‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जेल जाना पड़ेगा। हमारा हंसता-खेलता परिवार था। अच्छी नौकरी थी। फिर न जाने कैसे-कब, क्या हुआ? लाइफ में उथल-पुथल मच गई। मुझे धर्मांतरण के फर्जी केस में फंसा दिया गया। मैं हिंदू हूं, अपना धर्म कैसे बदल सकता हूं? लेकिन, मेरे ऊपर एक हिंदुवादी संगठन ने गलत आरोप लगा दिया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। पुलिस ने मुझे बहुत प्रताड़ित किया। जेल में डाल दिया गया। मेरे बीवी-बच्चे कैसे रहे, कितनी शर्मिंदगी हुई, ये सिर्फ मेरा कलेजा जानता है। जेल के 40 दिनों की भरपाई नहीं हो सकती। मरते दम तक बदनामी का दंश मेरे माथे पर लगा रहेगा।’ ये दर्द है फर्जी धर्मांतरण केस में 40 दिन जेल में गुजारने वाले अभिषेक गुप्ता का। वो कहते हैं- सर, बहुत बदनामी हुई है। 2022 में सामने आए फर्जी धर्मांतरण का चर्चित केस बरेली का है। कोर्ट ने उनको बाइज्जत बरी कर दिया। साथ ही एक अन्य आरोपी कुंदन लाल को भी बरी कर दिया। पूरे मामले पर दैनिक भास्कर की टीम ने निर्दोष करार दिए गए अभिषेक से बात की। जानते हैं कैसे वो फंसे? क्या आरोप लगे? कोर्ट ने किस आधार पर दोषमुक्त करार दिया? सबसे पहले एक नजर पूरे मामले पर
बरेली में थाना बिथरी चैनपुर में बिचपुरी गांव पड़ता है। यहां 29 मई, 2022 को पुलिस को तहरीर दी गई। तहरीर सकतपुर गांव के हिमांशु पटेल ने दी। इसमें लिखा गया- अभिषेक गुप्ता 8 लोगों की टीम के साथ धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम चला रहे हैं। इसकी सूचना मिलने पर हिंदू संगठन के 10-15 कार्यकर्ता थाना पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। यहां हमें मौके पर 40 लोग मिले। अभिषेक गुप्ता और उनकी पत्नी के अलावा 8 लोगों के हाथों में दूसरे धर्म का ग्रंथ था। चौकी इंचार्ज के डांटने पर उनका यह कार्यक्रम खत्म हुआ। इन लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस ने 30 मई, 2022 को FIR दर्ज की। इसके बाद अभिषेक गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। मुख्य आरोपी अभिषेक गुप्ता के अलावा कुंदन लाल को धर्म प्रतिषेध अधिनियम के तहत जेल भेजा गया। अभिषेक गुप्ता करीब 40 दिनों तक जेल में रहे। इसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। कोर्ट का फैसला- फर्जी केस से जुड़े पुलिस वालों पर एक्शन लें
पूरे केस में हिमांशु पटेल समेत 8 पब्लिक विटनेस रहे। इन गवाहों में एक डॉक्टर, 2 सब-इंस्पेक्टर और FIR लिखने वाला हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल था। करीब 2 साल तक केस में कई बार सुनवाई हुई। 30 जुलाई, 2024 को कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा- अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल को धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम से दोषमुक्त किया जाता है। दोनों जमानत पर हैं। इनके जमानत पत्र भी निरस्त किए जाते हैं। बरेली SSP को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा- फर्जी केस लिखवाने वाले हिमांशु पटेल, फर्जी गवाह, फर्जी केस लिखने वाले थानाध्यक्ष, केस की जांच करने वाले विवेचक और चार्जशीट दाखिल करने वाले क्षेत्राधिकारी पर एक्शन लें। जिससे भविष्य में कोई इस तरह की फर्जी कार्रवाई न करे। साथ ही सभ्य समाज के सदस्यों की सुरक्षा संभव हो सके। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- दोषमुक्त अभियुक्त के पास विकल्प है कि वह फर्जी केस दर्ज कराने वाले हिमांशु पटेल, दो गवाहों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। अब वो 5 पॉइंट, जिसके आधार पर अभिषेक बाइज्जत बरी हुए… 1. बाइबिल कहां से आई? इसका जवाब नहीं मिला
