पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब खिलाड़ी भर्ती (प्रथम संशोधन) नियम, 2020 के उस विवादास्पद प्रावधान को खारिज कर दिया है, जिसमें खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए पात्रता को केवल सीनियर स्तर के खिलाड़ियों तक सीमित करने की कोशिश की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी पाने का पूरा अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2020 के संशोधन को दी थी चुनौती जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की बैंच ने अपने आदेश में कहा कि 2020 में किए गए संशोधित नियमों को उन एथलीटों पर लागू नहीं किया जा सकता जो मूल भर्ती नियम, 1988 के तहत पात्र हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे नियम खिलाड़ियों के करियर को प्रभावित कर सकते हैं, जो राज्य के लिए सम्मान अर्जित करते हैं। कोर्ट ने यह फैसला दिवराज सिंह, मनवीर सिंह और करणदीप सिंह ढींडसा द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया, जिन्होंने नियम 2020 के संशोधन को चुनौती दी थी। इस महत्वपूर्ण फैसले से यह सुनिश्चित हुआ है कि जूनियर स्तर के खिलाड़ियों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा और वे भी अपनी मेहनत और प्रतिभा के आधार पर सरकारी नौकरी के हकदार रहेंगे। कोर्ट का यह फैसला उन हजारों युवा खिलाड़ियों के लिए राहत की खबर है, जो भविष्य में सरकारी नौकरियों की आशा रखते हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब खिलाड़ी भर्ती (प्रथम संशोधन) नियम, 2020 के उस विवादास्पद प्रावधान को खारिज कर दिया है, जिसमें खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए पात्रता को केवल सीनियर स्तर के खिलाड़ियों तक सीमित करने की कोशिश की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी पाने का पूरा अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2020 के संशोधन को दी थी चुनौती जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की बैंच ने अपने आदेश में कहा कि 2020 में किए गए संशोधित नियमों को उन एथलीटों पर लागू नहीं किया जा सकता जो मूल भर्ती नियम, 1988 के तहत पात्र हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे नियम खिलाड़ियों के करियर को प्रभावित कर सकते हैं, जो राज्य के लिए सम्मान अर्जित करते हैं। कोर्ट ने यह फैसला दिवराज सिंह, मनवीर सिंह और करणदीप सिंह ढींडसा द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया, जिन्होंने नियम 2020 के संशोधन को चुनौती दी थी। इस महत्वपूर्ण फैसले से यह सुनिश्चित हुआ है कि जूनियर स्तर के खिलाड़ियों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा और वे भी अपनी मेहनत और प्रतिभा के आधार पर सरकारी नौकरी के हकदार रहेंगे। कोर्ट का यह फैसला उन हजारों युवा खिलाड़ियों के लिए राहत की खबर है, जो भविष्य में सरकारी नौकरियों की आशा रखते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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