पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को राज्य के आदर्श स्कूलों की व्यवस्था की समीक्षा कर उन्हें सरकार के अधीन करने और शिक्षकों को सरकारी स्कूलों के बराबर वेतन देने पर 4 माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। यह आदेश 30 अलग-अलग याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के दौरान दिया गया, जो कि लगभग 8 साल से लंबित थीं। इन याचिकाओं में वेतन विसंगतियों और शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को चुनौती दी गई थी। आदर्श स्कूलों की संरचना पर उठे सवाल सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में बताया गया कि राज्य के आदर्श स्कूल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर चलाए जा रहे हैं, जहां निजी संस्थाएं या एनजीओ इनके प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाती हैं। इन स्कूलों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि इन स्कूलों के शिक्षक सरकारी कर्मियों के समान वेतन से वंचित हैं और कई माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। सरकारी स्कूलों के समान वेतन की मांग आदर्श स्कूल की शिक्षिका गुरप्रीत कौर और अन्य शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों के समान वेतन की मांग की थी। उन्होंने इसके अलावा कुछ मामलों में शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को भी चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें सरकारी मानदंडों के अनुसार सुविधाएं नहीं दी जा रहीं। स्कूलों के प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता हाईकोर्ट ने पाया कि आदर्श स्कूलों की स्थापना के मूल उद्देश्य को पूर्ण करने में ये स्कूल विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पंजाब शिक्षा विकास बोर्ड के अधीन होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर इन स्कूलों का प्रबंधन निजी सोसायटियों को दिया गया है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य को सही ढंग से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। समीक्षा के लिए समिति गठित इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने पंजाब के शिक्षा सचिव को निर्देश दिया कि वे स्कूलों की योजना की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति का गठन करें। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस आदेश के अनुसार समिति का गठन कर लिया गया है और अब स्कूलों की संरचना, प्रबंधन और शिक्षकों की वेतन विसंगतियों पर विचार किया जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार को इन स्कूलों की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा कर 4 माह के भीतर निर्णय लेना होगा ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को बेहतर शिक्षा और शिक्षकों को न्यायपूर्ण वेतन सुनिश्चित किया जा सके। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को राज्य के आदर्श स्कूलों की व्यवस्था की समीक्षा कर उन्हें सरकार के अधीन करने और शिक्षकों को सरकारी स्कूलों के बराबर वेतन देने पर 4 माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। यह आदेश 30 अलग-अलग याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के दौरान दिया गया, जो कि लगभग 8 साल से लंबित थीं। इन याचिकाओं में वेतन विसंगतियों और शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को चुनौती दी गई थी। आदर्श स्कूलों की संरचना पर उठे सवाल सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में बताया गया कि राज्य के आदर्श स्कूल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर चलाए जा रहे हैं, जहां निजी संस्थाएं या एनजीओ इनके प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाती हैं। इन स्कूलों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि इन स्कूलों के शिक्षक सरकारी कर्मियों के समान वेतन से वंचित हैं और कई माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। सरकारी स्कूलों के समान वेतन की मांग आदर्श स्कूल की शिक्षिका गुरप्रीत कौर और अन्य शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों के समान वेतन की मांग की थी। उन्होंने इसके अलावा कुछ मामलों में शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को भी चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें सरकारी मानदंडों के अनुसार सुविधाएं नहीं दी जा रहीं। स्कूलों के प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता हाईकोर्ट ने पाया कि आदर्श स्कूलों की स्थापना के मूल उद्देश्य को पूर्ण करने में ये स्कूल विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पंजाब शिक्षा विकास बोर्ड के अधीन होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर इन स्कूलों का प्रबंधन निजी सोसायटियों को दिया गया है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य को सही ढंग से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। समीक्षा के लिए समिति गठित इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने पंजाब के शिक्षा सचिव को निर्देश दिया कि वे स्कूलों की योजना की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति का गठन करें। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस आदेश के अनुसार समिति का गठन कर लिया गया है और अब स्कूलों की संरचना, प्रबंधन और शिक्षकों की वेतन विसंगतियों पर विचार किया जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार को इन स्कूलों की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा कर 4 माह के भीतर निर्णय लेना होगा ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को बेहतर शिक्षा और शिक्षकों को न्यायपूर्ण वेतन सुनिश्चित किया जा सके। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
खन्ना में पूर्व सरपंच के भाई पर हमला:जबरन गाड़ी में बैठाने की कोशिश; नशा बेचने का विरोध किया था
खन्ना में पूर्व सरपंच के भाई पर हमला:जबरन गाड़ी में बैठाने की कोशिश; नशा बेचने का विरोध किया था खन्ना में चक्की गांव में पूर्व सरपंच गुरप्रीत सिंह के बड़े भाई भूपिंदर सिंह पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। परिवार के मुताबिक यह हमला नशा बेचने से रोकने के विरोध में किया गया। करीब डेढ़ साल से गांव में नशा बेचने का विरोध किया जा रहा है। जिसके चलते कुछ लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज हुए। आरोप है कि जेल से बाहर आने पर नशा तस्कर अब दोबारा लोगों को धमकियां दे रहे हैं। भूपिंदर सिंह के मुताबिक, वह पैदल खेतों से घर को जा रहा था। तभी गांव के गुरुद्वारा साहिब के पास पहुंचा तो एक कार खड़ी दिखाई दी, जिसमें साहिब सिंह सब्बा, उसका दामाद बिंदी और दमन शराब पी रहे थे। उसे देखकर साहिब सिंह ने ललकार मारा और कहा कि आज इसे बचकर नहीं जाने देंगे। उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। लोहे की चकली से उसके सिर में वार किया गया। उसे साहिब सिंह के घर ले जाकर मारपीट की गई। इसके बाद उसे गाड़ी में जबरन फेंक कहीं लेकर जा रहे थे तो तभी उसके भाई गुरप्रीत सिंह और नौकर रोहित कुमार ने आकर उसका बचाव किया। घायलावस्था में उसे सिविल अस्पताल समराला भर्ती कराया गया। मामले की जांच कर रहे एएसआई पवनजीत ने बताया कि पुलिस ने घटना में घायल हुए भूपिंदर सिंह के बयानों पर साहिब सिंह सब्बा निवासी गांव चक्की, उसके दामाद बिंदी निवासी कूमकलां और दमन निवासी भैणी साहिब के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 (3), 127 (2), 351 (3) के तहत केस दर्ज कर लिया है।
एएसआई ने नाबालिग हत्यारोपी के भागने के 50 मिनट बाद खरीदी थी सल्फास की दो डिब्बियां
एएसआई ने नाबालिग हत्यारोपी के भागने के 50 मिनट बाद खरीदी थी सल्फास की दो डिब्बियां भास्कर न्यूज | जालंधर/होशियारपुर आदमपुर रेलवे स्टेशन पर 7 अक्टूबर को एएसआई जीवन लाल और प्रीतम दास की संदिग्ध मौत की जांच पुलिस ने 72 घंटे में पूरी कर ली है। जांच में साफ हो गया कि मौत साजिश नहीं, बल्कि सामूहिक आत्महत्या थी। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से वो दुकान ढूंढ ली, जहां से एएसआई जीवन लाल ने सल्फास की दो डिब्बी खरीदी थीं। हालांकि अभी मर्डर केस में फरार जुवेनाइल आरोपी पुलिस के हाथ नहीं आया है। भास्कर ने अपने स्तर पर मामले से जुड़े तथ्य जुटाए तो पता चला कि आरोपी के भागने के 50 मिनट बाद ही दोनों एएसआई तय कर चुके थे कि सुसाइड करना है, क्योंकि जुवेनाइल जेल होशियारपुर में नाबालिग हत्यारोपी को ले जाते समय स्टाफ ने कहा था कि हत्यारोपी बेहद शातिर है। तीन बार भागने का प्रयास कर चुका है, चौकस रहना। उधर, जालंधर के एसएसपी हरकमलप्रीत सिंह खख ने कहा कि पुलिस जल्द नाबालिग आरोपी को पकड़ लेगी। सीसीटीवी फुटेज और रेलवे स्टेशन से मिले क्लू से पूरा मामला साफ हो गया है कि दोनों एएसआई ने सुसाइड किया था। डीएसपी कुलवंत सिंह की सुपरविजन में जांच टीम ने होशियारपुर से लेकर कपूरथला कोर्ट में पेशी तक रूट के सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो पता लगा कि पेशी के बाद इनकी गाड़ी रास्ते में कहीं नहीं रुकी। शाम करीब 4 बजे गाड़ी आदमपुर पहुंची तो भीड़ थी। ड्राइवर एएसआई हरजिंदर सिंह ने पुलिस को बताया कि गाड़ी धीमी चल रही थी। दोनों आरोपी पीछे बैठे थे, जबकि अगल-बगल दोनों एएसआई थे। गाड़ी धीमी होते ही हत्यारोपी हाथापाई कर दौड़ गया। दोनों एएसआई पीछे दौड़े। मैंने गाड़ी साइड पर खड़ी की फिर पहले दूसरे आरोपी को थाने ले गया। करीब एक घंटे बाद भी दोनों एएसआई नहीं लौटे। कई बार कॉल की, मगर फोन उठाया। बाद में दोनों के शव रेलवे स्टेशन आदमपुर पर मिले। जांच टीम ने रूट के सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो एक बाइक पर दोनों एएसआई जाते नजर आए। पुलिस ने बाइक के मालिक भगवंत सिंह को ट्रेस किया तो उसने कहा कि एक आरोपी भाग गया तो पीछा करने के लिए उससे बाइक मांगी थी। मैंने मदद करते हुए बाइक दी थी। आदमपुर की रेलवे रोड पर लगे सीसीटीवी से क्लू मिला कि एएसआई जीवन लाल ने बीज खाद भंडार से सल्फास खरीदी थी। जांच टीम को शॉप के मालिक अमरजीत सिंह वासी डरोली कलां ने पूरा मामला साफ कर दिया। शॉप में काम करने वाले रिंपी के पास एएसआई जीवन लाल शाम 4:50 पर आए थे। रिंपी से सल्फास मांगी तो उसने पूछा कि कितनी कनक में रखनी है। पहले तो एक डिब्बी खरीदी और फिर दो खरीद ली। 140 रुपए पेमेंट कर दी थी। शॉप के मालिक व रिंपी ने पुलिस को बताया कि अहसास तक नहीं हुआ कि वे सुसाइड के लिए सल्फास खरीद रहे हैं।
लुधियाना में युवक की गोली मारकर हत्या:गुरुद्वारा टाहलियाना साहिब के बाहर वारदात, किसान नेताओं पर मामला दर्ज
लुधियाना में युवक की गोली मारकर हत्या:गुरुद्वारा टाहलियाना साहिब के बाहर वारदात, किसान नेताओं पर मामला दर्ज पंजाब के लुधियाना में बीती रात एक किसान नेता की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। मरने वाले किसान नेता का नाम अमनदीप सिंह उर्फ अमना पंडोरी है। थाना रायकोट की पुलिस ने इस मामले में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) दोआबा के जिला प्रधान जस्सी ढट्ट और संगठन के नेता दलवीर सिंह छीना उर्फ डीसी नूरपुरा सहित दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। रात 11 बजे BKU दफ्तर में उतारा मौत के घाट आरोप है कि इन नेताओं ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर संगठन के स्थानीय नेता अमनदीप सिंह उर्फ अमना पंडोरी को मौत के घाट उतारा है। शुक्रवार रात करीब साढ़े 11 बजे रायकोट के ऐतिहासिक गुरुद्वारा टाहलीआणा साहिब के पास स्थित BKU दफ्तर में हुई। कहा जा रहा है कि पारिवारिक मसले को लेकर चल रही बहस के दौरान डीसी नूरपुरा ने अपने रिवॉल्वर से अमना पंडोरी को गोली मार दी। घटना के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए। मृतक के भाई मुकंद के बयानों पर पुलिस ने की FIR दर्ज अमना पंडोरी के भाई मुकंद सिंह ने पुलिस को बताया कि पंजाब पुलिस के आपातकालीन नंबर 112 पर फोन कर सूचित किया कि जस्सी ढट्ट और डीसी नूरपुरा ने उसके भाई को गोली मार दी है। सूचना मिलने पर डीएसपी रायकोट हरजिंदर सिंह और थाना सिटी के प्रभारी इंस्पेक्टर दविंदर सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। घटना के वक्त BKU दफ्तर में शराब का सेवन किया जा रहा था, और आरोपियों ने किसी बात को लेकर अमना पंडोरी को फोन करके वहां बुलाया था। सूत्रों के अनुसार, अमना पंडोरी अपने जिला प्रधान जस्सी ढट्ट और डीसी नूरपुरा से पारिवारिक कारणों से नाराज था, और इसी बहस के दौरान विवाद बढ़ गया। मृतक अमना पंडोरी पर भी पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज थे।