हरियाणा के पलवल जिले के होडल बाजार से युवक का अपहरण कर हत्या कर शव को नाले के पास फेंकने का मामला प्रकाश में आया है। विरोध में मृतक युवक के परिजनों ने होडल थाने का घेराव कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। मौके पर पहुंचे डीएसपी ने लोगों को समझा-बुझाकर मामले को शांत करा दिया। पुलिस ने मृतक की मां की शिकायत पर अपहरण व हत्या का केस दर्ज कर एक युवक को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है। अपहरण की परिजनों को दी सूचना मिली जानकारी अनुसार भुलवाना गांव निवासी किशनवती ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि उसका 32 वर्षीय बेटा खेमचंद 23 सितंबर को बाइक से होडल बाजार में सामान लेने के लिए गया था, लेकिन जब देर रात तक घर नहीं लौटा, तो उसके फोन पर उसने (मां ने) कॉल की तो फोन किसी अन्य युवक ने उठाया और गाली-गलौज करने लगा। उसने कहा कि हमने तेरे बेटे को उठा लिया है। एक युवक बाइक से कूदकर भागा पीड़िता किशनवती ने परिजनों व पड़ोसियों को जानकारी दी। परिजनों ने होडल थाना पुलिस को शिकायत देकर मामले से अवगत कराया। देर रात जब खेमचंद के परिजन व पड़ोसी उसे ढूंढ रहे थे, तो गढ़ी पट्टी के पेट्रोल पंप के पास उन्होंने खेमचंद की बाइक देखी जिस पर दो युवक बैठे थे। खेमचंद के परिजनों ने बाइक का पीछा किया और बाइक सवारों को रुकने के लिए कहा। पीछा करता देख युवक कूदकर भाग गया। नागरिक अस्पताल भिजवाया शव परिजनों ने दूसरे युवक को बाइक सहित दबोच लिया। खेमचंद के परिजन युवक को बाइक सहित थाने में ले आए। मंगलवार सुबह खेमचंद के परिजनों को सूचना मिली कि गढ़ी पट्टी के निकट नाले के पास खेमचंद का शव पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही खेमचंद के परिजनों ने मौके पर पहुंचकर शव की शिनाख्त की, तो वह शव खेमचंद का था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला नागरिक अस्पताल पलवल भेज दिया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग मृतक खेमचंद के परिजन व भुलवाना गांव के लोगों ने मंगलवार को होडल थाने का घेराव कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। मौके पर पहुंचे डीएसपी कुलदीप सिंह ने मृतक के परिजनों को समझाकर घर लौटा दिया। मामले में थाना प्रभारी दिनेश कुमार का कहना है कि मृतक खेमचंद के परिजनों की शिकायत पर अपहरण व हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने कहा कि जिस युवक से मृतक की बाइक बरामद हुई है, उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। हरियाणा के पलवल जिले के होडल बाजार से युवक का अपहरण कर हत्या कर शव को नाले के पास फेंकने का मामला प्रकाश में आया है। विरोध में मृतक युवक के परिजनों ने होडल थाने का घेराव कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। मौके पर पहुंचे डीएसपी ने लोगों को समझा-बुझाकर मामले को शांत करा दिया। पुलिस ने मृतक की मां की शिकायत पर अपहरण व हत्या का केस दर्ज कर एक युवक को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है। अपहरण की परिजनों को दी सूचना मिली जानकारी अनुसार भुलवाना गांव निवासी किशनवती ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि उसका 32 वर्षीय बेटा खेमचंद 23 सितंबर को बाइक से होडल बाजार में सामान लेने के लिए गया था, लेकिन जब देर रात तक घर नहीं लौटा, तो उसके फोन पर उसने (मां ने) कॉल की तो फोन किसी अन्य युवक ने उठाया और गाली-गलौज करने लगा। उसने कहा कि हमने तेरे बेटे को उठा लिया है। एक युवक बाइक से कूदकर भागा पीड़िता किशनवती ने परिजनों व पड़ोसियों को जानकारी दी। परिजनों ने होडल थाना पुलिस को शिकायत देकर मामले से अवगत कराया। देर रात जब खेमचंद के परिजन व पड़ोसी उसे ढूंढ रहे थे, तो गढ़ी पट्टी के पेट्रोल पंप के पास उन्होंने खेमचंद की बाइक देखी जिस पर दो युवक बैठे थे। खेमचंद के परिजनों ने बाइक का पीछा किया और बाइक सवारों को रुकने के लिए कहा। पीछा करता देख युवक कूदकर भाग गया। नागरिक अस्पताल भिजवाया शव परिजनों ने दूसरे युवक को बाइक सहित दबोच लिया। खेमचंद के परिजन युवक को बाइक सहित थाने में ले आए। मंगलवार सुबह खेमचंद के परिजनों को सूचना मिली कि गढ़ी पट्टी के निकट नाले के पास खेमचंद का शव पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही खेमचंद के परिजनों ने मौके पर पहुंचकर शव की शिनाख्त की, तो वह शव खेमचंद का था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला नागरिक अस्पताल पलवल भेज दिया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग मृतक खेमचंद के परिजन व भुलवाना गांव के लोगों ने मंगलवार को होडल थाने