जालंधर वेस्ट में हो रहे उप-चुनाव को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान परिवार समेत डटे हुए हैं। उन्होंने यहां किराए पर घर लिया। पत्नी-बेटी समेत शिफ्ट हो गए। रोजाना एक विधानसभा सीट की गलियों में प्रचार कर रहे हैं। यही नहीं, उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर तक प्रचार कर रही हैं। डॉ. गुरप्रीत कौर पहले किराए पर लिए घर में जनता दरबार लगाती हैं। फिर वहां से फ्री होने के बाद डोर टू डोर प्रचार करने पहुंच जाती हैं। स्थिति यह है कि यहां से AAP के कैंडिडेट मोहिंदर भगत से ज्यादा प्रचार CM फैमिली ही कर रही है। इस सीट पर 10 जुलाई को वोटिंग होनी है। एक विधानसभा मुख्यमंत्री पूरे परिवार समेत क्यों डटे हुए है? यह सवाल पूरे राज्य की ज़ुबान पर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट इसकी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव में हार को मानते हैं। उनका मानना है कि अगर यह सीट भी हार गए तो फिर यह कहा जाएगा कि राज्य सरकार से लोगों का मोह भंग हो गया है। CM भगवंत मान नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह सीट हारने से उनकी सरकार के कामकाज का आकलन हो। CM के प्रचार में डटने की वजहें 1. लोकसभा में 13-0 का नारा फेल हुआ
पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर CM भगवंत मान ने 13-0 का नारा दिया था, यानी राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने का दावा। मगर, 4 जून को रिजल्ट आया तो AAP सिर्फ 3 ही सीटें जीत पाई। इनमें भी CM के गृह जिले संगरूर की सीट तो AAP उम्मीदवार गुरमीत मीत हेयर 1 लाख 72 हजार 560 वोटों से जीत गए। मगर, आनंदपुर साहिब में सिर्फ 10 हजार 846 और होशियारपुर में 44 हजार 111 वोटों से ही जीत मिली। बची 10 में से 7 सीटें कांग्रेस, 1 अकाली दल और 2 पर निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए। 2. विधानसभा चुनाव में जीती 92 सीटें घटकर 33 रह गई
दूसरी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव का विधानसभा वाइज रिजल्ट है। 2022 में जब AAP सरकार बनी तो 117 में से 92 सीटें जीती थीं। 2 साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP सिर्फ 33 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई। विधानसभा के लिहाज से सिर्फ 2 साल में ही AAP को 59 सीटों का नुकसान हो गया। 3. वोट शेयर भी 16% गिरा
2022 के विधानसभा चुनाव में जब AAP को 92 सीटें मिलीं तो उनका वोट शेयर 42% था। लोकसभा चुनाव में यह गिरकर 26% रह गया। वोट शेयर में 16% की गिरावट ने पंजाब में सरकार के लिए खतरे के साथ पार्टी के लिए भी संकट खड़ा कर दिया। 4. जहां चुनाव, वहां AAP तीसरे नंबर पर रही
जिस जालंधर वेस्ट विधानसभा में उप-चुनाव हो रहा है, वहां लोकसभा चुनाव में AAP तीसरे नंबर पर रही थी। यहां सबसे ज्यादा 44,394 वोट कांग्रेस को मिले। दूसरे नंबर पर BJP रही, जिन्हें 42,827 वोट मिले। AAP को यहां से सिर्फ 15,629 ही वोट मिले। इस एक सीट पर वह कांग्रेस से 27 हजार 765 वोट से पीछे रही। जालंधर उप-चुनाव जीत और हार पर CM का फायदा-नुकसान क्या?
पहले बात जीत की करें तो अगर AAP यह सीट जीत जाती है तो लोकसभा में हार के बाद AAP सरकार-पार्टी से ज्यादा यह CM भगवंत मान के लिए संजीवनी होगी। वह खुलकर कह सकते हैं कि भले ही लोकसभा हारे, लेकिन इस जीत से साफ है कि उनकी सरकार पर लोगों का भरोसा कायम है। लोकसभा चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों के बहाने सरकार के काम पर मुहर से दरकिनार किया जा सकेगा। अगर वह सीट हार जाते हैं तो फिर सरकार के कामकाज को लेकर विरोधी फजीहत करेंगे। पंजाब में नशे, लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दों पर नाकामी बताई जाएगी। खुद CM भगवंत मान के सरकार चलाने और पार्टी प्रधान के नाते नेतृत्व पर सवाल खड़े होंगे। पंजाब में यह मैसेज जाएगा कि सरकार कामकाज में कमी को लेकर सवा 2 साल के समय में ही एक्सपोज हो चुकी है। जालंधर वेस्ट सीट पर उप-चुनाव क्यों हो रहा?
