‘स्वागत समारोह से लगता है नेतृत्व बढ़ेगा, यह गलतफहमी है’:पंजाब के राज्यपाल बोले- जनता के बीच बैठना पड़ता है, नहीं तो अधिकारी जो बताएगा वही सच लगेगा पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा- जनता के रुपयों से सुख-सुविधाएं भोग रहा हूं तो कर्तव्य बनता है कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देने के प्रयास करूं। कटारिया ने पंजाब में हथियारों की सप्लाई को नशे के खिलाफ अभियान को लेकर पदयात्रा शुरू की है। इस संबंध में उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत की। राजस्थान विधानसभा में चल रहे मुद्दों और पंजाब में फैले नशे के कारोबार को लेकर उन्होंने जवाब दिए। वे इन दिनों उदयपुर में हैं। दैनिक भास्कर में पढ़िए पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया से बातचीत- सवाल: आपकी पदयात्रा किस लिए हैं? जवाब: पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार आ रहे हैं और नशे का सामान भी भेजा जा रहा है। एक जिम्मेदार पद पर होने के नाते युवाओं को इस गिरोह से बचाना आवश्यक है। नशे की बीमारी को खत्म करने के लिए जनता के बीच जाकर जन आंदोलन करने का उद्देश्य है और इसी सोच से पदयात्रा शुरू की है। पंजाब इस नशे की प्रवृत्ति से बहुत विकट स्थिति में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को नशा मुक्त बनाने में लगे हैं। जब आंकड़ों को देखते हैं पंजाब सबसे ज्यादा नशे से घिरने वाले राज्यों में आता है। इसका बड़ा कारण है कि हमारा बॉर्डर 533 किलोमीटर का है। वहां पाकिस्तान हमको कमजोर करना चाहता है। इसके लिए नशे और हथियारों का लेनदेन ड्रोन के सिस्टम से हो रहा है। केंद्र सरकार ने एंटी ड्रोन भी दिए हैं, लेकिन उतनी संख्या नहीं है कि हम 533 किलोमीटर तक वाॅच रख पाएं। सवाल: अभियान शुरू करने की सोच कैसे मन में आई? जवाब: मैं वहां विलेज की कमेटियों के बीच गया तो माताओं और बहनों की पीड़ा को सुना। उन्होंने बताया कि हमारा परिवार बर्बाद हो रहा है। उनका कहना था कि विकास नहीं होगा तो चलेगा लेकिन नशे की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कुछ कीजिए। मुझे लगा कि यह मामला बहुत गंभीर है। वैसे मेरे पास नियमित क्राइम की रिपोर्ट आती है उसको पढ़ता हूं तो लगा कि अपराध का एक बड़ा कारण नशा भी है। नशा एक बड़ा व्यापार हो गया और अरबों का खेल चल रहा है। सरकार पकड़ती भी है, सजा भी देती है लेकिन कंट्रोल नहीं हो रहा है। यही सुनकर लगा कि कुछ करना होगा। सवाल: नशे को रोकने का युवाओं को समझाने का स्थाई समाधान क्या है? जवाब: पंजाब की सरकार ने भी कोशिश की। सरकार भी 2 महीने से सख्त एक्शन ले रही है। कई ऐसे गिरोह के लोगों की संपत्तियां भी गिराई हैं। लोगों को पकड़ा भी है। मेरा मानना है कि सरकार और कानून कभी किसी समस्या का स्थाई समाधान नहीं है, स्थाई समाधान तो जन आंदोलन और जनता के जुड़ाव से ही होगा। नशामुक्त गांव, गली, कॉलेज और विश्वविद्यालय होंगे और सब प्रयास करेंगे तब जाकर हम आने वाली पीढ़ी को बचा पाएंगे। सवाल: राजनीतिक जीवन की यात्राओं और पंजाब की पदयात्रा में कितना फर्क है? जवाब: उसमें राजनीतिक उद्देश्य होता था। पार्टी को मजबूत करने पर काम किया जाता था। जनता को पार्टी से जोड़ा जाता था। यहां कोई पार्टी का लेना देना नहीं है। मेरा जो पद है उसमें न तो मुझे पंजाब से चुनाव लड़ना है और न मै किसी पद पर जाना चाहता हूं। जिस जनता के पैसे से मै सुविधा भोग रहा हूं। ऐसे में कैसे आने वाली पीढ़ी को मैं बचा सकूं उसके लिए प्रयास कर रहा हूं। सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया। एक राज्यपाल की भूमिका को लेकर आपकी क्या सोच है? जवाब: मैं सोचता हूं कि न्यायालय का हम सब सम्मान करते हैं। न्यायालय ने जो निर्देश दिए हैं निश्चित रूप से बिलों को अधिक समय तक रोके रखना का नहीं है। अगर आपकी शक्ति में है तो बिलों को आगे भेज दो, नहीं है तो वापस भेज दीजिए। जो प्रोसेस होता है उसके अनुसार लोकतंत्र का सम्मान तो करना ही पड़ेगा। सवाल: राजस्थान विधानसभा के सत्र में 3 विधेयक प्रवर समिति को चले गए, कई मंत्री जवाब देने में तैयारी के साथ नहीं थे। ऐसा कैसे हो जाता है जवाब: इस बारे में कुछ कमेंट करना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस बारे में इतना जरूर समझता हूं प्रवर समिति को सौंपना कोई बुरा काम नहीं है। अगर कोई उसके खिलाफ कठोर इस प्रकार के एविडेंस के साथ चर्चा हुई है तो उस पर प्रवर समिति में चर्चा होनी चाहिए। प्रवर समिति में सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है, उसमें अच्छे लोग रहते हैं। मैं भी कई बार प्रवर समिति में रहा हूं। वहां पार्टी नहीं होती है वहां मेरिट के आधार पर डिस्कशन होता है। अच्छा है उसके बाद छना हुआ बिल आएंगे। ये एक अच्छी प्रक्रिया है। कुछ विरोध हो सकता है। सवाल: आप जब मंत्री थे तब विधानसभा के सवालों के जवाब के लिए घंटों एक्सरसाइज करते थे और आज के समय में कई मंत्रियों के अधूरे जवाब से अजीब सी स्थिति हो जाती है! जवाब: आजकल जनता स्वागत समारोह कर देती है, इससे लगता है कि नेतृत्व बढ़ेगा। यह गलतफहमी है। आपको जो काम दिया है वह कितने अच्छे ढंग से किया है वह आपकी तस्वीर तैयार करता है। मैं जब जयपुर रहता था तब सोमवार से शुक्रवार कोई कार्यक्रम नहीं बनाता था जयपुर मुख्यालय पर ही रहता। शनिवार और रविवार मेरे अपने कार्यक्रम बनाता था। मेरे सारे मंत्री साथियों को कहता हूं कि जनता के बीच बैठो। बैठेंगे तो समय दे पाएंगे और जितना समय देंगे उतना ही उन्हें (जनता) समझेंगे। समझेंगे तो न्याय ही कर सकेंगे। नहीं तो अधिकारी जैसे समस्या लाएगा उसके अनुसार ही काम करना पड़ेगा। दूसरे चरण की यात्रा भी जल्द होगी बता दें कि पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने नशे के बढ़ते प्रकोप को रोकने और युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से 3 अप्रैल को पदयात्रा शुरू की थी। यात्रा डेरा बाबा नानक से शुरू की। 6 अप्रैल तक यात्रा गुरदासपुर में और 7-8 अप्रैल को अमृतसर में जलियांवाला बाग पर समाप्त हुई। यह यात्रा का पहला चरण है और अब आगे दूसरा चरण शुरू होगा जिसमें बचे हुए जिलों में यात्रा निकाली जाएगी।