पंजाब सरकार के 1993 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी शिव प्रसाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेंगे। सरकार ने उनके आवेदन को मंजूरी दे दी है। फिलहाल वे पंजाब के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं। पहले उन्हें 2030 में सेवानिवृत्त होना था। ऐसे में वे फरवरी महीने में सेवानिवृत्त हो सकते हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान भी किया था आवेदन इससे पहले उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए भी वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने आवेदन वापस ले लिया था। इस बार उन्होंने दिसंबर 2024 में आवेदन किया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें आवेदन वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वे अड़े रहे। प्रसाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के रिश्तेदार भी हैं। संभावना है कि वे किसी एनजीओ से हाथ मिलाएंगे। प्रसाद अपनी साहित्यिक रुचि के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने आधुनिक जीवन में भगवद गीता के प्रभाव पर एक किताब भी लिखी है। पिछले साल तीन अफसरों ने ली थी VRS इससे पहले पंजाब पुलिस के दो आईएएस और आईपीएस अफसरों ने भी वीआरएस ले लिया था। इनमें आईएएस अफसर करनैल सिंह और परमपाल सिंह सिद्धू शामिल थे। 2011 बैच की आईएएस अफसर परमपाल कौर ने भाजपा के टिकट पर बठिंडा से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसी तरह 1995 बैच के आईपीएस अफसर गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वीआरएस लेकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। तब वे पंजाब पुलिस में एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर थे। पंजाब सरकार के 1993 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी शिव प्रसाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेंगे। सरकार ने उनके आवेदन को मंजूरी दे दी है। फिलहाल वे पंजाब के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं। पहले उन्हें 2030 में सेवानिवृत्त होना था। ऐसे में वे फरवरी महीने में सेवानिवृत्त हो सकते हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान भी किया था आवेदन इससे पहले उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए भी वीआरएस के लिए आवेदन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने आवेदन वापस ले लिया था। इस बार उन्होंने दिसंबर 2024 में आवेदन किया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें आवेदन वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वे अड़े रहे। प्रसाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के रिश्तेदार भी हैं। संभावना है कि वे किसी एनजीओ से हाथ मिलाएंगे। प्रसाद अपनी साहित्यिक रुचि के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने आधुनिक जीवन में भगवद गीता के प्रभाव पर एक किताब भी लिखी है। पिछले साल तीन अफसरों ने ली थी VRS इससे पहले पंजाब पुलिस के दो आईएएस और आईपीएस अफसरों ने भी वीआरएस ले लिया था। इनमें आईएएस अफसर करनैल सिंह और परमपाल सिंह सिद्धू शामिल थे। 2011 बैच की आईएएस अफसर परमपाल कौर ने भाजपा के टिकट पर बठिंडा से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसी तरह 1995 बैच के आईपीएस अफसर गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वीआरएस लेकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। तब वे पंजाब पुलिस में एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ 7 फरवरी को रिलीज होगी:पूरी फिल्म, कोई कट नहीं, भारत में नहीं दिखाई जाएगी, जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर आधारित पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ की नई चर्चित फिल्म “पंजाब-95” अगले महीने 7 फरवरी को रिलीज होगी। इस बात की जानकारी खुद दिलजीत दोसांझ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है। फिल्म की रिलीज की जानकारी देते हुए दिलजीत ने लिखा- फुल मूवी, नो कट्स। हालांकि यह फिल्म इंडिया में रिलीज नहीं हो रही है। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 120 कट लगाने के लिए कहे थे, लेकिन फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और खालड़ा के परिवार के लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिस कारण फिल्म की रिलीज इंडिया में रोक दी गई है। इस फिल्म को रिलीज होने के लिए करीब 1 साल का इंतजार करना पड़ा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने पहले फिल्म में 120 कट्स की मांग की थी, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था। दिलजीत की पोस्ट से साफ है कि यह फिल्म अब बिना कट्स के रिलीज हो रही है। यह फिल्म मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है और आतंकवाद के दौर को दर्शाती है। कट्स का खालड़ा के परिवार ने किया था विरोध बीते साल जब इस फिल्म की रिलीज को रोका गया तो जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा ने सेंसर बोर्ड की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनके पति के जीवन पर बनी एक सच्ची बायोपिक है, जिसे उनके परिवार की सहमति से बनाया गया और इसे बिना किसी कट के रिलीज किया जाना चाहिए। परमजीत कौर खालड़ा ने यह भी बताया था कि लगभग चार साल पहले उनके परिवार ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी थी और निर्देशक हनी त्रेहन को फिल्म बनाने की अनुमति दी थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दिलजीत दोसांझ को जसवंत सिंह खालड़ा की भूमिका निभाने के लिए चुना गया था और इस चयन से परिवार पूरी तरह संतुष्ट था। उन सिखों की कहानी, जिन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारा गया जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने खुलासा किया कि उस दौर में हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया गया, फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया और उनके शवों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया। श्मशान घाटों से फर्जी मुठभेड़ों का लिया था आंकड़ा खालड़ा ने पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही इन गुमशुदगी और हत्याओं को उजागर किया था। उन्होंने उस समय में अमृतसर के श्मशान घाटों का दौरा कर यह जानकारी जुटाई कि वहां 6,000 से अधिक शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया गया था। यह जानकारी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी साझा की, जिससे भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल खड़े हुए। परिवार का आरोप- हिरासत में लेकर की हत्या खालड़ा को सिखों के हकों के लिए लड़ने का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था। परिवार का आरोप है कि 6 सितंबर 1995 को पुलिस ने खालड़ा का उनके घर से अपहरण कर लिया। इसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जिसके बाद, जसवंत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दी और कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था।
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