2022 के विधानसभा चुनाव में जालंधर वेस्ट सीट AAP के उम्मीदवार शीतल अंगुराल ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंगुराल BJP में शामिल हो गए। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव की 1 जून की वोटिंग से पहले अंगुराल ने 29 मई को स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने की बात कही, लेकिन तब तक इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस चुनाव में अंगुराल को BJP ने टिकट दी है। AAP ने अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नीलाल के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दी है। जालंधर उपचुनाव में 4 प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार… जालंधर वेस्ट में हो रहे उप-चुनाव को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान परिवार समेत डटे हुए हैं। उन्होंने यहां किराए पर घर लिया। पत्नी-बेटी समेत शिफ्ट हो गए। रोजाना एक विधानसभा सीट की गलियों में प्रचार कर रहे हैं। यही नहीं, उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर तक प्रचार कर रही हैं। डॉ. गुरप्रीत कौर पहले किराए पर लिए घर में जनता दरबार लगाती हैं। फिर वहां से फ्री होने के बाद डोर टू डोर प्रचार करने पहुंच जाती हैं। स्थिति यह है कि यहां से AAP के कैंडिडेट मोहिंदर भगत से ज्यादा प्रचार CM फैमिली ही कर रही है। इस सीट पर 10 जुलाई को वोटिंग होनी है। एक विधानसभा मुख्यमंत्री पूरे परिवार समेत क्यों डटे हुए है? यह सवाल पूरे राज्य की ज़ुबान पर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट इसकी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव में हार को मानते हैं। उनका मानना है कि अगर यह सीट भी हार गए तो फिर यह कहा जाएगा कि राज्य सरकार से लोगों का मोह भंग हो गया है। CM भगवंत मान नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह सीट हारने से उनकी सरकार के कामकाज का आकलन हो। CM के प्रचार में डटने की वजहें 1. लोकसभा में 13-0 का नारा फेल हुआ
पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर CM भगवंत मान ने 13-0 का नारा दिया था, यानी राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने का दावा। मगर, 4 जून को रिजल्ट आया तो AAP सिर्फ 3 ही सीटें जीत पाई। इनमें भी CM के गृह जिले संगरूर की सीट तो AAP उम्मीदवार गुरमीत मीत हेयर 1 लाख 72 हजार 560 वोटों से जीत गए। मगर, आनंदपुर साहिब में सिर्फ 10 हजार 846 और होशियारपुर में 44 हजार 111 वोटों से ही जीत मिली। बची 10 में से 7 सीटें कांग्रेस, 1 अकाली दल और 2 पर निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए। 2. विधानसभा चुनाव में जीती 92 सीटें घटकर 33 रह गई
दूसरी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव का विधानसभा वाइज रिजल्ट है। 2022 में जब AAP सरकार बनी तो 117 में से 92 सीटें जीती थीं। 2 साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP सिर्फ 33 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई। विधानसभा के लिहाज से सिर्फ 2 साल में ही AAP को 59 सीटों का नुकसान हो गया। 3. वोट शेयर भी 16% गिरा
2022 के विधानसभा चुनाव में जब AAP को 92 सीटें मिलीं तो उनका वोट शेयर 42% था। लोकसभा चुनाव में यह गिरकर 26% रह गया। वोट शेयर में 16% की गिरावट ने पंजाब में सरकार के लिए खतरे के साथ पार्टी के लिए भी संकट खड़ा कर दिया। 4. जहां चुनाव, वहां AAP तीसरे नंबर पर रही
जिस जालंधर वेस्ट विधानसभा में उप-चुनाव हो रहा है, वहां लोकसभा चुनाव में AAP तीसरे नंबर पर रही थी। यहां सबसे ज्यादा 44,394 वोट कांग्रेस को मिले। दूसरे नंबर पर BJP रही, जिन्हें 42,827 वोट मिले। AAP को यहां से सिर्फ 15,629 ही वोट मिले। इस एक सीट पर वह कांग्रेस से 27 हजार 765 वोट से पीछे रही। जालंधर उप-चुनाव जीत और हार पर CM का फायदा-नुकसान क्या?
पहले बात जीत की करें तो अगर AAP यह सीट जीत जाती है तो लोकसभा में हार के बाद AAP सरकार-पार्टी से ज्यादा यह CM भगवंत मान के लिए संजीवनी होगी। वह खुलकर कह सकते हैं कि भले ही लोकसभा हारे, लेकिन इस जीत से साफ है कि उनकी सरकार पर लोगों का भरोसा कायम है। लोकसभा चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों के बहाने सरकार के काम पर मुहर से दरकिनार किया जा सकेगा। अगर वह सीट हार जाते हैं तो फिर सरकार के कामकाज को लेकर विरोधी फजीहत करेंगे। पंजाब में नशे, लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दों पर नाकामी बताई जाएगी। खुद CM भगवंत मान के सरकार चलाने और पार्टी प्रधान के नाते नेतृत्व पर सवाल खड़े होंगे। पंजाब में यह मैसेज जाएगा कि सरकार कामकाज में कमी को लेकर सवा 2 साल के समय में ही एक्सपोज हो चुकी है। जालंधर वेस्ट सीट पर उप-चुनाव क्यों हो रहा?
2022 के विधानसभा चुनाव में जालंधर वेस्ट सीट AAP के उम्मीदवार शीतल अंगुराल ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंगुराल BJP में शामिल हो गए। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव की 1 जून की वोटिंग से पहले अंगुराल ने 29 मई को स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने की बात कही, लेकिन तब तक इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस चुनाव में अंगुराल को BJP ने टिकट दी है। AAP ने अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नीलाल के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दी है। जालंधर उपचुनाव में 4 प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार… पंजाब | दैनिक भास्कर