पहलगाम अटैक- सपा-बसपा नेता नहीं पहुंचे शुभम के घर:अखिलेश धर्म पूछकर हत्या करने पर चुप; भाजपा हिंदुओं को एकजुट कर रही

पहलगाम अटैक- सपा-बसपा नेता नहीं पहुंचे शुभम के घर:अखिलेश धर्म पूछकर हत्या करने पर चुप; भाजपा हिंदुओं को एकजुट कर रही

कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर 26 पर्यटकों की हत्या के बाद यूपी की राजनीति गरमाई हुई है। आतंकी घटना पर कांग्रेस, सपा और बसपा सहित तमाम विपक्षी दलों ने संवेदना व्यक्त की है। सभी दलों ने एक स्वर में आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की पैरवी की है। लेकिन, धर्म पूछकर हत्या करने पर चुप्पी साध रखी है। आतंकी घटना में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी के घर जाकर संवेदना व्यक्त करने से विपक्षी दलों के बड़े नेताओं ने दूरी बना रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा ने पहले दिन ही अपनी लाइन साफ कर दी थी। वहीं, बसपा ने बीच का रास्ता अपनाया। बसपा ने घटना की निंदा तो की, लेकिन धर्म पूछकर मारने की घटना पर चुप्पी साधे रखी। बसपा सुप्रीमो मायावती, उनके भतीजे आकाश आनंद समेत पार्टी का कोई प्रतिनिधिमंडल तक शोक जताने शुभम के घर नहीं पहुंचा। आखिर इसकी वजह क्या है? किसका क्या स्टैंड है? पॉलिटिकल नफा-नुकसान क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले सपा का स्टैंड समझने के लिए ये 2 बयान पढ़िए… कानपुर में शुभम द्विवेदी के घर हम नहीं जा रहे। भाजपा वहां कुछ भी करा सकती है। इसलिए सावधान रहना चाहिए। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब एक फौजी के यहां गया था। उस कमरे में RSS के लोग बैठे हुए थे। उन्होंने क्या करवाया था। आप पता करवा लीजिएगा। – अखिलेश यादव, सपा प्रमुख हिंदू रोज लोगों को मार रहे हैं। हिंदू-हिंदू को मार रहा है। मार रहे हैं कि नहीं मार रहे? बनारस में हिंदू लड़की से तमाम लोगों ने रेप किया। लड़की हिंदू थी और लड़के हिंदू थे। कौन-सा मुसलमान था? जब देश एक हो गया है तो हिंदू-मुस्लिम खड़ा करना ठीक नहीं है। – रामगोपाल यादव, सपा के राष्ट्रीय महासचिव इन्हीं दोनों बयानों के इर्द-गिर्द सपा का स्टैंड क्लियर दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल है। लोकसभा में दूसरा सबसे बड़ा दल है। सपा को यह राजनीतिक ताकत सभी धर्म और समाज के लोगों से मिली है। अखिलेश ने आतंकी घटना के बाद सबसे पहले कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। यह कहकर उन्होंने अपने वोट बैंक को साधा। इतना ही नहीं, जब अखिलेश यादव ने कहा कि पहलगाम घटना में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी के परिवार से उनका कोई परिचय नहीं। इसको लेकर भी उनकी स्ट्रैटजी दिख रही है। यह जरूरी नहीं कि ऐसे संवेदनशील और दुख की घड़ी में भी किसी राजनीतिक दल के मुखिया या सांसद किसी के घर तब ही जाएंगे, जब उनका उस परिवार से व्यक्तिगत परिचय होगा। अखिलेश यह दिखाना चाहते हैं कि वे अपने पीडीए फॉर्मूले पर अडिग हैं। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं- समाजवादी पार्टी अपने एजेंडे के तहत चल रही है। संभल घटना के बाद सपा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद वहां पहुंचकर मृतक मुसलमानों के आश्रितों को 5-5 लाख रुपए की मदद दी थी। वहीं, बहराइच में मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा में मुसलमानों के हाथों मारे गए रामगोपाल मिश्रा के परिवार से कोई सपाई मिलने नहीं गया। सपा कम्युनल डिवाइड के एजेंडे पर काम कर रही है। सपा, भाजपा पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाती है। लेकिन, वह खुद इस समय सपा क्या कर रही है? यही हाल इंडी गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस का भी है। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल का कहना है- संवेदना व्यक्त करने या शुभम के परिवार से मिलने से अखिलेश का वोटबैंक नहीं सध रहा। यूपी में सपा और बसपा के लिए अपनी खोई जमीन वापस पाना जरूरी है, न कि संवेदना व्यक्त करना है। सपा का आरोप- भाजपा वोट बैंक की राजनीति कर रही
