1.25 लाख चंदा कर की 3 किलोमीटर सड़क की सफाई और गड्ढे भी भरे

1.25 लाख चंदा कर की 3 किलोमीटर सड़क की सफाई और गड्ढे भी भरे

भास्कर न्यूज| जालंधर बुजुर्गों के पास हर समस्या का हल है। ऐसे ही 60 से लेकर 75 साल के पांच बुजुर्गों ने गजब की पहल कर सालों की समस्या को महज 20 दिनों में समाधान की ओर पहुंचा दिया। लंबे समय से कुव्यवस्था का शिकार सूर्या एनक्लेव कॉलोनी की साफ-सफाई मिलजुल कर की, बल्कि इसके लिए करीब सवा लाख रुपए का चंदा भी जुटाया। 100 रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक मदद ली और महज 20 दिनों में सालों से 3 किलोमीटर के दायरे में सड़क के किनारे जमी धूल-गंदगी को साफ किया, गड्ढों को भरा और ट्रैफिक में बाधा बन रहे पेड़ों की कटाई-छंटाई भी की। सोसायटी के प्रधान राजीव धमीजा ने बताया कि इस काम में बुजुर्गों ने न सिर्फ खुद मास्क लगाकर मेहनत की बल्कि श्रमिकों की भी मदद ली। पढ़िए प्रेरक कहानी, रिटायर्ड फौजी 72 साल के रोशन लाल शर्मा की जुबानी। सूर्या एनक्लेव की अधूरी प्लानिंग और अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। नगर सुधार ट्रस्ट अपने वादों पर खरा नहीं उतर रहा है। इसीलिए लाखों-करोड़ों खर्च कर यहां मकान बनाने वालों में नाराजगी आम है। शहर का अहम हिस्सा होने के बावजूद यहां बेसिक सड़क, सफाई, सीवर जैसी समस्याएं चुनौनी बनी हुई हैं। ऐसे लगता है कि शहर में यहां की जनता दूसरे दर्जे की नागरिक बन कर रह गई है। सिटी में रोज सड़कों पर स्वीपिंग होती है, पर हमारे यहां सालों से नहीं हुई। कहीं कहीं तो एक फीट ऊंची धूल की परत सड़क के किनारों पर जमी थी। पेड़ों की छंटाई भी लंबे वक्त से नहीं हुई। सड़कों के गड्ढे तो जैसे अमर हो गए थे। ऐसे में हम सभी सोसाइटी के लोग नगर सुधार ट्रस्ट से गुहार लगाते रहे पर सुनवाई नहीं हुई। अफसरों ने वादे किए पर अमल किसी ने नहीं किया। ऐसे में हमने मिलकर फैसला लिया कि जो हमारे बस में है, उसे तो करेंगे ही। ज्यादा नहीं तो थोड़ी ही। इस विचार पर सुदेश चिब्ब (61), आनंद स्वरूप अग्रवाल (75), सिपाही लाल कश्यप (70) और डा. रमिंदर सिंह (60) ने ताकतवर सहमति जताई। इसमें युवा अजय कालिया और विकास अग्रवाल ने न सिर्फ साथ चलने का वादा किया बल्कि इसे अभियान बनाने में बड़ी मदद की। मन बनने के बाद वातावरण प्रेमियों से धन जुटाया गया। सैकड़ों लोगों ने मदद की। बड़ी संख्या में लोगों ने श्रमदान दिया। श्रमिकों की भी मदद ली गई। अब कॉलोनी के गेट से लेकर तक मेन रोड तक की सूरत बदल गई है। रविवार को इस अभियान का पहला चरण पूरा हुआ। इसके तहत रेलवे अंडरब्रिज तथा एरिया के शमशानघाट के अंदर सफाई की गई है। वातावरण प्रेमियों ने आर्थिक सहयोग किया। जिसके बल पर ये अभियान पूरा हुआ। हमने सफाई अभियान के तहत पेड़ों के संरक्षण पर फोकस किया है। सफाई अभियान में जो पत्थर, मिट्टी व मलबा निकला है, इसे छानने के बाद टूटी सड़कों के गड्ढों में डाला है। ये अभियान जारी रहेगा। जालंधर नगर सुधार ट्रस्ट ने इस कॉलोनी में जो रोड पाइपलाइन डालने के लिए तोड़ी थी, उसे दोबारा न बनाए जाने के कारण लोग बेबस हैं। इसकी एक लेन को साफ करके रेगुलर करने योग्य बना लिया गया है। भास्कर न्यूज| जालंधर बुजुर्गों के पास हर समस्या का हल है। ऐसे ही 60 से लेकर 75 साल के पांच बुजुर्गों ने गजब की पहल कर सालों की समस्या को महज 20 दिनों में समाधान की ओर पहुंचा दिया। लंबे समय से कुव्यवस्था का शिकार सूर्या एनक्लेव कॉलोनी की साफ-सफाई मिलजुल कर की, बल्कि इसके लिए करीब सवा लाख रुपए का चंदा भी जुटाया। 