासन ने इस बयान से एक बात तो साबित कर दिया कि, यूनिवर्सिटी में चाहे जितना बड़ा कांड हो जाए, जबतक कोई शिकायतकर्ता उसकी लिखित शिकायत नहीं करता, कोई कार्रवाई नहीं होगी। अब सोचने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री के शहर में स्थापित यूनिवर्सिटी जहां, पूरे प्रदेश की निगाहें रहती हैं, वहां यह हालात हैं तो अन्य यूनिवर्सिटीज की स्थिति कैसी होगी? डीन बोले-प्रशासन मांगे तब तो रिपोर्ट भेजूं
एडमिशन फर्जीवाड़ा के मामले में DDU के लॉ डिपार्टमेंट के डीन प्रो. जितेंद्र मिश्रा ने बताया, बॉर काउंसिल के नियमों के मुताबिक कोई भी स्टूडेंट LLB कोर्स में पढ़ते हुए किसी रेग्यूलर कोर्स में दाखिला नहीं ले सकता, वह कोर्स करते हुए कहीं फुल टाइम की जॉब भी नहीं कर सकता। ऐसा करने पर उसकी डिग्री रोकी जा सकती है। आरोपी छात्रों के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह हमारे यहां का नियमित स्टूडेंट है। अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन उसकी रिपोर्ट मांगता है, तो हम तत्काल उपलब्ध कराएंगे, फिलहाल हमें ऐसा कोई भी निर्देश नहीं मिला है। उधर, हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के HOD कमलेश गुप्ता ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से निर्देश न मिलने की बात कही है। अपनी साख बचाने को दबा रहे मामला
यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक ‘एडमिशन फर्जीवाड़ा’ के मामले में यूनिवर्सिटी के कई सीनियर प्रोफेसर्स फंसते नजर आ रहे हैं। इनमें कई ऐसे प्रोफेसर भी हैं जो, VC प्रो. पूनम टंडन के बेहद खास माने जाते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन कोई भी कार्रवाई करने से बच रहा है। हालांकि, पूरे मामले में गुआक्टा के महामंत्री निरंकार राम त्रिपाठी ने कहा, एडमिशन में फर्जीवाड़ा बेहद गंभीर मसला है। गलत लोगों के प्रवेश से केवल एक सीट का नुकसान न होकर पूरे यूनिवर्सिटी और उसकी व्यवस्थाओं पर असर पड़ता है। DDU प्रशासन को बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक आरोपी छात्रों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम राजभवन तक मामले को ले जाएंगे। शिक्षा के नियमों के साथ किसी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फर्जीवाड़ा करने वाले दो छात्रों का हुआ है भंडाफोड़
दरअसल, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में LLB और LLM की पढ़ाई कर रहे दो स्टूडेंट्स के एडमिशन में बड़े फर्जीवाड़ा का भंडाफोड़ हुआ। अमेरिकी छात्र सुधीर गुप्ता जिसके साथ फोटोशूट कराते हुए VC प्रो. पूनम टंडन ने यूनिवर्सिटी की सोशल मीडिया वॉल पर अपने क्वालिटी एजुकेशन का ढिंढोरा पीटने में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ीं, उसने एक साथ DDU और SRMU लखनऊ में LLM कोर्स में एडमिशिन ले लिया। नियमों के मुताबिक यह पूरी तरह अवैध है। इस मामले में VC प्रो. पूनम टंडन ने दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन की जानकारी न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कीं। इस बीच, हमारी पड़ताल में एक अन्य LLB फोर्थ सेमेस्टर के छात्र विशेष पांडेय का फर्जीवाड़ा सामने आ गया। विशेष ने यूनिवर्सिटी कैंपस से LLB करने के साथ ही हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के तहत संचालित होने वाले कोर्स MAJMC में भी एडमिशन ले रखा है। यह पूरी तरह अवैध है, इसबार यूनिवर्सिटी प्रशासन के पास यह कहने का मौका भी नहीं है कि मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। हालांकि, राजभवन तक किरकिरी होने के बाद अब भी DDU प्रशासन को कार्रवाई के लिए शिकायतकर्ता का इंतजार है। दोनों परीक्षाओं में शामिल हो रहा छात्र
DDU के छात्र विशेष पांडेय ने सत्र 2023-24 में विधि विभाग के रेग्युलर कोर्स LLB में प्रवेश लिया था। इस बार वह फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा दे रहा है। वहीं, इसने सत्र 2024-25 यानी वर्तमान सत्र में हिंदी विभाग के तहत संचालित होने वाले रेग्युलर कोर्स MAJMC में भी दाखिला करा लिया। वह दोनों कोर्सेज की परीक्षाओं में एक साथ शामिल होता रहा। जबकि, बार काउंसिल के साथ ही UGC के नियम में भी दो रेग्युलर कोर्स में एकसाथ प्रवेश लेने की मनाही है, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में इन दिनों सभी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वेरीफाई करने की नहीं है व्यवस्था