कोर्ट ने सभी एविडेंस देखे। गवाहों के बयान दर्ज किए गए। कोर्ट में अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल की तरफ से इस केस की पैरवी बरेली के सीनियर एडवोकेट इमरान खान कर रहे थे। इमरान खान ने बताया- मुझे यकीन था, इस केस में हमारी जीत होगी। पुलिस ने फर्जीवाड़ा कर पहले केस दर्ज किया। फिर चार्जशीट दाखिल कर दी। इमरान खान बताते हैं- पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लिखा था, 40 लोग अभिषेक गुप्ता के घर से मिले। लेकिन, उन 40 में से किसी एक की भी गवाही नहीं ली गई। इसके अलावा मौके पर बाइबिल कहां से आई, इसका जवाब भी नहीं मिला। विवेचक ने बताया कि उन्हें दो बाइबिल मुकदमा दर्ज कराने वाले हिमांशु पटेल ने दीं। केस यहीं से कमजोर हो रहा था। अभिषेक गुप्ता जहां रहते थे, वहां किसी भी व्यक्ति ने उनके खिलाफ कोई तहरीर नहीं दी थी। किसके घर पर कार्यक्रम नहीं होते हैं। लेकिन, अभिषेक के घर पर पुलिस ने दबिश देकर गलत आरोप लगा दिए। 2. FIR लिखाने वाला पीड़ित नहीं था, किसी का धर्म परिवर्तन नहीं हुआ
इमरान खान ने बताया- 29 मई को तहरीर दी गई, 30 मई को FIR दर्ज हुई। केस की विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी कोर्ट में यह नहीं बता पाया कि आखिर यह देरी क्यों और कैसे हुई? उन्होंने कहा, हमने यह जांच नहीं की। इससे FIR ही संदेह के घेरे में आ गई। FIR लिखवाने वाला हिमांशु पटेल न तो पीड़ित था, न ही किसी पीड़ित का संबंधी। ऐसे में वह कैसे FIR लिखवा सकता है? इस सवाल का ठोस जवाब नहीं मिला। जितने भी गवाह पेश हुए, उन्होंने भी यही कहा कि न तो उनका धर्म परिवर्तन हुआ, न ही उनके किसी रिश्तेदार का। जबकि धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में कहा गया है कि पीड़ित या उसका रिलेटिव ही केस कर सकता है। कुल मिलाकर केस तब बनता, जब किसी का धर्म परिवर्तन होता और पीड़ित या उसका रिलेटिव तहरीर देता। 3. 10 किलोमीटर दूर रहता है मुकदमा लिखवाने वाला
केस के विवेचक ने यह तक जानने का प्रयास नहीं किया कि हिमांशु पटेल के पास से बाइबिल कहां से आई थी? विवेचना में यह भी नहीं बताया गया कि हिमांशु पटेल की सूचना का स्रोत क्या था। इसके अलावा कथित घटनास्थल पर रहने वाले पड़ोसियों से भी पूछताछ नहीं की गई। हिमांशु पटेल समेत सभी 8 गवाह अभिषेक गुप्ता के घर से करीब 10 किलोमीटर दूर रहते हैं। इनका अभिषेक गुप्ता से कोई संबंध नहीं था। चार्जशीट में बताया गया- 7 अक्टूबर, 2022 को अभिषेक गुप्ता गिरफ्तार हुआ। उसकी जेब से 100 रुपए का नोट बरामद किया गया। 4. आरोपियों ने अपना धर्म परिवर्तन किया? दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते
एडवोकेट इमरान खान ने कहा- कोर्ट में हमने दोनों आरोपियों की गवाही कराई। अभिषेक गुप्ता ने साफ कहा, उन्होंने कभी भी धर्म परिवर्तन नहीं किया। वो हिंदू हैं और अपने धर्म को मानते हैं। इसी तरह कुंदन लाल ने बताया कि वह कोरी समाज से हैं। लेकिन, कभी भी धर्म परिवर्तन का नाम तक नहीं सुना। न ही उन्हें किसी तरह का कोई लालच मिला। दोनों पर कोई दबाव नहीं था। इसके अलावा अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। न ही केस से पहले दोनों कभी एक-दूसरे से मिले थे। साजिश के तहत कुंदन लाल का नाम चार्जशीट में लिखा गया। फिर उसकी भी गिरफ्तारी हुई। इमरान खान ने बताया- अभिषेक गुप्ता गोरखपुर के रहने वाले हैं। वह बरेली मेडिकल कॉलेज में सिटी स्कैन टेक्नीशियन की पोस्ट पर कार्यरत हैं। अच्छी सैलरी है। ऐसे में वह क्यों धर्म परिवर्तन की राह पर जाते? अभिषेक गुप्ता के फैमिली की भी गवाही कराई गई। 5. राजनीतिक फायदे और पब्लिसिटी के लिए ऐसा किया
इमरान खान ने बताया- सभी गवाहों ने जो बयान दिए, उसमें तहरीर को लेकर भी गड़बड़ थी। इसमें एक नाम त्रिभुवन सिंह का सामने आया। लेकिन, वह गवाही में सामने नहीं आया। विवेचक को भी नहीं पता था कि यह त्रिभुवन सिंह है कौन? गवाहों ने जो कुछ कहा, उससे साफ हुआ कि राजनीतिक फायदे और पब्लिसिटी के लिए इन लोगों ने फर्जी केस कराया। एक निर्दोष को फंसा दिया गया। सोशल मीडिया पर अपनी ब्रांडिंग भी की। मुकदमा लिखवाने वाला एक हिंदू संगठन से जुड़ा था, उसके प्रचार के लिए उसने ऐसा किया। अब जानते हैं अभिषेक गुप्ता ने क्या कहा… परिवार अकेला हो गया, खानदान में बेइज्जती हुई
हमने अभिषेक गुप्ता से फोन पर बात की। उन्होंने बताया- मैं यूपी के गोरखपुर शहर का मूल निवासी हूं। बरेली में रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज में कर्मचारी था। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ बरेली में डोहरा रोड पर किराए पर रह रहा था। मेरे खिलाफ फर्जी केस लिखवाया गया। मुझे अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया। जमानत के लिए मेरी पत्नी ने किसी तरह पैसे इकट्ठे किए और मुझे 40 दिन बाद जेल से निकाला। इस दौरान मेरा परिवार अकेला हो गया। पूरे खानदान में बेइज्जती हुई। मैं जिससे भी कहता कि मैंने कोई धर्म परिवर्तन वाला काम नहीं किया है, वह मुझसे मुंह फेर लेता। लोग मुझे हीन भावना से देखने लगे। पुलिस का घर की दहलीज पर आना ही गलत होता है। लेकिन, जब हाथों में हथकड़ी डाल दी गईं, तब जिंदगी में भूचाल आ गया। नहीं लौट सकती खोई हुई इज्जत
अभिषेक गुप्ता ने कहा- रिश्तेदारों और समाज में मेरी जो बदनामी हुई, वह तो लौट नहीं सकती। मैं बता नहीं सकता कि मुझे समाज में कितनी बदनामी झेलनी पड़ी। मेरी नौकरी चली गई। पुलिस ने मेरे बच्चों से किराए का घर खाली करा दिया। मैंने थाने में पुलिस से कहा था कि मैं हिंदू हूं, धर्म परिवर्तन क्यों कराऊंगा। मैं किसी भी ईसाई समुदाय के व्यक्ति से नहीं जुड़ा हूं। साजिश के तहत मुझ पर आरोप लगाकर केस दर्ज कराया गया। मेरी पत्नी ने भी पुलिस से कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। बच्चों की कसम खाता रहा, लेकिन पुलिस वालों ने नहीं सुना
अभिषेक ने कहा- 40 दिन जेल में मुझे कैसे काटने पड़े, यह मैं ही जानता हूं। जब मेरी पत्नी और परिवार के लोग मुझसे मिलने आए, तो मैं बता नहीं पा रहा था कि मेरे ऊपर क्या बीती? मैंने परिवार से भी यही कहा कि मुझे ऊपर वाले पर भरोसा है, कोर्ट से एक दिन जरूर इंसाफ मिलेगा। मैं मानसिक रूप से इतना आहत हुआ कि लगा मर जाऊं। लेकिन, मेरे परिवार और बच्चों का चेहरा सामने आने लगता। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैंने पुलिस से बच्चों की भी कसम खाई थी। कुंदन लाल कौन है, मुझे नहीं पता
अभिषेक गुप्ता ने कहा- कोर्ट ने बरी होने के बाद यह कह सकूंगा कि कोर्ट से इंसाफ जरूर मिलता है। मैं दूसरे आरोपी कुंदन लाल को नहीं जानता था। बस तारीख पर मिलता था। जज साहब से यही कहता, साहब मैं निर्दोष हूं। अब कोर्ट ने बरी किया तो मुझे बहुत राहत महसूस हुई। जीवन भर कोर्ट को याद करूंगा। इस बरेली ने जो दर्द मुझे दिया है, वह याद रहेगा। जेल से रिहा होकर अपने परिवार के साथ गोरखपुर में रह रहा हूं। मुआवजे के लिए कोर्ट से अपील की गई
अभिषेक के वकील ने इमरान खान ने कहा- जितने दिन केस चला और अभिषेक गुप्ता जेल में रहा। उसके लिए कोर्ट में 50 लाख रुपए मुआवजे की अपील की गई। कोर्ट ने फिलहाल यह कहा है कि दोनों दोषमुक्त अभियुक्त फर्जी केस लिखाने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। यह खबर भी पढ़ें फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द: कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी; बरेली कोर्ट ने प्रेमिका को सुनाई उतनी ही सजा मुझे कैमरे पर नहीं आना। मेरी फोटो-वीडियो मत दिखाइए। बरेली में मुझे जो जख्म मिले, वो अब किसी और को न मिले। निशा ने मेरी जिंदगी खराब कर दी। मेरे ऊपर बहुत गंदा आरोप लगाया। बीमार मां मेरे लिए कितना परेशान रही, मैं ही जानता हूं। ये दर्द उस युवक का है, जो साढ़े 4 साल यानी 1653 दिन झूठे रेप केस में बरेली जेल में रहा। पढ़ें पूरी खबर… ‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जेल जाना पड़ेगा। हमारा हंसता-खेलता परिवार था। अच्छी नौकरी थी। फिर न जाने कैसे-कब, क्या हुआ? लाइफ में उथल-पुथल मच गई। मुझे धर्मांतरण के फर्जी केस में फंसा दिया गया। मैं हिंदू हूं, अपना धर्म कैसे बदल सकता हूं? लेकिन, मेरे ऊपर एक हिंदुवादी संगठन ने गलत आरोप लगा दिया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। पुलिस ने मुझे बहुत प्रताड़ित किया। जेल में डाल दिया गया। मेरे बीवी-बच्चे कैसे रहे, कितनी शर्मिंदगी हुई, ये सिर्फ मेरा कलेजा जानता है। जेल के 40 दिनों की भरपाई नहीं हो सकती। मरते दम तक बदनामी का दंश मेरे माथे पर लगा रहेगा।’ ये दर्द है फर्जी धर्मांतरण केस में 40 दिन जेल में गुजारने वाले अभिषेक गुप्ता का। वो कहते हैं- सर, बहुत बदनामी हुई है। 2022 में सामने आए फर्जी धर्मांतरण का चर्चित केस बरेली का है। कोर्ट ने उनको बाइज्जत बरी कर दिया। साथ ही एक अन्य आरोपी कुंदन लाल को भी बरी कर दिया। पूरे मामले पर दैनिक भास्कर की टीम ने निर्दोष करार दिए गए अभिषेक से बात की। जानते हैं कैसे वो फंसे? क्या आरोप लगे? कोर्ट ने किस आधार पर दोषमुक्त करार दिया? सबसे पहले एक नजर पूरे मामले पर
बरेली में थाना बिथरी चैनपुर में बिचपुरी गांव पड़ता है। यहां 29 मई, 2022 को पुलिस को तहरीर दी गई। तहरीर सकतपुर गांव के हिमांशु पटेल ने दी। इसमें लिखा गया- अभिषेक गुप्ता 8 लोगों की टीम के साथ धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम चला रहे हैं। इसकी सूचना मिलने पर हिंदू संगठन के 10-15 कार्यकर्ता थाना पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। यहां हमें मौके पर 40 लोग मिले। अभिषेक गुप्ता और उनकी पत्नी के अलावा 8 लोगों के हाथों में दूसरे धर्म का ग्रंथ था। चौकी इंचार्ज के डांटने पर उनका यह कार्यक्रम खत्म हुआ। इन लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस ने 30 मई, 2022 को FIR दर्ज की। इसके बाद अभिषेक गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। मुख्य आरोपी अभिषेक गुप्ता के अलावा कुंदन लाल को धर्म प्रतिषेध अधिनियम के तहत जेल भेजा गया। अभिषेक गुप्ता करीब 40 दिनों तक जेल में रहे। इसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। कोर्ट का फैसला- फर्जी केस से जुड़े पुलिस वालों पर एक्शन लें
पूरे केस में हिमांशु पटेल समेत 8 पब्लिक विटनेस रहे। इन गवाहों में एक डॉक्टर, 2 सब-इंस्पेक्टर और FIR लिखने वाला हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल था। करीब 2 साल तक केस में कई बार सुनवाई हुई। 30 जुलाई, 2024 को कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा- अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल को धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम से दोषमुक्त किया जाता है। दोनों जमानत पर हैं। इनके जमानत पत्र भी निरस्त किए जाते हैं। बरेली SSP को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा- फर्जी केस लिखवाने वाले हिमांशु पटेल, फर्जी गवाह, फर्जी केस लिखने वाले थानाध्यक्ष, केस की जांच करने वाले विवेचक और चार्जशीट दाखिल करने वाले क्षेत्राधिकारी पर एक्शन लें। जिससे भविष्य में कोई इस तरह की फर्जी कार्रवाई न करे। साथ ही सभ्य समाज के सदस्यों की सुरक्षा संभव हो सके। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- दोषमुक्त अभियुक्त के पास विकल्प है कि वह फर्जी केस दर्ज कराने वाले हिमांशु पटेल, दो गवाहों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। अब वो 5 पॉइंट, जिसके आधार पर अभिषेक बाइज्जत बरी हुए… 1. बाइबिल कहां से आई? इसका जवाब नहीं मिला
कोर्ट ने सभी एविडेंस देखे। गवाहों के बयान दर्ज किए गए। कोर्ट में अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल की तरफ से इस केस की पैरवी बरेली के सीनियर एडवोकेट इमरान खान कर रहे थे। इमरान खान ने बताया- मुझे यकीन था, इस केस में हमारी जीत होगी। पुलिस ने फर्जीवाड़ा कर पहले केस दर्ज किया। फिर चार्जशीट दाखिल कर दी। इमरान खान बताते हैं- पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लिखा था, 40 लोग अभिषेक गुप्ता के घर से मिले। लेकिन, उन 40 में से किसी एक की भी गवाही नहीं ली गई। इसके अलावा मौके पर बाइबिल कहां से आई, इसका जवाब भी नहीं मिला। विवेचक ने बताया कि उन्हें दो बाइबिल मुकदमा दर्ज कराने वाले हिमांशु पटेल ने दीं। केस यहीं से कमजोर हो रहा था। अभिषेक गुप्ता जहां रहते थे, वहां किसी भी व्यक्ति ने उनके खिलाफ कोई तहरीर नहीं दी थी। किसके घर पर कार्यक्रम नहीं होते हैं। लेकिन, अभिषेक के घर पर पुलिस ने दबिश देकर गलत आरोप लगा दिए। 2. FIR लिखाने वाला पीड़ित नहीं था, किसी का धर्म परिवर्तन नहीं हुआ
