मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने सोमवार को ‘पंजाब स्टेट डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ स्पोर्ट्स एक्ट 2024’ को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इस एक्ट को लागू करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री ने यहां खेल विभाग की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य राज्य में खेलों के विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली अच्छी प्रथाओं को अपनाना और खिलाड़ियों का निष्पक्ष चयन सुनिश्चित करना है। मान ने कहा- इससे ऐसे खिलाड़ियों का निष्पक्ष चयन भी सुनिश्चित होगा जो राज्य स्तर पर अपने जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे या राष्ट्रीय स्तर पर अपने राज्य का और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे खेल संघों को सरकारी धन के कुशल उपयोग में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत प्रत्येक जिले में एक विशेष खेल के लिए एक जिला संघ पंजीकृत किया जाएगा. इस अधिनियम के अनुसार, खातों का रखरखाव अनिवार्य रूप से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाएगा और सभी व्यय और आय के स्रोतों का वार्षिक विवरण 31 मई से पहले प्रकाशित किया जाएगा। पांच सदस्यीय समिति होगी गठित मुख्यमंत्री ने कहा कि दस्तावेज़ और खाते इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में निदेशक खेल पंजाब सरकार को उपलब्ध कराये जायेंगे। पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें महासचिव, दो वरिष्ठ प्रशिक्षक और दो प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल होंगे और यह समिति जिले या राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए टीम, खिलाड़ियों का चयन करेगी। उपायुक्त, प्रशासनिक सचिव के नेतृत्व में गठित विवाद समाधान समिति सात दिनों के भीतर खिलाड़ियों की अपील का समाधान करेगी। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने सोमवार को ‘पंजाब स्टेट डेवलपमेंट एंड प्रमोशन ऑफ स्पोर्ट्स एक्ट 2024’ को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इस एक्ट को लागू करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री ने यहां खेल विभाग की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य राज्य में खेलों के विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली अच्छी प्रथाओं को अपनाना और खिलाड़ियों का निष्पक्ष चयन सुनिश्चित करना है। मान ने कहा- इससे ऐसे खिलाड़ियों का निष्पक्ष चयन भी सुनिश्चित होगा जो राज्य स्तर पर अपने जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे या राष्ट्रीय स्तर पर अपने राज्य का और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे खेल संघों को सरकारी धन के कुशल उपयोग में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत प्रत्येक जिले में एक विशेष खेल के लिए एक जिला संघ पंजीकृत किया जाएगा. इस अधिनियम के अनुसार, खातों का रखरखाव अनिवार्य रूप से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाएगा और सभी व्यय और आय के स्रोतों का वार्षिक विवरण 31 मई से पहले प्रकाशित किया जाएगा। पांच सदस्यीय समिति होगी गठित मुख्यमंत्री ने कहा कि दस्तावेज़ और खाते इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में निदेशक खेल पंजाब सरकार को उपलब्ध कराये जायेंगे। पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें महासचिव, दो वरिष्ठ प्रशिक्षक और दो प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल होंगे और यह समिति जिले या राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए टीम, खिलाड़ियों का चयन करेगी। उपायुक्त, प्रशासनिक सचिव के नेतृत्व में गठित विवाद समाधान समिति सात दिनों के भीतर खिलाड़ियों की अपील का समाधान करेगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में पराली जलाने के 70 फीसदी केस कम हुए:कृषि मंत्री ने किया दावा; सुप्रीम कोर्ट से लगी चुकी है फटकार पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 70 फीसदी की कमी आई है। यह दावा पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने किया है। उनका कहना है कि 30 नवंबर खरीफ सीजन 2024 का अंतिम दिन था। इस समय में पराली जलाने के कुल 10,909 मामले सामने आए हैं। यह संख्या 2023-24 सीजन में दर्ज 36663 मामलों की तुलना में काफी कम है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामले में पंजाब सरकार को फटकार लगाई थी। वहीं, पराली के धुएं का मुद्दा इस बार सरहद पार पाकिस्तान तक पहुंचा था। पंजाब पाकिस्तान की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने तो इस गंभीर मुद्दे पर भारत पंजाब सीएम भगवंत मान को पत्र लिखने की बात कहीं थी। इस वजह से पराली जलाने के केस हुए कम मंत्री बताया कि पराली जलाने के कमी के लिए कई कारक है। एक तो फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी के बढ़ते उपयोग के कारण पराली जलाने के मामलों में यह कमी आई है। किसानों को सब्सिडी पर 22582 सीआरएम मशीनों के लिए मंजूरी पत्र जारी किए गए, जिनमें से 16,125 मशीनें किसानों द्वारा खरीदी जा चुकी हैं। इसके अलावा, छोटे और सीमांत किसानों की सीआरएम मशीनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 722 कस्टमर हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए गए हैं। कई पंच हुए थे संस्पेंड पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी पंजाब और पड़ोसी राज्य हरियाणा को लताड़ लग चुकी है। अदालत ने कहा कि वहां पर किसानों पर केवल नाम के लिए कार्रवाई हो रही है। इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ था तो 950 से किसानों पर कार्रवाई हुई। उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज की गई थी। कई अधिकारियों को नोटिस हुए हैं। जबकि कई पंच सस्पेंड हुए। तर्क दिया कि वह गांवों को पराली जलाने से रोकने में नाकाम रहे हैं।
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