DDU में कहने के लिए तो UGC और बार काउंसिल के सभी नियम लागू हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यहां छात्रों का डेटा वेरीफाई करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। हर साल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के समय प्रवेश समिति की ओर से तमाम क्वेरी की जाती है। इसके बाद विभाग में भी डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन का दावा किया जाता है, लेकिन इसके बाद भी इस तरह के फर्जीवाड़े सामने आना चौंकाने वाला है। नहीं फॉलो होता अटेंडेंस का निमय
यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक रेग्युलर कोर्सेज की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए 75 परसेंट क्लासरुम अटेंडेंस जरुरी है। लेकिन यह नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, LLB और MAJMC दोनों की पढ़ाई एक साथ कर रहे छात्र विशेष पांडेय के क्लासेज की टाइमिंग समान है। दोनों क्लास अलग-अलग विभागों में संचालित होते हैं। बावजूद इसके उसे बिना अटेंडेंस वेरीफाई किए दोनों परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिलता रहा। अमेरिकन स्टूडेंट ने दो यूनिवर्सिटी में लिया एडमिशन
DDU में फर्जी एडमिशन का भंडाफोर अमेरिकन स्टूडेंट सुधीर गुप्ता के एडमिशन की शिकायत पर हुआ। अमेरिकन नागरिक सुधीर ने LLM की पढ़ाई करने के लिए एक साथ गोरखपुर यूनिवर्सिटी और लखनऊ यूनिवर्सिटी दोनों में प्रवेश ले लिया। वह दोनों यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित परीक्षाओं में भी शामिल होता रहा लेकिन किसी को इसबात की भनक तक नहीं लगी। मामले में एक शिकायती पत्र मिलने के बाद जब जांच शुरु हुई तब जाकर पूरे फर्जीवाड़े का पता चल सका। अब जानिए क्या कहता है नियम
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने LLB की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए कुछ नियम बनाए हैं, जिन्हें किसी भी स्थिति में फॉलो करना ही होता है। BCI की अधिसूचना के अनुसार, विधि संस्थानों के छात्रों को अपनी अंतिम मार्कशीट और डिग्री प्राप्त करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने खिलाफ चल रहे किसी भी FIR या आपराधिक मामले की जानकारी BCI को दें। अगर किसी छात्र को किसी मामले में दोषी ठहराया गया है, तो उसे बरी होने या सजा पूरी करने के प्रमाण भी जमा करने हैं। अगर कोई छात्र यह जानकारी छुपाता है, तो उसकी डिग्री और मार्कशीट रोकी जा सकती है और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण
संस्थानों को भी छात्रों की शैक्षणिक जानकारी और उपस्थिति BCI को भेजनी होती है। इसके बाद ही BCI की अनुमति से छात्रों को डिग्री जारी की जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी प्रक्रिया का पालन हो रहा है और संस्थान भी छात्रों की प्रगति पर नजर बनाए रखते हैं। दो कोर्स एक साथ करने पर प्रतिबंध
BCI के नियम 2 और अध्ययन नियम 6 के अनुसार, LLB करने वाले छात्र एक साथ दो नियमित कोर्स नहीं कर सकते हैं। अगर कोई छात्र इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसकी डिग्री को भी रोका जा सकता है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र की एकाग्रता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। गोरखपुर के अमेरिकी नागरिक का एक और नया कांड:यूपी बार काउंसिल में छिपाई अमेरिकी नागरिकता, DDU-SRMU से एक साथ कर रहा LLM गोरखपुर के अमेरिकी नागरिक सुधीर गुप्ता ने सिर्फ DDU-SRMU में LLM कोर्स के एडमिशन में भी फर्जीवाड़ा नहीं किया है, बल्कि उसने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए इससे भी बड़ा कांड किया है। अमेरिकी नागरिक ने राज्य विधिज्ञ परिषद उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्रेशन के लिए भरे गए फार्म में अपनी अमेरिकी नागरिकता को छिपाकर भारतीय बताई है। जबकि, उसके पास भारत की कोई नागरिकता नहीं है। सुधीर गुप्ता यहां ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड होल्डर है। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर