पंजाब कांग्रेस ने चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया। इस अवसर पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और लुधियाना से सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने तिरंगा फहराया। इस अवसर पर कांग्रेस के कई पूर्व मंत्री और विधायक मौजूद रहे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा कि हमें अपने देश और धरती के प्रति वफादारी दिखानी चाहिए। जिस तरह हम घर के काम करते हैं, उसी तरह हमें अपने जीवन में देश की सेवा में योगदान देने का नियम बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह देश हमारा है, इस देश की सरकारें हमारी हैं। तो ऐसे देश नहीं होना था आजाद राजा वड़िंग ने कहा कि देश की आजादी की जंग में हमारे शहीदों ने हंसते-हंसते कुर्बानियां दी है। अगर वह सोच लेते ही हम कुर्बानियां क्यों दे, तो आज देश आजाद नहीं होना था। उन्होंने कहा कि उन्हीं लोगों को याद किया जाता है जो अपनी कौम और देश के लिए कुछ करते हैं। अपना देश कैसे आजाद हुआ, इतिहास में इस बारे में पढ़ा है कि वह समय काफी गंभीर और मुश्किल समय था। पंजाबियों का आजादी में अहम योगदान वड़िंग ने कहा कि देश की आजादी के लिए पंजाबियों का अहम योगदान रहा है। उन्होंने सभी शहीदों को नमन किया। हालांकि चंडीगढ़ में सुबह से ही बारिश लगी हुई थी। लेकिन कांग्रेस सेवा दल के बैनर तले काफी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे। जिसके लिए उन्होंने सभी का धन्यवाद किया। वहीं, पार्टी की बेहतरी के लिए काम करने की नसीहत दी है। पंजाब कांग्रेस ने चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया। इस अवसर पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और लुधियाना से सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने तिरंगा फहराया। इस अवसर पर कांग्रेस के कई पूर्व मंत्री और विधायक मौजूद रहे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा कि हमें अपने देश और धरती के प्रति वफादारी दिखानी चाहिए। जिस तरह हम घर के काम करते हैं, उसी तरह हमें अपने जीवन में देश की सेवा में योगदान देने का नियम बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह देश हमारा है, इस देश की सरकारें हमारी हैं। तो ऐसे देश नहीं होना था आजाद राजा वड़िंग ने कहा कि देश की आजादी की जंग में हमारे शहीदों ने हंसते-हंसते कुर्बानियां दी है। अगर वह सोच लेते ही हम कुर्बानियां क्यों दे, तो आज देश आजाद नहीं होना था। उन्होंने कहा कि उन्हीं लोगों को याद किया जाता है जो अपनी कौम और देश के लिए कुछ करते हैं। अपना देश कैसे आजाद हुआ, इतिहास में इस बारे में पढ़ा है कि वह समय काफी गंभीर और मुश्किल समय था। पंजाबियों का आजादी में अहम योगदान वड़िंग ने कहा कि देश की आजादी के लिए पंजाबियों का अहम योगदान रहा है। उन्होंने सभी शहीदों को नमन किया। हालांकि चंडीगढ़ में सुबह से ही बारिश लगी हुई थी। लेकिन कांग्रेस सेवा दल के बैनर तले काफी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे। जिसके लिए उन्होंने सभी का धन्यवाद किया। वहीं, पार्टी की बेहतरी के लिए काम करने की नसीहत दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई
डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई शिरोमणि अकाली दल (SAD) को एक और झटका लगा है। गिद्दड़बाहा के सीनियर अकाली नेता और हलका प्रभारी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाकर इस बारे में ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने भरे मन से यह फैसला लिया है। वह करीब 39 से चालीस सालों से पार्टी जुड़े हुए थे। बादल साहब से उनकी पुरानी दोस्ती परिवारवाद की भेंट चढ़ गई। उन्होंने मनप्रीत बादल को एक वजह बताया है। वहीं, उनके आम आदमी पार्टी जॉइन करने की चर्चा है।