पंजाब में जल्द ही शराब और महंगी हो सकती है। पंजाब सरकार ने वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए नई आबकारी नीति का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। इस बार राज्य में शराब के दाम बढ़ सकते हैं। सरकार विदेशी और देसी शराब के दामों में 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। इसके साथ ही बार लाइसेंस फीस में भी बढ़ोतरी की जा सकती है। पंजाब सरकार ने इस वित्त वर्ष में 10,350 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा था। अब तक इसका 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। राज्य की वित्तीय हालत सुधारने के लिए सरकार 2025-26 में आबकारी नीति के जरिए राजस्व बढ़ाने जा रही है। पंजाब की मौजूदा सरकार ने अभी तक शराब के दामों में बढ़ोतरी नहीं की है। पिछली बार भी विदेशी शराब के दाम कम किए गए थे। वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए लिया जा सकता है फैसला कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए नियुक्त सलाहकारों ने वित्त विभाग को शराब की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। मुख्य सचिव और वित्त आयुक्त विकास प्रताप ने नई आबकारी नीति के लिए राज्य के शराब कारोबारियों से सुझाव भी मांगे हैं। शराब कारोबारियों के सुझावों पर 24 दिसंबर को चर्चा की जाएगी। मौजूदा आबकारी नीति 11 जून 2025 तक लागू रहेगी। पंजाब में जल्द ही शराब और महंगी हो सकती है। पंजाब सरकार ने वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए नई आबकारी नीति का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। इस बार राज्य में शराब के दाम बढ़ सकते हैं। सरकार विदेशी और देसी शराब के दामों में 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। इसके साथ ही बार लाइसेंस फीस में भी बढ़ोतरी की जा सकती है। पंजाब सरकार ने इस वित्त वर्ष में 10,350 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा था। अब तक इसका 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। राज्य की वित्तीय हालत सुधारने के लिए सरकार 2025-26 में आबकारी नीति के जरिए राजस्व बढ़ाने जा रही है। पंजाब की मौजूदा सरकार ने अभी तक शराब के दामों में बढ़ोतरी नहीं की है। पिछली बार भी विदेशी शराब के दाम कम किए गए थे। वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए लिया जा सकता है फैसला कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए नियुक्त सलाहकारों ने वित्त विभाग को शराब की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। मुख्य सचिव और वित्त आयुक्त विकास प्रताप ने नई आबकारी नीति के लिए राज्य के शराब कारोबारियों से सुझाव भी मांगे हैं। शराब कारोबारियों के सुझावों पर 24 दिसंबर को चर्चा की जाएगी। मौजूदा आबकारी नीति 11 जून 2025 तक लागू रहेगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में नहीं दिखाई गई फिल्म ‘इमरजेंसी’:PVR ने 80 थिएटरों में शो रोके; कंगना रनोट बोलीं- यह कला और कलाकार का उत्पीड़न बॉलीवुड एक्टर एवं हिमाचल के मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी शुक्रवार को रिलीज हो गई। पहले ही दिन पंजाब में सिख संगठन इसके विरोध में उतर आए। अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली में थिएटर्स के बाहर सिख संगठनों के सदस्य काले झंडे लेकर विरोध किया। राज्य के किसी भी थिएटर में फिल्म नहीं दिखाई गई। PVR ग्रुप के 70 से 80 थिएटरों पर ये फिल्म दिखाई जानी थी, विरोध के बाद इन थिएटरों पर फिल्म नहीं लगी। लॉ स्टूडेंट सफल हरप्रीत सिंह की तरफ से कंगना को कानूनी नोटिस भेजा गया है, जिसमें 5 दिन में पूरे पंजाब व सिख कम्युनिटी से माफी मांगने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर वे लीगल नोटिस का जवाब नहीं देतीं, तो इस मामले में कानून का सहारा लेंगे। उधर, कंगना ने X पर लिखा- ‘यह पूरी तरह से कला और कलाकार का उत्पीड़न है। पंजाब से कई शहरों से खबरें आ रही हैं कि ये लोग इमरजेंसी को चलने नहीं दे रहे। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। चंडीगढ़ में पढ़ाई और बड़े होने के बाद मैंने सिख धर्म को करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह मेरी छवि खराब करने और मेरी फिल्म इमरजेंसी को नुकसान पहुंचाने के लिए सरासर झूठ और दुष्प्रचार है।’ SGPC का सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। इसके बाद ही शुक्रवार को सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन किया। SGPC प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने गुरुवार को पंजाब CM भगवंत मान को लेटर भी लिखा था। लेटर में धामी ने कहा था- ‘इमरजेंसी’ को पंजाब में बैन किया जाए। फिल्म में 1975 के आपातकाल के दौरान सिखों और उनके संघर्ष को जैसा दिखाया गया है, वह इतिहास से मेल नहीं खाता और सिखों की गलत छवि बना रहा है। धामी का आरोप है, फिल्म में सिखों के बलिदान और योगदान को नजरअंदाज किया गया। उन्हें नकारात्मक दिखाया गया। सिखों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पंजाब में फिल्म रिलीज रोकी जाए।’ पंजाब व केंद्र सरकार को भेजा पत्र SGPC के सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा- ‘आज पंजाब में कंगना की फिल्म इमरजेंसी रिलीज न किए जाने को लेकर 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बांग्लादेश में बैन हो चुकी है। ट्रेलर में आतंकवाद, ऑपरेशन ब्लू स्टार और जरनैल सिंह भिंडरांवाला के बारे में कोई सीन नहीं दिखाया गया। इसके बावजूद SGPC ने फिल्म को बैन करने की मांग रखी। SGPC ने कहा कि फिल्म रिलीज से पहले उसे किसी भी धार्मिक संस्था से पास नहीं करवाया गया। SGPC को फिल्म के इन सीन पर आपत्ति फिल्म में 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए लगाए गए आपातकाल के समय की घटनाओं को दिखाया गया है। खासतौर पर इसमें सिखों के खिलाफ हुई ज्यादतियों, गोल्डन टेंपल पर सेना की कार्रवाई और बाकी घटनाओं को दिखाया गया है। SGPC का दावा है कि फिल्म में इन घटनाओं को गलत रूप में पेश किया है। पंजाब सरकार का कोई बयान नहीं पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमन वर्मा ने कहा- पंजाब की अमन शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम करने की इजाजत नही दी जाएगी। फिल्म पर रोक लगाने का फैसला मुख्यमंत्री को लेना है। पहले ट्रेलर के बाद शुरू हुआ था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था SGPC ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीन्स पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने फिल्म में करवाए तीन कट व 10 बदलाव **************** कंगना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- SGPC की कंगना की फिल्म इमरजेंसी को लेकर चेतावनी: सिख भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप कंगना की फिल्म इमरजेंसी रिलीज होने से पहले गुरुवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर से मिले थे। उन्होंने फिल्म पर बैन लगाने की मांग की थी। उनका आरोप था कि यह फिल्म सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करती है। पढ़ें पूरी खबर
अकाली दल की हार पर मनप्रीत अय्याली का ऐलान:लिखा- झूंदा रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से रहूंगा दूर, सुखबीर पर साधा निशाना