इमरान खान ने बताया- 29 मई को तहरीर दी गई, 30 मई को FIR दर्ज हुई। केस की विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी कोर्ट में यह नहीं बता पाया कि आखिर यह देरी क्यों और कैसे हुई? उन्होंने कहा, हमने यह जांच नहीं की। इससे FIR ही संदेह के घेरे में आ गई। FIR लिखवाने वाला हिमांशु पटेल न तो पीड़ित था, न ही किसी पीड़ित का संबंधी। ऐसे में वह कैसे FIR लिखवा सकता है? इस सवाल का ठोस जवाब नहीं मिला। जितने भी गवाह पेश हुए, उन्होंने भी यही कहा कि न तो उनका धर्म परिवर्तन हुआ, न ही उनके किसी रिश्तेदार का। जबकि धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में कहा गया है कि पीड़ित या उसका रिलेटिव ही केस कर सकता है। कुल मिलाकर केस तब बनता, जब किसी का धर्म परिवर्तन होता और पीड़ित या उसका रिलेटिव तहरीर देता। 3. 10 किलोमीटर दूर रहता है मुकदमा लिखवाने वाला
केस के विवेचक ने यह तक जानने का प्रयास नहीं किया कि हिमांशु पटेल के पास से बाइबिल कहां से आई थी? विवेचना में यह भी नहीं बताया गया कि हिमांशु पटेल की सूचना का स्रोत क्या था। इसके अलावा कथित घटनास्थल पर रहने वाले पड़ोसियों से भी पूछताछ नहीं की गई। हिमांशु पटेल समेत सभी 8 गवाह अभिषेक गुप्ता के घर से करीब 10 किलोमीटर दूर रहते हैं। इनका अभिषेक गुप्ता से कोई संबंध नहीं था। चार्जशीट में बताया गया- 7 अक्टूबर, 2022 को अभिषेक गुप्ता गिरफ्तार हुआ। उसकी जेब से 100 रुपए का नोट बरामद किया गया। 4. आरोपियों ने अपना धर्म परिवर्तन किया? दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते
एडवोकेट इमरान खान ने कहा- कोर्ट में हमने दोनों आरोपियों की गवाही कराई। अभिषेक गुप्ता ने साफ कहा, उन्होंने कभी भी धर्म परिवर्तन नहीं किया। वो हिंदू हैं और अपने धर्म को मानते हैं। इसी तरह कुंदन लाल ने बताया कि वह कोरी समाज से हैं। लेकिन, कभी भी धर्म परिवर्तन का नाम तक नहीं सुना। न ही उन्हें किसी तरह का कोई लालच मिला। दोनों पर कोई दबाव नहीं था। इसके अलावा अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। न ही केस से पहले दोनों कभी एक-दूसरे से मिले थे। साजिश के तहत कुंदन लाल का नाम चार्जशीट में लिखा गया। फिर उसकी भी गिरफ्तारी हुई। इमरान खान ने बताया- अभिषेक गुप्ता गोरखपुर के रहने वाले हैं। वह बरेली मेडिकल कॉलेज में सिटी स्कैन टेक्नीशियन की पोस्ट पर कार्यरत हैं। अच्छी सैलरी है। ऐसे में वह क्यों धर्म परिवर्तन की राह पर जाते? अभिषेक गुप्ता के फैमिली की भी गवाही कराई गई। 5. राजनीतिक फायदे और पब्लिसिटी के लिए ऐसा किया
इमरान खान ने बताया- सभी गवाहों ने जो बयान दिए, उसमें तहरीर को लेकर भी गड़बड़ थी। इसमें एक नाम त्रिभुवन सिंह का सामने आया। लेकिन, वह गवाही में सामने नहीं आया। विवेचक को भी नहीं पता था कि यह त्रिभुवन सिंह है कौन? गवाहों ने जो कुछ कहा, उससे साफ हुआ कि राजनीतिक फायदे और पब्लिसिटी के लिए इन लोगों ने फर्जी केस कराया। एक निर्दोष को फंसा दिया गया। सोशल मीडिया पर अपनी ब्रांडिंग भी की। मुकदमा लिखवाने वाला एक हिंदू संगठन से जुड़ा था, उसके प्रचार के लिए उसने ऐसा किया। अब जानते हैं अभिषेक गुप्ता ने क्या कहा… परिवार अकेला हो गया, खानदान में बेइज्जती हुई
