लोकसभा चुनाव जीतने वाले पंजाब के चार और पड़ोसी राज्य हरियाणा के एक विधायक को 20 जून से पहले अपने विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। यह कानूनी तौर पर जरूरी है। क्योंकि सभी लोकसभा सांसदों के चुनाव से जुड़ी अधिसूचना 6 जून 2024 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित हो चुकी है। इनके इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग उपचुनाव के लिए आगे की कार्रवाई शुरू करेगा। जानकारी के मुताबिक, इस बार लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से कांग्रेस के दो विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा और लुधियाना से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वंडिंग चुनाव जीते हैं। ये दोनों क्रमश: डेरा बाबा नानक और गिद्दड़बाहा से विधायक हैं। इसी तरह संगरूर से चुनाव जीतने वाले आप के मंत्री गुरमीत सिंह मीत बरनाला से विधायक हैं। जबकि कांग्रेस छोड़कर आप के टिकट पर होशियारपुर से चुनाव लड़ने वाले राज कुमार चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इसी तरह पड़ोसी राज्य हरियाणा में अंबाला जिले के मुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के वरुण चौधरी विधायक हैं। जबकि अब वे लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इस्तीफे के बारे क्या कानूनी माहिरों की क्या राय कानूनी माहिर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहते हैं कि सभी पांच मौजूदा विधायकों को 20 जून 2024 से पहले राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। अन्यथा संबंधित लोकसभा सीट(सीटें), जहां से उपरोक्त पांचों को 4 जून 2024 को लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया है, रिक्त सीटें घोषित कर दी जाएंगी। सभी लोकसभा सांसदों के निर्वाचन से संबंधित अधिसूचनाएं 6 जून 2024 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई हैं। हेमंत ने इस संबंध में समकालिक सदस्यता प्रतिषेध नियम, 1950 के नियम 2 का हवाला दिया। जिसे भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड (2) तथा अनुच्छेद 190 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तैयार किया है। 1950 के उक्त नियम के नियम 2 में यह प्रावधान है कि वह अवधि जिसके समाप्त होने पर किसी ऐसे व्यक्ति का संसद में स्थान रिक्त हो जाएगा। 2019 में भी ऐसे हुआ था हेमंत ने जून 2019 की एक मिसाल का भी हवाला दिया, जब हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, उस समय अंबाला जिले के नारायणगढ़ (एसी) से विधायक थे, और तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में राज्य मंत्री भी थे। वह 23 मई 2019 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र पीसी से लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया था और सांसद के रूप में उनके चुनाव के दस दिनों के भीतर नायब सिंह ने 3 जून 2019 को मंत्री पद के साथ-साथ 13वीं हरियाणा विधानसभा की सदस्यता (विधायक) से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव जीतने वाले पंजाब के चार और पड़ोसी राज्य हरियाणा के एक विधायक को 20 जून से पहले अपने विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। यह कानूनी तौर पर जरूरी है। क्योंकि सभी लोकसभा सांसदों के चुनाव से जुड़ी अधिसूचना 6 जून 2024 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित हो चुकी है। इनके इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग उपचुनाव के लिए आगे की कार्रवाई शुरू करेगा। जानकारी के मुताबिक, इस बार लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से कांग्रेस के दो विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा और लुधियाना से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वंडिंग चुनाव जीते हैं। ये दोनों क्रमश: डेरा बाबा नानक और गिद्दड़बाहा से विधायक हैं। इसी तरह संगरूर से चुनाव जीतने वाले आप के मंत्री गुरमीत सिंह मीत बरनाला से विधायक हैं। जबकि कांग्रेस छोड़कर आप के टिकट पर होशियारपुर से चुनाव लड़ने वाले राज कुमार चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इसी तरह पड़ोसी राज्य हरियाणा में अंबाला जिले के मुलाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के वरुण चौधरी विधायक हैं। जबकि अब वे लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इस्तीफे के बारे क्या कानूनी माहिरों की क्या राय कानूनी माहिर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहते हैं कि सभी पांच मौजूदा विधायकों को 20 जून 2024 से पहले राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। अन्यथा संबंधित लोकसभा सीट(सीटें), जहां से उपरोक्त पांचों को 4 जून 2024 को लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया है, रिक्त सीटें घोषित कर दी जाएंगी। सभी लोकसभा सांसदों के निर्वाचन से संबंधित अधिसूचनाएं 6 जून 2024 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई हैं। हेमंत ने इस संबंध में समकालिक सदस्यता प्रतिषेध नियम, 1950 के नियम 2 का हवाला दिया। जिसे भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड (2) तथा अनुच्छेद 190 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तैयार किया है। 1950 के उक्त नियम के नियम 2 में यह प्रावधान है कि वह अवधि जिसके समाप्त होने पर किसी ऐसे व्यक्ति का संसद में स्थान रिक्त हो जाएगा। 2019 में भी ऐसे हुआ था हेमंत ने जून 2019 की एक मिसाल का भी हवाला दिया, जब हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, उस समय अंबाला जिले के नारायणगढ़ (एसी) से विधायक थे, और तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में राज्य मंत्री भी थे। वह 23 मई 2019 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र पीसी से लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया था और सांसद के रूप में उनके चुनाव के दस दिनों के भीतर नायब सिंह ने 3 जून 2019 को मंत्री पद के साथ-साथ 13वीं हरियाणा विधानसभा की सदस्यता (विधायक) से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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