सपा प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- समाजवादी पार्टी पहलगाम में हुई आतंकी घटना के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मृतकों को श्रद्धांजलि देने के साथ मृतक आश्रितों को 5-5 करोड़ की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है। पार्टी का मानना है कि कभी-कभी विपरीत विचारधारा के व्यक्ति के यहां दुख प्रकट करने जाएं, तो भी भाजपा के लोग वहां हंगामा और विरोध-प्रदर्शन करते हैं। गोरखपुर में पुलिस ने एक व्यापारी की हत्या की थी। अखिलेश यादव मृतक के घर गए, तो वहां भाजपाइयों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की ी। गोमती नदी के किनारे पर एक महायज्ञ में साधु-संतों ने अखिलेश यादव को आमंत्रित किया था। वहां भी भाजपाइयों ने हंगामा और विरोध किया। ऐसी घटना से अपमानित महसूस होना पड़ता है। इसलिए हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष शुभम के घर नहीं गए। वोट बैंक की राजनीति तो भाजपा कर रही है। कांग्रेस का स्टैंड क्या है?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि कांग्रेस का स्टैंड भी क्लियर है। राहुल गांधी कश्मीर जाकर घायल पर्यटकों से मिले। राहुल गांधी ने कहा कि आतंकवादियों का इरादा समाज को बांटने का है। हमें आतंकवादियों को सफल नहीं होने देना है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में हम सरकार के साथ हैं। पीसीसी चीफ अजय राय शुभम द्विवेदी के घर भी पहुंचे। सपा की तरह कांग्रेस के नेता भी धर्म पूछकर हत्या के मामले में चुप हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि यह जितना तूल पकड़ेगा, उतना कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। अगर कांग्रेस इस पर सवाल करती है, तो अल्पसंख्यक वोटों का नुकसान हो सकता है। बसपा का स्टैंड क्या है?
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि आतंकवादी आए कैसे, सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। आतंकी घटना को अंजाम देकर आतंकवादी भाग कैसे गए? इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। पूरे देश को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कौन से आतंकवादी हैं, जो प्रदेश भर में बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ रहे हैं। प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने लगी बाबा साहब की मूर्ति को तोड़ा गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। दलित बेटी की हत्या को आत्महत्या बताकर मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि बसपा की शुरू से ही सधी प्रतिक्रिया रहती है। वह दलित मुद्दों पर ही ज्यादा मुखर होती है। अब जानिए भाजपा का स्टैंड
भाजपा की टॉप लीडरशिप भले ही धर्म पूछकर हत्या करने वाली बात पर मौन साधे है। लेकिन, उससे जुड़े संगठन और पार्टी के सेकेंड लाइन के नेता इसे जोर-शोर से उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है- उन्होंने धर्म पूछा, जाति नहीं। एक्सपर्ट का मानना है कि भाजपा धर्म के मुद्दे को जितना उठाएगी, उतना ही ध्रुवीकरण होगा। वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय मानते हैं- हिंदू समुदाय बहुत आक्रोशित है। जो लोग राष्ट्र भक्ति की बात करते हैं, वो मुसलमानों पर हमलावर होते हैं। शुरुआत में राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। लेकिन, जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों में देश की एकता और अखंडता की बात हुई। पाकिस्तान के विरोध में नारे लगाए गए। मुसलमानों ने भी देश के प्रति लगाव जताया। उससे राजनीतिक दलों का मंसूबा बिगड़ गया। विपक्ष सरकार की अक्षमता गिना रहा है कि सरकार ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए। वहीं, भाजपा प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं- अखिलेश कह रहे कि आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी से उनका कोई परिचय नहीं था। शुभम का देश के 140 करोड़ लोगों से भी परिचय नहीं था। लेकिन, आतंकी घटना के बाद पूरा देश शुभम के परिवार के साथ खड़ा दिखा। अखिलेश यादव जेल में बंद गुंडे-माफिया से मिलने चले जाते हैं। आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का काम करते हैं। दुर्भाग्य है कि अखिलेश शुभम के घर जाने में हिचकते हैं। अखिलेश ने यह भी कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। ऐसा कहकर अखिलेश यादव कट्‌टर आतंकी कृत्य को कवर फायर दे रहे हैं। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी पुलिस में कई IPS खाली बैठे, कई अफसरों के पास डबल काम, सरकार को भरोसा नहीं या कुछ और वजह? उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में कई अहम पदों पर स्थायी तैनाती नहीं हो पा रही। कई अफसर ऐसे हैं, जिनकी काबिलियत पर सरकार को शक है। या फिर उन पर भरोसा कायम नहीं कर पा रही। DGP जैसे सबसे बड़े पद पर 3 साल से कार्यवाहकों की तैनाती हो रही है। पढ़ें पूरी खबर कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर 26 पर्यटकों की हत्या के बाद यूपी की राजनीति गरमाई हुई है। आतंकी घटना पर कांग्रेस, सपा और बसपा सहित तमाम विपक्षी दलों ने संवेदना व्यक्त की है। सभी दलों ने एक स्वर में आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की पैरवी की है। लेकिन, धर्म पूछकर हत्या करने पर चुप्पी साध रखी है। आतंकी घटना में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी के घर जाकर संवेदना व्यक्त करने से विपक्षी दलों के बड़े नेताओं ने दूरी बना रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा ने पहले दिन ही अपनी लाइन साफ कर दी थी। वहीं, बसपा ने बीच का रास्ता अपनाया। बसपा ने घटना की निंदा तो की, लेकिन धर्म पूछकर मारने की घटना पर चुप्पी साधे रखी। बसपा सुप्रीमो मायावती, उनके भतीजे आकाश आनंद समेत पार्टी का कोई प्रतिनिधिमंडल तक शोक जताने शुभम के घर नहीं पहुंचा। आखिर इसकी वजह क्या है? किसका क्या स्टैंड है? पॉलिटिकल नफा-नुकसान क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले सपा का स्टैंड समझने के लिए ये 2 बयान पढ़िए… कानपुर में शुभम द्विवेदी के घर हम नहीं जा रहे। भाजपा वहां कुछ भी करा सकती है। इसलिए सावधान रहना चाहिए। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब एक फौजी के यहां गया था। उस कमरे में RSS के लोग बैठे हुए थे। उन्होंने क्या करवाया था। आप पता करवा लीजिएगा। – अखिलेश यादव, सपा प्रमुख हिंदू रोज लोगों को मार रहे हैं। हिंदू-हिंदू को मार रहा है। मार रहे हैं कि नहीं मार रहे? बनारस में हिंदू लड़की से तमाम लोगों ने रेप किया। लड़की हिंदू थी और लड़के हिंदू थे। कौन-सा मुसलमान था? जब देश एक हो गया है तो हिंदू-मुस्लिम खड़ा करना ठीक नहीं है। – रामगोपाल यादव, सपा के राष्ट्रीय महासचिव इन्हीं दोनों बयानों के इर्द-गिर्द सपा का स्टैंड क्लियर दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल है। लोकसभा में दूसरा सबसे बड़ा दल है। सपा को यह राजनीतिक ताकत सभी धर्म और समाज के लोगों से मिली है। अखिलेश ने आतंकी घटना के बाद सबसे पहले कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। यह कहकर उन्होंने अपने वोट बैंक को साधा। इतना ही नहीं, जब अखिलेश यादव ने कहा कि पहलगाम घटना में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी के परिवार से उनका कोई परिचय नहीं। इसको लेकर भी उनकी स्ट्रैटजी दिख रही है। यह जरूरी नहीं कि ऐसे संवेदनशील और दुख की घड़ी में भी किसी राजनीतिक दल के मुखिया या सांसद किसी के घर तब ही जाएंगे, जब उनका उस परिवार से व्यक्तिगत परिचय होगा। अखिलेश यह दिखाना चाहते हैं कि वे अपने पीडीए फॉर्मूले पर अडिग हैं। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं- समाजवादी पार्टी अपने एजेंडे के तहत चल रही है। संभल घटना के बाद सपा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद वहां पहुंचकर मृतक मुसलमानों के आश्रितों को 5-5 लाख रुपए की मदद दी थी। वहीं, बहराइच में मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान हुई हिंसा में मुसलमानों के हाथों मारे गए रामगोपाल मिश्रा के परिवार से कोई सपाई मिलने नहीं गया। सपा कम्युनल डिवाइड के एजेंडे पर काम कर रही है। सपा, भाजपा पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाती है। लेकिन, वह खुद इस समय सपा क्या कर रही है? यही हाल इंडी गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस का भी है। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल का कहना है- संवेदना व्यक्त करने या शुभम के परिवार से मिलने से अखिलेश का वोटबैंक नहीं सध रहा। यूपी में सपा और बसपा के लिए अपनी खोई जमीन वापस पाना जरूरी है, न कि संवेदना व्यक्त करना है। सपा का आरोप- भाजपा वोट बैंक की राजनीति कर रही