हमने अभिषेक गुप्ता से फोन पर बात की। उन्होंने बताया- मैं यूपी के गोरखपुर शहर का मूल निवासी हूं। बरेली में रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज में कर्मचारी था। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ बरेली में डोहरा रोड पर किराए पर रह रहा था। मेरे खिलाफ फर्जी केस लिखवाया गया। मुझे अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया। जमानत के लिए मेरी पत्नी ने किसी तरह पैसे इकट्ठे किए और मुझे 40 दिन बाद जेल से निकाला। इस दौरान मेरा परिवार अकेला हो गया। पूरे खानदान में बेइज्जती हुई। मैं जिससे भी कहता कि मैंने कोई धर्म परिवर्तन वाला काम नहीं किया है, वह मुझसे मुंह फेर लेता। लोग मुझे हीन भावना से देखने लगे। पुलिस का घर की दहलीज पर आना ही गलत होता है। लेकिन, जब हाथों में हथकड़ी डाल दी गईं, तब जिंदगी में भूचाल आ गया। नहीं लौट सकती खोई हुई इज्जत
अभिषेक गुप्ता ने कहा- रिश्तेदारों और समाज में मेरी जो बदनामी हुई, वह तो लौट नहीं सकती। मैं बता नहीं सकता कि मुझे समाज में कितनी बदनामी झेलनी पड़ी। मेरी नौकरी चली गई। पुलिस ने मेरे बच्चों से किराए का घर खाली करा दिया। मैंने थाने में पुलिस से कहा था कि मैं हिंदू हूं, धर्म परिवर्तन क्यों कराऊंगा। मैं किसी भी ईसाई समुदाय के व्यक्ति से नहीं जुड़ा हूं। साजिश के तहत मुझ पर आरोप लगाकर केस दर्ज कराया गया। मेरी पत्नी ने भी पुलिस से कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। बच्चों की कसम खाता रहा, लेकिन पुलिस वालों ने नहीं सुना
अभिषेक ने कहा- 40 दिन जेल में मुझे कैसे काटने पड़े, यह मैं ही जानता हूं। जब मेरी पत्नी और परिवार के लोग मुझसे मिलने आए, तो मैं बता नहीं पा रहा था कि मेरे ऊपर क्या बीती? मैंने परिवार से भी यही कहा कि मुझे ऊपर वाले पर भरोसा है, कोर्ट से एक दिन जरूर इंसाफ मिलेगा। मैं मानसिक रूप से इतना आहत हुआ कि लगा मर जाऊं। लेकिन, मेरे परिवार और बच्चों का चेहरा सामने आने लगता। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैंने पुलिस से बच्चों की भी कसम खाई थी। कुंदन लाल कौन है, मुझे नहीं पता
अभिषेक गुप्ता ने कहा- कोर्ट ने बरी होने के बाद यह कह सकूंगा कि कोर्ट से इंसाफ जरूर मिलता है। मैं दूसरे आरोपी कुंदन लाल को नहीं जानता था। बस तारीख पर मिलता था। जज साहब से यही कहता, साहब मैं निर्दोष हूं। अब कोर्ट ने बरी किया तो मुझे बहुत राहत महसूस हुई। जीवन भर कोर्ट को याद करूंगा। इस बरेली ने जो दर्द मुझे दिया है, वह याद रहेगा। जेल से रिहा होकर अपने परिवार के साथ गोरखपुर में रह रहा हूं। मुआवजे के लिए कोर्ट से अपील की गई
अभिषेक के वकील ने इमरान खान ने कहा- जितने दिन केस चला और अभिषेक गुप्ता जेल में रहा। उसके लिए कोर्ट में 50 लाख रुपए मुआवजे की अपील की गई। कोर्ट ने फिलहाल यह कहा है कि दोनों दोषमुक्त अभियुक्त फर्जी केस लिखाने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। यह खबर भी पढ़ें फर्जी रेप में 4.5 साल जेल काटने वाले का दर्द: कहा- मुझे फंसाया, जिंदगी बर्बाद कर दी; बरेली कोर्ट ने प्रेमिका को सुनाई उतनी ही सजा मुझे कैमरे पर नहीं आना। मेरी फोटो-वीडियो मत दिखाइए। बरेली में मुझे जो जख्म मिले, वो अब किसी और को न मिले। निशा ने मेरी जिंदगी खराब कर दी। मेरे ऊपर बहुत गंदा आरोप लगाया। बीमार मां मेरे लिए कितना परेशान रही, मैं ही जानता हूं। ये दर्द उस युवक का है, जो साढ़े 4 साल यानी 1653 दिन झूठे रेप केस में बरेली जेल में रहा। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर