नशा तस्करी से जुड़े मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार न करने के मामलों में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। अदालत ने पंजाब के DGP से 6 महीने में दर्ज किए गए NDPS केसों की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है। स्टेट्स रिपोर्ट में उन्हें बताना होगा कि इन मामलों में कितने आरोपी अभी तक पकडे़ नहीं गए और न ही उन्हें पीओ घोषित किया गया हैं। अदालत ने आदेश कि NDPS केस के आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। अगर वह छह महीने के अंदर पकड़े नहीं जाते हैं, तो उन्हें पीओ घोषित किया जाए। उनकी प्रॉपर्टी अटैच की जाए। साथ ही अगर जांच अधिकारी इन मामलों में उचित कार्रवाई नहीं करते है तो उन पर भी कार्रवाई की जाए। 2023 केस की चल रही थी सुनवाई हाईकोर्ट में आज सितंबर 2023 में दर्ज हुए NDPS से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही थी। इस मामले में अभी तक आरोपी काबू नहीं किया गया है। उस केस में पुलिस की तरफ से आज रिपोर्ट अदालत में फाइल की गई थी। इसमें बताया गया कि 87 आरोपी ऐसे थे, जिन्हें न तो गिरफ्तार किया गया और न ही पीओ घोषित किया गया। अरेस्ट नहीं होते तो प्रॉपर्टी अटैच करें सुनवाई के दौरान बठिंडा के SSP को अदालत ने आदेश दिए हैं कि जो 87 लोगों की सूची उनकी तरफ से स्टेटस रिपोर्ट दी गई। उन्हें पहल के आधार पर काबू किया जाए। अगर काबू नहीं किए जाते है तो उन्हें पीओ घोषित किया जाएग। उनकी प्रॉपर्टी को अटैच किया जाए। नशा तस्करी से जुड़े मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार न करने के मामलों में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। अदालत ने पंजाब के DGP से 6 महीने में दर्ज किए गए NDPS केसों की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है। स्टेट्स रिपोर्ट में उन्हें बताना होगा कि इन मामलों में कितने आरोपी अभी तक पकडे़ नहीं गए और न ही उन्हें पीओ घोषित किया गया हैं। अदालत ने आदेश कि NDPS केस के आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। अगर वह छह महीने के अंदर पकड़े नहीं जाते हैं, तो उन्हें पीओ घोषित किया जाए। उनकी प्रॉपर्टी अटैच की जाए। साथ ही अगर जांच अधिकारी इन मामलों में उचित कार्रवाई नहीं करते है तो उन पर भी कार्रवाई की जाए। 2023 केस की चल रही थी सुनवाई हाईकोर्ट में आज सितंबर 2023 में दर्ज हुए NDPS से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही थी। इस मामले में अभी तक आरोपी काबू नहीं किया गया है। उस केस में पुलिस की तरफ से आज रिपोर्ट अदालत में फाइल की गई थी। इसमें बताया गया कि 87 आरोपी ऐसे थे, जिन्हें न तो गिरफ्तार किया गया और न ही पीओ घोषित किया गया। अरेस्ट नहीं होते तो प्रॉपर्टी अटैच करें सुनवाई के दौरान बठिंडा के SSP को अदालत ने आदेश दिए हैं कि जो 87 लोगों की सूची उनकी तरफ से स्टेटस रिपोर्ट दी गई। उन्हें पहल के आधार पर काबू किया जाए। अगर काबू नहीं किए जाते है तो उन्हें पीओ घोषित किया जाएग। उनकी प्रॉपर्टी को अटैच किया जाए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सिद्धू मूसेवाला कत्ल केस में लॉरेंस की पेशी:वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ जग्गू भगवानपुरिया, 10 को होगी पिता बलकौर की गवाही सिद्धू मूसेवाला कत्ल मामले में आज मानसा की जिला कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवान पुरिया समेत सभी आरोपियों की पेशी हुई। आरोपी मनप्रीत सिंह किसी कारण पेश नहीं हो सका। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2025 निर्धारित की है। सिद्धू मूसेवाला कत्ल मामले के वकील एडवोकेट सत्येंद्र सिंह मित्तल ने बताया कि सिद्धू मूसे वाला कत्ल मामले में आज मानसा कोर्ट में आरोपियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। इस दौरान लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया के समेत सभी आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए, लेकिन मनप्रीत सिंह मन्ना किसी कारण के चलते पेश नहीं हो सका। कोर्ट द्वारा अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2025 की तारीख तय की है। साथियों की हो चुकी है गवाही बता दें कि, पिछली सुनवाई में 10 जनवरी को सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह को भी अदालत द्वारा पेश होकर गवाही देने के आदेश जारी किए गए थे। अब 10 जनवरी 2025 को यहां सिद्धू मूसेवाला के पिता अदालत में अपनी गवाही देकर बयान दर्ज करवाएंगे। इससे पहले सिद्धू मूसेवाला के साथ उनकी थार गाड़ी में मौजूद उनके दो दोस्त तक गुरविंदर सिंह और गुरप्रीत सिंह अदालत में गवाही दे चुके हैं।
