गुरुग्राम में जाट वोटर्स ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन:प्रत्याशियों का जोर अपनी जाति के वोटरों पर; वोटर भी तलाश रहे विकल्प हरियाणा में लोकसभा चुनाव हों या फिर किसान आंदोलन जाट वोटर्स बीजेपी से हमेशा ही दूरी बनाते आया है। वैसे भी कई चुनाव जाट वर्सेज गैर जाट हुए और उसका पूरा फायदा बीजेपी ने उठाया है। गुरुग्राम, बादशाहपुर, पटौदी व सोहना-तावडू विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जाट वोटर्स ने टेंशन बढ़ा रखी है। कांग्रेस प्रत्याशी भी जाट को लुभाने में सफल नहीं हो रहे तो वोटर भी विकल्प पर मंथन करने में जुट गए हैं। गुरुग्राम विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पंजाबी चेहरे मोहित ग्रोवर पर दांव लगाया है। चुनाव के चंद दिन पहले ही पैराशूट के जरिए कांग्रेस में एंट्री करने वाले मोहित अभी तक अपने पंजाबी समाज तक ही सिमटे हुए हैं। वहीं उनकी पैराशूट एंट्री से कांग्रेस में टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया, पंकज डावर, कुलदीप कटारिया, कुलराज कटारिया सहित अन्य नेता के सपनों पर पानी फिर गया। पंकज डावर अब जिला मीडिया कॉडिनेटर की जिम्मेदारी निभाते हुए ग्रोवर के साथ जरूर नजर आ रहे हैं, लेकिन बाकी नेताओं ने दूरी बना रखी है। गुरुग्राम में करीब 40 हजार जाट वोटर हैं और कांग्रेस के जाट नेताओं को अभी तक ग्रोवर अपने साथ नहीं कर पाए हैं। इसी के चलते जाट समाज अब कांग्रेस के विकल्प पर विचार कर रहा है। बादशाहपुर सीट की बात करें तो यहां से कांग्रेस ने यूथ वर्धन यादव को चुनावी रण में उतारा है, तो वह भी यादव वोटर्स को ही साधने में लगे हैं। जबकि बीजेपी की तरफ से पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह मैदान में हैं। यहां यादव वोटर्स बंटना तय है। मेयर की चुनाव की तैयारी कर रहे कुलदीप कटारिया पहले बादशाहपुर में काफी सक्रिय थे, लेकिन अभी तक वर्धन यादव के साथ वह नजर नहीं आए हैं। इसी के चलते यहां के जाट वोट में आप प्रत्याशी बीर सिंह राणा सेंधमारी कर रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी कुमुदनी दौलताबाद भी इसी बिरादरी से आती हैं, लेकिन अभी तक वह कुछ सोसायटी तक ही सीमित हैं। उनका प्रचार सुस्त रफ्तार से चल रहा है लेकिन जाट होने के चलते कुछ वोट वह भी हासिल कर सकती हैं।
सोहना-तावडू में गुर्जर वोट तक सिमटे प्रत्याशी सोहना-तावडू सीट की बात करें तो यह गुर्जर बाहुल्य है और चुनावी रण में कांग्रेस के रोहताश खटाना, बीजेपी के तेजपाल तंवर, इनेलो-बसपा के सुंदर भड़ाना, आप पार्टी से धर्मेंद्र खटाना, जजपा-आसपा से बिनेश गुर्जर हैं। सभी गुर्जर समाज से आते हैं और यह सभी अपने समाज को अपने पाले में करने के अभियान में जुटे हुए हैं। इसके चलते गुर्जर वोट इन सभी के खाते में जाना तय है। मुस्लिम वोटर भी यहां पर निर्णायक है और चुनावी रण में जावेद अहमद और अताउल्ला खान शामिल हैं। जावेद की समाज में मजबूत पकड़ है और इसी के चलते वह इस सीट के बाजीगर भी साबित हो सकते हैं। यहां जाट वोटर सीमित है लेकिन उसकी ओर किसी की नजर नहीं है। राजपूत वोटर्स के जरिए निर्दलीय कल्याण सिंह चौहान ताल ठोंक रहे लेकिन उनको कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। आरक्षित पटौदी सीट पर भी कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट नहीं
पटौदी सीट से कांग्रेस ने पर्ल चौधरी को मैदान में उतारा है, तो बीजेपी ने पूर्व विधायक विमला चौधरी पर दांव लगाया है। कई पोस्टर्स में कांग्रेस प्रत्याशी के साथ ही पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की फोटो गायब है, सोशल मीडिया पर यह तेजी से वायरल हो रही है। इसके चलते यहां पर कांग्रेस गुटबाजी में उलझी नजर आ रही है। इस सीट पर भी जाट वोटर्स को भी तक साधने की कोशिश नहीं की गई। बीजेपी के पूर्व विधायक सत्यप्रकाश जरावता पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर के करीबी हैं लेकिन केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने उनकी टिकट पर कैंची चलाकर इंसाफ मंच की पदाधिकारी व पूर्व विधायक विमला चौधरी को टिकट दिला दी। इसके चलते बीजेपी से 37 साल से जुड़े बड़े दलित चेहरे सुमेर सिंह तंवर ने इंद्रजीत पर तीखे प्रहार करते हुए पार्टी छोड़ दी। वहीं जरावता भी नाराज हैं और यह विमला चौधरी को भारी पड़ सकता है। ग्रोवर बोले- पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया संभाल रहे ऑफिस का काम
गुरुग्राम में एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है इसमें मोहित ग्रोवर मीडिया कर्मी के सवाल का जवाब देते हुए कह रहे हैं कि पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया उनके ऑफिस का काम संभाल रहे हैं। इसके बाद से कटारिया समर्थक खासे नाराज हैं और सभी ने ग्रोवर से दूरी बना ली है। बड़ी संख्या में नाराज लोग अब निर्दलीय प्रत्याशी नवीन गोयल के साथ भी नजर आने लगे हैं।