अकाली दल की हार पर मनप्रीत अय्याली का ऐलान:लिखा- झूंदा रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से रहूंगा दूर, सुखबीर पर साधा निशाना पंजाब में लोकसभा चुनाव में बड़ी हार झेलने वाली शिरोमणि अकाली दल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी की अंदरूनी कलह अब सामने आने लगी है। लुधियाना के दाखा हलके के विधायक मनप्रीत सिंह अय्याली ने आज अकाली दल की हार के बाद सोशल मीडिया फेसबुक के जरिए सार्वजनिक तौर पर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने सुखबीर बादल पर भी निशाना साधा है। मनप्रीत सिंह अय्याली ने लिखा- मैंने झुंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से दूर रहने का फैसला किया है। शिरोमणि अकाली दल पंजाब का एक पंथक और सिरमौर समूह है, जिसका इतिहास काफी अच्छा रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय में पार्टी नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों की वजह से अकाली दल में बड़ी वैचारिक गिरावट आई है। पार्टी पहले भी किसानी और वर्तमान में पंजाब में चल रही पंथक सोच को पहचानने में विफल रही है। आपको बता दें कि अभी तक अकाली दल ने झुंदा कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में लिखा है कि अगर किसी वजह से पार्टी का ग्राफ गिर रहा है तो उस पर तुरंत विचार कर कार्रवाई की जानी चाहिए। यहां तक कि पार्टी प्रमुख को बदलने की बात भी लिखी गई है। अय्याली ने लिखा कि किसानी और पंथ पंजाबियों का भरोसा हासिल करने के लिए आज पार्टी को बड़े फैसले लेने की जरूरत है ताकि जो पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत किया जा सके। पढ़े कौन है विधायक मनप्रीत अय्याली
मनप्रीत सिंह अय्याली पंजाब विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल के नेता हैं। वह वर्तमान में दाखा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक है। अय्याली का जन्म 6 जनवरी 1975 को हुआ था। उनके पिता गुरचरणजीत सिंह एक राजनीतिज्ञ और किसान हैं। उनके पिता 15 साल तक अपने गांव के सरपंच रहे हैं। अय्याली ने 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज छोड़ दिया। 1998 में, वे अपने गांव की कृषि समिति के अध्यक्ष बने और बाद में सरपंच के रूप में कार्य किया। 2007 में वे लुधियाना जिला परिषद के अध्यक्ष बने। 2012 में पहली बार लड़ा विधान सभा चुनाव पहली बार 2012 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल के लिए विधायक रहे । 2014 में अयाली ने लुधियाना लोकसभा सीट के लिए सांसद का चुनाव लड़ा, लेकिन रवनीत सिंह बिट्टू से तीसरे स्थान पर हार गए । अय्याली ने 2007 से 2013 तक लुधियाना जिला परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 2013 में उन्हें भारत के प्रधान मंत्री की उपस्थिति में देश में सर्वश्रेष्ठ जिला परिषद अध्यक्ष का पुरस्कार मिला । 2017 में अय्याली एचएस फुल्का से 4,169 वोटों से सीट हार गए थे ।फुल्का के इस्तीफे और उसके बाद हुए उपचुनाव के बाद 2019 में उन्होंने संदीप संधू को हराकर फिर से सीट हासिल की।
अय्याली 2022 में तीसरी बार दाखा विधानसभा क्षेत्र से जीते। पंजाब विधानसभा में शिअद के केवल तीन सफल उम्मीदवार थे। आम आदमी पार्टी ने 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में 117 में से 92 सीटें जीतकर सोलहवीं पंजाब विधानसभा में 79% का मजबूत बहुमत हासिल किया। 2022 के भारतीय राष्ट्रपति चुनाव के लिए शिअद ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया, बावजूद इसके कि शिअद अब एनडीए का हिस्सा नहीं है। अय्याली ने चुनाव में मतदान से परहेज किया।
नशा पीड़ितों को नशा छुड़ाओ केंद्र में दाखिल करवाया
नशा पीड़ितों को नशा छुड़ाओ केंद्र में दाखिल करवाया जालंधर| देहात पुलिस ने नशे की लत के खिलाफ चलाए जा रहे संपर्क मुहिम के तहत थाना पतारा के जेतेवाली गांव के दो युवकों को जालंधर के सिविल अस्पताल के मॉडल ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर में भर्ती कराया। स्थानीय पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार, दोनों युवक 34 से 40 साल के बीच के हैं। एसएसपी हरकमल प्रीत सिंह खख ने बताया िक नशा मुक्ति केंद्र में चिकित्सा देखभाल और परामर्श सहित व्यापक उपचार िदया जाएगा। इसका लक्ष्य रोगियों को समाज में फिर से शामिल करना है।