पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह राजोआना आज (20 नवंबर) जेल से बाहर आ गया है। वह लुधियाना के राजोआना कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई के भोग कार्यक्रम में शामिल होगा। पटियाला जेल से उसका काफिला लुधियाना के लिए रवाना हो चुका है। कुलवंत सिंह की 14 नवंबर को मौत हो गई थी। राजोआना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। कोर्ट ने एक दिन पहले मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए बलवंत सिंह राजोआना को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक की पैरोल दे दी। ये दूसरा मौका है, जब राजोआना जेल से बाहर है। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी। 31 अगस्त 1995 को हुई थी हत्या बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को किया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस के मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा दिया था। बेअंत सिंह के अलावा 16 और लोगों की भी मौत हुई थी। दिलावर सिंह ने मानव बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया। साजिश इस तरह रची गई कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। साल 2012 में केंद्र सरकार ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। राजोआना के साथी जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में हवारा की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। दया याचिका 12 साल से पेंडिंग राजोआना की दया याचिका पिछले 12 वर्षों से पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अदालत ने हाल ही में कहा कि इस मामले का निर्णय लेना कार्यपालिका का अधिकार है, और इसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती। बलवंत सिंह के वकीलों ने उनकी सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए अपील की है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार करना मानसिक यातना के समान है। उनकी पैरोल भी इसी संदर्भ में भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति के पास सुप्रीम कोर्ट ने भेजा मामला 2 दिन पहले ही बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के पास भेजी है। कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि इसे राष्ट्रपति के सामने रखें। साथ ही उनसे अनुरोध करें कि 2 हफ्ते में इस पर फैसला ले लें। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह राजोआना आज (20 नवंबर) जेल से बाहर आ गया है। वह लुधियाना के राजोआना कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई के भोग कार्यक्रम में शामिल होगा। पटियाला जेल से उसका काफिला लुधियाना के लिए रवाना हो चुका है। कुलवंत सिंह की 14 नवंबर को मौत हो गई थी। राजोआना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। कोर्ट ने एक दिन पहले मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए बलवंत सिंह राजोआना को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक की पैरोल दे दी। ये दूसरा मौका है, जब राजोआना जेल से बाहर है। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी। 31 अगस्त 1995 को हुई थी हत्या बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को किया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस के मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा दिया था। बेअंत सिंह के अलावा 16 और लोगों की भी मौत हुई थी। दिलावर सिंह ने मानव बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया। साजिश इस तरह रची गई कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। साल 2012 में केंद्र सरकार ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। राजोआना के साथी जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में हवारा की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। दया याचिका 12 साल से पेंडिंग राजोआना की दया याचिका पिछले 12 वर्षों से पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अदालत ने हाल ही में कहा कि इस मामले का निर्णय लेना कार्यपालिका का अधिकार है, और इसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती। बलवंत सिंह के वकीलों ने उनकी सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए अपील की है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार करना मानसिक यातना के समान है। उनकी पैरोल भी इसी संदर्भ में भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति के पास सुप्रीम कोर्ट ने भेजा मामला 2 दिन पहले ही बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के पास भेजी है। कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि इसे राष्ट्रपति के सामने रखें। साथ ही उनसे अनुरोध करें कि 2 हफ्ते में इस पर फैसला ले लें। पंजाब | दैनिक भास्कर
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