पंजाब की राजनीति में हरियाणा विधानसभा को जमीन देने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आज (रविवार को) गवर्नर गुलाब चंद कटारिया का बयान सामने आया है। गवर्नर कटारिया आज चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। मीडिया की तरफ से पूछे गए सवाल के बाद गवर्नर कटारिया ने इस विवाद पर स्थिति को स्पष्ट किया। गवर्नर कटारिया ने कहा कि, चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा को कोई जमीन अलॉट नहीं हुई है। उनका एक प्रस्ताव बहुत समय से पेंडिंग पड़ा हुआ है। जब तक निर्णय नहीं होता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। गौरतलब है कि दो दिन पहले शुक्रवार को पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस पंजाब गवर्नर से मिले थे। जिसमें उन्होंने हरियाणा को जमीन आवंटित करने के कदम का विरोध जताया था और ज्ञापन सौंपा था। वित्त मंत्री ने कहा था- चंडीगढ़, पंजाब का है और हम हरियाणा को एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार है। हम अपने अधिकार के लिए लड़ेंगे। हरियाणा को चंडीगढ़ में जमीन आवंटित करना गलत है और यह पंजाब के तीन करोड़ लोगों की भावनाओं का उल्लंघन है। हरियाणा ने किया पलटवार हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब सरकार पर पलटवार करते हुए इसे “गंदी राजनीति” बताया। उन्होंने कहा था- चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों का हिस्सा है। हरियाणा का भी चंडीगढ़ पर अधिकार है। हम अपनी विधानसभा चंडीगढ़ में क्यों नहीं बना सकते? सैनी ने पंजाब सरकार से एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) नहर के पानी का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पंजाब ने हरियाणा का पानी रोककर भाईचारे को नुकसान पहुंचाया है। हरियाणा को पंचकूला में विधानसभा बनाने की सलाह हरपाल सिंह चीमा ने हरियाणा सरकार को सुझाव दिया कि वह अपना विधानसभा भवन पंचकूला में बनाए, जो चंडीगढ़ के करीब ही है। उन्होंने कहा- 1966 में हरियाणा के गठन के समय यह स्पष्ट था कि वह अपनी राजधानी अलग बनाएगा। छह दशकों तक हरियाणा अपनी राजधानी नहीं बना सका और अब वह चंडीगढ़ पर दावा कर रहा है। यह अस्वीकार्य है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल- बीजेपी सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने पंजाब के अधिकारों की रक्षा करने में असफलता दिखाई। हरियाणा का प्रस्ताव और पर्यावरणीय मंजूरी हरियाणा सरकार ने पंचकूला में 12 एकड़ जमीन के बदले चंडीगढ़ में आईटी पार्क रोड के पास 10 एकड़ जमीन मांगी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस भूमि आवंटन को कथित तौर पर मंजूरी दे दी है। चंडीगढ़ विवाद का इतिहास यह पहली बार नहीं है जब पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ को लेकर विवाद हुआ है। अप्रैल 2022 में पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके जवाब में हरियाणा विधानसभा ने भी प्रस्ताव पारित कर चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जताया था। 1966 में हरियाणा के गठन के समय यह तय हुआ था कि हरियाणा अपनी अलग राजधानी बनाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चंडीगढ़ अभी भी पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी के रूप में काम करता है। वर्तमान में पंजाब और हरियाणा की विधानसभाएं चंडीगढ़ में एक ही परिसर में स्थित हैं। पंजाब की राजनीति में हरियाणा विधानसभा को जमीन देने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आज (रविवार को) गवर्नर गुलाब चंद कटारिया का बयान सामने आया है। गवर्नर कटारिया आज चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। मीडिया की तरफ से पूछे गए सवाल के बाद गवर्नर कटारिया ने इस विवाद पर स्थिति को स्पष्ट किया। गवर्नर कटारिया ने कहा कि, चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा को कोई जमीन अलॉट नहीं हुई है। उनका एक प्रस्ताव बहुत समय से पेंडिंग पड़ा हुआ है। जब तक निर्णय नहीं होता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। गौरतलब है कि दो दिन पहले शुक्रवार को पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस पंजाब गवर्नर से मिले थे। जिसमें उन्होंने हरियाणा को जमीन आवंटित करने के कदम का विरोध जताया था और ज्ञापन सौंपा था। वित्त मंत्री ने कहा था- चंडीगढ़, पंजाब का है और हम हरियाणा को एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार है। हम अपने अधिकार के लिए लड़ेंगे। हरियाणा को चंडीगढ़ में जमीन आवंटित करना गलत है और यह पंजाब के तीन करोड़ लोगों की भावनाओं का उल्लंघन है। हरियाणा ने किया पलटवार हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब सरकार पर पलटवार करते हुए इसे “गंदी राजनीति” बताया। उन्होंने कहा था- चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों का हिस्सा है। हरियाणा का भी चंडीगढ़ पर अधिकार है। हम अपनी विधानसभा चंडीगढ़ में क्यों नहीं बना सकते? सैनी ने पंजाब सरकार से एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) नहर के पानी का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पंजाब ने हरियाणा का पानी रोककर भाईचारे को नुकसान पहुंचाया है। हरियाणा को पंचकूला में विधानसभा बनाने की सलाह हरपाल सिंह चीमा ने हरियाणा सरकार को सुझाव दिया कि वह अपना विधानसभा भवन पंचकूला में बनाए, जो चंडीगढ़ के करीब ही है। उन्होंने कहा- 1966 में हरियाणा के गठन के समय यह स्पष्ट था कि वह अपनी राजधानी अलग बनाएगा। छह दशकों तक हरियाणा अपनी राजधानी नहीं बना सका और अब वह चंडीगढ़ पर दावा कर रहा है। यह अस्वीकार्य है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल- बीजेपी सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने पंजाब के अधिकारों की रक्षा करने में असफलता दिखाई। हरियाणा का प्रस्ताव और पर्यावरणीय मंजूरी हरियाणा सरकार ने पंचकूला में 12 एकड़ जमीन के बदले चंडीगढ़ में आईटी पार्क रोड के पास 10 एकड़ जमीन मांगी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस भूमि आवंटन को कथित तौर पर मंजूरी दे दी है। चंडीगढ़ विवाद का इतिहास यह पहली बार नहीं है जब पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ को लेकर विवाद हुआ है। अप्रैल 2022 में पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके जवाब में हरियाणा विधानसभा ने भी प्रस्ताव पारित कर चंडीगढ़ पर अपना अधिकार जताया था। 1966 में हरियाणा के गठन के समय यह तय हुआ था कि हरियाणा अपनी अलग राजधानी बनाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चंडीगढ़ अभी भी पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी के रूप में काम करता है। वर्तमान में पंजाब और हरियाणा की विधानसभाएं चंडीगढ़ में एक ही परिसर में स्थित हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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