पानीपत के थाना इसराना क्षेत्र में एक पारिवारिक विवाद में 36 वर्षीय व्यक्ति ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान सोमपाल के रूप में हुई है, जो मूल रूप से शामली जिले के डिंडू खेड़ा का निवासी था और वर्तमान में समालखा में रह रहा था। मृतक के बड़े भाई प्रमोद कुमार के अनुसार, सोमपाल की शादी 15 साल पहले बलाना गांव की सीमा से हुई थी। दंपती के तीन बच्चे हैं – एक लड़की और दो लड़के। करीब 6 महीने पहले परिवार समालखा में रहने के लिए आ गया था, जहां सोमपाल मजदूरी करता था। घटना से चार दिन पहले पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद सीमा अपने मायके बलाना चली गई। सोमपाल भी उसके पीछे वहां पहुंच गया। दो दिन पहले एक विवाद में सोमपाल ने सीमा के सिर पर डंडे से हमला कर दिया था, जिसकी शिकायत सीमा ने थाना इसराना में दर्ज कराई थी। 4 फरवरी की रात को फिर विवाद हुआ और गुस्से में सोमपाल घर से बाहर निकल गया। बस अड्डे पर पहुंचकर उसने जहरीला पदार्थ निगल लिया। हालत बिगड़ने पर उसे एनसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पानीपत सिविल अस्पताल भेज दिया है और मामले की जांच कर रही है। पानीपत के थाना इसराना क्षेत्र में एक पारिवारिक विवाद में 36 वर्षीय व्यक्ति ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान सोमपाल के रूप में हुई है, जो मूल रूप से शामली जिले के डिंडू खेड़ा का निवासी था और वर्तमान में समालखा में रह रहा था। मृतक के बड़े भाई प्रमोद कुमार के अनुसार, सोमपाल की शादी 15 साल पहले बलाना गांव की सीमा से हुई थी। दंपती के तीन बच्चे हैं – एक लड़की और दो लड़के। करीब 6 महीने पहले परिवार समालखा में रहने के लिए आ गया था, जहां सोमपाल मजदूरी करता था। घटना से चार दिन पहले पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद सीमा अपने मायके बलाना चली गई। सोमपाल भी उसके पीछे वहां पहुंच गया। दो दिन पहले एक विवाद में सोमपाल ने सीमा के सिर पर डंडे से हमला कर दिया था, जिसकी शिकायत सीमा ने थाना इसराना में दर्ज कराई थी। 4 फरवरी की रात को फिर विवाद हुआ और गुस्से में सोमपाल घर से बाहर निकल गया। बस अड्डे पर पहुंचकर उसने जहरीला पदार्थ निगल लिया। हालत बिगड़ने पर उसे एनसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पानीपत सिविल अस्पताल भेज दिया है और मामले की जांच कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में हलवाई हत्याकांड में दो गिरफ्तार:झगड़े के दौरान आरोपियों को समझाने गया था मृतक, गुस्से में कर दी हत्या हरियाणा के करनाल में हलवाई दिनेश की चाकू घोंपकर हत्या के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। दिनेश ने एक अन्य झगड़े के दौरान आरोपियों को समझाने की कोशिश की थी और यह बात आरोपियों को पसंद नहीं आई और उन्होंने रास्ते में ही दिनेश पर चाकुओं से वार कर दिया। घायल दिनेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस दोनों को रिमांड पर लेकर हत्या में इस्तेमाल हथियार बरामद करेगी। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया और उसके परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कहां से गिरफ्तार किए गए आरोपी पुलिस के मुताबिक, हत्या के मामले को गंभीरता से लिया गया और 9 जून को ही दोनों आरोपियों को काबू कर लिया। आरोपी सौरभ करनाल के भीमनगर का रहने वाला है और वकील उर्फ तनुज सदर बाजार का ही रहने वाला है। इन दोनों को थाना क्षेत्र से ही गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने दोनों आरोपियों से गहनता से पूछताछ की, जिसमें आरोपियों ने पूरे घटनाक्रम और हत्या के कारणों का खुलासा किया। उप निरीक्षक सुलतान सिंह की मानें तो 7-8 जून की रात को दिनेश खाना खाने के बाद घर से बाहर टहलने निकला था, जो घर लौटते समय गांधी चौंक के पास सदर बाजार में आरोपी किसी के घर पर झगड़ा कर रहे थे और दिनेश उन्हें समझाने लगा तो उन्होंने उस पर हमला कर उसकी हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है व आज 10 जून को दोनों को माननीय अदालत में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा, ताकि हत्या में इस्तेमाल हथियार का पता लगाया जा सके। सीसीटीवी में कैद हो गई थी घटना CCTV में कैद हुईं तस्वीरों में दिख रहा है कि दिनेश भाग कर अपनी जान बचाने के लिए दूसरी गली में आता है, लेकिन पीछे से बाइक पर सवार 2 बदमाश उसे घेर लेते हैं। इसके बाद बाइक पर पीछे बैठा आरोपी उतरता है और आते ही दिनेश को लातों और घूंसों से पीटता है। इस दौरान दिनेश आरोपियों के हाथ जोड़ता है और रहम की भीख मांगता है, लेकिन आरोपियों को तरस नहीं आता। वे उसके लात-घूंसे मारते रहते हैं। फिर जमीन पर गिरे दिनेश की कमर में आरोपी चाकू भोंक देता है। इसके बाद दिनेश को जमीन पर पड़ा छोड़कर आरोपी फरार हो जाते हैं। CCTV को तोड़ने का भी किया था प्रयास फरार होने के बाद आरोपी फिर से मौका-ए-वारदात पर लौट कर आता है। वहां पहले से जमीन पर पड़ा दिनेश उठकर चल देता है, और आरोपी लौट कर आसपास लगे CCTV खोजने लगता है। उसकी नजर एक CCTV कैमरे पर पड़ती है, जिसे वह तोड़ने की कोशिश भी करता है। हालांकि, उसे सफलता नहीं मिलती। इसके बाद आरोपी फरार हो जाता है। हत्या की धारा में दर्ज हुआ है केस सिटी थाना के SHO सुलतान सिंह ने बताया कि पुलिस ने मृतक दिनेश की पत्नी हेमलता की शिकायत के आधार पर आरोपी तनुज उर्फ वकील, सौरभ और उनके अन्य साथियों के खिलाफ IPC की धारा 34, 323, 324, 302 के तहत मामला दर्ज किया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आज दोनों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा।
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पूर्व हरियाणा CM, 3 पूर्व MLA की पेंशन पर संकट:हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न रोक लगा दें; सजा के बाद भी लाभ मिल रहा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला सहित 4 पूर्व विधायकों की पेंशन पर संकट खड़ा हो गया है। कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद भी इन माननीयों को पेंशन दिए जाने को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका पर इस मामले में सभी प्रतिवादियों से जवाब मांगा गया है। हाईकोर्ट ने पूर्व CM चौटाला, पूर्व विधानसभा स्पीकर सतबीर सिंह कादियान के प्रतिनिधि, पूर्व विधायक अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्यों न उनकी पेंशन पर रोक लगा दी जाए?। चंडीगढ़ निवासी हरी चंद अरोड़ा ने यह हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। अरोड़ा का कहना है कि उन्होंने विधानसभा सचिवालय से पूर्व विधायकों की पेंशन के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। जिसमें पता चला कि 4 सजा पा चुके पूर्व विधायक भी पेंशन ले रहे हैं। चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को हो चुकी 10 साल की सजा
याचिकाकर्ता का कहना है कि ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी को भ्रष्टाचार के आरोप में 16 दिसंबर 2013 को 10 साल की सजा हो चुकी है। सतबीर कादियान को भी 26 अगस्त 2016 को सात साल की सजा हो चुकी थी। इसलिए इन्हें पेंशन मिलना गैरकानूनी है। यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है। इस नियम के तहत दायर की याचिका
अरोड़ा ने हाईकोर्ट में बहस के दौरान कहा कि हरियाणा विधानसभा की धारा 7-ए (1-ए) (वेतन, भत्ता और सदस्यों की पेंशन) अधिनियम, 1975 के तहत अगर किसी विधायक को कोर्ट सजा सुना दे, तो वे पेंशन के अयोग्य हो जाते हैं। अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने विधानसभा सचिव के सामने भी पेंशन रोकने के लिए याचिका दायर की थी। विधानसभा में खारिज हो चुकी याचिका
हालांकि, विधानसभा सचिव ने अपने फैसले में कहा कि ये पूर्व विधायक वेतन-भत्ते एवं पेंशन एक्ट के तहत पेंशन के हकदार हैं। इनकी सदस्यता न तो कभी दलबदल कानून के तहत रद्द की गई और न ही इन्हें कभी जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया। वहां से याचिका खारिज होने के बाद याची ने हाईकोर्ट की शरण ली।