पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने अपने खिलाफ दर्ज हत्या के मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में आज सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई। उन्होंने याचिका में दलील दी है कि पंजाब पुलिस उन्हें हर कीमत पर गिरफ्तार करना चाहती है। इसीलिए 1991 के मामले में तीस साल की देरी के बाद 2020 में केस दर्ज किया गया। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। कोर्ट ने अब इस मामले में पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर तय की गई है। पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने अपने खिलाफ दर्ज हत्या के मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में आज सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई। उन्होंने याचिका में दलील दी है कि पंजाब पुलिस उन्हें हर कीमत पर गिरफ्तार करना चाहती है। इसीलिए 1991 के मामले में तीस साल की देरी के बाद 2020 में केस दर्ज किया गया। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। कोर्ट ने अब इस मामले में पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर तय की गई है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सूरत सिंह खालसा का निधन:अमेरिका में ली आखरी सास,2015 में की थी भूख हड़ताल,7 साल डीएमसी में रहे दाखिल
सूरत सिंह खालसा का निधन:अमेरिका में ली आखरी सास,2015 में की थी भूख हड़ताल,7 साल डीएमसी में रहे दाखिल लुधियाना के नजदीकी गांव हसनपुर के रहने वाले सूरत सिंह खालसा (92) का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया है। सूरत सिंह खालसा ने 2015 में बंदी सिक्खों की रिहाई के लिए अनशन पर रहे थे। वह 7 साल डीएमसीएच अस्पताल में भी दाखिल रहे। 16 जनवरी 2015 को सूरत सिंह खालसा ने भूख हड़ताल शुरू की जो करीब 8 वर्ष चली। उन्होंने सिख बंदी कैदियों की रिहाई की मांग के लिए भोजन और पानी पीने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने अपनी अदालती सजा पूरी कर ली है। जहां वे सिक्ख बंदी कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे थे, वहीं उन्होंने सभी धर्मों के कैदियों की बिना शर्त रिहाई की भी मांग की थी, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। 11 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था पत्र 11 फरवरी 2015 को सूरत सिंह खालसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अपनी भूख हड़ताल का मकसद बताया था। अपने पत्र में सूरत सिंह खालसा ने अपनी मांगों को दो बिंदुओं में बताया। उन्होंने लिखा था कि सभी सिख कैदियों – विचाराधीन और सिख संघर्ष से संबंधित मामलों में सजा पाए लोगों- को राजनीतिक कैदी माना जाए और उन सभी कैदियों को रिहा किया जाए जिन्होंने अपनी पूरी सजा पूरी कर ली है और जिनकी रिहाई वैध है, ठीक उसी तरह जैसे देश के विभिन्न भागों में अन्य कैदियों को रिहा किया जाता है। सूरत सिंह खालसा कौन हैं?
सूरत सिंह खालसा का जन्म 7 मार्च 1933 में हुआ। एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं जिन्हें बापू सूरत सिंह खालसा के नाम से जाना जाता है। वे लुधियाना के हसनपुर गांव से हैं । उनके पांच बेटे और एक बेटी सभी अमेरिकी नागरिक हैं। वे नियमित रूप से उनसे मिलने आते रहते थे। खालसा खुद भी अमेरिकी नागरिक हैं। वे 1988 में अपने बच्चों के पास रहने के लिए अमेरिका गए थे और नियमित रूप से पंजाब आते रहे। वे एक सरकारी शिक्षक थे, लेकिन ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध में जून 1984 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
तरनतारन में ड्रेन से मिले तीन शव:दो बॉडी कंबल में लिपटी-एक बोरी में था, हाथ पैर बांधे गए, पुलिस जांच में जुटी
तरनतारन में ड्रेन से मिले तीन शव:दो बॉडी कंबल में लिपटी-एक बोरी में था, हाथ पैर बांधे गए, पुलिस जांच में जुटी पंजाब में तरनतारन के विधानसभा हलका खेमकरण के गांव बैंका में बुधवार को उस समय दहशत फैल गई, जब वहां से गुजरने वाली ड्रेन से तीन लोगों के शव मिले। दो शव कंबल में लिपटे हुए थे, जबकि एक शव बोरी में था। मृतकों के हाथ पैर बांधे गए थे, वहीं, उनके सिर व शरीर पर चोट के निशान थे। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंच गई। शवों को कब्जे में लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। शवों की पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस का दावा है कि जल्दी ही सारी सच्चाई सामने आएगी। बाहर से लाकर शव ड्रेन में फैंके गए गांव के सरपंच चमकौर सिंह ने बताया कि आज सुबह वहां से कुछ राहगीर गुजर रहे थे, तो उन्हें ड्रेन से बदबू आई। इसके बाद जब उन्होंने देखा तो उन्हें वहां पर शव दिखे। गांव ड्रेन से एक किलोमीटर दूर है। इसके बाद उनकी तरफ से पुलिस को सूचित किया गया। फिर पुलिस की टीमों ने पहुंचकर ड्रेन शव शवों को निकाला। मौके पर जुटे लोगों का कहना था कि इन शवों को यहां पर फेंका गया है। बाहर से बहकर नहीं आए है, क्योंकि पानी बह नहीं रहा था। पुलिस सारी चीजों की कर रही पड़ताल मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जैसे ही इस बारे में सूचना मिली थी हमारी टीमें पहुंच गई थी। अब मामले की पड़ताल की जा रही है। शव को निकाल लिया है। पुलिस की तरफ से मामले की पड़ताल की जा रही है। अभी तक ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है। उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है।
अमृतसर में BRTS प्रोजेक्ट पर नगर निगम में हंगामा:समाज सेवक मनदीप के खिलाफ बोलने पर युवक की पिटाई; कमिश्नर से मिलने पहुंचे थे
अमृतसर में BRTS प्रोजेक्ट पर नगर निगम में हंगामा:समाज सेवक मनदीप के खिलाफ बोलने पर युवक की पिटाई; कमिश्नर से मिलने पहुंचे थे अमृतसर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करवाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही यूनियन की महिलाओं की ओर से आज एक युवक के साथ मारपीट की गई। युवक समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोल रहा था, जिससे गुस्साई भीड़ ने उस पर हमला कर दिया। फिलहाल मामले को शांत करवा दिया गया है। कमिश्नर से मुलाकात के बाद जैसे ही एकता यूनियन के सदस्य और मनदीप सिंह मन्ना बाहर आए और प्रेस से बात कर रहे थे। इसी दौरान एक युवक अमृत पाल सिंह बबलू ने मनदीप सिंह मन्ना के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। बबलू ने कहा कि मनदीप सिंह मन्ना एक साल बाद क्यों इस मसले पर बोल रहा है, जबकि यह बसें 2023 से बंद हैं। इसके बाद जैसे ही उसने कुछ और बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद एकता यूनियन की महिलाओं ने उसके साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। उनका कहना था कि वो एक साल से कोशिश कर रहे हैं बसें चलवाने की और वो खुद मनदीप सिंह मन्ना के पास गए थे। महिलाओं ने कहा कि वह जानबूझकर प्रोजेक्ट को नेगेटिव पेश कर रहा है। जिसके बाद उन्होंने बबलू को काफी मारा और फिर अन्य सदस्यों ने बीच बचाव करके उसे वहां से जाने के लिए कहा जिसके बाद मामला शांत हुआ। 3 जुलाई 2023 का बंद हो गया था प्रोजेक्ट अमृतसर में बीआरटीएस प्रोजेक्ट 3 जुलाई 2023 को बिना किसी इंटीमेशन के बंद कर दिया गया। जिसके बाद काम कर रहे ड्राइवर, टिकट कलेक्टर, सफाई वाले, मैकेनिक आदि सहित एक हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। क्लेरिकल स्टाफ आज भी ड्यूटी पर मौजूद है, कई बसें वेरका डिपो में धूल खा रही हैं। इस सबंध में बसों को चलवाने के लिए कोशिश कर रहे बीआरटीएस एकता यूनियन के सदस्य लगातार मंत्री और नेताओं से मिल रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी मांगों को नहीं मान रहा है। कल भी हुआ था हंगामा इस संबंध में एकता यूनियन की ओर से समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना से मुलाकात की गई। बीते दिन मनदीप सिंह मन्ना वेरका के डिपो पहुंचे थे, जहां पर बैठे क्लेरिकल स्टाफ ने अंदर से ताला लगा लिया। जिसके बाद बहस हुई और फिर ताला खोला गया। लेकिन स्टाफ परमिशन दिखाने में नाकामयाब रहा। इसके बाद आज नगर निगम कमिश्नर से मुलाकात की गई थी। बिना जांच के बिना बंद किया प्रोजेक्ट एकता यूनियन के प्रधान सर्बजीत सिह ने बताया कि बीआरटीएस बसों को 2023 में यह कहकर बंद कर दिया गया था कि यह घाटे में हैं। जबकि इसमें 55 हजार से 60 हजार के करीब यात्री रोजाना सफर करते थे। वहीं बसों पर लगे विज्ञापनों से भी कमाई हो रही थी। फिर इससे ट्रैफिक की समस्या भी काफी हल हो रही थी। लेकिन सरकार ने बिना जांच के बिना बंद करा दिया।