पंजाब में आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के स्टार नेता राहुल गांधी आ रहे है। वह लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों के लिए चुनावी रैलियां करेंगे। आज सुबह साढ़े 10 बजे राहुल गांधी दाना मंडी दाखा में रैली को संबोधित करेंगे। 15 हजार से अधिक लगी कुर्सियां लुधियाना में राहुल प्रदेश कांग्रेस के प्रधान अमरिंद्र सिंह राजा वड़िंग के लिए प्रचार करेंगे। राहुल गांधी के आने की खबर के बाद से कांग्रेसी वर्करों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। बीते दिन रैली की तैयारियां मुकम्मल तौर पर पूरी कर ली गई थी। करीब 15 हजार से अधिक कुर्सियां कांग्रेसी नेताओं ने लगवाई है। 500 से अधिक पुलिस मुलाजिम तैनात जिला पुलिस प्रशासन द्वारा रैली में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रखी जा रही है। 500 से अधिक पुलिस मुलाजिम रैली स्थल नजदीक सिक्योरिटी में तैनात रहेंगे। रैली स्थल पर प्रशासन के द्वारा भी सीसीटीवी लगवाए जा रहे है। कुछ पुलिस कर्मी सादी वर्दियों में भी तैनात रहेंगे। लुधियाना से रैली समाप्त करके राहुल फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र की कांग्रेस की उम्मीदवार अमरजीत कौर साहोके और होशियारपुर लोकसभा क्षेत्र की उम्मीदवार यामिनी गोमर के पक्ष में भी प्रचार करेंगे। पंजाब में आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के स्टार नेता राहुल गांधी आ रहे है। वह लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों के लिए चुनावी रैलियां करेंगे। आज सुबह साढ़े 10 बजे राहुल गांधी दाना मंडी दाखा में रैली को संबोधित करेंगे। 15 हजार से अधिक लगी कुर्सियां लुधियाना में राहुल प्रदेश कांग्रेस के प्रधान अमरिंद्र सिंह राजा वड़िंग के लिए प्रचार करेंगे। राहुल गांधी के आने की खबर के बाद से कांग्रेसी वर्करों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। बीते दिन रैली की तैयारियां मुकम्मल तौर पर पूरी कर ली गई थी। करीब 15 हजार से अधिक कुर्सियां कांग्रेसी नेताओं ने लगवाई है। 500 से अधिक पुलिस मुलाजिम तैनात जिला पुलिस प्रशासन द्वारा रैली में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रखी जा रही है। 500 से अधिक पुलिस मुलाजिम रैली स्थल नजदीक सिक्योरिटी में तैनात रहेंगे। रैली स्थल पर प्रशासन के द्वारा भी सीसीटीवी लगवाए जा रहे है। कुछ पुलिस कर्मी सादी वर्दियों में भी तैनात रहेंगे। लुधियाना से रैली समाप्त करके राहुल फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र की कांग्रेस की उम्मीदवार अमरजीत कौर साहोके और होशियारपुर लोकसभा क्षेत्र की उम्मीदवार यामिनी गोमर के पक्ष में भी प्रचार करेंगे। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
अमृतसर बॉर्डर पर तस्कर से 2 करोड़ बरामद:सूचना के बाद BSF ने की रिकवरी; सर्च ऑपरेशन जारी
अमृतसर बॉर्डर पर तस्कर से 2 करोड़ बरामद:सूचना के बाद BSF ने की रिकवरी; सर्च ऑपरेशन जारी सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने चुनाव के एक दिन बाद एक तस्कर के घर पर छापा मारकर 2 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। BSF को मिली जानकारी के बाद पंजाब पुलिस की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया। अमृतसर के सीमावर्ती गांव कक्कड़ में यह तलाशी अभियान अभी भी जारी है। बीएसएफ अधिकारियों द्वारा जारी सूचना के अनुसार सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल एक संदिग्ध तस्कर के घर पर तलाशी अभियान चलाया गया। छापेमारी के दौरान संदिग्ध के घर से करीब 2 करोड़ रुपये की ड्रग मनी बरामद की गई। आगे की करेंसी की गिनती और तलाशी अभियान जारी है। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि यह बरामदगी सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी को खत्म करने के लिए बल की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
पंजाब सरकार का केंद्र पर आरोप:RDF रोक मंडी बोर्ड को खत्म करने की कोशिश, AAP विधायक बोले- जाखड़-बिट्टू चुप क्यों
पंजाब सरकार का केंद्र पर आरोप:RDF रोक मंडी बोर्ड को खत्म करने की कोशिश, AAP विधायक बोले- जाखड़-बिट्टू चुप क्यों पंजाब के रुके हुए ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) के मामले में राज्य की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जुबानी हमला बोला है। आप विधायक दिनेश चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर आरडीएफ रोककर पंजाब की मंडी बोर्ड व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश कर रही है। आप विधायक दिनेश चड्ढा ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनके मित्र कॉरपोरेट घराने पंजाब की मंडियों पर कब्जा कर लें। लेकिन उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं होने देंगे। साथ ही उन्होंने भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से सवाल किया है कि वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं। उन्होंने पंजाब के नवनिर्वाचित सांसदों से मांग की है कि वे इस मामले को संसद में प्रमुखता से उठाएं। 