पंजाब के चीफ सेक्रेटरी ने पेंडिंग आवेदनों की रिपोर्ट मांगी:अधिकारियों को 26 मार्च तक का टाइम दिया; बोले- इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है

पंजाब के चीफ सेक्रेटरी ने पेंडिंग आवेदनों की रिपोर्ट मांगी:अधिकारियों को 26 मार्च तक का टाइम दिया; बोले- इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है

पंजाब सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन मोड में है। अब पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने सभी विभागों को पत्र लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों से सिविल सेवाओं से संबंधित लंबित आवेदनों का ब्योरा मांगा है। सभी विभागों को 26 मार्च को सुबह 11 बजे तक संबंधित जानकारी साझा करनी होगी। ऐसा न करने पर यह माना जाएगा कि संबंधित अधिकारी और सचिव अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। मुख्य सचिव ने अपने पत्र में साफ किया है कि सिविल सेवाओं के आवेदनों को लंबित रखना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। सरकार ने अपने पत्र यह लिखा है सरकार द्वारा जारी पत्र में कहा है कि जनता से विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए आवेदनों के निपटान में देरी सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख स्रोत है। नीचे हस्ताक्षरकर्ता के कार्यालय ने आपको पत्र लिखकर ऐसी सेवाओं से संबंधित आपके विभाग में लंबित आवेदनों का विवरण मांगा था। इसके बाद, नीचे हस्ताक्षरकर्ता के कार्यालय द्वारा आपको कई बार याद दिलाया गया है, लेकिन वांछित जानकारी अभी तक सही ढंग से प्राप्त नहीं हुई है। यदि 26 मार्च, 2025 को पूर्वान्ह 11 बजे तक वांछित सूचना सही ढंग से प्राप्त नहीं होती है, तो यह माना जाएगा कि यह विभाग के सचिव सहित संबंधित अधिकारी की ओर से सूचना को छिपाने/दबाने तथा भ्रष्ट आचरण को जारी रखने का जानबूझकर किया गया प्रयास है। ऐसे मामलों में, सरकार संबंधित अधिकारी को निलंबित करने तथा बड़ी सजा के लिए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए बाध्य होगी। दिल्ली चुनाव के बाद सरकार एक्शन में दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद पंजाब सरकार ने अपनी कार्यशैली में बड़ा बदलाव किया है। अब सरकार सीधे लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रही है। पहले बड़े स्तर पर अधिकारियों के तबादले किए गए। इतना ही नहीं, भ्रष्टाचार की शिकायत पर मुक्तसर के डीसी को निलंबित कर उनके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के मामले में भी सरकार ने सख्ती दिखाई। हड़ताल पर गए कर्मचारियों को सरकार ने अल्टीमेटम दिया, लेकिन जब वे काम पर नहीं लौटे, तो 16 नायब तहसीलदारों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद वे काम पर लौट आए। इसके साथ ही 235 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का तबादला किया गया। इसके बाद किसानों के मामले में सरकार ने साफ किया है कि बातचीत और धरने साथ नहीं चल सकते है। इस दौरान पहले एसकेएम के नेताओं को हिरासत में लिया। जिसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ कूच टाली। जबकि एक साल से चल रहा शंभू-खनौरी मोर्चे को हटाकर वहां से आवाजाही शुरू करवाई है। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं पंजाब सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन मोड में है। अब पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने सभी विभागों को पत्र लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों से सिविल सेवाओं से संबंधित लंबित आवेदनों का ब्योरा मांगा है। सभी विभागों को 26 मार्च को सुबह 11 बजे तक संबंधित जानकारी साझा करनी होगी। ऐसा न करने पर यह माना जाएगा कि संबंधित अधिकारी और सचिव अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। मुख्य सचिव ने अपने पत्र में साफ किया है कि सिविल सेवाओं के आवेदनों को लंबित रखना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। सरकार ने अपने पत्र यह लिखा है सरकार द्वारा जारी पत्र में कहा है कि जनता से विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए आवेदनों के निपटान में देरी सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख स्रोत है। नीचे हस्ताक्षरकर्ता के कार्यालय ने आपको पत्र लिखकर ऐसी सेवाओं से संबंधित आपके विभाग में लंबित आवेदनों का विवरण मांगा था। इसके बाद, नीचे हस्ताक्षरकर्ता के कार्यालय द्वारा आपको कई बार याद दिलाया गया है, लेकिन वांछित जानकारी अभी तक सही ढंग से प्राप्त नहीं हुई है। यदि 26 मार्च, 2025 को पूर्वान्ह 11 बजे तक वांछित सूचना सही ढंग से प्राप्त नहीं होती है, तो यह माना जाएगा कि यह विभाग के सचिव सहित संबंधित अधिकारी की ओर से सूचना को छिपाने/दबाने तथा भ्रष्ट आचरण को जारी रखने का जानबूझकर किया गया प्रयास है। ऐसे मामलों में, सरकार संबंधित अधिकारी को निलंबित करने तथा बड़ी सजा के लिए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए बाध्य होगी। दिल्ली चुनाव के बाद सरकार एक्शन में दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद पंजाब सरकार ने अपनी कार्यशैली में बड़ा बदलाव किया है। अब सरकार सीधे लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रही है। पहले बड़े स्तर पर अधिकारियों के तबादले किए गए। इतना ही नहीं, भ्रष्टाचार की शिकायत पर मुक्तसर के डीसी को निलंबित कर उनके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के मामले में भी सरकार ने सख्ती दिखाई। हड़ताल पर गए कर्मचारियों को सरकार ने अल्टीमेटम दिया, लेकिन जब वे काम पर नहीं लौटे, तो 16 नायब तहसीलदारों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद वे काम पर लौट आए। इसके साथ ही 235 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का तबादला किया गया। इसके बाद किसानों के मामले में सरकार ने साफ किया है कि बातचीत और धरने साथ नहीं चल सकते है। इस दौरान पहले एसकेएम के नेताओं को हिरासत में लिया। जिसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ कूच टाली। जबकि एक साल से चल रहा शंभू-खनौरी मोर्चे को हटाकर वहां से आवाजाही शुरू करवाई है। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं   पंजाब | दैनिक भास्कर