कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त की रात को महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के विरोध में पंजाब में 11 दिनों से चल रही हड़ताल आज खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की गई है। डॉक्टर्स विचार-विमर्श कर आज अपने काम पर लौट आए हैं। लेकिन वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। आज यानी शुक्रवार को पीजीआई चंडीगढ़, पटियाला और अमृतसर सरकारी मेडिकल कॉलेज में ओपीडी और अन्य सुविधाएं आम दिनों की तरह बहाल कर दी गई हैं। लेकिन इस दौरान सभी डॉक्टर्स काली पट्टी बांधकर अपनी सेवाएं देंगे और अपना रोष प्रकट करेंगे। दो सप्ताह में राज्यों को उठाने हैं उचित कदम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने गुरुवार कहा कि डॉक्टर काम पर लौट आएं। अस्पतालों की स्थिति वे जानते हैं। वे खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोए हैं, जब उनके परिवार का एक सदस्य बीमार था। CJI ने राज्य सरकारों को डॉक्टरों के लिए उचित सुरक्षा इंतजाम करने को कहा है। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया गया कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर डॉक्टर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी करने के लिए कहा गया है। राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करेंगी। आश्वासन पर विश्वास कर डॉक्टर्स लौटने को तैयार रेजिडेंस डॉक्टर्स एसोसिएशन अमृतसर मेडिकल कॉलेज के एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी डॉ. समर्थ गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद डॉक्टर्स हड़ताल खत्म कर अपने काम पर लौट आए हैं। आज शुक्रवार से ओपीडी व अन्य सभी सुविधाएं आम दिनों की तरह चलेंगी। इससे पहले सिर्फ इमरजेंसी में ही मरीजों को देखा जा रहा था। ओपीडी व अन्य सुविधाओं को ठप कर दिया गया था। केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करने की उठाई मांग कोलकाता की घटना के बाद डॉक्टर मांग कर रहे हैं कि केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाए। ताकि कोलकाता जैसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। वहीं घटना का शिकार बने डॉक्टर के आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग भी डॉक्टर्स उठा रहे हैं। फिलहाल कोलकाता घटना की जांच सीबीआई कर रही है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त की रात को महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के विरोध में पंजाब में 11 दिनों से चल रही हड़ताल आज खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की गई है। डॉक्टर्स विचार-विमर्श कर आज अपने काम पर लौट आए हैं। लेकिन वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। आज यानी शुक्रवार को पीजीआई चंडीगढ़, पटियाला और अमृतसर सरकारी मेडिकल कॉलेज में ओपीडी और अन्य सुविधाएं आम दिनों की तरह बहाल कर दी गई हैं। लेकिन इस दौरान सभी डॉक्टर्स काली पट्टी बांधकर अपनी सेवाएं देंगे और अपना रोष प्रकट करेंगे। दो सप्ताह में राज्यों को उठाने हैं उचित कदम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने गुरुवार कहा कि डॉक्टर काम पर लौट आएं। अस्पतालों की स्थिति वे जानते हैं। वे खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोए हैं, जब उनके परिवार का एक सदस्य बीमार था। CJI ने राज्य सरकारों को डॉक्टरों के लिए उचित सुरक्षा इंतजाम करने को कहा है। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया गया कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर डॉक्टर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक्सरसाइज 1 हफ्ते में पूरी करने के लिए कहा गया है। राज्य 2 हफ्ते के अंदर इसे लागू करेंगी। आश्वासन पर विश्वास कर डॉक्टर्स लौटने को तैयार रेजिडेंस डॉक्टर्स एसोसिएशन अमृतसर मेडिकल कॉलेज के एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी डॉ. समर्थ गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आश्वासन के बाद डॉक्टर्स हड़ताल खत्म कर अपने काम पर लौट आए हैं। आज शुक्रवार से ओपीडी व अन्य सभी सुविधाएं आम दिनों की तरह चलेंगी। इससे पहले सिर्फ इमरजेंसी में ही मरीजों को देखा जा रहा था। ओपीडी व अन्य सुविधाओं को ठप कर दिया गया था। केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करने की उठाई मांग कोलकाता की घटना के बाद डॉक्टर मांग कर रहे हैं कि केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाए। ताकि कोलकाता जैसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। वहीं घटना का शिकार बने डॉक्टर के आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग भी डॉक्टर्स उठा रहे हैं। फिलहाल कोलकाता घटना की जांच सीबीआई कर रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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ख़ालिस्तानी आतंकी डल्ला का ट्रायल नहीं होगा सार्वजनिक:ओंटारियो अदालत ने दिया आदेश; कनाडा सरकार ने प्रसारण पर पाबंदी लगाने की रखी थी मांग