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पंजाब-हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरेंगे किसान:गुरनाम चढूनी की घोषणा, दो राज्यों की 94 सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार, 2022 में जमानत जब्त
पंजाब-हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरेंगे किसान:गुरनाम चढूनी की घोषणा, दो राज्यों की 94 सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार, 2022 में जमानत जब्त किसान नेता और 2020 के किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा गुरनाम सिंह चढूनी ने हरियाणा विधानसभा और पंजाब उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। गुरनाम चढूनी ने कल शाम यह ऐलान किया। ये चुनाव संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) के बैनर तले लड़े जाएंगे। 2022 में हार के बाद किसान एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी (संयुक्त संघर्ष पार्टी) पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जो लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई हैं। वह गिद्दड़बाहा, बरनाला, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल में अपने किसान नेताओं को मैदान में उतारेंगे। इतना ही नहीं वह इस साल होने वाले हरियाणा चुनाव में भी उतरेंगे। पेहवा से चुनाव लड़ेंगे चढूनी चढूनी ने इस दौरान खुद भी चुनाव लड़ने की बात कही है। उनका कहना है कि वह खुद पेहवा से चुनाव लड़ेंगे। किसी अन्य सीट से कौन चुनाव लड़ेगा, इसका ऐलान अभी नहीं हुआ है। यह फैसला एसएसपी के वरिष्ठ नेता मिलकर लेंगे। 2022 में हुई थी जमानत जब्त यह पहली बार नहीं है कि किसान नेता मैदान में उतरे हैं। 2020 के किसान आंदोलन-1 के खत्म होने के बाद 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसान नेता मैदान में उतरे थे। चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर किसान नेताओं में भी फूट पड़ गई थी। इसका खामियाजा चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं को भुगतना पड़ा। किसान नेताओं की जमानत जब्त हो गई। राजेवाल को सिर्फ 3.5% वोट मिले पंजाब में किसानों की ओर से मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार बलबीर सिंह राजेवाल, जिन्होंने एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन का नेतृत्व किया, को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा। वह छठे स्थान पर रहे और अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। लुधियाना जिले के समराला विधानसभा क्षेत्र में उन्हें केवल 3.5% वोट मिले। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े उम्मीदवार संयुक्त संघर्ष मोर्चा समय रहते पार्टी के तौर पर पंजीकृत नहीं हो सका, इसलिए उसे अपने सभी 92 उम्मीदवार निर्दलीय के तौर पर उतारने पड़े। इसमें किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चढूनी की संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) के 10 उम्मीदवार शामिल थे। कानून निरस्त होने के बाद पंजाब के 20 किसान यूनियनों ने मिलकर 25 दिसंबर 2021 को एक पार्टी बनाई। कुछ किसान यूनियनें मोर्चे से अलग हो गईं और राजनीति में इसके हस्तक्षेप से खुद को दूर कर लिया। किसान मजदूर संघर्ष समिति और क्रांतिकारी किसान यूनियन के अलावा बीकेयू के विभिन्न स्वरूपों – एकता उग्राहां, एकता डकौंडा, एकता सिद्धूपुर, लाखोवाल, कादियां और क्रांतिकारी – ने भी मोर्चे में शामिल होने से इनकार कर दिया। नतीजों से पहले ही मोर्चा बिखर गया था मोर्चा नतीजों से पहले ही बिखरना शुरू हो गया था। वोटों की गिनती से कुछ घंटे पहले फरीदकोट और मुक्तसर में राजेवाल के विधायकों ने यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया कि चुनावी राजनीति में उनके प्रवेश ने किसानों के मुद्दे को कमजोर कर दिया है। दो और जिला इकाइयों ने चुनाव अभियान से खुद को अलग कर लिया। बगावत के कारण पंजाब किसान यूनियन के गुरनाम सिंह भीखी को मानसा से चुनाव लड़ने से पीछे हटना पड़ा। दो और उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया। एक ने रामपुरा फूल में आप का समर्थन किया, जबकि दूसरे ने अमरगढ़ में सिमरनजीत सिंह मान की शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) का समर्थन किया।