हालांकि उनका कहना है कि वह पार्टी वर्करों से मीटिंग कर अगला फैसला लेंगे। अकाली दल ढिल्लों का करता है समर्थन दूसरी तरफ अकाली दल के सीनियर नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि गिद्दड़बाहा हलके में किसी अन्य पार्टी के किसी भी नेता को आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारने का कोई इरादा नहीं है। इस तरह की सभी अटकलें झूठी और निराधार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी ने इस तरह के किसी भी कदम के बारे में किसी से चर्चा नहीं की है। डाॅ. चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी उपचुनाव के लिए अकाली दल पूरी तरह से भरोसेमंद हरदीप सिंह ढिल्लों का समर्थन करती है। उन्होने ढिल्लों से अकाली दल की विरोधी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से गुमराह न होने का भी आग्रह किया है। वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मीटिंगों में खुले तौर पर कहा है कि डिंपी ढिल्लों गिद्दड़बाहा से पार्टी के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि ढिल्लों की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा नहीं की जा सकती, क्योंकि संसदीय बोर्ड अभी भी उपचुनाव वाले सभी चार हलकों से उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की प्रक्रिया में है। पार्टी अध्यक्ष सहित पूरी पार्टी उनके साथ है और उनसे पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करने की उम्मीद करती है। 15 मिनट में गिनाया 38 साल का सफर डिंपी ढिल्लों पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने से पहले फेसबुक पर लाइव हुए। उन्होंने कहा जिस पार्टी से आदमी 37- 38 साल से जुड़ा हूं, उसे छोड़ने का फैसला बडे़ भावुक होकर लेने जा रहा हूं। सबसे बड़ा इमोशन मेरे स्व. पिता शिवराज सिंह ढिल्लों साहब थे। जो कि सारे परिवार काे बादल साहिब की बाजू पकड़ाकर गए थे। साथ ही कहकर गए थे अच्छा बुरा समय पार्टी पर आता है। लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ना है। 1989 से पार्टी से जुड़े थे, पीछे मुड़कर नहीं देखा डिंपी ने कहा 1989 में पार्टी में पहली बार भाई शमिंदर सिंह चुनाव लड़े थे, तो मैंने काम किया। 1992 में पार्टी ने चुनाव का बायॅकाट किया था। 1995 में पार्टी ने गिद्दड़बाहा उपचुनाव जीता था। 1997 में पार्टी की पंजाब में सरकार बनी। बादल साहब पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक सरकार का लाभ उठाया। 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की सरकार बनी। उनकी वजह से हमारा भी काफी नुकसान हुआ। लेकिन हम बादल परिवार के साथ खड़े । हमने मनप्रीत की बजाए सुखबीर बादल को चुना डिंपी ने कहा कि जब भी बादल साहब या सुखबीर जी का जो भी मैसेज आता था। हमेशा उस फैसले काे स्वीकार करते थे। पांच साल की कड़ी मशक्त बाद 2007 में अकाली दल की सरकार बनी । सब कुछ ठीक चल रहा था। 2010 में पार्टी पर संकट आया। मनप्रीत बादल ने एक और पार्टी बना ली। फिर हमारे लिए दो रास्ते बन गए। एक रास्ता मनप्रीत बादल की तरफ जाता था तो दूसरा सुखबीर सिंह बादल की तरफ जाता था। हमने सुखबीर बादल का रास्ता चुना। 2012 में ऐसा लग रहा था पीपीपी की सरकार बनेगी, मनप्रीत बादल मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन हम ढोले नहीं है। लेकिन अकाली दल पार्टी की डटकर सेवा की और हमारी सरकार बनी। सरकार बनने के बाद हलके की सेवा मुझे दी गई। कभी बादल साहब की पगड़ी को दाग नहीं लगने दिया। पांच साल काम किया। 2017 में पहला चुनाव लड़ा। उस समय पार्टी का स्तर काफी नीचे गिर गया था, बेअदबी व नशों के चलते पार्टी का ग्राफ काफी नीचे था। लेकिन 49 हजार वोट मिले। चुनाव हार गया। पर्चे हुए, लेकिन पार्टी के वर्करों के साथ खड़े रहे डिंपी ने कहा कि फिर कांग्रेस की सरकार आई। कांग्रेस सरकार में बड़े पर्चे हमारे ऊपर करवाए गए। वर्करों को कभी पीठ नहीं दिखाई। 2022 के चुनाव भी डकटर चुनाव लड़े। 