सपा प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- समाजवादी पार्टी पहलगाम में हुई आतंकी घटना के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मृतकों को श्रद्धांजलि देने के साथ मृतक आश्रितों को 5-5 करोड़ की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है। पार्टी का मानना है कि कभी-कभी विपरीत विचारधारा के व्यक्ति के यहां दुख प्रकट करने जाएं, तो भी भाजपा के लोग वहां हंगामा और विरोध-प्रदर्शन करते हैं। गोरखपुर में पुलिस ने एक व्यापारी की हत्या की थी। अखिलेश यादव मृतक के घर गए, तो वहां भाजपाइयों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की ी। गोमती नदी के किनारे पर एक महायज्ञ में साधु-संतों ने अखिलेश यादव को आमंत्रित किया था। वहां भी भाजपाइयों ने हंगामा और विरोध किया। ऐसी घटना से अपमानित महसूस होना पड़ता है। इसलिए हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष शुभम के घर नहीं गए। वोट बैंक की राजनीति तो भाजपा कर रही है। कांग्रेस का स्टैंड क्या है?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि कांग्रेस का स्टैंड भी क्लियर है। राहुल गांधी कश्मीर जाकर घायल पर्यटकों से मिले। राहुल गांधी ने कहा कि आतंकवादियों का इरादा समाज को बांटने का है। हमें आतंकवादियों को सफल नहीं होने देना है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में हम सरकार के साथ हैं। पीसीसी चीफ अजय राय शुभम द्विवेदी के घर भी पहुंचे। सपा की तरह कांग्रेस के नेता भी धर्म पूछकर हत्या के मामले में चुप हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि यह जितना तूल पकड़ेगा, उतना कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। अगर कांग्रेस इस पर सवाल करती है, तो अल्पसंख्यक वोटों का नुकसान हो सकता है। बसपा का स्टैंड क्या है?
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि आतंकवादी आए कैसे, सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। आतंकी घटना को अंजाम देकर आतंकवादी भाग कैसे गए? इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। पूरे देश को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कौन से आतंकवादी हैं, जो प्रदेश भर में बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ रहे हैं। प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने लगी बाबा साहब की मूर्ति को तोड़ा गया। अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। दलित बेटी की हत्या को आत्महत्या बताकर मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि बसपा की शुरू से ही सधी प्रतिक्रिया रहती है। वह दलित मुद्दों पर ही ज्यादा मुखर होती है। अब जानिए भाजपा का स्टैंड
भाजपा की टॉप लीडरशिप भले ही धर्म पूछकर हत्या करने वाली बात पर मौन साधे है। लेकिन, उससे जुड़े संगठन और पार्टी के सेकेंड लाइन के नेता इसे जोर-शोर से उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है- उन्होंने धर्म पूछा, जाति नहीं। एक्सपर्ट का मानना है कि भाजपा धर्म के मुद्दे को जितना उठाएगी, उतना ही ध्रुवीकरण होगा। वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय मानते हैं- हिंदू समुदाय बहुत आक्रोशित है। जो लोग राष्ट्र भक्ति की बात करते हैं, वो मुसलमानों पर हमलावर होते हैं। शुरुआत में राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। लेकिन, जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों में देश की एकता और अखंडता की बात हुई। पाकिस्तान के विरोध में नारे लगाए गए। मुसलमानों ने भी देश के प्रति लगाव जताया। उससे राजनीतिक दलों का मंसूबा बिगड़ गया। विपक्ष सरकार की अक्षमता गिना रहा है कि सरकार ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए। वहीं, भाजपा प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं- अखिलेश कह रहे कि आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी से उनका कोई परिचय नहीं था। शुभम का देश के 140 करोड़ लोगों से भी परिचय नहीं था। लेकिन, आतंकी घटना के बाद पूरा देश शुभम के परिवार के साथ खड़ा दिखा। अखिलेश यादव जेल में बंद गुंडे-माफिया से मिलने चले जाते हैं। आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का काम करते हैं। दुर्भाग्य है कि अखिलेश शुभम के घर जाने में हिचकते हैं। अखिलेश ने यह भी कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। ऐसा कहकर अखिलेश यादव कट्‌टर आतंकी कृत्य को कवर फायर दे रहे हैं। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी पुलिस में कई IPS खाली बैठे, कई अफसरों के पास डबल काम, सरकार को भरोसा नहीं या कुछ और वजह? उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में कई अहम पदों पर स्थायी तैनाती नहीं हो पा रही। कई अफसर ऐसे हैं, जिनकी काबिलियत पर सरकार को शक है। या फिर उन पर भरोसा कायम नहीं कर पा रही। DGP जैसे सबसे बड़े पद पर 3 साल से कार्यवाहकों की तैनाती हो रही है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर