पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बतौर राजनेता सक्रिय हो गए हैं। आईपीएल (IPL) के दिनों में क्रिकेटर की तरह सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले सिद्धू अपने पुराने अंदाज में लौट आए हैं। उनका यह रूप काफी समय बाद देखने को मिला है। उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर एक नया वीडियो अपलोड किया गया है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि वह फिर से पंजाब की राजनीति में लौट रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने नए वीडियो में कुछ ही शब्द बोले हैं, लेकिन निशाना पंजाब की सत्ताधारी पार्टी और उनकी पार्टी में उनके खिलाफ खड़े नेताओं पर है। उन्होंने अपने वीडियो में कहा- शतरंज का वजीर हो या इंसान का जमीर… गिर गया समझो खेल खत्म…। दूसरी ओर, अभी दो दिन पहले ही नवजोत सिंह सिद्धू तीन बार के विधायक सुरजीत धीमान के घर पहुंचे थे। वह सुरजीत धीमान की पत्नी बलबीर कौर के निधन के बाद उनसे मिलने और संवेदना जताने पहुंचे थे। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद खुद को किया दूर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही धीरे-धीरे पंजाब की राजनीति से खुद को दूर करना शुरू कर दिया था। 2022 में अमृतसर ईस्ट से चुनाव हारने के बाद वे पटियाला चले गए। इसके बाद लोकसभा 2024 के चुनाव भी आ गए, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू न तो प्रचार के लिए आए और न ही किसी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया। पत्नी डॉ. नवजोत कौर की सेहत में सुधार जिस समय नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी एक साल की सजा पूरी की, उसी समय उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर की कैंसर की पहली सर्जरी हुई थी। जेल में रहने के कारण सर्जरी के दौरान वह उनके साथ नहीं थे। लेकिन जेल से रिहा होने के बाद वह उनके साथ रहे और पटियाला में रहकर उनकी कीमोथैरेपी करवाई। इतना ही नहीं, पिछले महीने डॉ. नवजोत कौर की दूसरी सफल सर्जरी हुई, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू उनके साथ थे। इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू इस साल आईपीएल में फिर से कमेंट्री करते नजर आए। लोगों ने उनकी छोटे पर्दे पर वापसी को खूब सराहा। लेकिन अब जब आईपीएल सीजन खत्म हो गया है, तो नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर पंजाब की राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बतौर राजनेता सक्रिय हो गए हैं। आईपीएल (IPL) के दिनों में क्रिकेटर की तरह सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले सिद्धू अपने पुराने अंदाज में लौट आए हैं। उनका यह रूप काफी समय बाद देखने को मिला है। उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर एक नया वीडियो अपलोड किया गया है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि वह फिर से पंजाब की राजनीति में लौट रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने नए वीडियो में कुछ ही शब्द बोले हैं, लेकिन निशाना पंजाब की सत्ताधारी पार्टी और उनकी पार्टी में उनके खिलाफ खड़े नेताओं पर है। उन्होंने अपने वीडियो में कहा- शतरंज का वजीर हो या इंसान का जमीर… गिर गया समझो खेल खत्म…। दूसरी ओर, अभी दो दिन पहले ही नवजोत सिंह सिद्धू तीन बार के विधायक सुरजीत धीमान के घर पहुंचे थे। वह सुरजीत धीमान की पत्नी बलबीर कौर के निधन के बाद उनसे मिलने और संवेदना जताने पहुंचे थे। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद खुद को किया दूर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही धीरे-धीरे पंजाब की राजनीति से खुद को दूर करना शुरू कर दिया था। 2022 में अमृतसर ईस्ट से चुनाव हारने के बाद वे पटियाला चले गए। इसके बाद लोकसभा 2024 के चुनाव भी आ गए, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू न तो प्रचार के लिए आए और न ही किसी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया। पत्नी डॉ. नवजोत कौर की सेहत में सुधार जिस समय नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी एक साल की सजा पूरी की, उसी समय उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर की कैंसर की पहली सर्जरी हुई थी। जेल में रहने के कारण सर्जरी के दौरान वह उनके साथ नहीं थे। लेकिन जेल से रिहा होने के बाद वह उनके साथ रहे और पटियाला में रहकर उनकी कीमोथैरेपी करवाई। इतना ही नहीं, पिछले महीने डॉ. नवजोत कौर की दूसरी सफल सर्जरी हुई, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू उनके साथ थे। इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू इस साल आईपीएल में फिर से कमेंट्री करते नजर आए। लोगों ने उनकी छोटे पर्दे पर वापसी को खूब सराहा। लेकिन अब जब आईपीएल सीजन खत्म हो गया है, तो नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर पंजाब की राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके
सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर सुखबीर बादल के “तनखैया” मामले पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है। सुखबीर बादल पर लगे आरोप और “तनखैया” मामला
अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई। तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। किस प्रकार की सजा मिल सकती है?
अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है। इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या होता है तनखैया
सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा
अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी
2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।