ख़ालिस्तानी आतंकी डल्ला का ट्रायल नहीं होगा सार्वजनिक:ओंटारियो अदालत ने दिया आदेश; कनाडा सरकार ने प्रसारण पर पाबंदी लगाने की रखी थी मांग कनाडा की ओंटारियो अदालत ने गुरुवार को खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के अस्थायी प्रमुख अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला और उसके सहयोगी गुरजंट सिंह के ट्रायल की कार्यवाही पर मीडिया कवरेज, प्रसारण और रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी है। यह निर्णय कनाडा सरकार की मांग पर लिया गया है। दरअसल, कनाडा सरकार के वकील द्वारा अदालत में दाखिल एक अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें अदालत की कार्यवाही के प्रसारण पर प्रतिबंध की मांग की गई थी। इस अर्जी को ओंटारियो अदालत ने मान लिया है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा, जब तक ट्रायल समाप्त नहीं हो जाता। डल्ला के खिलाफ भारत की प्रत्यर्पण की मांग इस मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में, भारत ने अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध करने का संकेत दिया है। डल्ला पर भारत में कई गंभीर आपराधिक मामले और आतंकवाद गतिविधियों में शामिल होने आरोप हैं। डल्ला को 2023 में भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत ने कनाडाई सरकार से डल्ला की अस्थायी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। हालांकि, उस समय यह अनुरोध खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब कनाडा में हुई हालिया गिरफ्तारी ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा- हमने कनाडा में अर्श डल्ला की गिरफ्तारी के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया है। उसे 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, और कनाडाई प्रिंट और दृश्य मीडिया ने इस घटना पर व्यापक रिपोर्टिंग की है। भारत की प्रत्यर्पण की कार्यवाही जैसवाल ने बताया कि डल्ला के भारत में लंबित आपराधिक मामलों और कनाडा में उसकी अवैध गतिविधियों में संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अर्श डल्ला के अपराधों के चलते यह अपेक्षा की जाती है कि उसे भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। हमारी एजेंसियां हाल की गिरफ्तारी के मद्देनजर प्रत्यर्पण पर जरूरी कार्रवाई करेंगी। 2023 में भी गिरफ्तारी की मांग की थी भारत ने 2023 में कनाडा से डल्ला की गिरफ्तारी की मांग की थी। लेकिन कनाडा सरकार ने उस समय इस मांग को खारिज कर दिया था। इसी दौरान भारत ने जनवरी 2023 में कनाडा को डल्ला के संदिग्ध पते, भारत में उसके ट्रांजैक्शन, उसकी संपत्तियों और मोबाइल नंबरों की जानकारी दी थी। भारत ने MLAT संधि (पारस्परिक कानूनी सहायता संधि) के तहत कनाडा से इन जानकारियों को वेरिफाई करने के लिए कहा था। दिसंबर 2023 में, कनाडा के न्याय विभाग ने इस मामले पर भारत से अतिरिक्त जानकारी मांगी थी। भारत ने इसका जवाब इस मार्च में दिया था। 50 से ज्यादा मामलों में नामजद है डल्ला अर्श खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी है और भारत में इस पर 50 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, आतंकी गतिविधियां और टेरर फंडिंग शामिल है। मई 2022 में भारत सरकार ने अर्श डल्ला के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। इसके बाद साल 2023 में उसे आतंकी घोषित कर दिया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्श पंजाब से फरार होकर कनाडा चला गया और वहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लगा। भारत की एजेंसियां लंबे समय से डल्ला को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं।
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SAD कोर कमेटी की मीटिंग कल:4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव व SGPC चुनाव की बनेगी स्ट्रेटजी, चंडीगढ़ में जुटेंगे नेता पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के चुनावों को लेकर शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने 22 अक्टूबर को काेर कमेटी की मीटिंग बुला ली है। मीटिंग चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में दोपहर 12 बजे होगी। मीटिंग कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ की अगुवाई में होगी। मीटिंग में राजनीतिक मुद्दों के अलावा मंडियाें में धान की खरीद को लेकर किसानों को आ रही दिक्कतों पर भी चर्चा होगी। अकाली दल के लिए भी यह चुनाव काफी अहम चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव SAD के लिए भी अहम हैं। क्योंकि इन चार सीटों में ही गिद्दड़बाहा सीट शामिल है, जो कि पार्टी का गढ़ रहा है। इस सीट के बनने के बाद से अधिकतर समय पर यहां पार्टी ने चुनाव जीता है। प्रकाश सिंह बादल इस सीट सीट से कई बार जीते हैं। वहीं, डिंपी ढिल्लों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद से सुखबीर सिंह बादल भी लगातार इस सीट पर एक्टिव है। हरसिमरत कौर बादल खुद हलका संभाल रही है। वहीं, हीरा सिह गाबड़िया को बरनाला शहरी और इकबाल सिंह झूंदा बरनाला ग्रामीण के प्रचार प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। SAD के संसदीय बोर्ड ने लिया है फीडबैक गिदड़बाहा सीट बादलों की पुरानी सीट है। इसमें केवल कांग्रेस 5 बार जीती है। इसके अलावा यहां से अकाली दल जीता है। वहीं, इस हलके की कमान अब खुद बादल परिवार संभाल रहा है। इससे पहले SAD के संसदीय बोर्ड ने गिद्दड़बाहा सीट को छोड़कर सभी सीटों का दौरा किया है। साथ ही सारे हलकों की स्थिति को लेकर फीडबैक लिया है। वहीं, जहां तक अकाली दल के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो डेरा बाबा नानक से सुच्चा सिंह लंगाह पर दांव खेल सकती है। क्योंंकि उनकी अकाली दल में वापसी हो गई है। गिद्दड़बाहा को लेकर सुखबीर बादल का नाम भी चल रहा है। बरनाला में कुलवंत सिंह कांता उम्मीद बनाए जा सकते हैं। वह गत 2022 में 25 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। हालांकि होशियारपुर में भी कई लोग दौड़ में है। इन चारों विधानसभा हलकों में चुनाव इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि यहां के विधायक सांसद बन गए है। साथ ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद यह पद खाली माने जा रहे है।
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