100 रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक मदद ली और महज 20 दिनों में सालों से 3 किलोमीटर के दायरे में सड़क के किनारे जमी धूल-गंदगी को साफ किया, गड्ढों को भरा और ट्रैफिक में बाधा बन रहे पेड़ों की कटाई-छंटाई भी की। सोसायटी के प्रधान राजीव धमीजा ने बताया कि इस काम में बुजुर्गों ने न सिर्फ खुद मास्क लगाकर मेहनत की बल्कि श्रमिकों की भी मदद ली। पढ़िए प्रेरक कहानी, रिटायर्ड फौजी 72 साल के रोशन लाल शर्मा की जुबानी। सूर्या एनक्लेव की अधूरी प्लानिंग और अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। नगर सुधार ट्रस्ट अपने वादों पर खरा नहीं उतर रहा है। इसीलिए लाखों-करोड़ों खर्च कर यहां मकान बनाने वालों में नाराजगी आम है। शहर का अहम हिस्सा होने के बावजूद यहां बेसिक सड़क, सफाई, सीवर जैसी समस्याएं चुनौनी बनी हुई हैं। ऐसे लगता है कि शहर में यहां की जनता दूसरे दर्जे की नागरिक बन कर रह गई है। सिटी में रोज सड़कों पर स्वीपिंग होती है, पर हमारे यहां सालों से नहीं हुई। कहीं कहीं तो एक फीट ऊंची धूल की परत सड़क के किनारों पर जमी थी। पेड़ों की छंटाई भी लंबे वक्त से नहीं हुई। सड़कों के गड्ढे तो जैसे अमर हो गए थे। ऐसे में हम सभी सोसाइटी के लोग नगर सुधार ट्रस्ट से गुहार लगाते रहे पर सुनवाई नहीं हुई। अफसरों ने वादे किए पर अमल किसी ने नहीं किया। ऐसे में हमने मिलकर फैसला लिया कि जो हमारे बस में है, उसे तो करेंगे ही। ज्यादा नहीं तो थोड़ी ही। इस विचार पर सुदेश चिब्ब (61), आनंद स्वरूप अग्रवाल (75), सिपाही लाल कश्यप (70) और डा. रमिंदर सिंह (60) ने ताकतवर सहमति जताई। इसमें युवा अजय कालिया और विकास अग्रवाल ने न सिर्फ साथ चलने का वादा किया बल्कि इसे अभियान बनाने में बड़ी मदद की। मन बनने के बाद वातावरण प्रेमियों से धन जुटाया गया। सैकड़ों लोगों ने मदद की। बड़ी संख्या में लोगों ने श्रमदान दिया। श्रमिकों की भी मदद ली गई। अब कॉलोनी के गेट से लेकर तक मेन रोड तक की सूरत बदल गई है। रविवार को इस अभियान का पहला चरण पूरा हुआ। इसके तहत रेलवे अंडरब्रिज तथा एरिया के शमशानघाट के अंदर सफाई की गई है। वातावरण प्रेमियों ने आर्थिक सहयोग किया। जिसके बल पर ये अभियान पूरा हुआ। हमने सफाई अभियान के तहत पेड़ों के संरक्षण पर फोकस किया है। सफाई अभियान में जो पत्थर, मिट्टी व मलबा निकला है, इसे छानने के बाद टूटी सड़कों के गड्ढों में डाला है। ये अभियान जारी रहेगा। जालंधर नगर सुधार ट्रस्ट ने इस कॉलोनी में जो रोड पाइपलाइन डालने के लिए तोड़ी थी, उसे दोबारा न बनाए जाने के कारण लोग बेबस हैं। इसकी एक लेन को साफ करके रेगुलर करने योग्य बना लिया गया है।   पंजाब | दैनिक भास्कर