पंजाब सरकार अपने इको सेंसिटिव जोन (ESZ) को एक से तीन किलोमीटर तक करने की तैयारी है। आगामी कैबिनेट मीटिंग में इस संबंधी प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। अगर ऐसा होता है तो मोहाली की नयागांव नगर काउंसिल के अधीन आने वाले गांव कांसल, करोरां और नाड्डा के मकान, दुकानें, अस्पताल, धार्मिक स्थल आदि के मालिक मुश्किल में आ जाएंगे। उन्हें गिराने की नौबत तक आ सकती है। यह दावा पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने सेक्टर-27 प्रेस क्लब में किया। उनके साथ ही इलाके के कई पार्षद भी थे। उन्होंने मांग की है कि इस तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए। दस साल पुराने फैसले के विपरीत जोशी ने बताया कि सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के आसपास 100 मीटर को ईएसजेड (इको सेंसिटिव जोन) रखने के अपने ही 10 साल से अधिक पुराने स्टैंड के विपरीत है। अब वन एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग पंजाब ने ईएसजेड को 3 किलोमीटर तक रखने का प्रस्ताव दिया है, जो कि उचित नहीं है। 1980 से लोग बसना शुरू हुए थे जोशी ने बताया कि चंडीगढ़ में घर- फ्लैट खरीदने में असमर्थ लोगों ने 1980 में ही नयागांव और कांसल में छोटे-छोटे प्लॉट किसानों से खरीद घर बनाने शुरू कर दिए थे, उसके बाद करोरां और नाडा गांव में भी घर बनाए । इस क्षेत्र में बिना किसी कानूनी प्रावधान के बन रहे घर, दुकानों, आदि के कारण पैदा हुई व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने 2006 में नगर पंचायत का गठन किया । 2016 में इसे म्युनिसिपल काउंसिल में अपग्रेड किया। इसके बाद नयागांव म्युनिसिपल काउंसिल का मास्टर प्लान और उसके बाद जोनल प्लान और बिल्डिंग बायलॉज की अधिसूचना जारी की गई और इनकी नियमों की पालना करते हुए लोगों ने पंजाब सरकार से मंजूरी ले घर, फ्लैट, दुकानें, अस्पताल आदि सभी कानून अनुसार बनाए । पंजाब सरकार अपने इको सेंसिटिव जोन (ESZ) को एक से तीन किलोमीटर तक करने की तैयारी है। आगामी कैबिनेट मीटिंग में इस संबंधी प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। अगर ऐसा होता है तो मोहाली की नयागांव नगर काउंसिल के अधीन आने वाले गांव कांसल, करोरां और नाड्डा के मकान, दुकानें, अस्पताल, धार्मिक स्थल आदि के मालिक मुश्किल में आ जाएंगे। उन्हें गिराने की नौबत तक आ सकती है। यह दावा पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने सेक्टर-27 प्रेस क्लब में किया। उनके साथ ही इलाके के कई पार्षद भी थे। उन्होंने मांग की है कि इस तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए। दस साल पुराने फैसले के विपरीत जोशी ने बताया कि सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के आसपास 100 मीटर को ईएसजेड (इको सेंसिटिव जोन) रखने के अपने ही 10 साल से अधिक पुराने स्टैंड के विपरीत है। अब वन एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग पंजाब ने ईएसजेड को 3 किलोमीटर तक रखने का प्रस्ताव दिया है, जो कि उचित नहीं है। 1980 से लोग बसना शुरू हुए थे जोशी ने बताया कि चंडीगढ़ में घर- फ्लैट खरीदने में असमर्थ लोगों ने 1980 में ही नयागांव और कांसल में छोटे-छोटे प्लॉट किसानों से खरीद घर बनाने शुरू कर दिए थे, उसके बाद करोरां और नाडा गांव में भी घर बनाए । इस क्षेत्र में बिना किसी कानूनी प्रावधान के बन रहे घर, दुकानों, आदि के कारण पैदा हुई व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने 2006 में नगर पंचायत का गठन किया । 2016 में इसे म्युनिसिपल काउंसिल में अपग्रेड किया। इसके बाद नयागांव म्युनिसिपल काउंसिल का मास्टर प्लान और उसके बाद जोनल प्लान और बिल्डिंग बायलॉज की अधिसूचना जारी की गई और इनकी नियमों की पालना करते हुए लोगों ने पंजाब सरकार से मंजूरी ले घर, फ्लैट, दुकानें, अस्पताल आदि सभी कानून अनुसार बनाए । पंजाब | दैनिक भास्कर
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