लखनऊ में 18 अक्टूबर से प्रो कबड्डी लीग शुरू होने जा रहा है। यूपी योद्धास पहला मैच 21 अक्टूबर को खेलेगी। दैनिक भास्कर ने यूपी योद्धास के दो प्लेयर्स साहुल कुमार और आशु सिंह से बात की। साहुल ने बताया कि जब शुरुआत में मौका नहीं मिल रहा था, तब परेशान था। दोनों खिलाड़ी लीग को लेकर उत्साहित हैं, पिछले एक महीने से कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं। साहुल कुमार को यूपी की टीम ने सीजन 11 के लिए 30 लाख रुपए में खरीदा है। साहुल को ‘नॉनसेंस डिफेंडर’ कहा जाता है। वहीं, आशु भी टीम के मजबूत डिफेंडर हैं। आशु सिंह ने कहा कि हम कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं, कोई इंजर्ड नहीं है। टीम मजबूत है। पहले पढ़ें साहुल कुमार का कैसे हुआ नेशनल में चयन… सवाल: कबड्डी की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब: कबड्डी बड़े भाई के साथ खेलनी शुरू की थी। मैं उनके साथ जाता था। उनकी आर्मी में नौकरी लग गई। मुझे भी लगा की कबड्डी खेलकर जॉब लग जाती है, तो मैंने भी खेलना शुरू कर दिया। अकादमी खुली तो वहां प्रैक्टिस शुरू की। ITBP में कमांडेंट रहे हमारे कोच जोगिंदर ने शुरुआती दौर में सब कुछ सिखाया था। सवाल: अपने टफ टाइम के बारे में बताइए? क्या कभी कबड्डी छोड़ने के बारे में सोचा था?
जवाब: एक समय ऐसा आया जब मौका नहीं मिला। नेशनल और स्टेट नहीं खेल पा रहे थे, मन में आया खेल छोड़ दें, लेकिन खेलना जारी रखा। इसके बाद स्टेट लेवल में सिलेक्शन हो गया। यहां अच्छा प्रदर्शन रहा। फिर यहीं से नेशनल कैंप में सिलेक्शन हुआ। यहीं से दूसरे सत्र में नेशनल में चयन हुआ। टीम को ट्रॉफी दिलाना मेरा लक्ष्य है। PKL में अच्छा करेंगे तो इंडिया के लिए जाएंगे। सवाल: कबड्डी गांव का ही खेल बनकर रह गया? कबड्डी के प्रोत्साहन के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: ऐसा नहीं है, कबड्डी पहले गांव में खेलते थे। अब शहर में भी खेलते हैं। कबड्डी खेलने के लिए 7 बच्चे लगते हैं। ज्यादा कुछ लगता नहीं है। कबड्डी खेलने के लिए 7 प्लेयर चहिए। गांव में एक दो बच्चे से अधिक अब मिलते नहीं हैं। आज कल बहुत एकेडमी खुल रही है। यहां खेलने वाले बहुत बच्चे मिल रहे। यहां से करियर ग्रोथ अच्छी है। सवाल: आपको 30 लाख रुपए में यूपी योद्धास ने खरीदा है। यह कैसा अनुभव था?
जवाब: घर पर बैठकर ऑक्शन देख रहे थे। क्या होगा कौन सी टीम में जाएंगे, कुछ पता नही था। घर वालों से अलग बैठा था। 30 लाख रुपए मिले तो सभी लोग खुश थे। सभी को अच्छा लगा। मैं परिवार से अलग बैठकर ऑक्शन देख रहा था। कबड्डी खेलने के लिए घर में कभी किसी ने मना नहीं किया। इसलिए यहां तक पहुंच सका हूं। सभी ने सपोर्ट किया है। अब पढ़ें आशू सिंह के सफर की कहानी… सवाल: एकेडमी में खेलते हुए आंख पर चोट लगी थी? क्या हुआ था?
जवाब: एकेडमी में प्रैक्टिस करते हुए रेड मारी तो आंख में इंजरी हो गई। अंगूठा लगने से आंख घायल हो गई थी। डॉक्टर को दिखाया तो आंखों में 7 टांके लगे। इस दौरान मन हो रहा था, कि इसे छोड़ दें। घर वालों ने भी कई बार कहा, लेकिन कबड्डी खेलना जारी रखा, इसी के चलते यहां पहुंचे हैं। सवाल: किस तरह से खेलना है? क्या तैयारी है?
