गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (GNDU) को 23 दिन बाद 11वां वाइस चांसलर मिल गया है। इससे पहले डॉ. जसपाल सिंह वाइस चांसलर थे, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली था। पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब सरकार की सिफारिश पर डॉ. करमजीत सिंह को नया वाइस चांसलर नियुक्त किया है। वे जल्द ही अपना पदभार संभालेंगे। डॉ. करमजीत सिंह इससे पहले जगत गुरु नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी पटियाला के संस्थापक कुलपति हैं। वे 3 सितंबर 2020 से अब तक वहां अपनी सेवाएं दे रहे थे। 38 साल के शिक्षण अनुभव के साथ डॉ. करमजीत सिंह को अब गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यभार सौंपा गया है। अपने करियर में डॉ. करमजीत सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में रजिस्ट्रार के पद पर भी काम किया। वे 30 सितंबर 2018 से 2 सितंबर 2020 तक पंजाब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रहे। GNDU के अंतर्गत चल रहे दो क्षेत्रीय परिसर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की बात करें तो अमृतसर परिसर के अलावा जालंधर और गुरदासपुर में दो अलग-अलग क्षेत्रीय परिसर हैं। इसके अलावा, पंजाब भर में दो विश्वविद्यालय कॉलेज, 11 घटक कॉलेज और 169 संबद्ध कॉलेज हैं। 1969 में स्थापित इस विश्वविद्यालय से अब तक 10 कुलपति सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 23 दिनों से खाली था पद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के कुलपति पद की बात करें तो यह 23 दिनों से खाली पड़ा था। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी मुद्दा उठाया था कि यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार कुलपति का पद इतने लंबे समय तक खाली रहा। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा था- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है। यह पहली बार है कि गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी बिना कुलपति के चल रही है और यह आम आदमी पार्टी की सरकार में ही संभव हो सकता है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (GNDU) को 23 दिन बाद 11वां वाइस चांसलर मिल गया है। इससे पहले डॉ. जसपाल सिंह वाइस चांसलर थे, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली था। पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब सरकार की सिफारिश पर डॉ. करमजीत सिंह को नया वाइस चांसलर नियुक्त किया है। वे जल्द ही अपना पदभार संभालेंगे। डॉ. करमजीत सिंह इससे पहले जगत गुरु नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी पटियाला के संस्थापक कुलपति हैं। वे 3 सितंबर 2020 से अब तक वहां अपनी सेवाएं दे रहे थे। 38 साल के शिक्षण अनुभव के साथ डॉ. करमजीत सिंह को अब गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यभार सौंपा गया है। अपने करियर में डॉ. करमजीत सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में रजिस्ट्रार के पद पर भी काम किया। वे 30 सितंबर 2018 से 2 सितंबर 2020 तक पंजाब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रहे। GNDU के अंतर्गत चल रहे दो क्षेत्रीय परिसर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की बात करें तो अमृतसर परिसर के अलावा जालंधर और गुरदासपुर में दो अलग-अलग क्षेत्रीय परिसर हैं। इसके अलावा, पंजाब भर में दो विश्वविद्यालय कॉलेज, 11 घटक कॉलेज और 169 संबद्ध कॉलेज हैं। 1969 में स्थापित इस विश्वविद्यालय से अब तक 10 कुलपति सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 23 दिनों से खाली था पद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के कुलपति पद की बात करें तो यह 23 दिनों से खाली पड़ा था। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी मुद्दा उठाया था कि यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार कुलपति का पद इतने लंबे समय तक खाली रहा। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा था- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है। यह पहली बार है कि गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी बिना कुलपति के चल रही है और यह आम आदमी पार्टी की सरकार में ही संभव हो सकता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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स्कूल बैंड कंपीटिशन : 15 तक करें अप्लाई
स्कूल बैंड कंपीटिशन : 15 तक करें अप्लाई भास्कर न्यूज | जालंधर शिक्षा मंत्रालय की ओर से गणतंत्र दिवस 2025 पर करवाए जा रहे विभिन्न प्रोग्रामों के तहत स्कूलों में नेशनल स्कूल बैंड कंपीटिशन करवाने की घोषणा की है। कंपीटिशन में देशभर के स्कूल हिस्सा ले सकते हैं। इस बैंड कंपीटिशन के जरिए स्टूडेंट्स में एकता, गर्व की भावना का विकास करना किया जाएगा। राज्य विद्या खोज एंव सिखलाई परिषद की ओर से राज्य के समूह स्कूलों को इसमें हिस्सा लेने के लिए दिशा निदेश जारी किए गए है। स्कूलों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर के कंपीटिशन की मदद से बच्चों में देशभक्ति की भावना का विकास हो इसके लिए प्रतियोगिता करवाई जाएगी। इस कंपीटिशन में हिस्सा लेने का पहला स्तर अपने राज्य के स्कूलों में ही आयोजित किया जाएगा। इसके बाद जिला स्तर पर इसके लिए बैंड कंपीटिशन करवाया जाएगा। लड़के और लड़कियां दोनों ही हिस्सा ले सकते हैं। इनका अलग-अलग बैंड और मिक्स बैंड भी भेजा जा सकता है। इसमें सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संचालित, सीबीएसई, आईसीएसई, केवीएस, एनवीएस और सैनिक स्कूलों के विद्यार्थी हिस्सा ले सकते हैं। वहीं यदि जिला स्तर पर प्रतियोगी कम होते है तो आस-पास के दो-3 जिलों को मिलाकर जोन में मुकाबले करवाए जाएंगे। इसके बाद जिला स्तर पर विजेता रहने वाली टीम राज्य स्तर के स्कूल बैंड मुकाबले में हिस्सा लेगी। राज्य स्तरीय पर विजेता रहने वाली टीमें उत्तर प्रदेश में होने वाले राष्ट्रीय उत्तरी जोन स्तर के मुकाबलों में हिस्सा लेगी। इसके लिए चार कैटेगरी में मुकाबला करवाया जाएगा। इसमें ब्रास बैंड लड़के, ब्रास बैंड लड़कियां, पाइप बैंड लड़के और पाइप बैंड लड़कियां कैटेगरी में हिस्सा लिया जाएगा । वहीं हर स्कूल से केवल एक बैंड समूह भाग ले सकता है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को राज्य स्तरीय बैंड प्रतियोगिता आयोजित करनी होगी। यदि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ने राज्य स्तरीय बैंड प्रतियोगिता आयोजित नहीं की है, फिर बैंड से वह राज्य या केंद्र शासित प्रदेश क्षेत्रीय स्तर के बैंड में भाग लेने के लिए पात्र नहीं होगा राज्य स्तरीय बैंड प्रतियोगिता में चार विजेता बैंड (प्रत्येक श्रेणी से 1) जोनल स्तर की बैंड प्रतियोगिता में भाग लेंगे। प्रत्येक बैंड में ड्रम मेजर सहित 25-33 प्रतिभागी होने चाहिए। वहीं बैंड के साथ अधिकतम 2 एस्कॉर्ट्स ( बैंड मास्टर/ट्रेनर) शामिल हो सकते हैं। बैंड को देशभक्ति या क्लासिकल धुन बजानी होगी। कार्यक्रम में पेशेवर समूह / कलाकार को किसी भी बैंड में भाग लेने/ साथ जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राष्ट्रीय गान की धुन नहीं बजाई जा सकेगी। विजेताओं और उपविजेताओं को नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। परफार्मेंस के लिए केवल 9 मिनट का समय दिया जाएगा। बैंड को 100 में से नंबर दिए जाएंगे। इनमें ड्रेसेज एंड इक्यूपमेंट, स्टैंडर्ड ऑफ प्लेइंग आदि को ध्यान में रखा जाएगा। वहीं इसके लिए रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 15 सितंबर रखी गई है।
गुरदासपुर में टिप्पर की टक्कर से लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत:कार से आर्मी यूनिट में लौट रहे थे, टिप्पर ड्राइवर मौके से फरार
गुरदासपुर में टिप्पर की टक्कर से लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत:कार से आर्मी यूनिट में लौट रहे थे, टिप्पर ड्राइवर मौके से फरार गुरदासपुर में कार और टिप्पर की टक्कर हो गई, जिसमें कार सवार लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत हो गई। कर्नल अपने बच्चों और पत्नी को जालंधर स्थित अपने आवास पर छोड़कर अपनी यूनिट में लौट रहा था। घटना कस्बा श्री हरगोबिंदपुर मुख्य मार्ग पर तुगलवाल के पास हुई। लेफ्टिनेंट की पहचान गुरमुख सिंह निवासी जाफरवाल, जिला गुरदासपुर के रूप में हुई है। लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह के पिता बलविंदर सिंह का निधन हो गया था। इसके चलते लेफ्टिनेंट कर्नल गुरमुख सिंह कुछ दिनों से अपने परिवार के साथ अपने गांव जाफरवाल थाना धारीवाल में थे। लेफ्टिनेंट गुरमुख अपने पिता के भेग के चलते घर आया हुए थे। आज अपनी छुट्टी खत्म होने के बाद यूनिट में लौटने वाले थे
लेफ्टिनेंट आज अपनी छुट्टी खत्म होने के बाद पुंछ-राजोरी स्थित अपनी यूनिट में लौटने वाले था, तभी रास्ते में तुगलवाल गांव के पास यह हादसा हो गया। हादसे के बाद टिप्पर ड्राइवर मौके से फरार हो गया। सूचना मिलने पर तुगरवाल पुलिस चौकी प्रभारी एएसआई देश राज ने मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने टिप्पर व कार को कब्जे में ले लिया है। लेफ्टिनेंट के शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल गुरदासपुर भेज दिया है। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना लेफ्टिनेंट कर्नल के परिजनों को दे दी गई है और उनके बयान के आधार आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अब सिर्फ नीले-पीले रंग के होंगे निशान साहिब:श्री अकाल तख्त से आदेश जारी; गुरुद्वारों में केसरी रंग का भी होता था प्रयोग
अब सिर्फ नीले-पीले रंग के होंगे निशान साहिब:श्री अकाल तख्त से आदेश जारी; गुरुद्वारों में केसरी रंग का भी होता था प्रयोग शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के तहत आते हर गुरुद्वारा साहिब में अब केसरी रंग की जगह सुरमई (नेवी ब्लू) या बसंती (पीले) रंग का निशान साहिब ही फहराया जाएगा। ये आदेश श्री अकाल तख्त की ओर से जारी किए गए हैं। आदेश के बाद SGPC ने सभी गुरुद्वारों को ये इसे लागू करने के लिए कह दिया है। श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 जुलाई को हुई पांच तख्तों के जत्थेदारों की बैठक में ये निर्णय लिया गया था। निर्णय के बाद आदेशों को लागू करने के लिए अब इसे लेकर सर्कुलर जारी कर दिया गया है। पांच सिंह साहिबानों की बैठक में निशान साहिब के पोशाक के रंग की दुविधा को दूर करने के लिए फैसला लिया गया। आदेश में कहा गया है कि अब हर गुरुद्वारा साहिब पर निशान साहिब का रंग सुरमई या फिर बसंती होगा। जिसे लागू करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को आदेश जारी किए गए हैं। SGPC ने जारी किया सर्कुलर श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से दिए गए आदेशों के बाद अब SGPC ने एक सर्कुलर जारी किया है। धर्म प्रचार समिति की ओर से जारी परिपत्र में सिख प्रचारकों को सिख राहत मर्यादा के बारे में संगत और गुरुद्वारा प्रबंधनों के बीच जागरूकता पैदा करने के आदेश हैं। जानकारी के मुताबिक, SGPC प्रबंधित गुरुद्वारों में मूल रंग बहाल करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। भगवा रंग का भी होता था निशान साहिब वर्तमान में, निशान साहिब ज्यादातर केसरी (भगवा) रंग में देखा जाता है। अधिकांश गुरुद्वारों में भी केसरी रंग का निशान साहिब होता है वहीं निहंग समूहों और उनकी छावनियों द्वारा प्रबंधित गुरुद्वारों में यह सुरमई रंग में होता है। जुड़वां निशान साहिब झंडे, जो मिरी पीरी के प्रतीक हैं वहां भी केसरी रंग के निशान साहिब फहराए जाते रहे हैं।