का घेराव कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। मौके पर पहुंचे डीएसपी कुलदीप सिंह ने मृतक के परिजनों को समझाकर घर लौटा दिया। मामले में थाना प्रभारी दिनेश कुमार का कहना है कि मृतक खेमचंद के परिजनों की शिकायत पर अपहरण व हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने कहा कि जिस युवक से मृतक की बाइक बरामद हुई है, उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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किसानों के बीच उनकी अच्छी पैठ देखते हुए भाजपा ने उन्हें किसान मोर्चा का प्रदेश महासचिव नियुक्त किया। बाद में वे मोर्चा के अध्यक्ष भी बने। आंदोलन के दौरान उन्हें प्रदेश के बड़े गुज्जर नेता चौधरी लाल सिंह से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2009 के विधानसभा चुनाव में सैनी को नारायणगढ़ विधानसभा सीट से टिकट मिला। टिकट दिलाने में सैनी के राजनीतिक गुरु मनोहर लाल खट्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। उनका सीधा मुकाबला गुज्जर नेता चौधरी लाल सिंह के बेटे राम किशन से था। सैनी बुरी तरह चुनाव हार गए। वे 5वें स्थान पर रहे। नारायणगढ़ में करारी हार के बाद भी पार्टी ने सैनी पर भरोसा जताया। 2012 में भाजपा ने उन्हें अंबाला का जिला अध्यक्ष बना दिया। सैनी ने युवा मोर्चा के समय में राजनीतिक तिकड़ी बनाई थी। इसमें उनके साथ अंबाला के पूर्व सांसद रतनलाल कटारिया और असीम गोयल शामिल थे। यह तिकड़ी आज भी काम कर रही है। कटारिया के निधन के बाद उनकी पत्नी इसमें शामिल हो गईं। इसी तिकड़ी की मदद से सैनी ने जिले की 3 विधानसभा सीटों नारायणगढ़, अंबाला सिटी और मुलाना में काम करना शुरू कर दिया। अबंला जिले की चौथी विधानसभा सीट, अंबाला कैंट में अनिल विज का बोलबाला था। अनिल विज खट्टर सरकार में मंत्री थे। तब सैनी ने नारायणगढ़ में जनता दरबार लगाना शुरू किया। चूंकि अंबाला कैंट के कुछ गांव भी नारायणगढ़ में आते थे, लिहाजा उन गांवों के लोग भी सैनी के दरबार में आने लगे. इससे विज को दिक्कत होने लगी। यहीं से विज की सैनी से राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई। 2014 में पहली बार विधायक बने, दो साल बाद खट्टर ने राज्यमंत्री बनाया
अनिल विज से संगठनात्मक लड़ाई के बाद भी सैनी को मनोहर लाल खट्टर का समर्थन मिलता रहा। यही वजह रही कि 2014 में उन्हें फिर से नारायणगढ़ विधानसभा सीट से टिकट मिला। इस बार भी उनका मुकाबला चौधरी लाल सिंह के बेटे राम किशन से था। इस बार सैनी ने राम किशन को करीब 24 हजार वोटों से हरा दिया। हरियाणा के इतिहास में पहली बार BJP की सरकार बनी और मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया। दो साल बाद खट्टर ने सैनी को राज्यमंत्री के तौर पर सरकार में शामिल कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में सैनी को कुरुक्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया। सैनी पार्टी की उम्मीदें पर खरे उतरे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह को हराकर जीत हासिल की। हालांकि सांसद रहने के दौरान सैनी कुरुक्षेत्र की बजाय नारायणगढ़ में ज्यादा सक्रिय रहे। इसके चलते उन्हें अपनी ही पार्टी के नेताओं और कुरूक्षेत्र के लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उनके कुछ करीबियों ने बताया कि वह दिल्ली की बजाय हरियाणा की राजनीति में ज्यादा सक्रिय होना चाहते थे। उनकी यह इच्छा मनोहर लाल खट्टर ने पूरी भी की। अक्टूबर 2023 में ओम प्रकाश धनखड़ की जगह सैनी को हरियाणा BJP का अध्यक्ष बनाया गया। BJP-JJP का गठबंधन टूटा, खट्टर का कैबिनेट समेत इस्तीफा
11 मार्च 2024, देश में लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट तेज हो चुकी थी। इसी दिन PM मोदी शाम को हरियाणा के गुरुग्राम पहुंचे। उन्होंने दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाले हरियाणा एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया। PM ने इस दौरान मनोहर लाल खट्टर की तारीफ करते हुए कहा कि एक्सप्रेस वे के निर्माण में हरियाणा सरकार और CM खट्टर की तत्परता नजर आती है। कार्यक्रम के बाद खट्टर चंडीगढ़ लौटे और कैबिनेट की बैठक बुलाई। मीटिंग देर रात तक चली। सुबह होते ही खबरें चलने लगीं कि हरियाणा में JJP-BJP का गठबंधन टूट सकता है। खट्टर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। दरअसल 11 मार्च को ही रात में JJP के नेता और खट्टर सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला ने BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। कहा गया कि दुष्यंत JJP के लिए लोकसभा चुनाव में दो सीट की मांग कर रहे थे, जबकि BJP महज एक सीट देना चाहती थी। इस पर दुष्यंत राजी नहीं थे। 12 मार्च को खट्टर ने चंडीगढ़ में BJP विधायकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में निर्दलीय विधायकों को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन गठबंधन का हिस्सा रही JJP विधायक बैठक का हिस्सा नहीं थे। बैठक के बाद खट्टर कैबिनेट के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे और सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर अपना इस्तीफा सौंप दिया। BJP-JJP के गठबंधन की सरकार गिर गई। अब राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही था कि BJP किसे हरियाणा का नया मुखिया बनाएगी। रेस में गृहमंत्री अनिल विज, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर जैसे नाम चल रहे थे। झारखंड के पूर्व CM अर्जुन मुंडा और राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया। पर्यवेक्षकों ने विधायकों की मीटिंग बुलाई। इधर सैनी के गांव में राजनीतिक चहल-पहल बढ़ने लगी थी। पुलिस ने उनके घर की सुरक्षा बढ़ा दी। CID और पुलिस की एजेंसियां भी पहुंच गईं। इसी बीच करीब 12 बजे विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के रूप में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी का नाम प्रस्तावित किया गया। मीडिया में खबर फैल गई कि हरियाणा की कमान नायब सिंह सैनी संभालेंगे। शाम करीब पांच बजे नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ लेने के ठीक बाद सैनी ने मंच पर बैठे मनोहर लाल खट्टर के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं- मनोहर लाल खट्टर ने पार्टी आलाकमान को अपनी जगह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी। पार्टी ने सैनी के चेहरे पर लड़ा विधानसभा चुनाव इसी साल 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नायब सिंह सैनी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा। 8 अक्टूबर को रिजल्ट आया तो भाजपा के खाते में 48 सीट आई। तब भी चर्चा हुई कि कहीं भाजपा मुख्यमंत्री बदल तो नहीं देगी। 12 और 15 अक्टूबर को शपथ ग्रहण की बात सामने आई। आखिरी में 17 अक्टूबर को शपथग्रहण की डेट फाइनल हुई। 16 अक्टूबर को पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग हुई। केंद्र की तरफ से ऑब्जर्वर के तौर पर गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हुए। विधायकों से मिले प्रस्ताव के बाद अमित शाह ने नायब सैनी को विधायक दल का नेता बनाने का ऐलान किया। इसके बाद नायब सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। वह कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री, 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा 37 बड़े नेता शामिल होंगे। BJP खट्टर की जगह सैनी को क्यों लाई, तीन बड़ी वजह 1. OBC कार्ड : पिछले कुछ महीनों से विपक्ष OBC कार्ड पर जोर दे रहा है। राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश में भी BJP ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया था। वे भी OBC समुदाय से आते हैं। वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र कंवारी के मुताबिक हरियाणा की 44 फीसदी आबादी OBC समुदाय से है। ऐसे में BJP ने सैनी के सहारे इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। हालांकि, लोकसभा चुनावों में BJP का ये OBC कार्ड बहुमत काम नहीं आया। BJP को 2019 में 10 सीटें मिली थीं। 2024 लोकसभा में BJP 5 सीटों पर सिमट गई। 2. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलना : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलना भारतीय जनता पार्टी की पुरानी प्लानिंग का हिस्सा रहा है। धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं इसकी शुरुआत 2021 में हुई जब गुजरात चुनाव से ठीक पहले विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। गुजरात में 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इसके बाद BJP ने कर्नाटक, उत्तराखंड और त्रिपुरा में भी विधानसभा चुनावों में भी यहीं प्लानिंग देखने को मिली थी। 3. एंटी इनकम्बेंसी : धर्मेंद्र कंवारी के मुताबिक BJP ने पार्टी सर्वे में पाया कि किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के प्रदर्शन के कारण खट्टर के खिलाफ गुस्सा नजर आ रहा था। वहीं दूसरी तरफ पार्टी कार्यकर्ताओं में खट्टर के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही थी। ऐसे में खट्टर को हटाकर सैनी के सहारे जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की।