जवाब: हम अच्छा खेलेंगे। एक महीने से कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं। कोई इंजर्ड नहीं है। टीम मजबूत है। हम अच्छा करेंगे ट्रॉफी भी उठाएंगे। पूरी तैयारी की गई है। टीम बहुत ही बैलेंस्ड है। सभी खिलाड़ी टीम स्पिरिट के साथ में मैच में परफॉर्म करेंगे। सवाल: कबड्डी कब खेलना शुरू किया? किसी खिलाड़ी ने कोई खास टिप्स दिए हों?
जवाब: कबड्डी 2016 में खेलना शुरू किया था। पहले मैंने जेबी एकेडमी में प्रैक्टिस की। कोच जितेंद्र नागर ने ही मुझे सिखाया है। 3 साल तक लगातार वहां पर कबड्डी खेलना सीखा। इसके बाद कोच जसवीर ने मुझे सिखाया। दोनों कोच की दया है, कि उन्होंने मुझे यह खेल सिखाया है। जिससे मैं इस लायक हुआ हूं। सवाल: खेल में क्रिकेट का रुझान ज्यादातर होता है? आप कबड्डी की तरफ कैसे आकर्षित हुए?
जवाब: ऐसा नहीं है। क्रिकेट और कबड्डी हम बचपन से ही खेलते आए हैं। हमारे तरफ टूर्नामेंट ज्यादा होता है। यह खेलते हुए कबड्डी की लत लग गई। यह ज्यादा कॉस्टली नहीं होता है। एक किट पहनी और ग्राउंड पर हम पहुंच गए। सवाल: फ्यूचर का क्या प्लान है ? इंडिया खेलने के लिए कोई खास तैयारी?
जवाब: सबसे ज्यादा जरूरी फिट रहना है, फिर आगे देखेंगे क्या होगा। प्रैक्टिस हम अच्छी कर रहे हैं। PKL में इस बार बहुत अच्छा करना है। भारतीय टीम में पहुंचना लक्ष्य है। अच्छा करेंगे तो निश्चित तौर पर हम वहां जाएंगे। चेन मारना मेरी फेवरेट स्किल है। साहुल कुमार हैं नॉनसेंस डिफेंडर
साहुल कुमार पिछले सीजन में जयपुर पिंक पैंथर्स के लिए खेले थे। ताहरपुर भाभिसा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले साहुल शानदार डिफेंडर हैं। साहुल को “नो नॉनसेंस डिफेंडर” के रूप में जाना जाता है। उनकी डाइविंग स्किल्स की सभी प्रशंसा करते हैं। वह अब तक 63 मैचों में खेल चुके हैं और 141 अंक हासिल किए हैं। उनके 317 टैकल्स में से 10 सुपर टैकल और 140 टैकल पॉइंट्स हैं। गांव में कबड्डी खेलकर मजबूत डिफेंडर बने आशु सिंह
ग्रेटर नोएडा के नानपुरा निवासी आशु यूपी योद्धास के स्थाई सदस्य हैं। टीम के एक मजबूत डिफेंडर हैं। आशु ने 10 वीं कक्षा से कबड्डी खेलना शुरू किया और अब तक 87 मैचों में 166 अंक अर्जित कर चुके हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान 392 टैकल्स किए हैं, जिनमें 16 सुपर टैकल और 160 टैकल पॉइंट्स शामिल हैं। उनके जुनून और संघर्ष ने उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह भी पढ़ें प्रो कबड्डी लीग का 11वां सीजन 18 अक्टूबर से:तीन शहरों में खेली जाएगी लीग; पटना पाइरेट्स सबसे सफल टीम प्रो कबड्डी लीग (PKL) के 11वें सीजन की शुरुआत 18 अक्टूबर से होगी। लीग के आयोजक मशाल स्पोर्ट्स ने मंगलवार को घोषणा की कि PKL के 11वें सीजन की शुरुआत 18 अक्टूबर, 2024 से होगी। पढ़ें पूरी खबर… लखनऊ में 18 अक्टूबर से प्रो कबड्डी लीग शुरू होने जा रहा है। यूपी योद्धास पहला मैच 21 अक्टूबर को खेलेगी। दैनिक भास्कर ने यूपी योद्धास के दो प्लेयर्स साहुल