नैनी जेल से रिहा हुए उदयभान करवरिया:पत्नी और समर्थक लेने पहुंचे, बोले- हम दो पार्टियों के राजनीतिक षड्यंत्र में फंस गए

नैनी जेल से रिहा हुए उदयभान करवरिया:पत्नी और समर्थक लेने पहुंचे, बोले- हम दो पार्टियों के राजनीतिक षड्यंत्र में फंस गए

प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बारा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की आज गुरुवार सुबह रिहा हो गए। रिहाई के समय उनकी पत्नी पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया, बेटा सक्षम करवरिया और अन्य समर्थक भी जेल के बाहर मौजूद रहे। राज्य सरकार ने अच्छे चाल चलन की वजह से समय पूर्व उनकी रिहाई का आदेश दिया था। यह आदेश 19 जुलाई को जारी हुआ था। वह पिछले 10 वर्षों से जेल में थे। मीडिया के सवाल पर वह कुछ भी बोलने से बचते रहे। उन्होंने कहा- न्याय प्रक्रिया पर बोलना ठीक नहीं होगा। हम तो प्रोफाइल का शिकार होकर फंस गए। दो पार्टियों की राजनीतिक षडयंत्र के चलते 10 साल जेल काटना पड़ा। उदयभान करवरिया ने कहा- जेल से बाहर आने के बाद सबसे पहली प्राथमिकता पत्नी का इलाज कराना होगा। उन्हें लीवर सोराइसिस है, इसलिए उनका लीवर ट्रांसप्लांट कराना है। करवरिया को MLA जवाहर पंडित हत्याकांड में उमक्रैद की सजा सुनाई गई थी। 28 साल पहले हुए इस हत्याकांड में पहली बार प्रयागराज ने AK-47 की आवाज सुनी थी। डेढ़ मिनट तक AK-47 से फायरिंग हुई थी। सजायाफ्ता उदयभान की रिहाई की मंजूरी राज्यपाल से मिली। डीएम और एसएसपी प्रयागराज ने भी समयपूर्व रिहाई की हरी झंडी दिखाई। उदयभान करवरिया नैनी सेंट्रल जेल में बंद थे। पूर्वांचल की राजनीति में उदयभान ब्राह्मण वर्ग का एक बड़ा चेहरा हैं। उप-चुनाव से पहले उनकी रिहाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्या बोली जवाहर पंडित की पत्नी दैनिक भास्कर ने जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव से बात की। उन्होंने कहा- सरकार को सोचना चाहिए कि जिसने तीन-तीन मर्डर किए हों, उसको माफी दी जा रही है। इस तरह से तो फिर जो फर्जी सजा काट रहे हैं, उनको भी माफी दी जाए। हम सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। राज्यपाल के पास भी गुहार लगाएंगे कि हमको न्याय मिलना चाहिए। क्यों समय से पहले हो रही उदयभान की रिहाई?
संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल ने उदयभान करवरिया की सजा माफ की गई है। इसके बाद कारागार विभाग ने पूर्व विधायक की रिहाई का आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया- 30 जुलाई 2023 तक उदयभान करवरिया ने 8 साल 3 महीने 22 दिन की अपरिहार सजा और 8 साल 9 महीने 11 दिन की सपरिहार सजा काट ली है। SP और DM प्रयागराज ने समयपूर्व रिहाई की संस्तुति की है। जेल में करवरिया का आचरण उत्तम रहा है। दयायाचिका समिति ने भी उनकी समय से पहले रिहाई की सिफारिश की थी। दिनदहाड़े पूर्व विधायक की हुई थी हत्या
प्रयागराज में 13 अगस्त 1996 को सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। AK-47 से जवाहर पंडित पर फायरिंग की गई थी। इस हत्याकांड में तीन भाइयों पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया और पूर्व बसपा एमएलसी सूरजभान करवरिया को दोषी पाया गया। करवरिया बंधुओं को 4 नवंबर 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अब जानते हैं जवाहर पंडित हत्याकांड की केस हिस्ट्री बालू के ठेकों के वर्चस्व में हुई हत्या, 7 नामजद किए गए
करवरिया परिवार और पूर्व जवाहर पंडित के बीच बालू के ठेकों पर वर्चस्व को लेकर अदावत थी। जवाहर पंडित हत्याकांड की मेन वजह भी यही रही। सात लोगों को नामजद किया गया। इनमें कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया और उनके रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू नामजद समेत अन्य थे। लेकिन, राजनीति में तीनों भाइयों का रसूख बढ़ता गया। उदयभान विधायक बने, तो उनके भाई बसपा से सांसद और एमएलसी। केस में नामजद उदयभान के चाचा श्याम नारायण करवरिया उर्फ मौला महाराज की 1996 में मौत हो गई। कलराज मिश्रा ने करवरिया बंधुओं के पक्ष में गवाही दी
सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड ने राजनीतिक सरगर्मी तब तेज कर दी, जब तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्रा ने कपिलमुनि करवरिया के पक्ष में गवाही दी। जवाहर की हत्या के बाद उसके भाई सुलाकी यादव ने अपनी तहरीर में करवरिया भाइयों को नामजद किया। तब तीनों भाइयों ने दावा करते हुए कहा- हम लोग घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। कपिल मुनि करवरिया का दावा था- वो उस दिन इलाहाबाद में नहीं, बल्कि पूरा दिन कलराज मिश्र के साथ थे। इस बयान के बाद कलराज मिश्रा ने तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी को खुला खत लिखा। उन्होंने केस की CBCID जांच की मांग की। कलराज मिश्र कपिलमुनि के पक्ष में गवाही देने आए, लेकिन कोर्ट ने उनकी गवाही को स्वीकार नहीं किया। सपा सरकार आते ही करवरिया बंधुओं पर कसा शिकंजा
2012 में यूपी में सरकार बदली, तो स्थितियां भी बदल गईं। जवाहर पंडित हत्याकांड की सुनवाई तेज हो गई। 2013 में हाईकोर्ट ने मामले की कार्यवाही में लगा स्टे खारिज कर दिया। लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे उदयभान को गिरफ्तार करने का वारंट निकाल दिया। उदयभान 2 महीने फरार रहे। एक जनवरी 2014 को उन्होंने सरेंडर कर दिया। बाद में कपिल मुनि और सूरजभान भी जेल चले गए। तीनों भाई जेल चले गए, तो 2017 में भाजपा ने उदयभान की पत्नी नीलम को मेजा सीट से चुनाव लड़ाया। यह पहला मौका था, जब भाजपा ने मेजा से पहली बार जीत दर्ज की। ‘मेरी जान को खतरा है, जेल परिसर में सुनवाई हो’
सरेंडर करने के बाद जेल भेजे गए उदयभान करवरिया ने 2015 में अपनी जान को खतरा बताया। तब जिला अदालत में पेशी पर पहुंचे उदयभान ने कोर्ट से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कहा था- सपा विधायक विजमा यादव और उनके भाई रामलोचन से उनकी पुरानी दुश्‍मनी है। ऐसे में वे उनकी हत्‍या कर सकते हैं। कोर्ट को दिए प्रार्थना पत्र में करवरिया ने कहा था- मेरी हत्‍या का पूरा बंदोबस्त कर लिया गया है। मेरे मुकदमे की सुनवाई जेल परिसर में ही की जाए या फिर CRPF की सुरक्षा में उन्हें जिला अदालत में लाया जाए। उन्‍होंने यूपी पुलिस के ऊपर अविश्वास जताया। यह भी कहा- राज्‍य में सपा की सरकार है, ऐसे में सपा विधायक विजमा यादव और उनका भाई उनकी हत्या करा सकते हैं। सजा से पहले भाजपा सरकार ने की केस वापसी की पैरवी
करवरिया बंधुओं को सजा होने के ठीक 13 महीने पहले 4 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद सेशन कोर्ट में केस वापसी की अर्जी दाखिल की थी। सरकार की तरफ से कहा गया था- करवरिया बंधुओं के के खिलाफ आरोप साबित होने के लिहाज से पर्याप्त सबूत नहीं है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव हाईकोर्ट गईं। हाईकोर्ट ने सरकार की इस अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही केस को जारी रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद तीनों भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। करवरिया परिवार का पॉलिटिकल करियर राजनीति में सबसे पहले उदयभान ने जीत दर्ज की करवरिया परिवार मूलरूप से कौशांबी के मंझनपुर के चकनारा गांव का रहने वाला है। इस परिवार को पूरे इलाहाबाद में दबंगई के लिए जाना जाता रहा। उदयभान करवरिया अपनी फैमिली के पहले मेंबर थे, जिन्होंने सिसायी जीत हासिल की। विधायक बने। फिर भाई, पत्नी सभी राजनीति में सफल हुए। हालांकि, इससे पहले उदयभान के दादा जगत नारायण करवरिया 1967 में सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन वो हार गए। फिर उदयभान के पिता वशिष्ट नारायण करवरिया ऊर्फ भुक्खल महाराज ने इलाहाबाद उत्तरी और दक्षिणी विधानसभा से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी जीत नहीं मिली। दो बार भाजपा से विधायक बने उदयभान करवरिया
साल 1997 में उदयभान करवरिया कौशांबी जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बने। इसके बाद 2000 में पंचायत चुनाव हुए। इसमें उदयभान के बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया ने कौशांबी के जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। कहा जाता है कि उदयभान करवरिया वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी के संरक्षण में राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते रहे। 2002 के चुनाव में उन्हें बारा विधानसभा का संयोजक बनाकर भेजा गया। जैसे ही चुनाव घोषित हुए उन्हें पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया। उन्होंने बसपा उम्मीदवार को मात दी। उदयभान ने इलाहाबाद की बारा सीट पर पहली बार भाजपा को जीत दिलाई और विधायक बने। 2007 के विधानसभा चुनाव में उदयभान को भाजपा ने फिर बारा से टिकट दिया और उदयभान फिर से विधायक बने। इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में से केवल बारा ही भाजपा जीतने में सफल रही थी। 2012 में बारा की विधानसभा सीट सुरक्षित हो गई। उदयभान बारा छोड़ इलाहाबाद उत्तरी से लड़े, लेकिन यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में पत्नी ने जीता मेजा चुनाव, 2022 में हार गईं
2017 में उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम ने मेजा से 20 हजार वोटों से जीत दर्ज की। उन्होंने सपा के राम सेवक सिंह को हराया था। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव में नीलम को हार का सामना करना पड़ा। उदयभान करवरिया की एक लड़की साक्षी करवरिया और लड़का सक्षम करवरिया है। उदयभान करवरिया बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
उदयभान करवरिया की रिहाई के आदेश के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। वह बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। भाजपा से पॉलिटिकल करियर की शुरूआत करने वाले उदयभान, जेल से निकलते ही राजनीति में सक्रिय होंगे, इससे गुरेज नहीं किया जा सकता। चर्चा इस बात की है कि भाजपा मिशन-2027 में ब्राह्मण वोट बैंक के लिए इस मौके को जरूर भुनाएगी। जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव पॉलिटिक्स में एक्टिव साल 2022 के चुनाव में सपा ने जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव को प्रयागराज की प्रतापपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। यहां उन्होंने जीत दर्ज की। इससे पहले जवाहर पंडित की मौत के बाद उनकी पत्नी को पार्टी ने आगे किया। 1996 में वह झूंसी सीट पर 12 हजार वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंचीं। 2002 में 18 हजार वोट से जीत गईं। 2007 में हारीं और 2012 में जीत गईं। 2017 में हारी और 2022 में एक बार फिर से सपा के टिकट पर प्रत्याशी बनीं। 2016 में बेटी ज्योति यादव फूलपुर से ब्लॉक प्रमुख बनी थीं, लेकिन सरकार बदलते ही अविश्वास प्रस्ताव आया और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। पिछले साल पहले विजमा यादव को सुनाई गई थी सजा
सपा विधायक विजमा यादव को पिछले साल MP-MLA कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने 22 साल पुराने आगजनी और हिंसा से जुड़े केस में उन्हें दोषी ठहराया था। इस मामले में पुलिस टीम पर हमला, आगजनी और हिंसा फैलाने का आरोप था। पढ़ें पूरी खबर… प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बारा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की आज गुरुवार सुबह रिहा हो गए। रिहाई के समय उनकी पत्नी पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया, बेटा सक्षम करवरिया और अन्य समर्थक भी जेल के बाहर मौजूद रहे। राज्य सरकार ने अच्छे चाल चलन की वजह से समय पूर्व उनकी रिहाई का आदेश दिया था। यह आदेश 19 जुलाई को जारी हुआ था। वह पिछले 10 वर्षों से जेल में थे। मीडिया के सवाल पर वह कुछ भी बोलने से बचते रहे। उन्होंने कहा- न्याय प्रक्रिया पर बोलना ठीक नहीं होगा। हम तो प्रोफाइल का शिकार होकर फंस गए। दो पार्टियों की राजनीतिक षडयंत्र के चलते 10 साल जेल काटना पड़ा। उदयभान करवरिया ने कहा- जेल से बाहर आने के बाद सबसे पहली प्राथमिकता पत्नी का इलाज कराना होगा। उन्हें लीवर सोराइसिस है, इसलिए उनका लीवर ट्रांसप्लांट कराना है। करवरिया को MLA जवाहर पंडित हत्याकांड में उमक्रैद की सजा सुनाई गई थी। 28 साल पहले हुए इस हत्याकांड में पहली बार प्रयागराज ने AK-47 की आवाज सुनी थी। डेढ़ मिनट तक AK-47 से फायरिंग हुई थी। सजायाफ्ता उदयभान की रिहाई की मंजूरी राज्यपाल से मिली। डीएम और एसएसपी प्रयागराज ने भी समयपूर्व रिहाई की हरी झंडी दिखाई। उदयभान करवरिया नैनी सेंट्रल जेल में बंद थे। पूर्वांचल की राजनीति में उदयभान ब्राह्मण वर्ग का एक बड़ा चेहरा हैं। उप-चुनाव से पहले उनकी रिहाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्या बोली जवाहर पंडित की पत्नी दैनिक भास्कर ने जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव से बात की। उन्होंने कहा- सरकार को सोचना चाहिए कि जिसने तीन-तीन मर्डर किए हों, उसको माफी दी जा रही है। इस तरह से तो फिर जो फर्जी सजा काट रहे हैं, उनको भी माफी दी जाए। हम सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। राज्यपाल के पास भी गुहार लगाएंगे कि हमको न्याय मिलना चाहिए। क्यों समय से पहले हो रही उदयभान की रिहाई?
संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल ने उदयभान करवरिया की सजा माफ की गई है। इसके बाद कारागार विभाग ने पूर्व विधायक की रिहाई का आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया- 30 जुलाई 2023 तक उदयभान करवरिया ने 8 साल 3 महीने 22 दिन की अपरिहार सजा और 8 साल 9 महीने 11 दिन की सपरिहार सजा काट ली है। SP और DM प्रयागराज ने समयपूर्व रिहाई की संस्तुति की है। जेल में करवरिया का आचरण उत्तम रहा है। दयायाचिका समिति ने भी उनकी समय से पहले रिहाई की सिफारिश की थी। दिनदहाड़े पूर्व विधायक की हुई थी हत्या
प्रयागराज में 13 अगस्त 1996 को सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। AK-47 से जवाहर पंडित पर फायरिंग की गई थी। इस हत्याकांड में तीन भाइयों पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया और पूर्व बसपा एमएलसी सूरजभान करवरिया को दोषी पाया गया। करवरिया बंधुओं को 4 नवंबर 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अब जानते हैं जवाहर पंडित हत्याकांड की केस हिस्ट्री बालू के ठेकों के वर्चस्व में हुई हत्या, 7 नामजद किए गए
करवरिया परिवार और पूर्व जवाहर पंडित के बीच बालू के ठेकों पर वर्चस्व को लेकर अदावत थी। जवाहर पंडित हत्याकांड की मेन वजह भी यही रही। सात लोगों को नामजद किया गया। इनमें कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया और उनके रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू नामजद समेत अन्य थे। लेकिन, राजनीति में तीनों भाइयों का रसूख बढ़ता गया। उदयभान विधायक बने, तो उनके भाई बसपा से सांसद और एमएलसी। केस में नामजद उदयभान के चाचा श्याम नारायण करवरिया उर्फ मौला महाराज की 1996 में मौत हो गई। कलराज मिश्रा ने करवरिया बंधुओं के पक्ष में गवाही दी
सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड ने राजनीतिक सरगर्मी तब तेज कर दी, जब तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्रा ने कपिलमुनि करवरिया के पक्ष में गवाही दी। जवाहर की हत्या के बाद उसके भाई सुलाकी यादव ने अपनी तहरीर में करवरिया भाइयों को नामजद किया। तब तीनों भाइयों ने दावा करते हुए कहा- हम लोग घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। कपिल मुनि करवरिया का दावा था- वो उस दिन इलाहाबाद में नहीं, बल्कि पूरा दिन कलराज मिश्र के साथ थे। इस बयान के बाद कलराज मिश्रा ने तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी को खुला खत लिखा। उन्होंने केस की CBCID जांच की मांग की। कलराज मिश्र कपिलमुनि के पक्ष में गवाही देने आए, लेकिन कोर्ट ने उनकी गवाही को स्वीकार नहीं किया। सपा सरकार आते ही करवरिया बंधुओं पर कसा शिकंजा
2012 में यूपी में सरकार बदली, तो स्थितियां भी बदल गईं। जवाहर पंडित हत्याकांड की सुनवाई तेज हो गई। 2013 में हाईकोर्ट ने मामले की कार्यवाही में लगा स्टे खारिज कर दिया। लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे उदयभान को गिरफ्तार करने का वारंट निकाल दिया। उदयभान 2 महीने फरार रहे। एक जनवरी 2014 को उन्होंने सरेंडर कर दिया। बाद में कपिल मुनि और सूरजभान भी जेल चले गए। तीनों भाई जेल चले गए, तो 2017 में भाजपा ने उदयभान की पत्नी नीलम को मेजा सीट से चुनाव लड़ाया। यह पहला मौका था, जब भाजपा ने मेजा से पहली बार जीत दर्ज की। ‘मेरी जान को खतरा है, जेल परिसर में सुनवाई हो’
सरेंडर करने के बाद जेल भेजे गए उदयभान करवरिया ने 2015 में अपनी जान को खतरा बताया। तब जिला अदालत में पेशी पर पहुंचे उदयभान ने कोर्ट से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कहा था- सपा विधायक विजमा यादव और उनके भाई रामलोचन से उनकी पुरानी दुश्‍मनी है। ऐसे में वे उनकी हत्‍या कर सकते हैं। कोर्ट को दिए प्रार्थना पत्र में करवरिया ने कहा था- मेरी हत्‍या का पूरा बंदोबस्त कर लिया गया है। मेरे मुकदमे की सुनवाई जेल परिसर में ही की जाए या फिर CRPF की सुरक्षा में उन्हें जिला अदालत में लाया जाए। उन्‍होंने यूपी पुलिस के ऊपर अविश्वास जताया। यह भी कहा- राज्‍य में सपा की सरकार है, ऐसे में सपा विधायक विजमा यादव और उनका भाई उनकी हत्या करा सकते हैं। सजा से पहले भाजपा सरकार ने की केस वापसी की पैरवी
करवरिया बंधुओं को सजा होने के ठीक 13 महीने पहले 4 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद सेशन कोर्ट में केस वापसी की अर्जी दाखिल की थी। सरकार की तरफ से कहा गया था- करवरिया बंधुओं के के खिलाफ आरोप साबित होने के लिहाज से पर्याप्त सबूत नहीं है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव हाईकोर्ट गईं। हाईकोर्ट ने सरकार की इस अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही केस को जारी रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद तीनों भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। करवरिया परिवार का पॉलिटिकल करियर राजनीति में सबसे पहले उदयभान ने जीत दर्ज की करवरिया परिवार मूलरूप से कौशांबी के मंझनपुर के चकनारा गांव का रहने वाला है। इस परिवार को पूरे इलाहाबाद में दबंगई के लिए जाना जाता रहा। उदयभान करवरिया अपनी फैमिली के पहले मेंबर थे, जिन्होंने सिसायी जीत हासिल की। विधायक बने। फिर भाई, पत्नी सभी राजनीति में सफल हुए। हालांकि, इससे पहले उदयभान के दादा जगत नारायण करवरिया 1967 में सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन वो हार गए। फिर उदयभान के पिता वशिष्ट नारायण करवरिया ऊर्फ भुक्खल महाराज ने इलाहाबाद उत्तरी और दक्षिणी विधानसभा से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी जीत नहीं मिली। दो बार भाजपा से विधायक बने उदयभान करवरिया
साल 1997 में उदयभान करवरिया कौशांबी जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बने। इसके बाद 2000 में पंचायत चुनाव हुए। इसमें उदयभान के बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया ने कौशांबी के जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। कहा जाता है कि उदयभान करवरिया वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी के संरक्षण में राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते रहे। 2002 के चुनाव में उन्हें बारा विधानसभा का संयोजक बनाकर भेजा गया। जैसे ही चुनाव घोषित हुए उन्हें पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया। उन्होंने बसपा उम्मीदवार को मात दी। उदयभान ने इलाहाबाद की बारा सीट पर पहली बार भाजपा को जीत दिलाई और विधायक बने। 2007 के विधानसभा चुनाव में उदयभान को भाजपा ने फिर बारा से टिकट दिया और उदयभान फिर से विधायक बने। इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में से केवल बारा ही भाजपा जीतने में सफल रही थी। 2012 में बारा की विधानसभा सीट सुरक्षित हो गई। उदयभान बारा छोड़ इलाहाबाद उत्तरी से लड़े, लेकिन यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में पत्नी ने जीता मेजा चुनाव, 2022 में हार गईं
2017 में उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम ने मेजा से 20 हजार वोटों से जीत दर्ज की। उन्होंने सपा के राम सेवक सिंह को हराया था। लेकिन, 2022 के विधानसभा चुनाव में नीलम को हार का सामना करना पड़ा। उदयभान करवरिया की एक लड़की साक्षी करवरिया और लड़का सक्षम करवरिया है। उदयभान करवरिया बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
उदयभान करवरिया की रिहाई के आदेश के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। वह बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। भाजपा से पॉलिटिकल करियर की शुरूआत करने वाले उदयभान, जेल से निकलते ही राजनीति में सक्रिय होंगे, इससे गुरेज नहीं किया जा सकता। चर्चा इस बात की है कि भाजपा मिशन-2027 में ब्राह्मण वोट बैंक के लिए इस मौके को जरूर भुनाएगी। जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव पॉलिटिक्स में एक्टिव साल 2022 के चुनाव में सपा ने जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव को प्रयागराज की प्रतापपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। यहां उन्होंने जीत दर्ज की। इससे पहले जवाहर पंडित की मौत के बाद उनकी पत्नी को पार्टी ने आगे किया। 1996 में वह झूंसी सीट पर 12 हजार वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंचीं। 2002 में 18 हजार वोट से जीत गईं। 2007 में हारीं और 2012 में जीत गईं। 2017 में हारी और 2022 में एक बार फिर से सपा के टिकट पर प्रत्याशी बनीं। 2016 में बेटी ज्योति यादव फूलपुर से ब्लॉक प्रमुख बनी थीं, लेकिन सरकार बदलते ही अविश्वास प्रस्ताव आया और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। पिछले साल पहले विजमा यादव को सुनाई गई थी सजा
सपा विधायक विजमा यादव को पिछले साल MP-MLA कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने 22 साल पुराने आगजनी और हिंसा से जुड़े केस में उन्हें दोषी ठहराया था। इस मामले में पुलिस टीम पर हमला, आगजनी और हिंसा फैलाने का आरोप था। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर