जालंधर | सिटी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर बुधवार को 5 साल की बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। यात्रियों ने उसे चुप कराने की काफी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। बच्ची के माता-पिता की भी तलाश की, लेकिन कोई नहीं मिला। इसकी सूचना जीआरपी को दी गई। मौके पर एसएचओ पलविंदर सिंह भिंडर पहुंचे और बच्ची के माता-पिता के बारे पूछताछ शुरू की। आखिर 5 घंटे की तलाश के बाद ऑटो स्टैंड के पास नशे की हालत एक व्यक्ति गिरा पड़ा मिला। उसे देखते ही बच्ची ने कहा- यही हैं मेरे डैडी। इसके बाद मामले का खुलासा हुआ कि उमेश कुमार छत्तीसगढ़ से ट्रेन में जालंधर आया था। उसकी पत्नी उसे छोड़कर किसी के साथ चली गई थी। इसी कारण वह काफी परेशान था। उसने शराब पी तो नशा होने पर बच्ची को स्टेशन पर ही भूल गया। पुलिस बच्ची और उसके पिता उमेश को थाने में ले आई। करीब छह घंटे तक उमेश को नशा उतरने तक वहीं रखा गया। उसने बच्ची का नाम प्रतिमा बताया। एसएचओ ने कहा कि इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस (18238) ट्रेन की टिकट और बच्चे के लिए खाने का सामान दिया। बच्ची को ट्रेन में बिठाकर पिता उमेश से कहा कि जो पैसे दिए हैं, उसकी शराब मत पीना। उन्हें बच्ची पर ही खर्च करना। इसे सही सलामत घर ले जाना। एसएचओ ने कहा कि अगर बच्ची का पिता न मिलता तो उन्होंने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के साथ संपर्क कर लिया था। बच्ची को वहां पर भेज देना था, लेकिन समय रहते ही उनके मुलाजिमों ने ढूंढ निकाला। उन्होंने कहा कि खुशी है एक बच्ची अनाथ होने से बच गई। जालंधर | सिटी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर बुधवार को 5 साल की बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। यात्रियों ने उसे चुप कराने की काफी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। बच्ची के माता-पिता की भी तलाश की, लेकिन कोई नहीं मिला। इसकी सूचना जीआरपी को दी गई। मौके पर एसएचओ पलविंदर सिंह भिंडर पहुंचे और बच्ची के माता-पिता के बारे पूछताछ शुरू की। आखिर 5 घंटे की तलाश के बाद ऑटो स्टैंड के पास नशे की हालत एक व्यक्ति गिरा पड़ा मिला। उसे देखते ही बच्ची ने कहा- यही हैं मेरे डैडी। इसके बाद मामले का खुलासा हुआ कि उमेश कुमार छत्तीसगढ़ से ट्रेन में जालंधर आया था। उसकी पत्नी उसे छोड़कर किसी के साथ चली गई थी। इसी कारण वह काफी परेशान था। उसने शराब पी तो नशा होने पर बच्ची को स्टेशन पर ही भूल गया। पुलिस बच्ची और उसके पिता उमेश को थाने में ले आई। करीब छह घंटे तक उमेश को नशा उतरने तक वहीं रखा गया। उसने बच्ची का नाम प्रतिमा बताया। एसएचओ ने कहा कि इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस (18238) ट्रेन की टिकट और बच्चे के लिए खाने का सामान दिया। बच्ची को ट्रेन में बिठाकर पिता उमेश से कहा कि जो पैसे दिए हैं, उसकी शराब मत पीना। उन्हें बच्ची पर ही खर्च करना। इसे सही सलामत घर ले जाना। एसएचओ ने कहा कि अगर बच्ची का पिता न मिलता तो उन्होंने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के साथ संपर्क कर लिया था। बच्ची को वहां पर भेज देना था, लेकिन समय रहते ही उनके मुलाजिमों ने ढूंढ निकाला। उन्होंने कहा कि खुशी है एक बच्ची अनाथ होने से बच गई। पंजाब | दैनिक भास्कर
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