66 हजार किमी सड़कों का मामला लटका चड्ढा ने बताया कि केंद्र सरकार ने पहले किसानों के लिए तीन कृषि कानून लागू किए थे, लेकिन जब किसानों के संघर्ष के चलते सरकार इसमें कामयाब नहीं हो पाई तो यह चाल चली गई । केंद्र की तरफ से करीब 6700 करोड़ रुपए का फंड रोका गया। क्योंकि RDF का सारा पैसा गांवों के लिए खर्च होता है। उससे ग्रामीण एरिया की 66 हजार किलोमीटर सड़क बनाई जानी थी। लेकिन जानबूझकर ऐसा किया गया। उन्होंने कहा कि पंजाब के खिलाफ जानबूझकर साजिश रची जा रही है। मंडी बोर्ड को तबाह किया जा रहा है। सरकार पहुंच चुकी है सुप्रीम कोर्ट चड्ढा ने बताया कि उनकी सरकार RDF को हासिल करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। सरकार की तरफ से RDF मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस डाला गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही फैसला उनके पक्ष में आएगा। उन्होंने पंजाब के नए चुने गए सांसदों से अपील की है कि वह इस मामले को प्रमुखता से संसद में उठाए। ताकि यह पैसा पंजाब को मिल पाए।
अकाल तख्त साहिब पर 5 जत्थेदारों की बैठक:बागी शिअद गुट की माफी पर होगा विचार, अध्यक्ष सुखबीर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
अकाल तख्त साहिब पर 5 जत्थेदारों की बैठक:बागी शिअद गुट की माफी पर होगा विचार, अध्यक्ष सुखबीर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। SAD बागी गुट की तरफ से श्री अकाल तख्त साहिब पर 1 जुलाई को दिए गए माफीनामे पर जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से सभी तख्तों के जत्थेदारों की सोमवार को बैठक बुला ली है। इस बैठक में सभी जत्थेदार मिल कर SAD बागी गुट की तरफ से दिए गए माफीनामे पर विचार करेंगे। अकाली दल के लिए भविष्य के लिए ये बैठक अहम होने जा रही है। हाशिए पर खड़े अकाली दल को लेकर सिर्फ बागी गुट ही नहीं, विरोधी पार्टियां भी चिंतित हैं। वहीं, बागी गुट खुल कर झूंदा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहा है। इसके अलावा अकाली दल के अध्यक्ष पद से सुखबीर बादल को हटाने की मांग भी प्रबल होती जा रही है। हालांकि इस पर अभी तक अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनकी तरफ से पदाधिकारियों की बैठकों को बुला कर अपना शक्ति प्रदर्शन जाहिर कर दिया गया है। माफीनामे के शब्द बढ़ा सकते हैं सुखबीर बादल की दिक्कतें श्री अकाल तख्त साहिब पर बागी गुट की तरफ से दिए गए माफी नामे में लिखी गई बातें अकाली दल सुखबीर बादल की मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं। इस माफी नामे में बागी गुट ने साफ तौर पर सुखबीर बादल का साथ देने के लिए माफियां मांगी हैं, लेकिन इसके साथ ही बादल परिवार पर वे आरोप लगाए हैं, जिन्हें लेकर सिख समुदाय में लंबे समय से गुस्सा चला आ रहा है। जानें क्या लिखा है माफीनामे में बागी गुट के अकाल तख्त को सौंपे माफीनामे में कबूली 4 गलतियां… 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। चंदूमाजरा की अध्यक्षता में चल रहा विरोधी गुट सुखबीर बादल के खिलाफ अकाली दल के बागी गुट की अगुआई प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। उनके साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला भी हैं। अकाली दल में फूट की वजह, 2 बार लगातार सरकार, फिर 2 बार हार अकाली दल में फूट की वजह सत्ता से बाहर होना है। 2008 तक अकाली दल प्रकाश सिंह बादल के हाथों में था, जबकि 2012 के चुनाव भी प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में हुए। 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 62 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, जबकि अकाली दल ने 34 सीटें हासिल की। 2007 में अकाली दल फिर सत्ता में आई और 67 पर जीत हासिल की। इस दौरान कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई। 2012 के चुनावों में पहली बार अकाली दल ने खुद को रिपीट किया। प्रकाश सिंह बादल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अकाली दल ने 68 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की। इसके बाद 2017 में अकाली दल को सुखबीर बादल ने अपने हाथों में लिया। उन्होंने चुनाव की अगुआई की। मगर अकाली दल 18 सीटों पर सिमट गया और कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर सरकार बना ली। इस चुनाव में अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा क्योंकि 20 सीटें आम आदमी पार्टी जीत गई। 2022 में अकाली दल की स्थिति और दयनीय हो गई। आप 92, कांग्रेस 18 और अकाली दल मात्र 3 सीटों पर सिमट गई। लोकसभा में लगातार 2 बार 4 सीट जीती, अब एक सीट आई 2004 लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस ने 8, बीजेपी एक और शिरोमणि अकाली दल ने एक 4 सीट जीती थीं। जबकि साल 2014 में कांग्रेस 3, भाजपा 2, शिरोमणि अकाली दल 4, AAP 4 सीटों पर विजेता बनी थी। इसी तरह साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 8, शिरोमणि अकाली दल 2, भाजपा 2 और AAP को एक सीट मिली। इसी तरह साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस 7, आप 3, शिरोमणि अकाली दल एक, दो आजाद उम्मीदवार जीते। झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग हो रही ये गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है।