कुमार और आशु सिंह से बात की। साहुल ने बताया कि जब शुरुआत में मौका नहीं मिल रहा था, तब परेशान था। दोनों खिलाड़ी लीग को लेकर उत्साहित हैं, पिछले एक महीने से कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं। साहुल कुमार को यूपी की टीम ने सीजन 11 के लिए 30 लाख रुपए में खरीदा है। साहुल को ‘नॉनसेंस डिफेंडर’ कहा जाता है। वहीं, आशु भी टीम के मजबूत डिफेंडर हैं। आशु सिंह ने कहा कि हम कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं, कोई इंजर्ड नहीं है। टीम मजबूत है। पहले पढ़ें साहुल कुमार का कैसे हुआ नेशनल में चयन… सवाल: कबड्डी की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब: कबड्डी बड़े भाई के साथ खेलनी शुरू की थी। मैं उनके साथ जाता था। उनकी आर्मी में नौकरी लग गई। मुझे भी लगा की कबड्डी खेलकर जॉब लग जाती है, तो मैंने भी खेलना शुरू कर दिया। अकादमी खुली तो वहां प्रैक्टिस शुरू की। ITBP में कमांडेंट रहे हमारे कोच जोगिंदर ने शुरुआती दौर में सब कुछ सिखाया था। सवाल: अपने टफ टाइम के बारे में बताइए? क्या कभी कबड्डी छोड़ने के बारे में सोचा था?
जवाब: एक समय ऐसा आया जब मौका नहीं मिला। नेशनल और स्टेट नहीं खेल पा रहे थे, मन में आया खेल छोड़ दें, लेकिन खेलना जारी रखा। इसके बाद स्टेट लेवल में सिलेक्शन हो गया। यहां अच्छा प्रदर्शन रहा। फिर यहीं से नेशनल कैंप में सिलेक्शन हुआ। यहीं से दूसरे सत्र में नेशनल में चयन हुआ। टीम को ट्रॉफी दिलाना मेरा लक्ष्य है। PKL में अच्छा करेंगे तो इंडिया के लिए जाएंगे। सवाल: कबड्डी गांव का ही खेल बनकर रह गया? कबड्डी के प्रोत्साहन के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: ऐसा नहीं है, कबड्डी पहले गांव में खेलते थे। अब शहर में भी खेलते हैं। कबड्डी खेलने के लिए 7 बच्चे लगते हैं। ज्यादा कुछ लगता नहीं है। कबड्डी खेलने के लिए 7 प्लेयर चहिए। गांव में एक दो बच्चे से अधिक अब मिलते नहीं हैं। आज कल बहुत एकेडमी खुल रही है। यहां खेलने वाले बहुत बच्चे मिल रहे। यहां से करियर ग्रोथ अच्छी है। सवाल: आपको 30 लाख रुपए में यूपी योद्धास ने खरीदा है। यह कैसा अनुभव था?
जवाब: घर पर बैठकर ऑक्शन देख रहे थे। क्या होगा कौन सी टीम में जाएंगे, कुछ पता नही था। घर वालों से अलग बैठा था। 30 लाख रुपए मिले तो सभी लोग खुश थे। सभी को अच्छा लगा। मैं परिवार से अलग बैठकर ऑक्शन देख रहा था। कबड्डी खेलने के लिए घर में कभी किसी ने मना नहीं किया। इसलिए यहां तक पहुंच सका हूं। सभी ने सपोर्ट किया है। अब पढ़ें आशू सिंह के सफर की कहानी… सवाल: एकेडमी में खेलते हुए आंख पर चोट लगी थी? क्या हुआ था?
जवाब: एकेडमी में प्रैक्टिस करते हुए रेड मारी तो आंख में इंजरी हो गई। अंगूठा लगने से आंख घायल हो गई थी। डॉक्टर को दिखाया तो आंखों में 7 टांके लगे। इस दौरान मन हो रहा था, कि इसे छोड़ दें। घर वालों ने भी कई बार कहा, लेकिन कबड्डी खेलना जारी रखा, इसी के चलते यहां पहुंचे हैं। सवाल: किस तरह से खेलना है? क्या तैयारी है?
जवाब: हम अच्छा खेलेंगे। एक महीने से कैंप में प्रैक्टिस कर रहे हैं। कोई इंजर्ड नहीं है। टीम मजबूत है। हम अच्छा करेंगे ट्रॉफी भी उठाएंगे। पूरी तैयारी की गई है। टीम बहुत ही बैलेंस्ड है। सभी खिलाड़ी टीम स्पिरिट के साथ में मैच में परफॉर्म करेंगे। सवाल: कबड्डी कब खेलना शुरू किया? किसी खिलाड़ी ने कोई खास टिप्स दिए हों?
जवाब: कबड्डी 2016 में खेलना शुरू किया था। पहले मैंने जेबी एकेडमी में प्रैक्टिस की। कोच जितेंद्र नागर ने ही मुझे सिखाया है। 3 साल तक लगातार वहां पर कबड्डी खेलना सीखा। इसके बाद कोच जसवीर ने मुझे सिखाया। दोनों कोच की दया है, कि उन्होंने मुझे यह खेल सिखाया है। जिससे मैं इस लायक हुआ हूं। सवाल: खेल में क्रिकेट का रुझान ज्यादातर होता है? आप कबड्डी की तरफ कैसे आकर्षित हुए?
जवाब: ऐसा नहीं है। क्रिकेट और कबड्डी हम बचपन से ही खेलते आए हैं। हमारे तरफ टूर्नामेंट ज्यादा होता है। यह खेलते हुए कबड्डी की लत लग गई। यह ज्यादा कॉस्टली नहीं होता है। एक किट पहनी और ग्राउंड पर हम पहुंच गए। सवाल: फ्यूचर का क्या प्लान है ? इंडिया खेलने के लिए कोई खास तैयारी?
जवाब: सबसे ज्यादा जरूरी फिट रहना है, फिर आगे देखेंगे क्या होगा। प्रैक्टिस हम अच्छी कर रहे हैं। PKL में इस बार बहुत अच्छा करना है। भारतीय टीम में पहुंचना लक्ष्य है। अच्छा करेंगे तो निश्चित तौर पर हम वहां जाएंगे। चेन मारना मेरी फेवरेट स्किल है। साहुल कुमार हैं नॉनसेंस डिफेंडर
साहुल कुमार पिछले सीजन में जयपुर पिंक पैंथर्स के लिए खेले थे। ताहरपुर भाभिसा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले साहुल शानदार डिफेंडर हैं। साहुल को “नो नॉनसेंस डिफेंडर” के रूप में जाना जाता है। उनकी डाइविंग स्किल्स की सभी प्रशंसा करते हैं। वह अब तक 63 मैचों में खेल चुके हैं और 141 अंक हासिल किए हैं। उनके 317 टैकल्स में से 10 सुपर टैकल और 140 टैकल पॉइंट्स हैं। गांव में कबड्डी खेलकर मजबूत डिफेंडर बने आशु सिंह
ग्रेटर नोएडा के नानपुरा निवासी आशु यूपी योद्धास के स्थाई सदस्य हैं। टीम के एक मजबूत डिफेंडर हैं। आशु ने 10 वीं कक्षा से कबड्डी खेलना शुरू किया और अब तक 87 मैचों में 166 अंक अर्जित कर चुके हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान 392 टैकल्स किए हैं, जिनमें 16 सुपर टैकल और 160 टैकल पॉइंट्स शामिल हैं। उनके जुनून और संघर्ष ने उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह भी पढ़ें प्रो कबड्डी लीग का 11वां सीजन 18 अक्टूबर से:तीन शहरों में खेली जाएगी लीग; पटना पाइरेट्स सबसे सफल टीम प्रो कबड्डी लीग (PKL) के 11वें सीजन की शुरुआत 18 अक्टूबर से होगी। लीग के आयोजक मशाल स्पोर्ट्स ने मंगलवार को घोषणा की कि PKL के 11वें सीजन की शुरुआत 18 अक्टूबर, 2024 से होगी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर