हरियाणा के पानीपत शहर की संजय कॉलोनी में रहने वाले एक युवक का मोबाइल फोन चलती ट्रेन में छीन लिया गया। जब स्नैचर का पीछा किया गया तो वह चलती ट्रेन से ट्रैक पर कूद गया। पीड़ित ने पानीपत पहुंचकर मामले की शिकायत जीआरपी से की। पुलिस ने शिकायत के आधार पर जीरो एफआईआर दर्ज कर नई दिल्ली रेलवे पुलिस को भेज दी है। जीआरपी थाने में दी गई शिकायत में सुनील राठी ने बताया कि वह पानीपत के संजय कॉलोनी का रहने वाला है। 14 दिसंबर को वह आगरा से पानीपत जाने वाली ट्रेन में सफर कर रहा था। जब ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना हुई तो रास्ते में चलती ट्रेन में उसका मोबाइल फोन छीन लिया गया। स्नैचर ट्रेन में उसके पास आया और उसके हाथ से फोन छीन लिया। चलती ट्रेन से कूदकर पटरी पर आ गया जब उसका पीछा किया गया तो वह चलती ट्रेन से कूदकर पटरी पर आ गया। उस समय सुबह के करीब 4 बजे थे। ट्रेन नई दिल्ली और सब्जी मंडी स्टेशन के बीच थी। उसके पास मोटोरोला एज 40 फोन था। उसमें उसका सिम भी लगा हुआ था। पानीपत पुलिस ने यहां से जीरो एफआईआर दर्ज कर नई दिल्ली रेलवे पुलिस को भेज दिया है। हरियाणा के पानीपत शहर की संजय कॉलोनी में रहने वाले एक युवक का मोबाइल फोन चलती ट्रेन में छीन लिया गया। जब स्नैचर का पीछा किया गया तो वह चलती ट्रेन से ट्रैक पर कूद गया। पीड़ित ने पानीपत पहुंचकर मामले की शिकायत जीआरपी से की। पुलिस ने शिकायत के आधार पर जीरो एफआईआर दर्ज कर नई दिल्ली रेलवे पुलिस को भेज दी है। जीआरपी थाने में दी गई शिकायत में सुनील राठी ने बताया कि वह पानीपत के संजय कॉलोनी का रहने वाला है। 14 दिसंबर को वह आगरा से पानीपत जाने वाली ट्रेन में सफर कर रहा था। जब ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना हुई तो रास्ते में चलती ट्रेन में उसका मोबाइल फोन छीन लिया गया। स्नैचर ट्रेन में उसके पास आया और उसके हाथ से फोन छीन लिया। चलती ट्रेन से कूदकर पटरी पर आ गया जब उसका पीछा किया गया तो वह चलती ट्रेन से कूदकर पटरी पर आ गया। उस समय सुबह के करीब 4 बजे थे। ट्रेन नई दिल्ली और सब्जी मंडी स्टेशन के बीच थी। उसके पास मोटोरोला एज 40 फोन था। उसमें उसका सिम भी लगा हुआ था। पानीपत पुलिस ने यहां से जीरो एफआईआर दर्ज कर नई दिल्ली रेलवे पुलिस को भेज दिया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चंडीगढ़ में बम ब्लास्ट-पुलिस पर अटैक के 17 आरोपी फरार:पूर्व सीएम बेअंत के 2 हत्यारोपी शामिल, पहचान के बाद भी गिरफ्तारी नहीं चंडीगढ़ में बम ब्लास्ट, चौकी-थानों पर हमलों के कई आतंकी अब भी फरार हैं, जबकि इन मामलों में पुलिस अधिकारी और आईएएस तक शहीद हो गए। आरोपियों की पहचान होने के बावजूद भी पुलिस इन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। पुलिस के पास लगभग 17 आतंकियों की लिस्ट है, जिसमें बकायदा आरोपियों के नाम और पता है, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं सकी। सीएम समेत हुई थी 18 लोगों की हत्या 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास हुए बम ब्लास्ट में सीएम बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की हत्या हुई थी। अंबाला के थाना नग्गल के अंतर्गत रहने वाले पुरुषोत्तम और जम्मू स्थित कटरा के तलवारा कॉलोनी निवासी आतंकी जगरूप सिंह उर्फ निहंग को 1996 में भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ में हुए एक अन्य बम ब्लास्ट के मामले में गुरदासपुर के गांव सोलापुर निवासी दौलत सिंह उर्फ बिट्टा फरार है। उसे चंडीगढ़ पुलिस ने 16 जनवरी 1991 को पीओ घोषित किया था। पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले चंडीगढ़ के पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले के मामले में शामिल आरोपी संगरूर के गांव डुलमा निवासी प्रीतम सिंह अब तक फरार है। उसे 10 दिसंबर 1994 को भगोड़ा घोषित किया गया था। इसके अलावा चंडीगढ़ रोज गार्डन में पंजाब पुलिस पर हमला हुआ था। मामले में जालंधर गांव बिल्गो निवासी गुरचरण सिंह अब तक फरार है। पुलिस ने 27 अप्रैल 1993 को उसे भगोड़ा घोषित किया था। मनी माजरा थाने पर भी हमला हुआ था। उक्त मामले में 9 फरवरी 1993 को पंजाब के गांव धनौरी निवासी दिलबाग सिंह को भगौड़ा घोषित किया गया था। आईएसएस पर हमले के आरोपी का नहीं सुराग हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में पंजाब के आईएएस निरंजन सिंह पर हमले के मामले में कपूरथला के संडो चट्ठा निवासी वधावा सिंह को पीओ घोषित किया गया था। चंडीगढ़ पुलिस के सिपाही पर हमले के मामले में गुरदासपुर निवासी सिपाही सुखदेव सिंह शामिल था। जिसे 15 जनवरी 1993 को पीओ घोषित किया। इसके अलावा 1999 में सेक्टर-34 स्थित पुराने पासपोर्ट दफ्तर के पास पार्किंग में बम ब्लास्ट हुआ था। मामले में अमृतसर के गांव पंजवार निवासी परमजीत सिंह उर्फ पंजवार शामिल था, अब तक सुराग नहीं लगा। इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की हुई हत्या चंडीगढ़ में पुलिस के इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह की हत्या मामले में कपूरथला के गांव सफाबाद निवासी बहादुर सिंह अब तक फरार है। जिसे 17 नवंबर 1987 को भगौड़ा घोषित किया गया था। जबकि एसआई अमरजीत सिंह की हत्या मामले में पटियाला के राजपुरा के गांव मडौली निवासी जोरा सिंह को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। 12 मार्च 1993 को भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी और उनकी टीम पर हुए आतंकी हमले में कपूरथला निवासी डॉ. मंजीत सिंह, मोहाली के बलवंत सिंह और चंडीगढ़ निवासी मनमोहन सिंह उर्फ मिंटा अब तक फरार हैं। मंजीत और बलवंत को 07 अगस्त 1993 और 25 मई 1993 को मनमोहन सिंह को भगौड़ा घोषित किया था। अगस्त 1991 में हुए हमले में सैनी और चार चार अन्य पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
भाजपा कैंडिडेट ने MLA को शराबी-जुआरी और सट्टेबाज बताया:लक्ष्मण नापा बोले-मानहानि का केस करूंगा, ओड समुदाय ने सुनीता दुग्गल के विरोध का ऐलान किया
भाजपा कैंडिडेट ने MLA को शराबी-जुआरी और सट्टेबाज बताया:लक्ष्मण नापा बोले-मानहानि का केस करूंगा, ओड समुदाय ने सुनीता दुग्गल के विरोध का ऐलान किया हरियाणा में रतिया से भाजपा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए रतिया विधायक लक्ष्मण नापा पर तीखी टिप्पणी की है। दुग्गल ने लक्ष्मण नापा पर शराब पीने और जुआ खेलने का आरोप है। सुनीता दुग्गल ने सीएम नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में अपना नामांकन दाखिल किया। सुनीता ने कहा ‘अगर आप मुझे विधायक बनाओगे तो आप ऐसा कभी नहीं सुनोगे। आप यह कभी नहीं सुनोगे कि आपका विधायक कहीं शराब पी रहा है, कहीं जुआ खेल रहा है, कहीं सट्टा खेल रहा है। मैं आप सभी को विश्वास दिलाती हूं कि मैं रतिया विधानसभा को हरियाणा में नंबर वन बनाने के लिए दिन रात मेहनत करूंगी। अगर मैं ऐसा नहीं कर पाई तो मेरा नाम सुनीता दुग्गल नहीं है।’ सुनीता दुग्गल के बयान के बाद विधायक लक्ष्मण नापा ने कंबोज धर्मशाला में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई। विधायक ने कहा कि वे कोर्ट में सुनीता दुग्गल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रहे हैं। इसके साथ ही सुनीता दुग्गल के खिलाफ थाने में शिकायत देकर मामला दर्ज करवाया जाएगा। कभी कोई गलत काम नहीं किया
पत्रकारों से बातचीत करते हुए विधायक लक्ष्मण नापा ने कहा कि वे 5 साल से विधायक के तौर पर काम किया हैं और उन्होंने रतिया हलके में करीब 1000 करोड़ के विकास कार्य करवाए हैं, लेकिन सुनीता दुग्गल द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों को वे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। उनका निजी जीवन साफ है और उन्होंने कभी कोई गलत काम नहीं किया। न ही मैंने जीवन में किसी से कोई मांग की है, लेकिन सुनीता दुग्गल ने उन पर निजी आरोप लगाकर उन्हें बदनाम किया है। दुग्गल का बहिष्कार करेंगे
ओड समाज के लोगों ने ऐलान किया है कि सुनीता दुग्गल द्वारा लक्ष्मण नापा पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। इसलिए ओड समाज के लोग विधानसभा चुनाव के दौरान सुनीता दुग्गल का बहिष्कार करेंगे। हर गांव में सुनीता दुग्गल का पुतला भी जलाया जाएगा। 18 साल से राजनीति में सक्रिय लक्ष्मण नापा
नापा 2006 से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने कांग्रेस से राजनीति शुरू की और फिर इनेलो में शामिल हो गए थे। 2011 में हुए उपचुनाव में वे आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान उतरे और हार गए थे। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए और संघ के कई कार्यक्रमों में भाग लिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन पर दांव खेला। भाजपा का यह दांव सफल साबित हुआ और लक्ष्मण नापा रतिया से विधायक चुने गए। उन्होंने 55 हजार 160 वोट हासिल किए। नापा ने कांग्रेस उम्मीदवार जरनैल सिंह को 1216 वोटों के अंतर से हराया था।
नूंह हिंसा में फरार व्यक्ति डेढ़ साल बाद गिरफ्तार:साथियों को सिम कार्ड भेज अफवाह फैलाई; पुलिस को दे रहा था चकमा
नूंह हिंसा में फरार व्यक्ति डेढ़ साल बाद गिरफ्तार:साथियों को सिम कार्ड भेज अफवाह फैलाई; पुलिस को दे रहा था चकमा हरियाणा के नूंह में साइबर थाना पुलिस ने नूंह हिंसा के एक आरोपी को करीब डेढ़ साल बाद काबू किया है। उसकी पहचान अरमान निवासी गांव जलालपुर थाना नगीना के रूप में हुई है। आरोपी पर नूंह हिंसा के दौरान अफवाह फैलाने सहित अन्य धाराओं में में साइबर थाना में मुकदमा दर्ज हुआ था। नूंह पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि 31 जुलाई 2023 को नूंह में शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। उस दौरान आरोपी अरमान ने अपने साथियों को सिम कार्ड भेज कर गलत अफवाह फैलाने में अहम भूमिका निभाई थी। हिंसा के करीब चार दिन बाद साइबर थाना पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। आरोपी अरमान अब तक गिरफ्तारी से बचने के पुलिस को चकमा देता रहा। साइबर थाना पुलिस की एक टीम ने गुप्त सूचना मिलने पर आरोपी को एक ठिकाने से धर दबोचा है। बता दें कि दो साल पहले साल 31 जुलाई को शोभायात्रा के दौरान नूंह में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। दर्जनों वाहनों को फूंक दिया गया था। इसके बाद हिंसा नूंह जिले के अलावा गुरुग्राम और पलवल तक फैल गई थी।