50 हजार के करीब वोट पड़े। आम आदमी पार्टी की हवा के बीच 1300 वोटों से चुनाव हार गए। अचानक जनवरी में बादल साहब से मैंने पूछा मनप्रीत ने गिद्दड़बाहा सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। क्या आपके ध्यान में है। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी जॉइन करना चाहता है। उसका कहना है कि गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ेगा। इसके बाद बादल ने मुझे कहा कि डिंपी सियासत करनी है या नहीं। यह बात मुझे बड़ी चुबी। फिर कहा कि सियासत करनी है तो तू तलवंडी साबो चला जा। मैंने कहा कि मैं वहां नहीं जाऊंगा। मैं घर पर बैठ गया। फिर सुखबीर का फोन आया और कहा मैं तो वैसे ही मजाक किया था, तू तो सीरियस हो गया। तू मेरी किचन कैबिनेट का मेंबर हो, हलका संभाल। फिर दोबारा उपचुनाव की स्थिति बनी तो पूछा प्रधान जी क्या आदेश है। उन्होंने कहा कि तैयारियां शुरू करो। मैंने पूछा कि इलेक्शन कौन लड़ेगा,बता देंगे। एक दिन बीबा जी ने एनाउंस कर दिया कि सुखबीर बादल इलेक्शन लड़ेंगे। हालांकि अगले दिन सुखबीर बादल ने कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। तू इलेक्शन लड़ेगा। फिर मैंने उन्हें कहा कि स्थिति साफ करो। मनप्रीत बादल बोले हम घी खिचड़ी डिंपी ने कहा कि मनप्रीत सिंह बादल साहब फिर एक्टिव हो गए। वह बीजेपी के नेता है। मनप्रीत बीजेपी में शामिल किसी को करवाते नहीं है। मेरे सारे समर्थक कहने लगे पडे़ कि धोखा न हो जाए। गांवों के प्रोग्राम बने गए हैं। फिर मैंने सुखबीर को कहा कि मनप्रीत बादल के बारे में स्थिति साफ करो। मुझे या खुद को उम्मीदवार घोषित कर दो। आखिर में मुझे लगा कि मैं दोनों भाईयों के बीच रोड़ा बन रहा हूं। मनप्रीत बादल गांवों में कहते हैं कि सुखबीर और वह घी खिचड़ी है। ऐसे में हमने तय किया कि इस सिसासत की भेंट नहीं चड़ सकता हूं। इतनी बात जरूर बता दूं कि मैंने किसी से कोई गदारी नहीं की है। मैं घर बैठने जा रहा हूं। 36 -37 साल पुरानी परिवारवाद की भेंट चढ़ गई है।बादल साहब ने मेरे से आंखे फेर ली, लेकिन मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। 2022 में मात्र 1349 वोटों से हारे थे डिंपो ढिल्लों की गिदड़बाहा सीट पर अच्छी पकड़ है। दो बार चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। साल 2012 से यहां से लगातार कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वरिंग चुनाव जीतने आ रहे है। 2017 में उन्होंने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को राजा वड़िंग ने हराया था। चुनाव में डिंपी को 47288 को वोट मिले थे, जबकि वड़िंग को 63500 मत मिले थे। जबकि 2022 में जब पूरे राज्य में आम आदमी पार्टी की हवा थी। लेकिन इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच में ही मुकाबला था। इस दौरान राजा वड़िंग के वोट कम होकर 50998 रह गए। जबकि डिंपी को 49649 वोट मिले। दोनों में जीत का अंतर 1349 वोट का था। ऐसे में डिंपी ढिल्लों खुद को काफी मजबूत दावेदर इस सीट से मानते हैं। गिद्दड़बाहा सीट SAD का गढ़ गिद्दड़बाहा सीट 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 85 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे। जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है।
ऑटो रिक्शा में विवाह का मामला:चंडीगढ़ पुलिस ने मौलवी को किया गिरफ्तार; मैरिज सर्टिफिकेट पर किए फर्जी साइन
ऑटो रिक्शा में विवाह का मामला:चंडीगढ़ पुलिस ने मौलवी को किया गिरफ्तार; मैरिज सर्टिफिकेट पर किए फर्जी साइन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की सख्ती के बाद ऑटो-रिक्शा में इंटर रिलीजन मैरिज करवाने वाले मौलवी के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है। मौलवी को सेक्टर-11 थाना पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया है। पंचकूला जिले के टिब्बी गांव के रहने वाले मौलवी शकील अहमद पर आरोप है कि उसने जाली हस्ताक्षर कर फतेहगढ़ साहिब निवासी आसिफ खान और वहीं की रहने वाली रूचि घोष की शादी करवाई थी। पुलिस ने उन गवाहों की शिकायत पर मौलवी के खिलाफ केस दर्ज किया, जिनके मैरिज सर्टिफिकेट पर साइन थे। फतेहगढ़ निवासी हरमनदीप ने पुलिस को शिकायत दी और बताया कि इस शादी के लिए उनके और एक अमनदीप सिंह नाम के शख्स के बतौर गवाह हस्ताक्षर किए गए थे। लेकिन वे दोनों न तो शादी में शामिल थे और न ही उन्हें शादी के बारे में कोई जानकारी थी। सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट पहुंचा था नव-विवाहित जोड़ा सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट पहुंचे नव-विवाहित जोड़े की तस्वीरों को देख कर पूरा मामला सामने आया था। मामले में अवैध धार्मिक रूपांतरण के कारणों की गहराई से जांच करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए। जस्टिस संदीप मोदगिल ने कहा था कि सीबीआई को इंटर रिलीजन मैरिज के नाम पर संदिग्ध अवैध धार्मिक रूपांतरण के कारणों की गहराई तक जाने की जरूरत है। जांच शुरू हुई तो मामले को देखते हुए सीबीआई से ये केस दोबारा चंडीगढ़ पुलिस को सौंपा गया। इस मामले की पहले जीरो एफआईआर फतेहगढ़ साहिब में दर्ज की गई। जिसके बाद मामला चंडीगढ़ पुलिस को सौंपा गया। चंडीगढ़ पुलिस ने जांच करते हुए आरोपी मौलवी के खिलाफ एक और मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2), 3(5) के तहत दर्ज किया। इसी मामले में अब मौलवी को प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया है। क्या था मामला ? हाईकोर्ट एक जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें नव-विवाहित जोड़े ने लड़की के परिवार से धमकी मिलने का आरोप लगाया गया था। क्योंकि दोनों ने परिजनों की इच्छा के विरुद्ध जाकर विवाह किया था।
इस मामले में, लड़की ने कथित तौर पर शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया। याचिका में लड़की ने अपने परिवार का पता पंजाब के फतेहगढ़ साहिब का बताया। हाई कोर्ट को सूचित किया गया कि 6 जुलाई को चंडीगढ़ के पास नयागांव में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार शादी हुई थी। इस संबंध में जोड़े ने विवाह का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया, जो एक मौलवी द्वारा जारी किया गया था। तस्वीरें देख कोर्ट को हुआ शक तस्वीरों की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि शादी किसी भी मस्जिद में नहीं की जा रही थी। ये शादी एक ऑटो रिक्शा में आयोजित की जा रही थी। पीठ ने याचिकाकर्ता नव-विवाहित जोड़े के वकील से सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि समारोह एक ऑटो-रिक्शा में आयोजित किया गया था।
होशियारपुर में दो ट्रकों के बीच टक्कर:दिल्ली-जम्मू हाइवे पर हुआ हादसा, सड़क पर बिखरे हजारों चूजों की मौत
होशियारपुर में दो ट्रकों के बीच टक्कर:दिल्ली-जम्मू हाइवे पर हुआ हादसा, सड़क पर बिखरे हजारों चूजों की मौत होशियारपुर के हलका मुकेरियां क्षेत्र में दिल्ली-जम्मू नेशनल हाइवे पर अलीपुर नजदीक मुर्गी के चूज़ों से भरे ट्रक को एक बस ने टक्कर मार दी। बस की टक्कर लगने से ट्रक में भरे हजारों चूजे सड़क पर बिखर गए । जिस कारण कई हजार चूज़ों की सड़क पर अन्य वाहनों की चपेट में आने से मौत हो गई। ट्रक ड्राइवर साहिल कुमार ने बताया कि वह हरियाणा से अपने ट्रक में चूजे भरकर जम्मू के श्रीनगर जा रहा था। गुलजार ढाबे के पास पीछे से आ रही किसी एक बस ने साइड मार दी जिस कारण उसका ट्रक सड़क किनारे खड़े किसी अन्य ट्रक से टकरा गया। सड़क पर बिखरे चूजे टक्कर जोरदार होने के वजह से मेरे ट्रक की जालीदार बाड़ी पूरी पूरी तरह से उखड़ गई और ट्रक में रखे मुर्गी के चूजों के डिब्बे सड़क पर फैल गए। इस कारण हजारों की संख्या में चूज़ों ने सड़क पर ही दम तोड़ दिया। साहिल का कहना है जो चूज़े जीवित बचे है उन्हें इकठ्ठा कर सड़क के किनारे रखवाया जा रहा है।